माँ, कह एक कहानी (कविता)
पाठ से
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सबसे सही उत्तर चुनिए और उनके सामने तारा (★) बनाइए: कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।
1. माँ अपने बेटे को करुणा और न्याय की कहानी क्यों सुनाती है?
राजाओं की कहानियों से उसका मनोरंजन करने के लिए।
★ उसमें सही और गलत की समझ विकसित करने के लिए।
उसे परिवार की विरासत और पूर्वजों के बारे में बताने के लिए।
उसे प्रकृति और जानवरों के बारे में जानकारी देने के लिए।
विश्लेषण माँ कहानी सुनाकर राहुल को करुणा और न्याय के मूल्यों को समझाना चाहती है, ताकि वह सही और गलत के बीच अंतर सीख सके।
2. कविता में घायल पक्षी की कहानी का उपयोग किस लिए किया गया है?
★ निर्दोष पक्षी के प्रति आखेटक की क्रूरता दिखाने के लिए।
पिता की वीरता और साहस पर ध्यान दिलाने के लिए।
★ करुणा और हिंसा के बीच के संघर्ष को दिखाने के लिए।
मित्रता और निष्ठा के महत्व को उजागर करने के लिए।
विश्लेषण घायल पक्षी की कहानी आखेटक की क्रूरता और पिता की करुणा के बीच संघर्ष को दर्शाती है, जो कहानी का मुख्य संदेश है।
3. कविता के अंत तक पहुँचते-पहुँचते बच्चे को क्या समझ में आने लगता है?
★ न्याय सदैव करुणा के साथ होना चाहिए।
★ निर्णय लेते समय सदैव निडर रहना चाहिए।
आखेटकों का सदैव विरोध करना चाहिए।
जानवरों की हर स्थिति में रक्षा करनी चाहिए।
विश्लेषण राहुल को समझ आता है कि न्याय में दया होनी चाहिए और निर्णय लेते समय निडरता जरूरी है।
(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुनें?
आप अपने मित्रों के साथ चर्चा कर सकते हैं कि ये उत्तर कविता के संदेश और माँ-बेटे के संवाद से कैसे जुड़े हैं। उदाहरण के लिए, माँ का उद्देश्य राहुल को नैतिक मूल्य सिखाना है, इसलिए सही-गलत की समझ विकसित करना सबसे उपयुक्त उत्तर है। इसी तरह, पक्षी की कहानी करुणा और हिंसा के संघर्ष को दर्शाती है, जो कविता का मुख्य विषय है।
मिलकर करें मिलान
पात्र | ये शब्द किनके लिए आए हैं |
---|---|
बेटा | यशोधरा, एक राजकुमारी, सिद्धार्थ की पत्नी |
माँ | सिद्धार्थ, एक राजकुमार जो बाद में गौतम बुद्ध के नाम से प्रसिद्ध हुए |
तात (पिता) | सिद्धार्थ और यशोधरा के पुत्र राहुल |
उत्तर:
पात्र | ये शब्द किनके लिए आए हैं |
---|---|
बेटा | सिद्धार्थ और यशोधरा के पुत्र राहुल |
माँ | यशोधरा, एक राजकुमारी, सिद्धार्थ की पत्नी |
तात (पिता) | सिद्धार्थ, एक राजकुमार जो बाद में गौतम बुद्ध के नाम से प्रसिद्ध हुए |
विश्लेषण
कविता में माँ यशोधरा अपने बेटे राहुल को पिता सिद्धार्थ की कहानी सुनाती है। यह कविता यशोधरा और राहुल के बीच संवाद पर आधारित है, जो सिद्धार्थ के जीवन से प्रेरित है।
पंक्तियों पर चर्चा
पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए—
1. “कोई निरपराध को मारे, तो क्यों अन्य उसे न उबारे? रक्षक पर भक्षक को वारे, न्याय दया का दानी!”
अर्थ: इन पंक्तियों में राहुल कहता है कि यदि कोई निर्दोष को मारता है, तो दूसरों को उसकी रक्षा करनी चाहिए। जो रक्षा करता है, उसे मारने वाले पर प्राथमिकता मिलनी चाहिए, क्योंकि न्याय में दया सबसे महत्वपूर्ण है। यह पंक्तियाँ करुणा और न्याय के महत्व को दर्शाती हैं।
2. “हुआ विवाद सदय-निर्दय में, उभय आग्रही थे स्वविषय में, गई बात तब न्यायालय में, सुनी सभी ने जानी।”
अर्थ: इन पंक्तियों में बताया गया है कि दयालु (पिता) और निर्दयी (आखेटक) के बीच विवाद हुआ, क्योंकि दोनों अपनी-अपनी बात पर अड़े थे। मामला न्यायालय में गया, जहाँ सभी ने कहानी सुनी और समझी। यह न्याय की प्रक्रिया को दर्शाता है।
सोच-विचार के लिए
कविता को एक बार फिर से पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए –
1. आपके विचार से इस कविता में कौन-सी पंक्ति सबसे महत्वपूर्ण है? आप उसे ही सबसे महत्वपूर्ण क्यों मानते हैं?
उत्तर: सबसे महत्वपूर्ण पंक्ति:
“रक्षक पर भक्षक को वारे, न्याय दया का दानी!”
कारण
यह पंक्ति कविता का मुख्य संदेश देती है कि न्याय में दया का महत्व है। यह बताती है कि निर्दोष की रक्षा करना और क्रूरता का विरोध करना नैतिकता का आधार है।
2. आखेटक और बच्चे के पिता के बीच तर्क-वितर्क क्यों हुआ था?
उत्तर: आखेटक और बच्चे के पिता (सिद्धार्थ) के बीच तर्क-वितर्क इसलिए हुआ क्योंकि आखेटक घायल हंस को लेना चाहता था, जबकि सिद्धार्थ ने हंस की रक्षा की थी। आखेटक अपनी शिकार की माँग पर अड़ा था, जबकि सिद्धार्थ दया के आधार पर हंस को बचाना चाहते थे।
3. माँ ने पुत्र से “राहुल, तू निर्णय कर इसका” क्यों कहा?
उत्तर: माँ ने राहुल से निर्णय करने के लिए कहा ताकि वह स्वयं सोच-विचार कर सही और गलत का फैसला कर सके। यह उसे नैतिक मूल्यों और निडरता से निर्णय लेने की शिक्षा देता है।
4. यदि कहानी में आप उपवन में होते तो घायल हंस की सहायता के लिए क्या करते? आपके अनुसार न्याय कैसे किया जा सकता था?
उत्तर: मैं घायल हंस को सुरक्षित स्थान पर ले जाता और उसकी चोट का इलाज करता। न्याय के लिए मैं आखेटक को समझाता कि निर्दोष प्राणी को मारना गलत है और उसे अपनी गलती सुधारने का मौका देता। यदि वह नहीं मानता, तो मैं मामले को न्यायालय में ले जाता, जहाँ दया और नैतिकता के आधार पर फैसला हो।
5. कविता में माँ और बेटे के बीच बातचीत से उनके बारे में क्या-क्या पता चलता है?
उत्तर:
- माँ (यशोधरा): माँ दयालु, शिक्षाप्रद, और धैर्यवान है। वह अपने बेटे को कहानी के माध्यम से नैतिक मूल्य सिखाती है और उसे सोचने के लिए प्रेरित करती है।
- बेटा (राहुल): राहुल जिज्ञासु, हठी, और समझदार है। वह कहानी को उत्साह से सुनता है और अंत में न्याय और दया का महत्व समझ लेता है।
- संबंध: माँ और बेटे का रिश्ता प्रेमपूर्ण और शिक्षाप्रद है, जिसमें माँ अपने अनुभवों से बेटे को जीवन के सबक सिखाती है।
अनुमान और कल्पना से
(क) माँ ने अपने बेटे को कहानी सुनाते समय अंत में कहानी को स्वयं पूरा नहीं किया, बल्कि उसी से निर्णय करने के लिए कहा। यदि आप किसी को यह कहानी सुना रहे होते तो कहानी को आगे कैसे बढ़ाते?
यदि मैं यह कहानी किसी को सुना रहा होता, तो मैं कहानी को इस तरह आगे बढ़ाता:
माँ द्वारा राहुल से निर्णय पूछने के बाद, मैं कहानी में यह जोड़ता कि राहुल ने कहा, “माँ, मैं चाहता हूँ कि घायल हंस को बचाया जाए, क्योंकि वह बेगुनाह है।” फिर मैं कहानी में एक न्यायालय का दृश्य जोड़ता, जहाँ न्यायाधीश दोनों पक्षों की बात सुनता। आखेटक कहता कि उसने भोजन के लिए हंस पर तीर चलाया, लेकिन राहुल के पिता (सिद्धार्थ) कहते कि सभी प्राणियों का जीवन अनमोल है। अंत में, न्यायाधीश हंस को छोड़ने का आदेश देता और आखेटक को समझाता कि उसे जीव-हत्या से बचना चाहिए। इस तरह, कहानी करुणा और न्याय के संदेश के साथ पूरी होती।
(ख) मान लीजिए कि कहानी में हंस और तीर चलाने वाले के बीच बातचीत हो रही है। कल्पना से बताइए कि जब उसने हंस को तीर से घायल किया तो उसमें और हंस में क्या-क्या बातचीत हुई होगी? उन्होंने एक-दूसरे को क्या-क्या तर्क दिए होंगे?
- हंस: “आह! तुमने मुझे क्यों मारा? मैं तो केवल आसमान में उड़ रहा था, किसी का क्या बिगाड़ा मैंने?”
- आखेटक: “मुझे क्षमा कर, हंस। मुझे भोजन की आवश्यकता थी। मेरे परिवार को खिलाने के लिए मैंने तुझ पर तीर चलाया।”
- हंस: “पर क्या मेरा जीवन मूल्यवान नहीं? मैं भी जीना चाहता हूँ, मेरे भी बच्चे हैं जो मेरा इंतज़ार कर रहे हैं।”
- आखेटक: “मैं समझता हूँ, पर यह प्रकृति का नियम है। शिकारी को भोजन के लिए शिकार करना पड़ता है।”
- हंस: “प्रकृति का नियम दया भी सिखाता है। तुम दूसरा रास्ता चुन सकते थे। क्या तुम्हें मेरी पीड़ा नहीं दिखती?”
- आखेटक: “तुम्हारी बात सही है, पर मैंने बिना सोचे तीर चला दिया। अब मैं तुझे बचाने की कोशिश करूँगा।”
इस तरह, हंस अपनी मासूमियत और जीवन का अधिकार बताता, जबकि आखेटक अपनी मजबूरी का तर्क देता।
(ग) मान लीजिए कि माँ ने जो कहानी सुनाई है, आप भी उसके एक पात्र हैं। आप कौन-सा पात्र बनना चाहेंगे? और क्यों?
- तीर चलाने वाला
- पक्षी
- पक्षी को बचाने वाला व्यक्ति
- न्यायाधीश
- कोई अन्य पात्र जो आप कहानी में जोड़ना चाहें
मैं कहानी में पक्षी को बचाने वाला व्यक्ति (सिद्धार्थ) बनना चाहूँगा। मैं यह पात्र इसलिए चुनूँगा क्योंकि सिद्धार्थ ने घायल हंस की रक्षा की और करुणा दिखाई। उनका यह कार्य मुझे बहुत प्रेरित करता है, क्योंकि वे न केवल हंस को बचाते हैं, बल्कि आखेटक को भी गलत कार्य के खिलाफ समझाते हैं। यह पात्र दया, साहस और न्याय का प्रतीक है, जो मुझे बहुत पसंद है। मैं भी चाहूँगा कि मैं किसी जरूरतमंद की मदद करूँ और सही के लिए खड़ा होऊँ।
संवाद
इस कविता में एक माँ और उसके पुत्र का संवाद दिया गया है लेकिन कौन-सा कथन किसने कहा है, यह नहीं बताया गया है। आप कविता में दिए गए संवादों को पहचानिए कि कौन-सा कथन किसने कहा है और उसे दिए गए उचित स्थान पर लिखिए। उदाहरण के लिए, माँ और पुत्र का एक-एक कथन दिया गया है।
पुत्र द्वारा कहे गए कथन:
- “माँ, कह एक कहानी।”
- “हाँ, माँ, यही कहानी।”
- “हाँ, हाँ, यही कहानी।”
- “करुणा-भरी कहानी!”
- “कोमल-कठिन कहानी।”
- “अब बढ़ चली कहानी।”
- “व्यापक हुई कहानी।”
- “माँ, मेरी क्या बानी? मैं सुन रहा कहानी। कोई निरपराध को मारे, तो क्यों अन्य उसे न उबारे? रक्षक पर भक्षक को वारे, न्याय दया का दानी!”
माँ द्वारा कहे गए कथन:
- “बेटा, समझ लिया क्या तूने मुझको अपनी नानी?”
- “तू है हठी मानधन मेरे, सुन, उपवन में बड़े सबेरे, तात भ्रमण करते थे तेरे, जहाँ, सुरभि मनमानी।”
- “वर्ण वर्ण के फूल खिले थे, झलमल कर हिम-बिंदु झिले थे, हलके झोंके हिले-मिले थे, लहराता था पानी।”
- “गाते थे खग कल कल स्वर से, सहसा एक हंस ऊपर से, गिरा, बिद्ध होकर खर-शर से, हुई पक्ष की हानी!”
- “चौंक उन्होंने उसे उठाया, नया जन्म-सा उसने पाया। इतने में आखेटक आया, लक्ष्य-सिद्धि का मानी।”
- “माँगा उसने आहत पक्षी, तेरे तात किंतु थे रक्षी। तब उसने, जो था खगभक्षी- हठ करने की ठानी।”
- “हुआ विवाद सदय-निर्दय में, उभय आग्रही थे स्वविषय में, गई बात तब न्यायालय में, सुनी सभी ने जानी।”
- “राहुल, तू निर्णय कर इसका- न्याय पक्ष लेता है किसका? कह दे निर्भय, जय हो जिसका। सुन लूँ तेरी बानी।”
- “न्याय दया का दानी? तूने गुनी कहानी।”
शब्द से जुड़े शब्द
नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में प्रकृति से जुड़े शब्द कविता में से चुनकर लिखिए –
उत्तर:
पंक्ति से पंक्ति
नीचे दिए गए स्तंभ 1 और स्तंभ 2 की पंक्तियों का सही मिलान कीजिए –
क्रम संख्या | स्तंभ 1 | स्तंभ 2 |
---|---|---|
1 | कहती है मुझसे यह चेटी | 7. यह सेविका मुझसे यह कहती है। |
2 | तू है हठी मानधन मेरे | 9. हे मेरे पुत्र, तू बहुत हठ करता है। |
3 | झलमल कर हिम-विंदु झिले थे | 5. हिम-कण/ओस की बूँदें झिलमिला रही थीं। |
4 | गिरा, बिद्ध होकर खर-शर से | 8. तेज धार वाले तीर से घायल होकर गिर गया। |
5 | हुआ विवाद सदय-निर्दय में | 3. दयालु और निर्दयी व्यक्ति में झगड़ा हुआ। |
6 | कह दे निर्भय, जय हो जिसका | 2. तू बिना डरे कह दे कि जीत किसकी होनी चाहिए। |
7 | तूने गुनी कहानी | 6. तूने कहानी को समझ लिया है। |
8 | उभय आग्रही थे स्वविषय में | 1. दोनों ही अपनी-अपनी बात पर अड़े हुए थे। |
9 | तब उसने, जो था खगभक्षी-हठ करने की ठानी | 10. तब उस तीर चलाने वाले ने हठ करने का निश्चय कर लिया। |
10 | रक्षक पर भक्षक को वारे, न्याय दया का दानी | 4. न्याय में दया सम्मिलित होती है, न्याय मारने वाले के स्थान पर बचाने वाले का पक्ष लेता है। |
कविता की रचना
(क) इस कविता को एक बार पुनः पढ़िए और अपने समूह में मिलकर इस कविता की विशेषताओं की सूची बनाइए। अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।
कविता को पढ़ने के बाद निम्नलिखित विशेषताएँ सामने आती हैं:
- संवादात्मक शैली: कविता में माँ और बेटे के बीच बातचीत है, जैसे “माँ, कह एक कहानी” और “बेटा, समझ लिया क्या तूने”।
- वर्णनात्मक शैली: प्रकृति का सुंदर वर्णन, जैसे “वर्ण वर्ण के फूल खिले थे, झलमल कर हिम-विंदु झिले थे”।
- दोहराव: कुछ पंक्तियाँ दोहराई गई हैं, जैसे “राजा था या रानी?” जो कविता को रोचक बनाती हैं।
- प्रश्न-उत्तर शैली: माँ और बेटे के बीच सवाल-जवाब, जैसे “राहुल, तू निर्णय कर इसका”।
- तुकबंदी: पंक्तियों के अंत में समान ध्वनियाँ, जैसे “कहानी” और “रानी”।
- विपरीतार्थक शब्दों का प्रयोग: जैसे “सदय-निर्दय” और “कोमल-कठिन”।
- प्रकृति का चित्रण: उपवन, फूल, हवा और पानी का वर्णन।
- नैतिक शिक्षा: कविता में करुणा और न्याय का संदेश।
(ख) नीचे इस कविता की कुछ विशेषताएँ और वे पंक्तियाँ दी गई हैं जिनमें ये विशेषताएँ दिखाई देती हैं। विशेषताओं का सही पंक्तियों से मिलान कीजिए। आप कविता की पंक्तियों में एक से अधिक विशेषताएँ भी ढूँढ़ सकते हैं।
कविता की विशेषताएँ | कविता की पंक्तियाँ |
---|---|
1. संवाद दिए गए हैं। | 3. बेटा, समझ लिया क्या तूने मुझको अपनी नानी? कहती है मुझसे यह चेटी, तू मेरी नानी की बेटी। |
2. पंक्ति के अंतिम शब्द की ध्वनि आपस में मिलती-जुलती है। | 1. हुआ विवाद सदय-निर्दय में |
3. कुछ शब्द दो बार और साथ-साथ आए हैं। | 3. बेटा, समझ लिया क्या तूने मुझको अपनी नानी? कहती है मुझसे यह चेटी, तू मेरी नानी की बेटी। |
4. कुछ विपरीतार्थक शब्द साथ-साथ आए हैं। | 1. हुआ विवाद सदय-निर्दय में5. कोमल-कठिन कहानी। |
5. प्रकृति का वर्णन किया गया है। | 6. वर्ण वर्ण के फूल खिले थे, झलमल कर हिम-विंदु झिले थे, हलके झोंके हिले-मिले थे, लहराता था पानी। |
6. एक ही वर्ण से शुरू होने वाले एक से अधिक शब्द एक ही पंक्ति में आए हैं। | 6. वर्ण वर्ण के फूल खिले थे, झलमल कर हिम-विंदु झिले थे, हलके झोंके हिले-मिले थे, लहराता था पानी। |
7. प्रश्न-उत्तर दिए गए हैं। | 3. बेटा, समझ लिया क्या तूने मुझको अपनी नानी? कहती है मुझसे यह चेटी, तू मेरी नानी की बेटी। |
8. शब्द की वर्तनी बदलकर उपयोग किया गया है। | 4. तू है हठी मानधन मेरे, सुन, उपवन में बड़े सबेरे भ्रमण करते थे तेरे, |
रूप बदलकर
पाठ के किसी एक पद को एक अनुच्छेद के रूप में लिखिए।
कविता की पंक्ति:
“हुआ विवाद सदय-निर्दय में,
उभय आग्रही थे स्वविषय में,
गई बात तब न्यायालय में,
सुनी सभी ने जानी।”
अनुच्छेद के रूप में:
एक दयालु और एक निर्दयी व्यक्ति के बीच विवाद हो गया। दोनों अपनी-अपनी बात पर अड़े रहे। अंत में यह मामला न्यायालय में पहुँचा, जहाँ सभी ने इसकी चर्चा सुनी और समझी।
कविता में विराम चिह्न
(क) नीचे कविता का एक अंश बिना विराम चिह्नों के दिया गया है। इसमें उपयुक्त स्थानों पर विराम चिह्न लगाइए-
उत्तर:
“राहुल, तू निर्णय कर इसका—
न्याय पक्ष लेता है किसका?
कह दे निर्भय, जय हो जिसका।
सुन लूँ तेरी बानी।”
“माँ, मेरी क्या बानी?
मैं सुन रहा कहानी।
कोई निरपराध को मारे,
तो क्यों अन्य उसे न उबारे?
रक्षक पर भक्षक को वारे,
न्याय दया का दानी!”
“न्याय दया का दानी?
तूने गुनी कहानी।”
(ख) इस अंश को समूह में जोर-जोर से पढ़ें, विराम चिह्नों का ध्यान रखते हुए, जैसे अल्पविराम (,) पर थोड़ा रुकें, पूर्णविराम (।) पर पूरी तरह रुकें, और प्रश्न चिह्न (?) पर प्रश्नवाचक लहजा अपनाएँ।
आज की पहेली
पहेली 1
नानी की बेटी है कौन?
मामा की बहना है कौन?
भार्या है पिता की कौन?
भाभी है चाचा की कौन?
उत्तर:
माँ (यशोधरा)
पहेली 2
आसमान में उड़-उड़ जाए,
तरह-तरह के गाने गाए,
पर फैलाकर करता सैर,
दो हैं जिसके पर और पैर।
उत्तर:
हंस (या पक्षी)
पहेली 3
बागों में जो सुगंध फैलाती,
फूल-फूल में बसती गाती,
हवा-हवा में घुल-मिल जाए,
कौन है जो यह नाम बताए?
उत्तर:
सुरभि (खुशबू)
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