लेखक परिचय
- नाम: स्वयं प्रकाश (1947-2019)
- विशेषता: हिंदी के प्रसिद्ध लेखक, जिनकी कहानियाँ जीवन से जुड़ी और रोचक होती हैं।
- रचनाएँ: मात्रा और भार, अगली किताब, ज्योति रथ के सारथी, फीनिक्स।
कहानी का सार
एक बच्चा स्कूल से बचने के लिए बीमारी का बहाना बनाता है, क्योंकि उसे लगता है कि बीमार होने में मज़ा है। लेकिन उसे भूखा रहना पड़ता है और बोरियत सहनी पड़ती है। अंत में, उसे अपनी गलती का एहसास होता है और वह तय करता है कि अब बीमारी का बहाना नहीं बनाएगा।
मुख्य पात्र
- बच्चा: स्कूल से बचने के लिए बीमारी का नाटक करता है।
- नानीजी: बच्चे की देखभाल करती हैं।
- नानाजी: बच्चे की जाँच करते हैं और दवा देते हैं।
- सुधाकर काका: बीमार पड़ोसी, अस्पताल में भर्ती।
- मन्नु: बच्चे का भाई/दोस्त, जिसे आम खाते देख बच्चा जलता है।
मुख्य घटनाएँ
- अस्पताल का दृश्य: बच्चा सुधाकर काका को देखने जाता है। उसे अस्पताल का साफ-सुथरा और शांत माहौल पसंद आता है। नानीजी काका को साबुदाने की खीर खिलाती हैं।
- बीमारी का बहाना: बच्चा होमवर्क न करने के डर से बीमारी का नाटक करता है। नानाजी जाँचते हैं, उसे कड़वी दवा और काढ़ा मिलता है।
- बोरियत और भूख: बच्चा रजाई में लेटा रहता है, भूखा रहता है, और बाहर की चहल-पहल को याद करता है। मन्नु को आम खाते देख उसे जलन होती है।
- सीख: बच्चे को एहसास होता है कि स्कूल जाना बेहतर था। वह बीमारी का बहाना न बनाने का निर्णय लेता है।
कहानी की विशेषताएँ
- चित्रात्मक भाषा: अस्पताल और बच्चे की कल्पनाओं का सुंदर वर्णन।
- हास्य: बच्चे की नादानी कहानी को मज़ेदार बनाती है।
- मनोदशा: बच्चे के उत्साह, बोरियत, और पछतावे को अच्छे से दिखाया गया।
- जीवन से जुड़ाव: रोज़मर्रा की ज़िंदगी से प्रेरित।
महत्वपूर्ण शब्द और अर्थ
- साबुदाना: सागू से बना खाद्य पदार्थ।
- वॉर्ड: अस्पताल का कमरा।
- नर्स: मरीजों की देखभाल करने वाला।
- रजाई: रुई से भरा गर्म ओढ़ना।
- थर्मामीटर: तापमान नापने का यंत्र।
- काढ़ा: औषधीय पेय।
- ड्राइक्लीनर: कपड़े मशीन से साफ करने वाला।
- ताजमहल: आगरा का स्मारक।
- अरहर: तुअर दाल।
कहानी से सीख
- झूठ बोलने से परेशानी होती है।
- स्कूल जाना बोरियत से बेहतर है।
- बीमारी का नाटक करने से कष्ट होता है।
- परिवार की देखभाल अनमोल है।
शीर्षक पर विचार
- “नहीं होना बीमार”: उपयुक्त, क्योंकि यह कहानी की सीख को दर्शाता है।
- वैकल्पिक शीर्षक: “बीमारी का बहाना” – बच्चे की नादानी पर केंद्रित।
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