Jalate Chalo Class 6 Summary in Hindi
जलाते चलो ये दिये स्नेह भर-भर
कभी तो धरा का अँधेरा मिटेगा ।
भले शक्ति विज्ञान में है निहित
वह कि जिससे अमावस बने पूर्णिमा-सी,
मगर विश्व पर आज क्यों दिवस ही में
घरी आ रही है अमावस निशा-सी।
Explanation
वह कहते हैं कि अगर हम प्रेम से भरे दीपक जलाते रहेंगे, तो एक दिन अंधकार का अंत जरूर होगा। कवि यहां विज्ञान की शक्ति का भी जिक्र करते हैं, जो अमावस्या जैसी अंधेरी रात को भी पूर्णिमा की तरह चमकदार बना सकती है। लेकिन कवि आश्चर्य करते हैं कि आज के समय में, जब दिन में भी उजाला होना चाहिए, वहां अमावस्या जैसी अंधेरी निशा क्यों छा रही है। यह अंधेरा समाज में प्रेम और स्नेह की कमी के कारण हो सकता है।
बिना स्नेह विद्युत-दिये जल रहे जो
बुझाओ इन्हें, यों न पथ मिल सकेगा।।
जला दीप पहला तुम्हीं ने तिमिर की
चुनौती प्रथम बार स्वीकार की थी,
तिमिर की सरित पार करने तुम्हीं ने
बना दीप की नाव तैयार की थी।
Explanation
कवि कहते हैं कि बिना प्रेम के जो दीपक जल रहे हैं, उन्हें बुझा देना चाहिए, क्योंकि वे रास्ता नहीं दिखा पाएंगे। कवि याद दिलाते हैं कि जब पहली बार अंधकार ने चुनौती दी थी, तो तुमने पहला दीप जलाकर उसे स्वीकार किया था और अंधकार को पार करने के लिए दीप की नाव बनाई थी। यह नाव उस समय से ही हमारे लिए रास्ता दिखाती रही है।
बहाते चलो नाव तुम वह निरंतर
कभी तो तिमिर का किनारा मिलेगा।
युगों से तुम्हीं ने तिमिर की शिला पर
दिये अनगिनत है निरंतर जलाए,
समय साक्षी है कि जलते हुए दीप
अनगिन तुम्हारे पवन ने बुझाए।
मगर बुझ स्वयं ज्योति जो दे गए वे
उसी से तिमिर को उजेला मिलेगा।
Explanation
कवि हमें लगातार प्रयास करने के लिए प्रेरित करते हैं, चाहे मुश्किलें कितनी भी हों। वे कहते हैं कि जब तुम दीप की नाव को लगातार बहाते रहोगे, तो एक दिन अंधकार का किनारा (अंत) जरूर मिलेगा। युगों से तुमने अंधकार की कठिनाइयों पर अनगिनत दीप जलाए हैं, और समय गवाह है कि भले ही कई दीपक बुझ गए हों, लेकिन जो दीपक जलते रहे, उन्होंने अंधकार को उजाला दिया है।
दिये और तूफ़ान की यह कहानी
चली आ रही और चलती रहेगी.
जली जो प्रथम बार लौ दीप की
स्वर्ण-सी जल रही और जलती रहेगी।
रहेगा धरा पर दिया एक भी यदि
कभी तो निशा को सवेरा मिलेगा।
Explanation
आखिर में, कवि बताते हैं कि दीपक और तूफान की यह कहानी हमेशा से चली आ रही है और चलती रहेगी। जो दीप पहली बार जला था, वह सोने जैसा चमकदार था और हमेशा जलता रहेगा। अगर धरती पर एक भी दीप जलता रहेगा, तो निशा (रात) को एक दिन सवेरा (सुबह) जरूर मिलेगा। इसका मतलब है कि अंधकार (मुश्किल समय) का अंत होगा और उजाला (अच्छा समय) आएगा।
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