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दादी माँ MCQ Hindi Chapter 2 Class 7 Vasant हिंदी

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MCQ’s For All Chapters – Hindi Class 7th

1. इस पाठ के लेखक का नाम बताएँ-

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Question 1 of 28

2. लेखक की कमज़ोरी क्या थी?

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Question 2 of 28

3. दादी माँ का व्यक्तित्व कैसा था?

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Question 3 of 28

4. दादी माँ क्यों उदास रहती थी?

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Question 4 of 28

5. पाठ में बच्चे किस महीने में झागदार पानी में नहाते थे?

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Question 5 of 28

6. विवाह से चार-पाँच दिन पहले औरतें क्या करती थीं?

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Question 6 of 28

7. कौआ पहले कहाँ बैठा था?

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Question 7 of 28

8. नहाकर लौटने पर दादी माँ लेखक के लिए क्या लेकर आई थी?

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Question 8 of 28

9. कमज़ोरी ही है अपनी, पर सच तो यह है कि ज़रा-सी कठिनाई पड़ते; बीसों गरमी, बरसात और वसंत देखने के बाद भी, मेरा मन सदा नहीं तो प्रायः अनमना-सा हो जाता है। मेरे शुभचिंतक मित्र मुँह पर मुझे प्रसन्न करने के लिए आनेवाली छुट्टियों की सूचना देते हैं और पीठ पीछे मुझे कमज़ोर और ज़रा-सी प्रतिकूलता से घबरानेवाला कहकर मेरा मज़ाक उड़ाते हैं। 

उपरोक्त गद्यांश के पाठ का नाम एवं लेखक हैं-

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Question 9 of 28

10. कमज़ोरी ही है अपनी, पर सच तो यह है कि ज़रा-सी कठिनाई पड़ते; बीसों गरमी, बरसात और वसंत देखने के बाद भी, मेरा मन सदा नहीं तो प्रायः अनमना-सा हो जाता है। मेरे शुभचिंतक मित्र मुँह पर मुझे प्रसन्न करने के लिए आनेवाली छुट्टियों की सूचना देते हैं और पीठ पीछे मुझे कमज़ोर और ज़रा-सी प्रतिकूलता से घबरानेवाला कहकर मेरा मज़ाक उड़ाते हैं। 

लेखक की कमज़ोरी थी-

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Question 10 of 28

11. कमज़ोरी ही है अपनी, पर सच तो यह है कि ज़रा-सी कठिनाई पड़ते; बीसों गरमी, बरसात और वसंत देखने के बाद भी, मेरा मन सदा नहीं तो प्रायः अनमना-सा हो जाता है। मेरे शुभचिंतक मित्र मुँह पर मुझे प्रसन्न करने के लिए आनेवाली छुट्टियों की सूचना देते हैं और पीठ पीछे मुझे कमज़ोर और ज़रा-सी प्रतिकूलता से घबरानेवाला कहकर मेरा मज़ाक उड़ाते हैं। 

बीसों गरमी, बरसात और वसंत का अभिप्राय है-

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Question 11 of 28

12. कमज़ोरी ही है अपनी, पर सच तो यह है कि ज़रा-सी कठिनाई पड़ते; बीसों गरमी, बरसात और वसंत देखने के बाद भी, मेरा मन सदा नहीं तो प्रायः अनमना-सा हो जाता है। मेरे शुभचिंतक मित्र मुँह पर मुझे प्रसन्न करने के लिए आनेवाली छुट्टियों की सूचना देते हैं और पीठ पीछे मुझे कमज़ोर और ज़रा-सी प्रतिकूलता से घबरानेवाला कहकर मेरा मज़ाक उड़ाते हैं। 

शुभचिंतक शब्द का अभिप्राय है

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Question 12 of 28

13. कमज़ोरी ही है अपनी, पर सच तो यह है कि ज़रा-सी कठिनाई पड़ते; बीसों गरमी, बरसात और वसंत देखने के बाद भी, मेरा मन सदा नहीं तो प्रायः अनमना-सा हो जाता है। मेरे शुभचिंतक मित्र मुँह पर मुझे प्रसन्न करने के लिए आनेवाली छुट्टियों की सूचना देते हैं और पीठ पीछे मुझे कमज़ोर और ज़रा-सी प्रतिकूलता से घबरानेवाला कहकर मेरा मज़ाक उड़ाते हैं। 

लेखक को खुश करने के लिए उनके मित्र क्या करते थे-

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Question 13 of 28

14. कमज़ोरी ही है अपनी, पर सच तो यह है कि ज़रा-सी कठिनाई पड़ते; बीसों गरमी, बरसात और वसंत देखने के बाद भी, मेरा मन सदा नहीं तो प्रायः अनमना-सा हो जाता है। मेरे शुभचिंतक मित्र मुँह पर मुझे प्रसन्न करने के लिए आनेवाली छुट्टियों की सूचना देते हैं और पीठ पीछे मुझे कमज़ोर और ज़रा-सी प्रतिकूलता से घबरानेवाला कहकर मेरा मज़ाक उड़ाते हैं। 

प्रतिकूलता का विलोम होता है-

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Question 14 of 28

15. दिन में मैं चादर लपेटे सोया था। दादी माँ आईं, शायद नहाकर आई थीं, उसी झागवाले जल में। पतले-दुबले स्नेह-सने शरीर पर सफ़ेद किनारीहीन धोती, सन-से सफ़ेद बालों के सिरों पर सद्यः टपके हुए जल की शीतलता। आते ही उन्होंने सर, पेट छुए। आँचल की गाँठ खोल किसी अदृश्य शक्तिधारी के चबूतरे की मिट्टी मुँह में डाली, माथे पर लगाई। दिन-रात चारपाई के पास बैठी रहतीं, कभी पंखा झलतीं, कभी जलते हुए हाथ-पैर कपड़े से सहलाती, सर पर दालचीनी का लेप करतीं और बीसों बार छू-छूकर ज्वर का अनुमान करतीं। 

दिन में बाहर चादर लपेटे कौन सोया था?

 

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Question 15 of 28

16. दिन में मैं चादर लपेटे सोया था। दादी माँ आईं, शायद नहाकर आई थीं, उसी झागवाले जल में। पतले-दुबले स्नेह-सने शरीर पर सफ़ेद किनारीहीन धोती, सन-से सफ़ेद बालों के सिरों पर सद्यः टपके हुए जल की शीतलता। आते ही उन्होंने सर, पेट छुए। आँचल की गाँठ खोल किसी अदृश्य शक्तिधारी के चबूतरे की मिट्टी मुँह में डाली, माथे पर लगाई। दिन-रात चारपाई के पास बैठी रहतीं, कभी पंखा झलतीं, कभी जलते हुए हाथ-पैर कपड़े से सहलाती, सर पर दालचीनी का लेप करतीं और बीसों बार छू-छूकर ज्वर का अनुमान करतीं। 

दादी माँ कैसे पानी में नहा कर आई थी?

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Question 16 of 28

17. दिन में मैं चादर लपेटे सोया था। दादी माँ आईं, शायद नहाकर आई थीं, उसी झागवाले जल में। पतले-दुबले स्नेह-सने शरीर पर सफ़ेद किनारीहीन धोती, सन-से सफ़ेद बालों के सिरों पर सद्यः टपके हुए जल की शीतलता। आते ही उन्होंने सर, पेट छुए। आँचल की गाँठ खोल किसी अदृश्य शक्तिधारी के चबूतरे की मिट्टी मुँह में डाली, माथे पर लगाई। दिन-रात चारपाई के पास बैठी रहतीं, कभी पंखा झलतीं, कभी जलते हुए हाथ-पैर कपड़े से सहलाती, सर पर दालचीनी का लेप करतीं और बीसों बार छू-छूकर ज्वर का अनुमान करतीं। 

दादी माँ की धोती कैसी थी?

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Question 17 of 28

18. दिन में मैं चादर लपेटे सोया था। दादी माँ आईं, शायद नहाकर आई थीं, उसी झागवाले जल में। पतले-दुबले स्नेह-सने शरीर पर सफ़ेद किनारीहीन धोती, सन-से सफ़ेद बालों के सिरों पर सद्यः टपके हुए जल की शीतलता। आते ही उन्होंने सर, पेट छुए। आँचल की गाँठ खोल किसी अदृश्य शक्तिधारी के चबूतरे की मिट्टी मुँह में डाली, माथे पर लगाई। दिन-रात चारपाई के पास बैठी रहतीं, कभी पंखा झलतीं, कभी जलते हुए हाथ-पैर कपड़े से सहलाती, सर पर दालचीनी का लेप करतीं और बीसों बार छू-छूकर ज्वर का अनुमान करतीं। 

दादी माँ के बाल किसके समान थे?

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Question 18 of 28

19. दिन में मैं चादर लपेटे सोया था। दादी माँ आईं, शायद नहाकर आई थीं, उसी झागवाले जल में। पतले-दुबले स्नेह-सने शरीर पर सफ़ेद किनारीहीन धोती, सन-से सफ़ेद बालों के सिरों पर सद्यः टपके हुए जल की शीतलता। आते ही उन्होंने सर, पेट छुए। आँचल की गाँठ खोल किसी अदृश्य शक्तिधारी के चबूतरे की मिट्टी मुँह में डाली, माथे पर लगाई। दिन-रात चारपाई के पास बैठी रहतीं, कभी पंखा झलतीं, कभी जलते हुए हाथ-पैर कपड़े से सहलाती, सर पर दालचीनी का लेप करतीं और बीसों बार छू-छूकर ज्वर का अनुमान करतीं। 

दादी माँ की क्रियाकलापों से उसका क्या भाव झलकता था?

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Question 19 of 28

20. किशन के विवाह के दिनों की बात है। विवाह के चार-पाँच रोज़ पहले से ही औरतें रात-रातभर गीत गाती हैं। विवाह की रात को अभिनय भी होता है। यह प्रायः एक ही कथा का हुआ करता है, उसमें विवाह से लेकर पुत्रोत्पत्ति तक के सभी दृश्य दिखाए जाते हैं-सभी पार्ट औरतें ही करती हैं। मैं बीमार होने के कारण बारात में न जा सका। 

किसके विवाह के दिनों की बात है?

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Question 20 of 28

21. किशन के विवाह के दिनों की बात है। विवाह के चार-पाँच रोज़ पहले से ही औरतें रात-रातभर गीत गाती हैं। विवाह की रात को अभिनय भी होता है। यह प्रायः एक ही कथा का हुआ करता है, उसमें विवाह से लेकर पुत्रोत्पत्ति तक के सभी दृश्य दिखाए जाते हैं-सभी पार्ट औरतें ही करती हैं। मैं बीमार होने के कारण बारात में न जा सका। 

विवाह से चार-पाँच दिन पहले औरतें क्या करती हैं?

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Question 21 of 28

22. किशन के विवाह के दिनों की बात है। विवाह के चार-पाँच रोज़ पहले से ही औरतें रात-रातभर गीत गाती हैं। विवाह की रात को अभिनय भी होता है। यह प्रायः एक ही कथा का हुआ करता है, उसमें विवाह से लेकर पुत्रोत्पत्ति तक के सभी दृश्य दिखाए जाते हैं-सभी पार्ट औरतें ही करती हैं। मैं बीमार होने के कारण बारात में न जा सका। 

विवाह की रात को औरतें क्या करती हैं?

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Question 22 of 28

23. किशन के विवाह के दिनों की बात है। विवाह के चार-पाँच रोज़ पहले से ही औरतें रात-रातभर गीत गाती हैं। विवाह की रात को अभिनय भी होता है। यह प्रायः एक ही कथा का हुआ करता है, उसमें विवाह से लेकर पुत्रोत्पत्ति तक के सभी दृश्य दिखाए जाते हैं-सभी पार्ट औरतें ही करती हैं। मैं बीमार होने के कारण बारात में न जा सका। 

“पुत्रोत्पत्ति’ शब्द का सही संधि-विच्छेद है

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Question 23 of 28

24. स्नेह और ममता की मूर्ति दादी माँ की एक-एक बात आज कैसी-कैसी मालूम होती है। परिस्थितियों का वात्याचक्र जीवन को सूखे पत्ते-सा कैसा नचाता है, इसे दादी माँ खूब जानती थीं। दादा की मृत्यु के बाद से ही वे बहुत उदास रहतीं। संसार उन्हें धोखे की टट्टी मालूम होता। दादा ने उन्हें स्वयं जो धोखा दिया। वे सदा उन्हें आगे भेजकर अपने पीछे जाने की झूठी बात कहा करते थे। 

दादी माँ किसकी मूर्ति प्रतीत होती थीं?

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Question 24 of 28

25. स्नेह और ममता की मूर्ति दादी माँ की एक-एक बात आज कैसी-कैसी मालूम होती है। परिस्थितियों का वात्याचक्र जीवन को सूखे पत्ते-सा कैसा नचाता है, इसे दादी माँ खूब जानती थीं। दादा की मृत्यु के बाद से ही वे बहुत उदास रहतीं। संसार उन्हें धोखे की टट्टी मालूम होता। दादा ने उन्हें स्वयं जो धोखा दिया। वे सदा उन्हें आगे भेजकर अपने पीछे जाने की झूठी बात कहा करते थे। 

‘परिस्थितियों का वात्याचक्र जीवन को सूखे पत्ते-सा नचाता है’-का अभिप्राय है।

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Question 25 of 28

26. स्नेह और ममता की मूर्ति दादी माँ की एक-एक बात आज कैसी-कैसी मालूम होती है। परिस्थितियों का वात्याचक्र जीवन को सूखे पत्ते-सा कैसा नचाता है, इसे दादी माँ खूब जानती थीं। दादा की मृत्यु के बाद से ही वे बहुत उदास रहतीं। संसार उन्हें धोखे की टट्टी मालूम होता। दादा ने उन्हें स्वयं जो धोखा दिया। वे सदा उन्हें आगे भेजकर अपने पीछे जाने की झूठी बात कहा करते थे। 

दादी माँ क्यों उदास रहती थी?

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Question 26 of 28

27. स्नेह और ममता की मूर्ति दादी माँ की एक-एक बात आज कैसी-कैसी मालूम होती है। परिस्थितियों का वात्याचक्र जीवन को सूखे पत्ते-सा कैसा नचाता है, इसे दादी माँ खूब जानती थीं। दादा की मृत्यु के बाद से ही वे बहुत उदास रहतीं। संसार उन्हें धोखे की टट्टी मालूम होता। दादा ने उन्हें स्वयं जो धोखा दिया। वे सदा उन्हें आगे भेजकर अपने पीछे जाने की झूठी बात कहा करते थे। 

दादा ने दादी को क्या धोखा दिया?

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Question 27 of 28

28. स्नेह और ममता की मूर्ति दादी माँ की एक-एक बात आज कैसी-कैसी मालूम होती है। परिस्थितियों का वात्याचक्र जीवन को सूखे पत्ते-सा कैसा नचाता है, इसे दादी माँ खूब जानती थीं। दादा की मृत्यु के बाद से ही वे बहुत उदास रहतीं। संसार उन्हें धोखे की टट्टी मालूम होता। दादा ने उन्हें स्वयं जो धोखा दिया। वे सदा उन्हें आगे भेजकर अपने पीछे जाने की झूठी बात कहा करते थे। 

लेखक को किस बात का यकीन नहीं हो रहा था?

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Question 28 of 28

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MCQ Dadi Maa Class 7 Hindi SET 2 Chapter 2 दादी माँ Hindi Class 7

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