विश्व कपास दिवस 2025 का उत्सव – भारत की कपास और वस्त्र क्षेत्र के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक
नई दिल्ली में मनाया गया विश्व कपास दिवस 2025 भारत की कपास और वस्त्र क्षेत्र को आगे बढ़ाने की देश की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। यह आयोजन वस्त्र मंत्रालय और कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री (CITI) द्वारा आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम का मुख्य विषय था – “कॉटन 2040 – टेक्नोलॉजी, क्लाइमेट एंड कॉम्पिटिटिवनेस” (तकनीक, जलवायु और प्रतिस्पर्धा)। प्रमुख नेताओं ने उत्पादन, स्थिरता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने की योजनाओं का विवरण दिया और भारत की कृषि तथा अर्थव्यवस्था में कपास की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
सरकार की कपास और वस्त्र क्षेत्र के लिए दृष्टि
सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक वस्त्र क्षेत्र को 350 अरब अमेरिकी डॉलर के उद्योग में विकसित किया जाए, जिसमें 100 अरब डॉलर का निर्यात शामिल हो। इन प्रयासों का मुख्य उद्देश्य कार्बन न्यूट्रलिटी (कार्बन संतुलन) प्राप्त करना और किसानों के कल्याण को बढ़ाना है। पिछले दशक में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में की गई वृद्धि इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।कपास उत्पादकता मिशन (Mission for Cotton Productivity) पर विचार किया जा रहा है ताकि प्रति हेक्टेयर उत्पादन को वर्तमान 450 किलोग्राम से बढ़ाकर 2000 किलोग्राम से अधिक किया जा सके, जो वैश्विक मानकों के बराबर होगा।
जलवायु परिवर्तन और स्थिरता की चुनौतियाँ
जलवायु परिवर्तन कपास की खेती के लिए विशेष रूप से वर्षा आधारित क्षेत्रों में एक गंभीर खतरा बन गया है। इसलिए जल का कुशल उपयोग, मिट्टी का संरक्षण और नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग अत्यंत आवश्यक है। सभी हितधारकों को प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा और किसानों की दीर्घकालिक समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए मिलकर कार्य करना होगा।सतत (सस्टेनेबल) कपास उत्पादन को पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों की वैश्विक मांग पूरी करने के लिए अनिवार्य माना जा रहा है।
तकनीकी नवाचार और उत्पादकता में वृद्धि
इस क्षेत्र के भविष्य में प्रौद्योगिकी आधारित परिवर्तन एक केंद्रीय भूमिका निभा रहे हैं। उन्नत कपास प्रजनन तकनीक (Advanced Cotton Breeding), सटीक खेती (Precision Farming), डिजिटल ट्रेसबिलिटी, और डेटा आधारित सेवाएँ उत्पादकता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण उपकरण हैं।जिनिंग (Ginning) ढांचे का आधुनिकीकरण और हाई डेंसिटी प्लांटिंग सिस्टम (HDPS) को अपनाने से गुणवत्ता और उत्पादन में सुधार होगा।सस्टेनेबिलिटी प्रमाणन और गुणवत्ता आश्वासन वैश्विक बाजार में भारतीय कपास की स्वीकृति के लिए आवश्यक हैं।
कस्तूरी कॉटन भारत पहल
‘कस्तूरी कॉटन भारत’ पहल का उद्देश्य भारतीय कपास को शुद्धता, गुणवत्ता और स्थिरता का वैश्विक प्रतीक बनाना है। यह पहल सरकार की ‘5F’ दृष्टि – फार्म, फाइबर, फैक्ट्री, फैशन और फॉरेन ट्रेड – के अनुरूप है।इसका उद्देश्य किसानों, जिनर्स, स्पिनर्स, ब्रांड्स और निर्यातकों के बीच भावनात्मक और आर्थिक जुड़ाव को मजबूत करना है। इस मिशन की सफलता के लिए साझा प्रयासों और रणनीतिक साझेदारियों को विशेष महत्व दिया गया है।
उद्योग और अंतरराष्ट्रीय सहयोग
इस आयोजन में उद्योग के अग्रणी नेताओं और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के बीच साझेदारी (Partnerships) पर प्रकाश डाला गया।प्रमुख वस्त्र कंपनियों और अनुसंधान संस्थानों के साथ नवाचार और किसान सशक्तिकरण को बढ़ावा देने हेतु समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए गए।साथ ही, रूस जैसे देशों के साथ संबंध मजबूत करने पर भी जोर दिया गया, ताकि वस्त्र और परिधान उद्योग में व्यापार और तकनीकी सहयोग को और बढ़ाया जा सके।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
भारत का कपास क्षेत्र लगभग 60 लाख किसानों को आजीविका प्रदान करता है और 45 मिलियन (4.5 करोड़) से अधिक लोगों को रोजगार देता है। यह ग्रामीण जीवन और महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण योगदान देता है।वस्त्र उद्योग की वृद्धि भारत के समग्र आर्थिक विकास से गहराई से जुड़ी हुई है, जिसके कारण इसे सरकार की प्रमुख योजनाओं जैसे ATUFS, PM MITRA, और NTTM में विशेष प्राथमिकता दी गई है।

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