वर्ष 2025 भारत-मंगोलिया राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ का प्रतीक है। इस महत्वपूर्ण अवसर पर मंगोलिया के राष्ट्रपति खुरेलसुख उखना भारत की आधिकारिक यात्रा पर आए। यह यात्रा दोनों लोकतांत्रिक देशों के बीच संस्कृति, रक्षा और विकास के क्षेत्र में गहराते संबंधों को दर्शाती है।
2025 भारत-मंगोलिया यात्रा का महत्व
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्रपति खुरेलसुख का स्वागत राष्ट्रपति भवन में किया। इस यात्रा ने दोनों देशों के बीच सात दशकों के राजनयिक संबंधों का उत्सव मनाया। दोनों नेताओं ने साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और सांस्कृतिक विरासत पर जोर दिया। मंगोलिया को भारत का ‘रणनीतिक साझेदार’, ‘तीसरा पड़ोसी’ और ‘आध्यात्मिक पड़ोसी’ कहा गया। यह दोनों देशों के बीच विशिष्ट भू-राजनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों को दर्शाता है।
सांस्कृतिक सहयोग और आध्यात्मिक संबंध
भारत पिछले 25 वर्षों से मंगोलिया के सांस्कृतिक पुनर्जागरण में सहयोग कर रहा है। इस पहल में बौद्ध मठों का पुनर्निर्माण और प्राचीन पांडुलिपियों का पुनर्मुद्रण शामिल है। भारत मंगोलियाई बौद्ध भिक्षुओं के लिए आध्यात्मिक शिक्षा का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए एक नया समझौता ज्ञापन (MoU) भी हस्ताक्षरित किया गया। इन प्रयासों से लोगों के बीच आपसी संबंध मजबूत हुए हैं और साझा बौद्ध विरासत का संरक्षण हुआ है।
विकास और क्षमता निर्माण की साझेदारी
भारत ने मंगोलिया में जारी विकास परियोजनाओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। इन परियोजनाओं का उद्देश्य बुनियादी ढांचे और क्षमता निर्माण को सुदृढ़ करना है। परियोजनाओं का समय पर पूरा होना दोनों देशों की मित्रता का प्रतीक होगा। दोनों पक्षों ने जनकल्याण के नए क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की। विकास सहयोग इस द्विपक्षीय संबंध का प्रमुख स्तंभ बना रहेगा।
रणनीतिक प्राथमिकता के रूप में रक्षा सहयोग
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्रपति खुरेलसुख से अलग बैठक की। दोनों नेताओं ने रक्षा सहयोग को रणनीतिक साझेदारी का मुख्य आधार बताया। वार्ताओं में सैन्य आदान-प्रदान, संयुक्त कार्य समूह, प्रशिक्षण कार्यक्रम और द्विपक्षीय अभ्यासों पर चर्चा हुई। भारत ने साइबर सुरक्षा और सशस्त्र बलों की क्षमता वृद्धि में मंगोलिया को सहयोग देने की पुष्टि की। भारत द्वारा शुरू की गई तेल रिफाइनरी परियोजना को भी एक महत्वपूर्ण विकास मील का पत्थर बताया गया।
भविष्य की दिशा और क्षेत्रीय प्रभाव
यह यात्रा क्षेत्रीय शांति और समृद्धि में साझा हितों को प्रतिबिंबित करती है। दोनों लोकतंत्र पारंपरिक क्षेत्रों से आगे बढ़कर सहयोग के नए रास्ते तलाशना चाहते हैं। विस्तृत सहयोग आधुनिक चुनौतियों और अवसरों से निपटने में मदद करेगा। भविष्य में प्रमुख परियोजनाओं के उद्घाटन के लिए आमंत्रण भी दिया गया। यह यात्रा आने वाले वर्षों में भारत-मंगोलिया संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने की दिशा निर्धारित करती है।

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