गिरिधर कविराय की कुंडलिया
Short Questions
1. प्रश्न: गिरधर कविराय की कविता का मुख्य विषय क्या है?
उत्तर: सोच-विचार करके काम करना और अतीत को भूलकर आगे बढ़ना।
2.प्रश्न: “बिना विचारे जो करै” का क्या अर्थ है?
उत्तर: बिना सोचे-समझे काम करना।
3.प्रश्न: कविता में “पाछे पछताय” का मतलब क्या है?
उत्तर: बाद में पछताना।
4.प्रश्न: “बीती ताहि बिसार दे” से क्या सलाह मिलती है?
उत्तर: अतीत को भूलकर आगे बढ़ने की सलाह।
5.प्रश्न: गिरधर कविराय की कुंडलियाँ क्यों प्रसिद्ध हैं?
उत्तर: क्योंकि वे सरल और नीतिपरक हैं।
6.प्रश्न: “जग में होत हँसाय” का क्या अर्थ है?
उत्तर: दुनिया में हँसी का पात्र बनना।
7.प्रश्न: कविता में “चित” शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर: मन।
8.प्रश्न: “सहज में” का मतलब क्या है?
उत्तर: आसानी से।
9.प्रश्न: गिरधर कविराय ने अपनी कविताओं में किस भाषा का उपयोग किया?
उत्तर: सरल और लोकप्रिय हिंदी।
10.प्रश्न: कविता में “खान-पान सन्मान” का क्या अर्थ है?
उत्तर: भोजन और सम्मान।
Long Questions
1. प्रश्न: “बिना विचारे जो करै सो पाछे पछताय” पंक्ति का अर्थ क्या है और यह हमें क्या सिखाती है?
उत्तर: इस पंक्ति का अर्थ है कि बिना सोचे-समझे किया गया काम बाद में पछतावे का कारण बनता है। यह हमें सिखाती है कि हर काम सोच-विचार करके करना चाहिए।
2.प्रश्न: “बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि लेइ” से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर: यह पंक्ति हमें अतीत की गलतियों को भूलकर भविष्य पर ध्यान देने की प्रेरणा देती है। इससे हम अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं।
3.प्रश्न: गिरधर कविराय की कुंडलियाँ जन-मानस में क्यों लोकप्रिय हैं?
उत्तर: उनकी कुंडलियाँ सरल शब्दों में नीति और जीवन के व्यवहार की बातें कहती हैं। इसलिए लोग इन्हें कहावतों की तरह उपयोग करते हैं।
4.प्रश्न: कविता में “खान पान सन्मान राग रंग मनहि न भावै” का क्या अर्थ है?
उत्तर: इसका अर्थ है कि बिना सोचे काम करने से मन अशांत रहता है और खाना, सम्मान, राग-रंग भी अच्छे नहीं लगते। यह दर्शाता है कि गलत काम मन की शांति छीन लेता है।
5.प्रश्न: गिरधर कविराय की कविता आज के समय में कैसे उपयोगी है?
उत्तर: यह कविता हमें सोच-विचार करके निर्णय लेना और अतीत को भूलकर आगे बढ़ना सिखाती है। यह आज के तेज़ जीवन में भी जल्दबाजी से बचने की सलाह देती है।
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