मैया मैं नहिं माखन खायो Class 6 Summary
यह पद श्रीमद्भागवत महापुराण की रचना से लिया गया है और इसे सूरदास जी ने लिखा है। इसमें भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया गया है, जिसमें माता यशोदा और बालकृष्ण के बीच का संवाद है। यहाँ, कृष्ण अपनी माँ यशोदा से यह कहकर सफाई दे रहे हैं कि उन्होंने माखन नहीं खाया। आइए इसे पंक्ति दर पंक्ति हिंदी में समझते हैं :-
1. “मैया मैं नहि माखन खायो।”
अर्थ: श्रीकृष्ण कहते हैं, “माँ, मैंने माखन नहीं खाया है।”
2. “भोर भयो गैयन के पाछे, मधबन मोहि पठायो।”
अर्थ: वे आगे कहते हैं, “सुबह होते ही मुझे गाएँ चराने के लिए मधुबन भेज दिया गया था।”
3. “चार पहर बंसीवट भटक्यो, साँझ परे घर आयो।।”
अर्थ: “मैं चार पहर तक गाँव के बाहर भटकता रहा और शाम होने पर ही घर लौटा हूँ।”
4. “मैं बालक बहियन को छोटो, छीको के हि बिधि पायो।”
अर्थ: “मैं अभी छोटा बच्चा हूँ, मेरे हाथ भी छोटे हैं, ऐसे में मैं कैसे माखन की मटकी तक पहुँच सकता हूँ?”
5. “ग्वाल-बाल सब बैर परे हैं, बरबस मख लपटायो॥”
अर्थ: “ग्वाल बाल (मेरे साथी) मुझसे ईर्ष्या करते हैं और झूठ बोलकर कहते हैं कि मैंने जबरदस्ती माखन खाया है।”
6. “तू माता मन की अति भोरी, इनके कहे पतियायो।”
अर्थ: “माँ, तुम्हारे मन की बात सरल है, तुम इनकी बातों पर विश्वास कर लेती हो।”
7. “जिय तेरे कछु भेद उपजि हैं, जानि परायो जायो॥”
अर्थ: “तुम्हारे दिल में मेरे प्रति कुछ शंका उत्पन्न हो गई है, इसलिए तुमने मुझे अलग कर दिया है।”
8. “ये ले अपनी लकुटि कमरिया, बहुतहि नाच नचायो।”
अर्थ: “अब तुम अपनी लकुटि (छड़ी) और कमरिया (कपड़ा) ले लो, तुमने मुझे बहुत नचाया है (ताने मारते हुए)।”
9. “सरदास तबू बिहसिँ जसोदा, लै उर कंठ लगायो॥”
अर्थ: सूरदास जी कहते हैं कि यशोदा यह सब सुनकर मुस्कुराईं और कृष्ण को गले से लगा लिया।
सारांश: इस पद में बालकृष्ण अपनी माँ से कहते हैं कि उन्होंने माखन नहीं खाया है और वह गाएँ चराने में व्यस्त थे। उनके दोस्त ग्वाल-बाल उन पर झूठा आरोप लगाते हैं। अंत में, यशोदा कृष्ण की भोली और मासूम बातों से प्रभावित हो जाती हैं और उन्हें अपने हृदय से लगा लेती हैं।
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