Pehli-boond Class 6 Summary in Hindi
1)
वह पावस का प्रथम दिवस जब,
पहली बूँद धरा पर आई।
अंकुर फूट पड़ा धरती से,
नव-जीवन की ले अँगड़ाई।
Hindi Translation:
जब बारिश का पहला दिन था,
पहली बूंद धरती पर गिरी।
धरती से नया पौधा उग आया,
मानो नया जीवन अंगड़ाई ले रहा हो।
व्याख्या – इस पद में कवि वर्षा ऋतु के पहले दिन की बात कर रहे हैं, जब पहली बारिश की बूंद धरती पर गिरी। इस बूंद के गिरते ही सूखी और बंजर धरती से अंकुर फूटने लगे, जैसे कि नई ऊर्जा और जीवन का संचार हो गया हो। कवि ने इस घटना को एक नवजीवन के आगमन के रूप में देखा है, जिससे धरती की सूखी अवस्था समाप्त हो गई।
2)
धरती के सखे अधरों पर,
गिरी बूंद अमृत-सी आकर।
वसुंधरा की रोमावली-सी,
हरी दूब पुलकी-मुस्काई।
पहली बूँद धरा पर आई।।
Hindi Translation:
धरती के सूखे होंठों पर,
मानो अमृत की बूंद गिर गई।
धरती की रोम-रोम हरियाली से,
हरी घास खुशी से खिल उठी।
पहली बूंद धरती पर गिरी।।
व्याख्या – इस पद में कवि ने धरती को मानवीय रूप में प्रस्तुत किया है, जिसके सूखे होंठों पर अमृत जैसी बूंद गिरकर उसे ताजगी और जीवन देती है। धरती की हरी-हरी दूब, जो पहले सूखी हुई थी, अब बारिश की बूंदों के कारण खिल उठी है और मुस्कुराने लगी है। यह दृश्य धरती की पुनः जागृत होने की प्रतीक है।
3)
आसमान में उड़ता सागर,
लगा बिजलियों के स्वर्णिम पर।
बजा नगाड़े जगा रहे हैं,
बादल धरती की तरुणाई।
पहली बूँद धरा पर आई।।
Hindi Translation:
आसमान में उड़ता हुआ समंदर,
बिजलियों के स्वर्णिम रंग में रंगा हुआ दिख रहा था।
बादल नगाड़े बजाकर धरती को जगाने की कोशिश कर रहे थे।
पहली बूंद धरती पर गिरी।।
व्याख्या – इस पद में कवि बादलों को सागर के रूप में देखते हैं, जो आकाश में उड़ते हुए बिजली के सुनहरे पंखों पर सवार हैं। ये बादल नगाड़े बजाकर धरती की तरुणाई (युवावस्था) को जगा रहे हैं। यह चित्रण बादलों की गर्जना और बिजली की चमक को दर्शाता है, जो धरती के जीवन में नई ऊर्जा का संचार करती है।
4)
नीले नयनों-सा यह अंबर,
काली पतली-से ये जलधर।
करुणा-विगलित अश्रु बहाकर,
धरती की चिर-प्यास बुझाई।
बढ़ी धरती शस्य-श्यामला
बनने को फिर से ललचाई।
पहली बूँद धरा पर आई।।
Hindi Translation:
आकाश नीली आँखों जैसा दिख रहा था,
और बादल काली पुतलियों जैसे थे।
बादलों ने अपनी करुणा से भरे आंसू बहाकर,
धरती की पुरानी प्यास बुझाई।
धरती फिर से हरी-भरी फसलों से ढकने के लिए तैयार हो गई।
पहली बूंद धरती पर गिरी।।
व्याख्या – इस पद में कवि ने आकाश को नीले नयनों और बादलों को काली पुतली के रूप में प्रस्तुत किया है। बादल, जो करुणा से भरे हैं, अपनी अश्रु जैसी बूंदों से धरती की पुरानी प्यास को बुझाते हैं। इन बूंदों के गिरते ही धरती फिर से हरी-भरी फसलों से ढकने के लिए लालायित हो उठती है। यह दृश्य धरती के पुनः जीवन की ओर लौटने का प्रतीक है।
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