लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला के नेतृत्व में भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल 5 से 12 अक्टूबर 2025 तक ब्रिजटाउन, बारबाडोस में आयोजित होने वाले 68वें राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन (CPC) में भाग लेगा। यह सम्मेलन राष्ट्रमंडल देशों के सांसदों को संसदीय लोकतंत्र, सहयोग और साझा चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए एक साथ लाता है।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल की संरचना
प्रतिनिधिमंडल में संसद के दोनों सदनों के वरिष्ठ सदस्य शामिल हैं। राज्यसभा के उपाध्यक्ष श्री हरिवंश, लोकसभा सांसद श्री अनुराग शर्मा, डॉ. डी. पुरंदरेश्वरी, डॉ. के. सुधाकर, राज्यसभा सांसद सुश्री रेखा शर्मा और डॉ. अजीत माधवराव गोपचडे इस टीम का हिस्सा हैं।
लोकसभा और राज्यसभा के महासचिव श्री उत्तम कुमार सिंह और श्री पी. सी. मोदी भी प्रतिनिधिमंडल के साथ होंगे। इसके अतिरिक्त, 24 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की विधानसभाओं से 36 पीठासीन अधिकारी और 16 सचिव भी भाग लेंगे।
प्रमुख विषय और गतिविधियाँ
लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला सम्मेलन की महासभा को “द कॉमनवेल्थ – ए ग्लोबल पार्टनर” विषय पर संबोधित करेंगे। सम्मेलन में विभिन्न विषयों पर सात कार्यशालाएँ आयोजित की जाएंगी।
श्री बिरला “प्रौद्योगिकी का उपयोग – डिजिटल परिवर्तन के माध्यम से लोकतंत्र को सशक्त बनाना और डिजिटल असमानता को दूर करना” विषय पर आयोजित कार्यशाला की अध्यक्षता करेंगे। यह संसदीय शासन में डिजिटल उपकरणों पर बढ़ते फोकस को दर्शाता है।
समिति बैठकें और प्रतिनिधित्व
राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (CPA) की कार्यकारी समिति की बैठक भी इसी सम्मेलन के दौरान आयोजित की जाएगी।
CPA के कोषाध्यक्ष के रूप में श्री अनुराग शर्मा और असम विधानसभा के अध्यक्ष श्री बिश्वजीत दैमरी, जो क्षेत्रीय प्रतिनिधि हैं, इसमें भाग लेंगे।
डॉ. डी. पुरंदरेश्वरी राष्ट्रमंडल महिला सांसद समिति (CWP) की स्टीयरिंग कमेटी में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी और “जेंडर-संवेदनशील संसदों को साकार करने के लिए उत्तम प्रथाएँ और रणनीतियाँ” विषय पर पैनल वक्ता के रूप में भाग लेंगी।
द्विपक्षीय वार्ताएँ और प्रवासी भारतीयों से संवाद
लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला राष्ट्रमंडल देशों के अपने समकक्षों से द्विपक्षीय बैठकें करेंगे, जिनमें संसदीय सहयोग और आपसी हितों पर चर्चा होगी।
वे बारबाडोस के नेतृत्व से भी मुलाकात करेंगे और वहाँ रह रहे भारतीय समुदाय से संवाद स्थापित करेंगे। इन बैठकों का उद्देश्य भारत के राजनयिक और सांस्कृतिक संबंधों को और सुदृढ़ करना है।
राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन का महत्व
CPC सांसदों के लिए एक ऐसा मंच है जहाँ वे सर्वोत्तम संसदीय प्रथाओं का आदान-प्रदान, लोकतांत्रिक मूल्यों का संवर्धन, और साझी चुनौतियों के समाधान पर चर्चा करते हैं।
यह डिजिटल परिवर्तन, लैंगिक समानता और शासन सुधारों जैसे विषयों पर सहयोग को बढ़ावा देता है।
भारत की सक्रिय भागीदारी उसकी वैश्विक संसदीय संवाद के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

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