पार नज़र के MCQ Chapter 6 Class 6 Vasant हिंदी Advertisement MCQ’s For All Chapters – Hindi Class 6th 1. इस पाठ के लेखक कौन हैं?गुणाकर मुलेकृष्णा सोबतीजयंत विष्णु नार्लीकरकेदर नाथ अग्रवालQuestion 1 of 192. छोटू का परिवार कहाँ रहता था ?पर्वत परसमुद्र मेंआकाश मेंज़मीन के नीचे कॉलोनी मेंQuestion 2 of 193. कंट्रोल रूम में जाकर छोटू ने क्या हरकत की?वह डांस करने लगावह चॉकलेट माँगने लगावह लाल बटन दबाने के लिए मचलने लगाउसने मोटर स्टार्ट कर दी।Question 3 of 194. किस कमी के कारण मंगल ग्रहवासी अंतरिक्ष यान छोड़ने में असमर्थ थे?ऊर्जा कीयंत्रों कीतकनीकी कीईंधन कीQuestion 4 of 195. मंगल ग्रह के निवासी ज़मीन के नीचे किसके सहारे रहते थे?रोशनी के सहारेपानी के सहारेयंत्रों के सहारेईंधन के सहारेQuestion 5 of 196. वैसे तो उनकी पूरी कॉलोनी ही जमीन के नीचे बसी थी। यह जो सुरंगनुमा रास्ता था-अंदर दीये जल रहे थे और प्रवेश करने से पहले एक बंद दरवाज़े का सामना करना पड़ता था। दरवाज़े में एक खाँचा बना हुआ था। छोटू ने खाँचे में कार्ड डाला, तुरंत दरवाज़ा खुल गया। छोटू ने सुरंग में प्रवेश किया। अंदर वाले खाँचे में सिक्योरिटी-पास आ पहुँचा था। उसे उठा लिया, कार्ड उठाते ही दरवाज़ा बंद हुआ। छोटू ने चारों तरफ़ नज़र दौड़ाई। सुंरंगनुमा यह रास्ता ऊपर की तरफ़ जाता था……यानी ज़मीन के ऊपर का सफ़र कर आने का मौका मिल गया था।मगर कहाँ? मौका हाथ लगते ही फिसल गया। सुरंग में जगह-जगह लगाए गए निरीक्षक यंत्रों की जानकारी छोटू को नहीं थी। मगर छोट्र के प्रवेश करते ही पहले निरीक्षक यंत्र में संदेहास्पद स्थिति दर्शाने वाली हरकत हुई, इतने छोटे कद का व्यक्ति सुरंग में कैसे आया? दूसरे निरीक्षक यंत्र ने तुरंत छोटू की तसवीर खींच ली। किसी एक नियंत्रण केंद्र में इस तसवीर की जाँच की गई और खतरे की सूचना दी गई। छोटू की कॉलोनी कहाँ बसी हुई थी?जंगल मेंज़मीन के अंदरसुरंग मेंज़मीन के ऊपरQuestion 6 of 197. वैसे तो उनकी पूरी कॉलोनी ही जमीन के नीचे बसी थी। यह जो सुरंगनुमा रास्ता था-अंदर दीये जल रहे थे और प्रवेश करने से पहले एक बंद दरवाज़े का सामना करना पड़ता था। दरवाज़े में एक खाँचा बना हुआ था। छोटू ने खाँचे में कार्ड डाला, तुरंत दरवाज़ा खुल गया। छोटू ने सुरंग में प्रवेश किया। अंदर वाले खाँचे में सिक्योरिटी-पास आ पहुँचा था। उसे उठा लिया, कार्ड उठाते ही दरवाज़ा बंद हुआ। छोटू ने चारों तरफ़ नज़र दौड़ाई। सुंरंगनुमा यह रास्ता ऊपर की तरफ़ जाता था……यानी ज़मीन के ऊपर का सफ़र कर आने का मौका मिल गया था।मगर कहाँ? मौका हाथ लगते ही फिसल गया। सुरंग में जगह-जगह लगाए गए निरीक्षक यंत्रों की जानकारी छोटू को नहीं थी। मगर छोट्र के प्रवेश करते ही पहले निरीक्षक यंत्र में संदेहास्पद स्थिति दर्शाने वाली हरकत हुई, इतने छोटे कद का व्यक्ति सुरंग में कैसे आया? दूसरे निरीक्षक यंत्र ने तुरंत छोटू की तसवीर खींच ली। किसी एक नियंत्रण केंद्र में इस तसवीर की जाँच की गई और खतरे की सूचना दी गई। सुरंग में प्रकाश की क्या व्यवस्था थी?बिजली के बल्ब जले हुए थे।सुरंग में दीये जल रहे थे। सुरंग में झरोखों के द्वारा रोशनी आती थी।सुरंग में अँधेरा था।Question 7 of 198. वैसे तो उनकी पूरी कॉलोनी ही जमीन के नीचे बसी थी। यह जो सुरंगनुमा रास्ता था-अंदर दीये जल रहे थे और प्रवेश करने से पहले एक बंद दरवाज़े का सामना करना पड़ता था। दरवाज़े में एक खाँचा बना हुआ था। छोटू ने खाँचे में कार्ड डाला, तुरंत दरवाज़ा खुल गया। छोटू ने सुरंग में प्रवेश किया। अंदर वाले खाँचे में सिक्योरिटी-पास आ पहुँचा था। उसे उठा लिया, कार्ड उठाते ही दरवाज़ा बंद हुआ। छोटू ने चारों तरफ़ नज़र दौड़ाई। सुंरंगनुमा यह रास्ता ऊपर की तरफ़ जाता था……यानी ज़मीन के ऊपर का सफ़र कर आने का मौका मिल गया था।मगर कहाँ? मौका हाथ लगते ही फिसल गया। सुरंग में जगह-जगह लगाए गए निरीक्षक यंत्रों की जानकारी छोटू को नहीं थी। मगर छोट्र के प्रवेश करते ही पहले निरीक्षक यंत्र में संदेहास्पद स्थिति दर्शाने वाली हरकत हुई, इतने छोटे कद का व्यक्ति सुरंग में कैसे आया? दूसरे निरीक्षक यंत्र ने तुरंत छोटू की तसवीर खींच ली। किसी एक नियंत्रण केंद्र में इस तसवीर की जाँच की गई और खतरे की सूचना दी गई। छोटू ने सुरंग में प्रवेश कैसे किया?छिपकरअपने पिता के साथवह प्रवेश नहीं कर पायाखाँचे में कार्ड डालकरQuestion 8 of 199. वैसे तो उनकी पूरी कॉलोनी ही जमीन के नीचे बसी थी। यह जो सुरंगनुमा रास्ता था-अंदर दीये जल रहे थे और प्रवेश करने से पहले एक बंद दरवाज़े का सामना करना पड़ता था। दरवाज़े में एक खाँचा बना हुआ था। छोटू ने खाँचे में कार्ड डाला, तुरंत दरवाज़ा खुल गया। छोटू ने सुरंग में प्रवेश किया। अंदर वाले खाँचे में सिक्योरिटी-पास आ पहुँचा था। उसे उठा लिया, कार्ड उठाते ही दरवाज़ा बंद हुआ। छोटू ने चारों तरफ़ नज़र दौड़ाई। सुंरंगनुमा यह रास्ता ऊपर की तरफ़ जाता था……यानी ज़मीन के ऊपर का सफ़र कर आने का मौका मिल गया था।मगर कहाँ? मौका हाथ लगते ही फिसल गया। सुरंग में जगह-जगह लगाए गए निरीक्षक यंत्रों की जानकारी छोटू को नहीं थी। मगर छोट्र के प्रवेश करते ही पहले निरीक्षक यंत्र में संदेहास्पद स्थिति दर्शाने वाली हरकत हुई, इतने छोटे कद का व्यक्ति सुरंग में कैसे आया? दूसरे निरीक्षक यंत्र ने तुरंत छोटू की तसवीर खींच ली। किसी एक नियंत्रण केंद्र में इस तसवीर की जाँच की गई और खतरे की सूचना दी गई। छोटू ने सुरंग में प्रवेश का किसे पता चल गया?छोटू के पिता कोसुरक्षा गार्ड कोनिरीक्षक यंत्र कोइनमें कोई नहींQuestion 9 of 1910. वैसे तो उनकी पूरी कॉलोनी ही जमीन के नीचे बसी थी। यह जो सुरंगनुमा रास्ता था-अंदर दीये जल रहे थे और प्रवेश करने से पहले एक बंद दरवाज़े का सामना करना पड़ता था। दरवाज़े में एक खाँचा बना हुआ था। छोटू ने खाँचे में कार्ड डाला, तुरंत दरवाज़ा खुल गया। छोटू ने सुरंग में प्रवेश किया। अंदर वाले खाँचे में सिक्योरिटी-पास आ पहुँचा था। उसे उठा लिया, कार्ड उठाते ही दरवाज़ा बंद हुआ। छोटू ने चारों तरफ़ नज़र दौड़ाई। सुंरंगनुमा यह रास्ता ऊपर की तरफ़ जाता था……यानी ज़मीन के ऊपर का सफ़र कर आने का मौका मिल गया था।मगर कहाँ? मौका हाथ लगते ही फिसल गया। सुरंग में जगह-जगह लगाए गए निरीक्षक यंत्रों की जानकारी छोटू को नहीं थी। मगर छोट्र के प्रवेश करते ही पहले निरीक्षक यंत्र में संदेहास्पद स्थिति दर्शाने वाली हरकत हुई, इतने छोटे कद का व्यक्ति सुरंग में कैसे आया? दूसरे निरीक्षक यंत्र ने तुरंत छोटू की तसवीर खींच ली। किसी एक नियंत्रण केंद्र में इस तसवीर की जाँच की गई और खतरे की सूचना दी गई। निरीक्षक यंत्र ने क्या किया?छोटू को पकड़ लियाछोटू की तस्वीर खींच लीछोटू को छोड़ दियाछोटू को अंदर जाने दिया।Question 10 of 1911. मैं वहाँ एक खास किस्म का स्पेस-सूट पहनकर जाता हूँ। इस स्पेस-सूट से मुझे ऑक्सीजन मिलती है, जिससे मैं साँस ले सकता हूँ। इसी स्पेस-सूट की वजह से बाहर की ठंड से मैं अपने आपको बचा सकता हूँ। खास किस्म के जूतों की वजह से जमीन के ऊपर मेरा चलना मुमकिन होता है। जमीन के ऊपर चलने के लिए हमें एक विशेष प्रकार का प्रशिक्षण दिया जाता है। गद्यांश के लेखक का नाम लिखिएगुणाकर मुलेकृष्णा सोबतीजयंत विष्णु नार्लीकरकेदार नाथ अग्रवालQuestion 11 of 1912. मैं वहाँ एक खास किस्म का स्पेस-सूट पहनकर जाता हूँ। इस स्पेस-सूट से मुझे ऑक्सीजन मिलती है, जिससे मैं साँस ले सकता हूँ। इसी स्पेस-सूट की वजह से बाहर की ठंड से मैं अपने आपको बचा सकता हूँ। खास किस्म के जूतों की वजह से जमीन के ऊपर मेरा चलना मुमकिन होता है। जमीन के ऊपर चलने के लिए हमें एक विशेष प्रकार का प्रशिक्षण दिया जाता है। स्पेस-सूट पहनकर कौन जाता है?वैज्ञानिकछोटू के पापाछोटूनिरीक्षकQuestion 12 of 1913. मैं वहाँ एक खास किस्म का स्पेस-सूट पहनकर जाता हूँ। इस स्पेस-सूट से मुझे ऑक्सीजन मिलती है, जिससे मैं साँस ले सकता हूँ। इसी स्पेस-सूट की वजह से बाहर की ठंड से मैं अपने आपको बचा सकता हूँ। खास किस्म के जूतों की वजह से जमीन के ऊपर मेरा चलना मुमकिन होता है। जमीन के ऊपर चलने के लिए हमें एक विशेष प्रकार का प्रशिक्षण दिया जाता है। स्पेस-सूट पहनने से क्या लाभ है?ठंड से बचाव होता है।ऑक्सीजन मिलती रहती है।ठंड से बचाव होता है। व ऑक्सीजन मिलती रहती है। दोनों लाभ होते हैं।कोई विशेष लाभ नहींQuestion 13 of 1914. “एक समय था, जब अपने मंगल ग्रह पर सभी लोग ज़मीन के ऊपर ही रहते थे। बगैर किसी तरह के यंत्रों की मदद के. बगैर किसी खास किस्म की पोशाक के हमारे पुरखे ज़मीन के ऊपर रहा करते थे लेकिन धीरे-धीरे वातावरण में परिवर्तन आने लगा। कई तरह के जीव धरती पर रहा करते थे। एक के बाद एक सब मरने लगे। इस परिवर्तन की जड़ में था-सूरज में हुआ परिवर्तन। सूरज से हमें रोशनी मिलती है, ऊष्णता मिलती है। इन्हीं तत्वों से जीवों का पोषण होता है। सूरज में परिवर्तन होते ही। यहाँ का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ गया। प्रकृति के बदले हुए रूप का सामना करने में यहाँ के पशु-पक्षी पेड़-पौधे अन्य जीव अक्षम साबित हुए। केवल हमारे पूर्वजों ने इस स्थिति का सामना किया।” इस गद्यांश में किस ग्रह का उल्लेख हुआ है?शनि काबृहस्पति कामंगल कापृथ्वी काQuestion 14 of 1915. “एक समय था, जब अपने मंगल ग्रह पर सभी लोग ज़मीन के ऊपर ही रहते थे। बगैर किसी तरह के यंत्रों की मदद के. बगैर किसी खास किस्म की पोशाक के हमारे पुरखे ज़मीन के ऊपर रहा करते थे लेकिन धीरे-धीरे वातावरण में परिवर्तन आने लगा। कई तरह के जीव धरती पर रहा करते थे। एक के बाद एक सब मरने लगे। इस परिवर्तन की जड़ में था-सूरज में हुआ परिवर्तन। सूरज से हमें रोशनी मिलती है, ऊष्णता मिलती है। इन्हीं तत्वों से जीवों का पोषण होता है। सूरज में परिवर्तन होते ही। यहाँ का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ गया। प्रकृति के बदले हुए रूप का सामना करने में यहाँ के पशु-पक्षी पेड़-पौधे अन्य जीव अक्षम साबित हुए। केवल हमारे पूर्वजों ने इस स्थिति का सामना किया।” मंगल ग्रह पर सब लोग कैसे रहते थे?ज़मीन परसुरंग मेंधरती के नीचेविशेष प्रकार के यंत्रों मेंQuestion 15 of 1916. “एक समय था, जब अपने मंगल ग्रह पर सभी लोग ज़मीन के ऊपर ही रहते थे। बगैर किसी तरह के यंत्रों की मदद के. बगैर किसी खास किस्म की पोशाक के हमारे पुरखे ज़मीन के ऊपर रहा करते थे लेकिन धीरे-धीरे वातावरण में परिवर्तन आने लगा। कई तरह के जीव धरती पर रहा करते थे। एक के बाद एक सब मरने लगे। इस परिवर्तन की जड़ में था-सूरज में हुआ परिवर्तन। सूरज से हमें रोशनी मिलती है, ऊष्णता मिलती है। इन्हीं तत्वों से जीवों का पोषण होता है। सूरज में परिवर्तन होते ही। यहाँ का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ गया। प्रकृति के बदले हुए रूप का सामना करने में यहाँ के पशु-पक्षी पेड़-पौधे अन्य जीव अक्षम साबित हुए। केवल हमारे पूर्वजों ने इस स्थिति का सामना किया।” हमारे पूर्वज धरती पर कैसे रहते थे?स्पेस सूट पहनकरयंत्रों के सहारे धरती परबिना किसी यंत्र के सहारे धरती परआक्सीजन के मास्क लगाकरQuestion 16 of 1917. अपने तकनीकी ज्ञान के आधार पर हमने ज़मीन के नीचे अपना घर बना लिया। ज़मीन के ऊपर लगे विभिन्न यंत्रों के सहारे हम सूर्य-शक्ति, सूरज की रोशनी और गरमी का इस्तेमाल करते आ रहे हैं। उन्हीं यंत्रों के सहारे हम यहाँ ज़मीन के नीचे जी रहे हैं। यंत्र सुचारु रूप से चलते रहें, इसके लिए बड़ी सतर्कता बरतनी पड़ती है। मुझ जैसे कुछ चुनिंदा लोग इन्हीं यंत्रों का ध्यान रखते हैं।” “बड़ा हो जाऊँगा तो मैं भी यही काम करूँगा” छोटू ने अपनी मंशा जाहिर की।“बिलकुल! मगर उसके लिए खूब पढ़ना होगा। माँ और पापा की बात सुननी होगी!” माँ ने कहा।दूसरे दिन छोटू के पापा काम पर चले गए। देखा तो कंट्रोल रूम का वातावरण बदला-बदला सा था। शिफ़्ट खत्म कर घर जा रहे स्टाफ़ के प्रमुख ने टी० वी० स्क्रीन की तरफ़ इशारा किया। स्क्रीन पर एक बिंदु झलक रहा था। वह बताने लगा, “यह कोई आसमान का तारा नहीं है, क्योंकि कंप्यूटर से पता चल रहा है कि यह अपनी जगह अडिग नहीं रहा है। पिछले कुछ घंटों के दौरान इसने अपनी जगह बदली है। कंप्यूटर के अनुसार यह हमारी धरती की तरफ़ बढ़ता चला आ रहा है।” मनुष्य ने किस आधार पर ज़मीन के नीचे घर बनाया?साहित्य ज्ञानव्यावहारिक ज्ञानतकनीकी ज्ञानयथार्थ ज्ञानQuestion 17 of 1918. “अपने तकनीकी ज्ञान के आधार पर हमने ज़मीन के नीचे अपना घर बना लिया। ज़मीन के ऊपर लगे विभिन्न यंत्रों के सहारे हम सूर्य-शक्ति, सूरज की रोशनी और गरमी का इस्तेमाल करते आ रहे हैं। उन्हीं यंत्रों के सहारे हम यहाँ ज़मीन के नीचे जी रहे हैं। यंत्र सुचारु रूप से चलते रहें, इसके लिए बड़ी सतर्कता बरतनी पड़ती है। मुझ जैसे कुछ चुनिंदा लोग इन्हीं यंत्रों का ध्यान रखते हैं।” “बड़ा हो जाऊँगा तो मैं भी यही काम करूँगा” छोटू ने अपनी मंशा जाहिर की।“बिलकुल! मगर उसके लिए खूब पढ़ना होगा। माँ और पापा की बात सुननी होगी!” माँ ने कहा।दूसरे दिन छोटू के पापा काम पर चले गए। देखा तो कंट्रोल रूम का वातावरण बदला-बदला सा था। शिफ़्ट खत्म कर घर जा रहे स्टाफ़ के प्रमुख ने टी० वी० स्क्रीन की तरफ़ इशारा किया। स्क्रीन पर एक बिंदु झलक रहा था। वह बताने लगा, “यह कोई आसमान का तारा नहीं है, क्योंकि कंप्यूटर से पता चल रहा है कि यह अपनी जगह अडिग नहीं रहा है। पिछले कुछ घंटों के दौरान इसने अपनी जगह बदली है। कंप्यूटर के अनुसार यह हमारी धरती की तरफ़ बढ़ता चला आ रहा है।” मनुष्य किसकी शक्ति का प्रयोग करना सीख गया?सूरज की मंगल ग्रह कीपृथ्वी कीमशीनों कीQuestion 18 of 1919. “अपने तकनीकी ज्ञान के आधार पर हमने ज़मीन के नीचे अपना घर बना लिया। ज़मीन के ऊपर लगे विभिन्न यंत्रों के सहारे हम सूर्य-शक्ति, सूरज की रोशनी और गरमी का इस्तेमाल करते आ रहे हैं। उन्हीं यंत्रों के सहारे हम यहाँ ज़मीन के नीचे जी रहे हैं। यंत्र सुचारु रूप से चलते रहें, इसके लिए बड़ी सतर्कता बरतनी पड़ती है। मुझ जैसे कुछ चुनिंदा लोग इन्हीं यंत्रों का ध्यान रखते हैं।” “बड़ा हो जाऊँगा तो मैं भी यही काम करूँगा” छोटू ने अपनी मंशा जाहिर की।“बिलकुल! मगर उसके लिए खूब पढ़ना होगा। माँ और पापा की बात सुननी होगी!” माँ ने कहा।दूसरे दिन छोटू के पापा काम पर चले गए। देखा तो कंट्रोल रूम का वातावरण बदला-बदला सा था। शिफ़्ट खत्म कर घर जा रहे स्टाफ़ के प्रमुख ने टी० वी० स्क्रीन की तरफ़ इशारा किया। स्क्रीन पर एक बिंदु झलक रहा था। वह बताने लगा, “यह कोई आसमान का तारा नहीं है, क्योंकि कंप्यूटर से पता चल रहा है कि यह अपनी जगह अडिग नहीं रहा है। पिछले कुछ घंटों के दौरान इसने अपनी जगह बदली है। कंप्यूटर के अनुसार यह हमारी धरती की तरफ़ बढ़ता चला आ रहा है। सतर्कता बरतने की बात क्यों की जा रही है?ताकि यंत्र सुचारु रूप से चलते रहें।ताकि दूसरी दुनिया के जीव यहाँ न आ सकेंताकि मंगल ग्रह दुष्प्रभाव न छोड़ सकेताकि मशीन कार्य करती रहे।Question 19 of 19 Loading... 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