MCQ हम पंछी उन्मुक्त गगन के Chapter 1 Hindi Class 7 Vasant हिंदी Advertisement MCQ’s For All Chapters – Hindi Class 7th 1. ‘हम पंछी उन्मुक्त गगन के’ पाठ के रचयिता हैंभवानी प्रसाद मिश्रसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाशिवमंगल सिंह ‘सुमन’महादेवी वर्माQuestion 1 of 222. पक्षी कहाँ का जल पीना पसंद करते हैं?नल का जलवर्षा का जलनदी-झरनों का जलपिंजरे में रखी कटोरी का जलQuestion 2 of 223. बंधन किसका है?स्वर्ण काश्रृंखला कास्वर्ण श्रृंखला कामनुष्य काQuestion 3 of 224. लंबी उड़ान में क्या-क्या संभावनाएँ हो सकती थीं?क्षितिज की सीमा मिल जातीसाँसों की डोरी तन जातीये दोनों बातें हो सकती थींकुछ नहीं होताQuestion 4 of 225. पक्षी क्यों व्यथित हैं?क्योंकि वे बंधन में हैं क्योंकि वे आसमान की ऊँचाइयाँ छूने में असमर्थ हैंक्योंकि वे अनार के दानों रूपी तारों को चुगने में असमर्थ हैंउपर्युक्त सभीQuestion 5 of 226. हम पंछी उन्मुक्त गगन केपिंजरबद्ध न गा पाएँगे,कनक-तीलियों से टकराकरपुलकित पंख टूट जाएँगे।हम बहता जल पीनेवालेमर जाएँगे भूखे-प्यासे,कहीं भली है कटुक निबौरीकनक-कटोरी की मैदा से। पक्षी किस रूप में रहना चाहते हैं?व्याकुलपिंजरे में बंदउन्मुक्तपुलकितQuestion 6 of 227. हम पंछी उन्मुक्त गगन के पिंजरबद्ध न गा पाएँगे, कनक-तीलियों से टकराकर पुलकित पंख टूट जाएँगे। हम बहता जल पीनेवाले मर जाएँगे भूखे-प्यासे, कहीं भली है कटुक निबौरी कनक-कटोरी की मैदा से। पिंजरे में रहकर पक्षी क्या नहीं कर पाएंगे?गा नहीं पाएँगेउड़ नहीं पाएंगेकुछ खा नहीं पाएँगेउपर्युक्त सभीQuestion 7 of 228. हम पंछी उन्मुक्त गगन के पिंजरबद्ध न गा पाएँगे, कनक-तीलियों से टकराकर पुलकित पंख टूट जाएँगे। हम बहता जल पीनेवाले मर जाएँगे भूखे-प्यासे, कहीं भली है कटुक निबौरी कनक-कटोरी की मैदा से। सोने का पिंजरा भी पक्षियों को क्यों नहीं पसंद आता है?वे तो खुले आसमान में उड़ना चाहते हैंक्योंकि उनकी आज़ादी छिन जाती हैक्योंकि वे कैदी के रूप में नहीं रहतेउपर्युक्त सभीQuestion 8 of 229. हम पंछी उन्मुक्त गगन केपिंजरबद्ध न गा पाएँगे,कनक-तीलियों से टकराकरपुलकित पंख टूट जाएँगे।हम बहता जल पीनेवालेमर जाएँगे भूखे-प्यासे,कहीं भली है कटुक निबौरीकनक-कटोरी की मैदा से। कनक-तीलियों से टकरा-टकराकर क्या हो गया?वे आसमान में उड़ने लगेंगेपिंजरा टूट जाएगाउनके पंख टूट जाएँगेउपर्युक्त सभीQuestion 9 of 2210. हम पंछी उन्मुक्त गगन केपिंजरबद्ध न गा पाएँगे,कनक-तीलियों से टकराकरपुलकित पंख टूट जाएँगे।हम बहता जल पीनेवालेमर जाएँगे भूखे-प्यासे,कहीं भली है कटुक निबौरीकनक-कटोरी की मैदा से। ‘कनक’ शब्द का अर्थ है-चाँदीपीतलसोनाताँबाQuestion 10 of 2211. स्वर्ण-शृंखला के बंधन में अपनी गति, उड़ान सब भूले, बस सपनों में देख रहे हैं तरु की फुनगी पर के झूले। ऐसे थे अरमान कि उड़ते नीले नभ की सीमा पाने, लाल किरण-सी चोंच खोल चुगते तारक-अनार के दाने। पिंजरे में पक्षी क्या-क्या भूल जाते हैं?अपनी गतिअपनी उड़ानअपनी गति-उड़ानइनमें कोई नहींQuestion 11 of 2212. स्वर्ण-शृंखला के बंधन में अपनी गति, उड़ान सब भूले, बस सपनों में देख रहे हैं तरु की फुनगी पर के झूले। ऐसे थे अरमान कि उड़ते नीले नभ की सीमा पाने, लाल किरण-सी चोंच खोल चुगते तारक-अनार के दाने। पक्षी क्या सपना देखते हैं?आसमान में उड़ने कावृक्ष की फुनगी पर झूलने कापिंजरा तोड़ डालने कापिंजरे से भाग जाने काQuestion 12 of 2213. स्वर्ण-शृंखला के बंधन में अपनी गति, उड़ान सब भूले, बस सपनों में देख रहे हैं तरु की फुनगी पर के झूले। ऐसे थे अरमान कि उड़ते नीले नभ की सीमा पाने, लाल किरण-सी चोंच खोल चुगते तारक-अनार के दाने। ‘फुनगी’ शब्द का अर्थ होता है-सफ़ेद फूलपेड़ की सबसे ऊँची चोटी का सिरालंबी टहनीऊँची टहनीQuestion 13 of 2214. स्वर्ण-शृंखला के बंधन में अपनी गति, उड़ान सब भूले, बस सपनों में देख रहे हैं तरु की फुनगी पर के झूले। ऐसे थे अरमान कि उड़ते नीले नभ की सीमा पाने, लाल किरण-सी चोंच खोल चुगते तारक-अनार के दाने। पिंजरे में कैदी पक्षियों के साथ क्या हुआ?वे बहुत दुखी हो गएउन्हें अपनी भावना दबानी पड़ीवे बंधकर जीने को मजबूर हो गएउपर्युक्त सभी कथनQuestion 14 of 2215. स्वर्ण-शृंखला के बंधन में अपनी गति, उड़ान सब भूले, बस सपनों में देख रहे हैं तरु की फुनगी पर के झूले। ऐसे थे अरमान कि उड़ते नीले नभ की सीमा पाने, लाल किरण-सी चोंच खोल चुगते तारक-अनार के दाने। लाल किरणों-की सी चोंच से क्या तात्पर्य है?लाल चोंचसूर्य की किरणों जैसी लंबाई लिए चोंचजैसे सूर्य की किरण लालिमा लिए होते हैं, वैसे ही उनके चोंच भी लाल होते हैंइनमें कोई नहींQuestion 15 of 2216. स्वर्ण-शृंखला के बंधन में अपनी गति, उड़ान सब भूले, बस सपनों में देख रहे हैं तरु की फुनगी पर के झूले। ऐसे थे अरमान कि उड़ते नीले नभ की सीमा पाने, लाल किरण-सी चोंच खोल चुगते तारक-अनार के दाने। ‘अनार के दाने’ किसके प्रतीक हैं?अनार के दाने रूपी आसमान के तारेलाल अनार के दानेबड़े अनार के दानेछोटे-बड़े अनार के दानेQuestion 16 of 2217. होती सीमाहीन क्षितिज से इन पंखों की होड़ा-होड़ी, या तो क्षितिज मिलन बन जाता या तनती साँसों की डोरी। नीड़ न दो, चाहे टहनी का आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो, लेकिन पंख दिए हैं तो आकुल उड़ान में विघ्न न डालो। पक्षी किसकी सीमा पाना चाहते हैं?नीले आसमान कीउड़ान कीअनार कीतारे कीQuestion 17 of 2218. होती सीमाहीन क्षितिज से इन पंखों की होड़ा-होड़ी, या तो क्षितिज मिलन बन जाता या तनती साँसों की डोरी। नीड़ न दो, चाहे टहनी का आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो, लेकिन पंख दिए हैं तो आकुल उड़ान में विघ्न न डालो। उपरोक्त पद्यांश में पक्षियों की इच्छा हैआकाश छूने कीक्षितिज को पा जाने कीनिरंतर उड़ते रहने कीआराम पाने कीQuestion 18 of 2219. होती सीमाहीन क्षितिज से इन पंखों की होड़ा-होड़ी, या तो क्षितिज मिलन बन जाता या तनती साँसों की डोरी। नीड़ न दो, चाहे टहनी का आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो, लेकिन पंख दिए हैं तो आकुल उड़ान में विघ्न न डालो। पक्षियों का क्या प्रण है?क्षितिज पाने हेतु पिंजरा तोड़ देंगेक्षितिज मिलन करेंगे या प्राण त्याग देंगेक्षितिज मिल हेतु आपसी होड़ लगाएँगेलंबी उड़ान भरने पर भी क्षितिज मिलन न होने पर विचलित न होनाQuestion 19 of 2220. होती सीमाहीन क्षितिज से इन पंखों की होड़ा-होड़ी, या तो क्षितिज मिलन बन जाता या तनती साँसों की डोरी। नीड़ न दो, चाहे टहनी का आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो, लेकिन पंख दिए हैं तो आकुल उड़ान में विघ्न न डालो। ‘क्षितिज’ को कैसा बताया गया है?सीमितसीमाहीनबंदबड़ाQuestion 20 of 2221. होती सीमाहीन क्षितिज सेइन पंखों की होड़ा-होड़ी,या तो क्षितिज मिलन बन जाताया तनती साँसों की डोरी।नीड़ न दो, चाहे टहनी काआश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो,लेकिन पंख दिए हैं तोआकुल उड़ान में विघ्न न डालो। ‘लाल किरण की चोंच’ में कौन-सा अलंकार है?अनुप्रासउपमारूपकयमकQuestion 21 of 2222. होती सीमाहीन क्षितिज सेइन पंखों की होड़ा-होड़ी,या तो क्षितिज मिलन बन जाताया तनती साँसों की डोरी।नीड़ न दो, चाहे टहनी काआश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो,लेकिन पंख दिए हैं तोआकुल उड़ान में विघ्न न डालो। ‘आकुल उड़ान’ शब्द का क्या अर्थ है?व्याकुल होकर उड़नाअंधाधुंध उड़नाउड़ने की अधीरताधीरे-धीरे उड़नाQuestion 22 of 22 Loading...
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