कवि परिचय:
- इस कविता के रचयिता हैं अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’।
- उन्होंने बच्चों के लिए अनेक शिक्षाप्रद कविताएँ लिखी हैं।
- इनका जन्म उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ में हुआ था।
- इनकी रचना ‘प्रिय प्रवास’ को खड़ी बोली का पहला महाकाव्य माना जाता है।
कविता का सार:
कविता में फूल और काँटे की तुलना करते हुए यह बताया गया है कि:
- दोनों एक ही पौधे पर उगते हैं।
- उन्हें एक जैसी हवा, धूप, चाँदनी और बारिश मिलती है।
- लेकिन फिर भी उनका स्वभाव और प्रभाव एक जैसा नहीं होता।
- काँटा चुभता है, नुकसान करता है जबकि फूल सुगंध देता है और सबको आनंदित करता है।
मुख्य विषय:
- व्यक्तित्व का महत्व: किसी व्यक्ति की पहचान उसके कुल या परिवार से नहीं, बल्कि उसके गुणों और कर्मों से होती है।
- बड़प्पन का सही अर्थ: सच्चा बड़प्पन उसके अच्छे स्वभाव, दूसरों के लिए उपयोगी होने और विनम्रता में है।
फूल और काँटे की तुलना:
फूल | काँटा |
---|---|
दूसरों को खुश करता है | दूसरों को चुभता है |
सुंदर और सुगंधित होता है | नुकीला और कठोर होता है |
तितली और भौंरे को अपनी ओर खींचता है | तितली का पर काट देता है |
सिर पर सजता है | सबकी आँखों को चुभता है |
शिक्षा (सीख):
- एक जैसे वातावरण में रहकर भी लोग अलग-अलग हो सकते हैं।
- हमें अच्छा व्यवहार और सेवा करने वाला बनना चाहिए, ना कि दूसरों को दुःख पहुँचाने वाला।
- सिर्फ अच्छे कुल में जन्म लेना ही काफी नहीं, गुण और अच्छे काम ही असली पहचान हैं।
महत्वपूर्ण पंक्तियाँ और उनके अर्थ:
- “ढंग उनके एक से होते नहीं”➤ सबको समान परिस्थितियाँ मिलती हैं,
लेकिन उनका बर्ताव अलग होता है।
2.”फूल लेकर तितली को गोद में”➤ फूल प्यार और सौंदर्य का प्रतीक है।
वह दूसरों को अपनाता है।
3.”काँटा किसी की उँगली चुभो दे”➤ काँटा दुःख और नुकसान पहुँचाने वाला है।
4.”किस तरह कुल की बड़ाई काम दे, जो किसी में हो बड़प्पन की कसर”➤
कुल की शोहरत तभी काम आती है जब व्यक्ति में अच्छे गुण हों।
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