कविता का सार
मैथिलीशरण गुप्त की कविता, यशोधरा से ली गई, माँ (यशोधरा) और बेटे (राहुल) के संवाद में है। माँ कहानी सुनाती है, जिसमें करुणा, न्याय और नैतिकता की शिक्षा है। कहानी में घायल पक्षी, रक्षक (सिद्धार्थ) और आखेटक (शिकारी) का संघर्ष है, जो न्यायालय में सुलझता है। बच्चा न्याय और दया का महत्व समझता है।
कविता की विशेषताएँ
- संवादात्मक शैली: माँ-बेटे की बातचीत कविता को रोचक बनाती है।
- वर्णनात्मक शैली: प्रकृति का वर्णन (फूल, पानी, हवा)।
- पुनरावृत्ति: पंक्तियाँ जैसे “माँ, कह एक कहानी” दोहराई गईं।
- नैतिक शिक्षा: करुणा, न्याय और सही-गलत की समझ।
- प्रश्न-उत्तर: माँ सवाल पूछती है, बच्चा सोचता है।
- विपरीत शब्द: “सदय-निंद्य”, “कोमल-कठिन”।
- प्रकृति के शब्द: उपवन, फूल, हवा, पानी।
कहानी का सारांश
- प्रकृति का दृश्य: सिद्धार्थ उपवन में टहलते हैं, फूल खिले हैं, पक्षी गाते हैं।
- घायल पक्षी: हंस तीर से घायल होकर गिरता है। सिद्धार्थ उसकी मदद करते हैं।
- आखेटक: शिकारी हंस माँगता है, सिद्धार्थ मना करते हैं।
- विवाद: मामला न्यायालय में जाता है।
- राहुल का निर्णय: निर्दोष को मारने वाले के बजाय रक्षक को जीतना चाहिए।
- नैतिक शिक्षा: निर्दोष की रक्षा और दया से भरा न्याय।
पात्र
- माँ: यशोधरा, कहानी सुनाती है।
- बेटा: राहुल, नैतिकता सीखता है।
- तात (पिता): सिद्धार्थ, पक्षी के रक्षक।
- आखेटक: शिकारी, हंस को मारना चाहता है।
- हंस: घायल पक्षी।
महत्वपूर्ण पंक्तियाँ और अर्थ
1. “कोई निरपराध को मारे, तो क्यों अन्य उसे न उबारे? रक्षक पर भक्षक को वारे, न्याय दया का दानी!”
- अर्थ: निर्दोष को नुकसान पहुँचाने वाले के बजाय रक्षक का साथ देना चाहिए।
- महत्व: दया और न्याय का मुख्य संदेश।
2.”हुआ विवाद सदय-निंद्य में, उभय आग्रही थे स्वविषय में, गई बात तब न्यायालय में, सुनी सभी ने जानी।”
- अर्थ: दयालु और क्रूर के बीच विवाद न्यायालय में सुलझा।
- महत्व: निष्पक्ष न्याय की जरूरत।
शब्द और अर्थ
- उपवन: बगीचा
- आखेटक: शिकारी
- खग: पक्षी
- सदय: दयालु
- निंद्य: क्रूर
- न्याय दया का दानी: दया से भरा न्याय
- हठ: जिद
प्रकृति से जुड़े शब्द
- उपवन
- फूल
- हिम-बिंदु (ओस)
- पानी
- हवा
- खग (पक्षी)
कवि परिचय
नाम: मैथिलीशरण गुप्त (1886-1964)
जन्म: चिरगाँव, झाँसी, उत्तर प्रदेश
विशेषताएँ:
- राष्ट्रकवि के रूप में प्रसिद्ध।
- स्वतंत्रता आंदोलन में देशप्रेम जगाया।
- ब्रज भाषा, फिर हिंदी में लेखन।
रचनाएँ: साकेत, भारत-भारती, यशोधरा
शैली: धार्मिक, सांस्कृतिक, राष्ट्रीय चेतना।
गतिविधियाँ
- मेरी समझ से: सही उत्तर चुनें, मित्रों से चर्चा करें।
- मिलान: पात्रों को नामों से मिलाएँ (यशोधरा, राहुल, सिद्धार्थ)।
- पंक्तियों पर विचार: पंक्तियों का अर्थ समझें, चर्चा करें।
- कविता की रचना: विशेषताएँ ढूँढें, सूची बनाएँ।
- रूप बदलकर: पंक्तियों को गद्य में लिखें।
- विराम चिह्न: अंश में विराम चिह्न लगाएँ, समूह में पढ़ें।
- निर्णय करें: परिस्थितियों में निर्णय लें।
- सुनी कहानी: लोककथा लिखें, कक्षा में सुनाएँ।
नैतिक शिक्षा
- दया: निर्दोष और कमजोर की मदद करें।
- न्याय: दया और निष्पक्षता से निर्णय लें।
- प्रकृति प्रेम: प्रकृति का सम्मान करें।
- सोच-विचार: सही-गलत समझकर निर्णय लें।
पहेली (उत्तर)
- नानी की बेटी: माँ (यशोधरा)
- आसमान में उड़ने वाला: पक्षी (हंस)
- सुगंध फैलाने वाली: हवा
निष्कर्ष
कविता मनोरंजन के साथ नैतिक शिक्षा देती है। यह दया, न्याय और प्रकृति के सम्मान का महत्व सिखाती है।
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