मीरा बाई का परिचय
- जन्म: राजस्थान, लगभग 500 वर्ष पहले।
- जीवन: राजकुमारी, श्रीकृष्ण भक्त, संत जीवन, तीर्थ यात्राएँ, मंदिरों में भजन।
- रचनाएँ: भक्ति और प्रेम से भरे भजन, आज भी लोकप्रिय।
कविता 1: बसो मेरे नैनन में नंदलाल
- मुख्य भाव: श्रीकृष्ण की सुंदरता और भक्ति का वर्णन, उन्हें आँखों में बसाने की प्रार्थना।
वर्णन:
- साँवली मूर्ति, विशाल आँखें।
- बाँसुरी, वैजयंती माला, घुँघरू, नूपुर।
- भक्तों को सुख देने वाले गोपाल।
विशेषताएँ: भक्ति भाव, सरल ब्रज भाषा, श्रीकृष्ण के विभिन्न नाम।
कविता 2: बरसे बदरिया सावन की
- मुख्य भाव: सावन की सुंदरता और श्रीकृष्ण भक्ति का मिश्रण।
वर्णन:
- बादल, बिजली, छोटी बूँदें, ठंडी हवा।
- श्रीकृष्ण के आने की खुशी, मन में उमंग।
- गिरधरनागर की भक्ति में आनंद।
विशेषताएँ: प्रकृति चित्रण, भक्ति और उमंग, अनुप्रास अलंकार (बरसे, बदरिया)।
महत्वपूर्ण शब्द
- नंदलाल: श्रीकृष्ण।
- वैजयंती माल: पौधे की माला।
- सावन: वर्षा ऋतु, श्रावण।
- गिरधर: श्रीकृष्ण।
- मुरली: बाँसुरी।
- नैनन: आँखें।
- मेहा: बारिश।
कविता की विशेषताएँ
- पंक्तियाँ: छोटी, गेय।
- नाम: श्रीकृष्ण के लिए नंदलाल, गोपाल, गिरधर।
- मीरा का नाम: कविता के अंत में उल्लेख।
- अलंकार: अनुप्रास (उदाहरण: बरसे बदरिया में ‘ब’ की पुनरावृत्ति)।
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