चिड़िया की बच्ची MCQ Chidiya Ki Bacchi Chapter 9 Class 7 हिन्दीAds MCQ’s For All Chapters – Hindi Class 7th 1. ‘चिड़िया की बच्ची’ पाठ के लेखक कौन है?प्रयाग शुक्लबालकृष्ण शर्मा नवीनभवानी प्रसाद मिश्रजैनेंद्र कुमारYour comments:Question 1 of 302. शाम के वातावरण में क्या-क्या परिवर्तन हो जाता है-गरमी कम हो जाती हैहवा चलने लगती हैआसमान रंग-बिरंगा हो जाता हैगरमी कम हो जाती है और आसमान रंग-बिरंगा हो जाता हैYour comments:Question 2 of 303. माधवदास चिड़िया से क्या चाहता था?वह वहाँ खूब गाएवह पेड़ों पर झूमेवह वहीं रह जाएवह वहाँ से भाग जाए।Your comments:Question 3 of 304. माधवदास चिड़िया को किसका प्रलोभन दे रहे थे।सोने के पिंजरे कापेड़ की डालियों काघोंसले काअपने धन/दौलत काYour comments:Question 4 of 305. बगीचा में चिड़िया कहाँ आकर बैठी थी?ज़मीन परफव्वारे परगुलाब की टहनी परटीले के पासYour comments:Question 5 of 306. चिड़िया की गरदन का रंग कैसा था?लालपीलीहरीकालीYour comments:Question 6 of 307. समय भी उनके पास काफ़ी है। शाम को जब दिन की गरमी ढल जाती है और आसमान कई रंग का हो जाता है तब कोठी के बाहर चबूतरे पर तख्त डलवाकर मसनद के सहारे वह गलीचे पर बैठते हैं और प्रकृति की छटा निहारते हैं। इनमें मानो उसके मन को तृप्ति मिलती है। मित्र हुए तो उनसे विनोद-चर्चा करते हैं, नहीं तो पास रखे हुए फर्शी हुक्के की सटक को मुँह में दिए खयाल ही खयाल में संध्या को स्वप्न की भाँति गुज़ार देते हैं। माधवदास के पास समय-कम हैकाफ़ी हैनहीं हैइनमें से कोई नहींYour comments:Question 7 of 308. समय भी उनके पास काफ़ी है। शाम को जब दिन की गरमी ढल जाती है और आसमान कई रंग का हो जाता है तब कोठी के बाहर चबूतरे पर तख्त डलवाकर मसनद के सहारे वह गलीचे पर बैठते हैं और प्रकृति की छटा निहारते हैं। इनमें मानो उसके मन को तृप्ति मिलती है। मित्र हुए तो उनसे विनोद-चर्चा करते हैं, नहीं तो पास रखे हुए फर्शी हुक्के की सटक को मुँह में दिए खयाल ही खयाल में संध्या को स्वप्न की भाँति गुज़ार देते हैं। शाम के वातावरण में क्या-क्या परिवर्तन होता है-गरमी कम हो जाती हैलू चलने लगती हैआसमान रंग-बिरंगा हो जाता हैक और ग दोनोंYour comments:Question 8 of 309. समय भी उनके पास काफ़ी है। शाम को जब दिन की गरमी ढल जाती है और आसमान कई रंग का हो जाता है तब कोठी के बाहर चबूतरे पर तख्त डलवाकर मसनद के सहारे वह गलीचे पर बैठते हैं और प्रकृति की छटा निहारते हैं। इनमें मानो उसके मन को तृप्ति मिलती है। मित्र हुए तो उनसे विनोद-चर्चा करते हैं, नहीं तो पास रखे हुए फर्शी हुक्के की सटक को मुँह में दिए खयाल ही खयाल में संध्या को स्वप्न की भाँति गुज़ार देते हैं। माधव दिन में गरमी ढलने के बाद बाहर कहाँ बैठता था?घर मेंकोठी के बाहर चबूतरे पर तखत डलवाकरझूले परउपर्युक्त सभीYour comments:Question 9 of 3010. समय भी उनके पास काफ़ी है। शाम को जब दिन की गरमी ढल जाती है और आसमान कई रंग का हो जाता है तब कोठी के बाहर चबूतरे पर तख्त डलवाकर मसनद के सहारे वह गलीचे पर बैठते हैं और प्रकृति की छटा निहारते हैं। इनमें मानो उसके मन को तृप्ति मिलती है। मित्र हुए तो उनसे विनोद-चर्चा करते हैं, नहीं तो पास रखे हुए फर्शी हुक्के की सटक को मुँह में दिए खयाल ही खयाल में संध्या को स्वप्न की भाँति गुज़ार देते हैं। माधवदास कोठी के बाहर चबूतरे पर क्यों बैठते थे?बगीचे की रखवाली करनेअपने मित्रों को बुलानेप्राकृतिक सौंदर्य देखनेरंग-बिरंगे फूलों को देखने के लिएYour comments:Question 10 of 3011. समय भी उनके पास काफ़ी है। शाम को जब दिन की गरमी ढल जाती है और आसमान कई रंग का हो जाता है तब कोठी के बाहर चबूतरे पर तख्त डलवाकर मसनद के सहारे वह गलीचे पर बैठते हैं और प्रकृति की छटा निहारते हैं। इनमें मानो उसके मन को तृप्ति मिलती है। मित्र हुए तो उनसे विनोद-चर्चा करते हैं, नहीं तो पास रखे हुए फर्शी हुक्के की सटक को मुँह में दिए खयाल ही खयाल में संध्या को स्वप्न की भाँति गुज़ार देते हैं। गद्यांश और उसके लेखक का नाम विकल्पों में से बताएँ-चिड़िया-विजेंद्र कुमारनन्ही चिड़िया-शैलेंद्र कुमारचिड़िया की बच्ची-जैनेंद्र कुमारनन्ही चिड़िया-कमलेश कुमारYour comments:Question 11 of 3012. समय भी उनके पास काफ़ी है। शाम को जब दिन की गरमी ढल जाती है और आसमान कई रंग का हो जाता है तब कोठी के बाहर चबूतरे पर तख्त डलवाकर मसनद के सहारे वह गलीचे पर बैठते हैं और प्रकृति की छटा निहारते हैं। इनमें मानो उसके मन को तृप्ति मिलती है। मित्र हुए तो उनसे विनोद-चर्चा करते हैं, नहीं तो पास रखे हुए फर्शी हुक्के की सटक को मुँह में दिए खयाल ही खयाल में संध्या को स्वप्न की भाँति गुज़ार देते हैं। ‘विनोद-चर्चा’ का अभिप्राय क्या है?खेल-कूद के साथ चर्चादुख और पीड़ा के साथ चर्चाहँसी-मजाक के साथ चर्चाएकांकी जीवन की चर्चाYour comments:Question 12 of 3013. उस दिन संध्या समय उनके देखते-देखते सामने की गुलाब की डाली पर एक चिड़िया आन बैठी। चिड़िया बहुत सुंदर थी। उसकी गरदन लाल थी और गुलाबी होते-होते किनारों पर जरा-जरा नीली पड़ गई थी। पंख ऊपर से चमकदार स्याह थे। उसका नन्हा-सा सिर तो बहुत प्यारा लगता था और शरीर पर चित्र-विचित्र चित्रकारी थी। चिड़िया को मानो माधवदास की सत्ता का कुछ पता नहीं था और मानो तनिक देर का आराम भी उसे नहीं चाहिए था। कभी पर हिलाती थी, कभी फुदकती थी। वह खूब खुश मालूम होती थी। अपनी नन्ही-सी चोंच से प्यारी-प्यारी आवाज़ निकाल रही थी। चिड़िया कहाँ आ बैठी थी?पीपल के पेड़ परकदंब के पेड़ परनीम की डाली परगुलाब की डाली परYour comments:Question 13 of 3014. उस दिन संध्या समय उनके देखते-देखते सामने की गुलाब की डाली पर एक चिड़िया आन बैठी। चिड़िया बहुत सुंदर थी। उसकी गरदन लाल थी और गुलाबी होते-होते किनारों पर जरा-जरा नीली पड़ गई थी। पंख ऊपर से चमकदार स्याह थे। उसका नन्हा-सा सिर तो बहुत प्यारा लगता था और शरीर पर चित्र-विचित्र चित्रकारी थी। चिड़िया को मानो माधवदास की सत्ता का कुछ पता नहीं था और मानो तनिक देर का आराम भी उसे नहीं चाहिए था। कभी पर हिलाती थी, कभी फुदकती थी। वह खूब खुश मालूम होती थी। अपनी नन्ही-सी चोंच से प्यारी-प्यारी आवाज़ निकाल रही थी। चिड़िया की गरदन कैसी थी?लालगुलाबीनीलापीलाYour comments:Question 14 of 3015. उस दिन संध्या समय उनके देखते-देखते सामने की गुलाब की डाली पर एक चिड़िया आन बैठी। चिड़िया बहुत सुंदर थी। उसकी गरदन लाल थी और गुलाबी होते-होते किनारों पर जरा-जरा नीली पड़ गई थी। पंख ऊपर से चमकदार स्याह थे। उसका नन्हा-सा सिर तो बहुत प्यारा लगता था और शरीर पर चित्र-विचित्र चित्रकारी थी। चिड़िया को मानो माधवदास की सत्ता का कुछ पता नहीं था और मानो तनिक देर का आराम भी उसे नहीं चाहिए था। कभी पर हिलाती थी, कभी फुदकती थी। वह खूब खुश मालूम होती थी। अपनी नन्ही-सी चोंच से प्यारी-प्यारी आवाज़ निकाल रही थी। चिड़िया कर रही थीपर हिला रही थीकभी फुदकती थीगा रही थी उपर्युक्त सभीYour comments:Question 15 of 3016. उस दिन संध्या समय उनके देखते-देखते सामने की गुलाब की डाली पर एक चिड़िया आन बैठी। चिड़िया बहुत सुंदर थी। उसकी गरदन लाल थी और गुलाबी होते-होते किनारों पर जरा-जरा नीली पड़ गई थी। पंख ऊपर से चमकदार स्याह थे। उसका नन्हा-सा सिर तो बहुत प्यारा लगता था और शरीर पर चित्र-विचित्र चित्रकारी थी। चिड़िया को मानो माधवदास की सत्ता का कुछ पता नहीं था और मानो तनिक देर का आराम भी उसे नहीं चाहिए था। कभी पर हिलाती थी, कभी फुदकती थी। वह खूब खुश मालूम होती थी। अपनी नन्ही-सी चोंच से प्यारी-प्यारी आवाज़ निकाल रही थी। किस बात से पता चलता है चिड़िया बहुत खुश थी?क्योंकि वह पंख हिला रही थीक्योंकि वह फुदक रही थीक्योंकि वह मीठी स्वर निकाल रही थीउपर्युक्त सभीYour comments:Question 16 of 3017. उस दिन संध्या समय उनके देखते-देखते सामने की गुलाब की डाली पर एक चिड़िया आन बैठी। चिड़िया बहुत सुंदर थी। उसकी गरदन लाल थी और गुलाबी होते-होते किनारों पर जरा-जरा नीली पड़ गई थी। पंख ऊपर से चमकदार स्याह थे। उसका नन्हा-सा सिर तो बहुत प्यारा लगता था और शरीर पर चित्र-विचित्र चित्रकारी थी। चिड़िया को मानो माधवदास की सत्ता का कुछ पता नहीं था और मानो तनिक देर का आराम भी उसे नहीं चाहिए था। कभी पर हिलाती थी, कभी फुदकती थी। वह खूब खुश मालूम होती थी। अपनी नन्ही-सी चोंच से प्यारी-प्यारी आवाज़ निकाल रही थी। “चिड़िया बहुत सुंदर थी’ वाक्य में चिड़िया शब्द है।जातिवाचक संज्ञाव्यक्तिवाचक संज्ञाभाववाचक संज्ञाउपर्युक्त सभीYour comments:Question 17 of 3018. माधवदास, “चिड़िया तू निरी अनजान है। मुझ खुश करेगी तो तुझे मालामाल कर सकता हूँ।”चिड़िया, “तुम सेठ हो। मैं नहीं जानती, सेठ क्या होता है। पर सेठ कोई बड़ी बात होती होगी। मैं नासमझ ठहरी। माँ मुझे बहुत प्यार करती है। वह मेरी राह देखती होगी। मैं मालामाल होकर क्या होऊँगी, मैं नहीं जानती। मालामाल किसे कहते हैं ? क्या मुझे वह तुम्हारा मालामाल होना चाहिए?” ‘सेठ क्या होता है’ - ये वाक्य कौन, किसे कह रहा है?माधवदास चिड़िया सेचिड़िया सेठ सेचिड़िया स्वयं सेइनमें से कोई नहींYour comments:Question 18 of 3019. माधवदास, “चिड़िया तू निरी अनजान है। मुझ खुश करेगी तो तुझे मालामाल कर सकता हूँ।”चिड़िया, “तुम सेठ हो। मैं नहीं जानती, सेठ क्या होता है। पर सेठ कोई बड़ी बात होती होगी। मैं नासमझ ठहरी। माँ मुझे बहुत प्यार करती है। वह मेरी राह देखती होगी। मैं मालामाल होकर क्या होऊँगी, मैं नहीं जानती। मालामाल किसे कहते हैं ? क्या मुझे वह तुम्हारा मालामाल होना चाहिए?” चिड़िया स्वयं को कैसा बताती है?समझदारनासमझप्यारीमूर्खYour comments:Question 19 of 3020. माधवदास, “चिड़िया तू निरी अनजान है। मुझ खुश करेगी तो तुझे मालामाल कर सकता हूँ।”चिड़िया, “तुम सेठ हो। मैं नहीं जानती, सेठ क्या होता है। पर सेठ कोई बड़ी बात होती होगी। मैं नासमझ ठहरी। माँ मुझे बहुत प्यार करती है। वह मेरी राह देखती होगी। मैं मालामाल होकर क्या होऊँगी, मैं नहीं जानती। मालामाल किसे कहते हैं ? क्या मुझे वह तुम्हारा मालामाल होना चाहिए?” क्या चिड़िया मालामाल होना चाहती थी?हाँनहींथोड़ा बहुतबाद मेंYour comments:Question 20 of 3021. माधवदास, “चिड़िया तू निरी अनजान है। मुझ खुश करेगी तो तुझे मालामाल कर सकता हूँ।”चिड़िया, “तुम सेठ हो। मैं नहीं जानती, सेठ क्या होता है। पर सेठ कोई बड़ी बात होती होगी। मैं नासमझ ठहरी। माँ मुझे बहुत प्यार करती है। वह मेरी राह देखती होगी। मैं मालामाल होकर क्या होऊँगी, मैं नहीं जानती। मालामाल किसे कहते हैं ? क्या मुझे वह तुम्हारा मालामाल होना चाहिए?” चिड़िया माधवदास से क्या चाहती है?माँ के पास जाना चाहती हैवह धनी माधवदास के घर में रहना चाहती हैमाधवदास से धन-दौलत चाहती हैमाधवदास के बगीचे में रहना चाहती हैYour comments:Question 21 of 3022. माधवदास, “चिड़िया तू निरी अनजान है। मुझ खुश करेगी तो तुझे मालामाल कर सकता हूँ।”चिड़िया, “तुम सेठ हो। मैं नहीं जानती, सेठ क्या होता है। पर सेठ कोई बड़ी बात होती होगी। मैं नासमझ ठहरी। माँ मुझे बहुत प्यार करती है। वह मेरी राह देखती होगी। मैं मालामाल होकर क्या होऊँगी, मैं नहीं जानती। मालामाल किसे कहते हैं ? क्या मुझे वह तुम्हारा मालामाल होना चाहिए?” माधवदास क्या चाहता है?चिड़िया नाच दिखाएँचिड़िया उसके पास रह जाएचिड़िया निरंतर फुदकती रहेचिड़िया अपने घोंसले में लौट जाएYour comments:Question 22 of 3023. चिड़िया “वह सोना क्या चीज़ होती है?”सेठ, “तू क्या जानेगी, तू चिड़िया जो है। सोने का मूल्य सीखने के लिए तुझे बहुत सीखना है। बस, यह जान ले कि सेठ माधवदास तुझसे बात कर रहा है। जिससे मैं बात तक कर लेता हूँ उसकी किस्मत खुल जाती है। तू अभी जग का हाल नहीं जानती। मेरी कोठियों पर कोठियाँ हैं, बगीचों पर बगीचे हैं। दास-दासियों की संख्या नहीं है। पर तुझसे मेरा चित्त प्रसन्न हुआ है। ऐसा वरदान कब किसी को मिलता है ? री चिड़िया! तू इस बात को समझती क्यों नहीं?” चिड़िया किस चीज़ को नहीं समझती है?पेड़बगीचासोनाकोठियाँYour comments:Question 23 of 3024. चिड़िया “वह सोना क्या चीज़ होती है?”सेठ, “तू क्या जानेगी, तू चिड़िया जो है। सोने का मूल्य सीखने के लिए तुझे बहुत सीखना है। बस, यह जान ले कि सेठ माधवदास तुझसे बात कर रहा है। जिससे मैं बात तक कर लेता हूँ उसकी किस्मत खुल जाती है। तू अभी जग का हाल नहीं जानती। मेरी कोठियों पर कोठियाँ हैं, बगीचों पर बगीचे हैं। दास-दासियों की संख्या नहीं है। पर तुझसे मेरा चित्त प्रसन्न हुआ है। ऐसा वरदान कब किसी को मिलता है ? री चिड़िया! तू इस बात को समझती क्यों नहीं?” माधवदास चिड़िया को क्या समझाने का प्रयास कर रहे हैं?कोठी का महत्त्वसोने की कीमतघोंसले से आज़ादी का मूल्यधन-दौलत की कीमतYour comments:Question 24 of 3025. चिड़िया “वह सोना क्या चीज़ होती है?”सेठ, “तू क्या जानेगी, तू चिड़िया जो है। सोने का मूल्य सीखने के लिए तुझे बहुत सीखना है। बस, यह जान ले कि सेठ माधवदास तुझसे बात कर रहा है। जिससे मैं बात तक कर लेता हूँ उसकी किस्मत खुल जाती है। तू अभी जग का हाल नहीं जानती। मेरी कोठियों पर कोठियाँ हैं, बगीचों पर बगीचे हैं। दास-दासियों की संख्या नहीं है। पर तुझसे मेरा चित्त प्रसन्न हुआ है। ऐसा वरदान कब किसी को मिलता है ? री चिड़िया! तू इस बात को समझती क्यों नहीं?” चिड़िया किस चीज़ से बेखबर है-अपनी माँ के स्वभाव के बारे मेंदुनिया के हाल के बारे मेंमाधवदास के बारे मेंघोंसले तक पहुँचने के रास्ते के बारे मेंYour comments:Question 25 of 3026. चिड़िया “वह सोना क्या चीज़ होती है?”सेठ, “तू क्या जानेगी, तू चिड़िया जो है। सोने का मूल्य सीखने के लिए तुझे बहुत सीखना है। बस, यह जान ले कि सेठ माधवदास तुझसे बात कर रहा है। जिससे मैं बात तक कर लेता हूँ उसकी किस्मत खुल जाती है। तू अभी जग का हाल नहीं जानती। मेरी कोठियों पर कोठियाँ हैं, बगीचों पर बगीचे हैं। दास-दासियों की संख्या नहीं है। पर तुझसे मेरा चित्त प्रसन्न हुआ है। ऐसा वरदान कब किसी को मिलता है ? री चिड़िया! तू इस बात को समझती क्यों नहीं?” माधवदास के कथनानुसार उसके पास में क्या-क्या है?कोठियाँ ही कोठियाँबगीचे पर बगीचेदास-दासियों असीमित संख्या उपर्युक्त सभीYour comments:Question 26 of 3027. चिड़िया “वह सोना क्या चीज़ होती है?”सेठ, “तू क्या जानेगी, तू चिड़िया जो है। सोने का मूल्य सीखने के लिए तुझे बहुत सीखना है। बस, यह जान ले कि सेठ माधवदास तुझसे बात कर रहा है। जिससे मैं बात तक कर लेता हूँ उसकी किस्मत खुल जाती है। तू अभी जग का हाल नहीं जानती। मेरी कोठियों पर कोठियाँ हैं, बगीचों पर बगीचे हैं। दास-दासियों की संख्या नहीं है। पर तुझसे मेरा चित्त प्रसन्न हुआ है। ऐसा वरदान कब किसी को मिलता है ? री चिड़िया! तू इस बात को समझती क्यों नहीं?” ‘वरदान’ शब्द का विलोम शब्द इनमें क्या है?पुरस्कारसम्मानअभिशापअभियानYour comments:Question 27 of 3028. इतने में चिड़िया को बोध हुआ कि जैसे एक कठोर स्पर्श उसके देह को छू गया। वह चीख देकर चिचियाई और एकदम उड़ी। नौकर के फैले हुए पंजे में वह आकर भी नहीं आ सकी। तब वह उड़ती हुई एक साँस में माँ के पास गई और माँ की गोद में गिरकर सुबकने लगी, “ओ माँ, ओ माँ!”माँ ने बच्ची को छाती से चिपटाकर पूछा, “क्या है मेरी बच्ची, क्या है?” चिड़िया क्यों सुबक रही थी ?थक गई थीठंड के कारणडर के कारणउपर्युक्त सभीYour comments:Question 28 of 3029. इतने में चिड़िया को बोध हुआ कि जैसे एक कठोर स्पर्श उसके देह को छू गया। वह चीख देकर चिचियाई और एकदम उड़ी। नौकर के फैले हुए पंजे में वह आकर भी नहीं आ सकी। तब वह उड़ती हुई एक साँस में माँ के पास गई और माँ की गोद में गिरकर सुबकने लगी, “ओ माँ, ओ माँ!”माँ ने बच्ची को छाती से चिपटाकर पूछा, “क्या है मेरी बच्ची, क्या है?” ‘चिड़िया’ शब्द का पर्यायवाची है।खगपक्षीविहगउपर्युक्त सभीYour comments:Question 29 of 3030. इतने में चिड़िया को बोध हुआ कि जैसे एक कठोर स्पर्श उसके देह को छू गया। वह चीख देकर चिचियाई और एकदम उड़ी। नौकर के फैले हुए पंजे में वह आकर भी नहीं आ सकी। तब वह उड़ती हुई एक साँस में माँ के पास गई और माँ की गोद में गिरकर सुबकने लगी, “ओ माँ, ओ माँ!”माँ ने बच्ची को छाती से चिपटाकर पूछा, “क्या है मेरी बच्ची, क्या है?” चिड़िया को पकड़ने की कोशिश कौन कर रहा था?माधवदासशिकारीमाधवदास के नौकरउपर्युक्त सभीYour comments:Question 30 of 30 Loading... MCQ Chidiya Ki Bacchi SET 2 Class 7 Hindi Chapter 9 चिड़िया की बच्चीhttps://www.youtube.com/watch?v=X2PaAYb3HXE&wmode=transparent&rel=0&list=PLEvSnBsqEx4S-nUY5md7jdLWGp-MLx-PrVideo can’t be loaded because JavaScript is disabled: MCQ Chidiya Ki Bacchi SET 2 Class 7 Hindi Chapter 9 चिड़िया की बच्ची (https://www.youtube.com/watch?v=X2PaAYb3HXE&wmode=transparent&rel=0&list=PLEvSnBsqEx4S-nUY5md7jdLWGp-MLx-Pr)