वर्षा – बहार (कविता)
पाठ से
(क)नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (★) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।
1. इस कविता में वर्षा ऋतु का कौन-सा भाव मुख्य रूप से उभर कर आता है?
- दुख और निराशा
- आनंद और प्रसन्नता ★
- भय और चिंता
- क्रोध और विरोध
2.”नभ में छटा अनूठी” और “घनघोर छा रही है” पंक्तियों का उपयोग वर्षा ऋतु के किस दृश्य को व्यक्त करने के लिए किया गया है?
- बादलों के घिरने का दृश्य ★
- बिजली के गिरने का दृश्य
- ठंडी हवा के बहने का दृश्य
- आमोद छा जाने का दृश्य
3.कविता में वर्षा को ‘अनोखी बहार’ कहा गया है क्योंकि-
- कवि वर्षा को विशेष ऋतु मानता है। ★
- वर्षा में सभी जीव-जंतु सक्रिय हो जाते हैं। ★
- वर्षा सबके लिए सुख और संतोष लाती है। ★
- वर्षा एक अद्भुत अनोखी प्राकृतिक घटना है। ★
4.”सारे जगत की शोभा, निर्भर है इसके ऊपर” इस पंक्ति का क्या अर्थ है?
- प्रकृति में सभी जीव-जंतु एक-दूसरे पर निर्भर हैं।
- वर्षा पृथ्वी पर हरियाली और जीवन का मुख्य स्रोत है। ★
- बादलों की सुंदरता से ही पृथ्वी की शोभा बढ़ती है।
- हमें वर्षा ऋतु से जगत की भलाई की प्रेरणा लेनी चाहिए।
(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुनें?
अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर क्यों चुने:
प्रश्न 1 के लिए आनंद और प्रसन्नता इसलिए चुना क्योंकि कविता में मोर का नृत्य, मेंढकों का गीत, और किसानों की खुशी जैसे प्रसन्नता के दृश्य हैं।
प्रश्न 2 के लिए बादलों के घिरने का दृश्य इसलिए चुना क्योंकि पंक्तियाँ आकाश में अनूठी छटा और घने बादलों का वर्णन करती हैं।
प्रश्न 3 के लिए सभी विकल्प चुने क्योंकि कविता वर्षा को विशेष, जीव-जंतुओं को सक्रिय करने वाली, सुखदायी, और अद्भुत प्राकृतिक घटना के रूप में दर्शाती है।
प्रश्न 4 के लिए वर्षा पृथ्वी पर हरियाली और जीवन का मुख्य स्रोत है इसलिए चुना क्योंकि पंक्ति बताती है कि विश्व की शोभा वर्षा पर निर्भर है।
पंक्तियों पर चर्चा
(क) “फिरते लखो पपीहे, हैं ग्रीष्म ताप खोते करते हैं नृत्य वन में, देखो ये मोर सारे।”
अर्थ: इन पंक्तियों में कवि वर्षा ऋतु की सुंदरता और ठंडक का वर्णन करता है। वर्षा के आगमन से गर्मी (ग्रीष्म) की तपिश कम हो जाती है, जिससे पपीहे (पक्षी) प्रसन्नता के साथ इधर-उधर उड़ते हैं। साथ ही, जंगल में मोर अपनी पूँछ फैलाकर नृत्य करते हैं, जो वर्षा के आनंदमय और उत्सवी माहौल को दर्शाता है। यह दृश्य प्रकृति की जीवंतता और वर्षा के सकारात्मक प्रभाव को दिखाता है।
चर्चा के लिए विचार: यह पंक्ति प्रकृति और जीव-जंतुओं की वर्षा के प्रति खुशी को व्यक्त करती है। समूह में इस बात पर चर्चा करें कि वर्षा कैसे सभी प्राणियों को राहत और उत्साह देती है।
(ख) “चलते हैं हंस कहीं पर, बाँधे कतार सुंदर गाते हैं गीत कैसे, लेते किसान मनहर।”
अर्थ: इस पंक्ति में कवि हंसों के सुंदर और अनुशासित तरीके से कतारबद्ध चलने का चित्रण करता है, जो प्रकृति की व्यवस्था और सुंदरता को दर्शाता है। साथ ही, किसान वर्षा के कारण खुश होकर खेतों में काम करते हुए मनमोहक गीत गाते हैं, जो उनके मन की प्रसन्नता और संतोष को व्यक्त करता है। यह दृश्य वर्षा के कारण प्रकृति और मानव जीवन में आए आनंद को उजागर करता है।
चर्चा के लिए विचार: समूह में इस पर विचार करें कि हंसों की कतार और किसानों के गीत वर्षा के सकारात्मक प्रभाव को कैसे दर्शाते हैं। साथ ही, यह भी चर्चा करें कि वर्षा किसानों के जीवन को कैसे समृद्ध और खुशहाल बनाती है।
मिलकर करें मिलान
कविता में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे स्तंभ 1 में दी गई हैं, उनके भावार्थ स्तंभ 2 में दिए गए हैं।
स्तंभ 1 की पंक्तियों का स्तंभ 2 की उपयुक्त पंक्तियों से मिलान कीजिए
उत्तर:-
स्तंभ 1 (Column 1) | स्तंभ 2 (Column 2) |
---|---|
1. पानी बरस रहा है, झरने भी ये बहे हैं | 2. वर्षा हो रही है और झरने बह रहे हैं। |
2. चलती हवा है ठंडी, हिलती हैं डालियाँ सब | 6. ठंडी हवाओं के कारण पेड़ों की सभी शाखाएँ हिल रही हैं। |
3. तालों में जीव जलचर, अति हैं प्रसन्न होते | 1. वर्षा ऋतु में तालाबों के जीव-जंतु अति प्रसन्न हैं। |
4. फिरते लखो पपीहे, हैं ग्रीष्म ताप खोते | 3. वर्षा आने पर लाखों पपीहे गर्मी से राहत पाते हैं। |
5. खिलता गुलाब कैसा, सौरभ उड़ा रहा है | 5. वर्षा में खिले हुए फूल जैसे गुलाब प्रकृति में सुगंध और ताजगी फैला रहे हैं। |
6. चलते हैं हंस कहीं पर, बाँधे कतार सुंदर | 4. हंसों की कतारें प्रकृति की सुंदरता और अनुशासन को दर्शाती हैं। |
सोच-विचार के लिए
(क) कविता में कौन-कौन गीत गा रहे हैं और क्यों?
उत्तर: कविता में निम्नलिखित गीत गा रहे हैं:
1. मालिनें (बागों की महिलाएँ): “बागों में गीत सुंदर, गाती हैं मालिनें अब” – मालिनें बागों में सुंदर गीत गा रही हैं क्योंकि वर्षा ऋतु की सुंदरता और ठंडी हवा ने प्रकृति को आनंदमय बना दिया है, जो उनके मन को प्रसन्न करता है।
2.मेंढक: “मेंढक लुभा रहे हैं, गाकर सुगीत प्यारे” – मेंढक वर्षा के आगमन पर खुशी से टर्र-टर्र की ध्वनि के रूप में प्यारे गीत गा रहे हैं, क्योंकि वर्षा उनके लिए अनुकूल माहौल लाती है।
3.किसान: “गाते हैं गीत कैसे, लेते किसान मनहर” – किसान खेतों में काम करते हुए मनमोहक गीत गा रहे हैं, क्योंकि वर्षा उनकी फसलों के लिए जीवनदायिनी है और यह उनके लिए सुख और संतोष का समय है।
क्यों: ये सभी गीत वर्षा ऋतु के आनंद, ताजगी, और प्रकृति की सुंदरता के कारण गाए जा रहे हैं, जो सभी जीव-जंतुओं और मनुष्यों के मन को प्रसन्न करती है।
(ख) “बिजली चमक रही है, बादल गरज रहे हैं” और “तालों में जीव जलचर, अति हैं प्रसन्न होते” – इनमें वर्षा के दो अलग-अलग दृश्य दर्शाए गए हैं। इन दोनों में क्या कोई अंतर है? क्या कोई संबंध है? अपने विचार लिखिए।
उत्तर: अंतर:
- पहली पंक्ति, “बिजली चमक रही है, बादल गरज रहे हैं,” वर्षा के प्राकृतिक और कुछ हद तक उग्र दृश्य को दर्शाती है। यह प्रकृति की शक्ति और गतिशीलता को दिखाती है, जिसमें बिजली की चमक और बादलों की गरज से एक रोमांचक और भव्य माहौल बनता है।
- दूसरी पंक्ति, “तालों में जीव जलचर, अति हैं प्रसन्न होते,” वर्षा के शांत और सकारात्मक प्रभाव को दर्शाती है। यह जलचर जीवों की प्रसन्नता और जीवन की जीवंतता को दिखाती है, जो वर्षा के पानी से तालाबों में नया जीवन पाते हैं।
संबंध:
- दोनों पंक्तियाँ वर्षा ऋतु के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती हैं और एक-दूसरे की पूरक हैं। बिजली और बादलों की गरज वर्षा के आगमन का संकेत देती है, जो प्रकृति में एक परिवर्तन लाती है। यह परिवर्तन तालाबों में जलचर जीवों की प्रसन्नता का कारण बनता है, क्योंकि वर्षा उनके लिए जीवनदायिनी होती है। इस प्रकार, दोनों पंक्तियाँ वर्षा के व्यापक प्रभाव को दर्शाती हैं – एक ओर प्रकृति की शक्ति और दूसरी ओर उसका पोषणकारी स्वरूप।
(ग) कविता में मुख्य रूप से कौन-सी बात कही गई है? उसे पहचानिए, समझिए और अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: कविता “वर्षा-बहार” में मुख्य रूप से वर्षा ऋतु की सुंदरता, आनंद और इसके जीवनदायिनी स्वरूप का वर्णन किया गया है। कवि ने वर्षा के विभिन्न दृश्यों – जैसे बिजली की चमक, बादलों की गरज, ठंडी हवाएँ, बहते झरने, खिलते गुलाब, और जीव-जंतुओं की प्रसन्नता – के माध्यम से प्रकृति की जीवंतता और सौंदर्य को उजागर किया है। यह कविता दर्शाती है कि वर्षा केवल एक प्राकृतिक घटना नहीं है, बल्कि यह समस्त प्रकृति और मानव जीवन में खुशी, ताजगी और समृद्धि लाती है। कवि यह संदेश देता है कि वर्षा के कारण सारा संसार सुंदर और आनंदमय हो जाता है, और यह पृथ्वी की शोभा का आधार है।
अपने शब्दों में: कविता यह बताती है कि वर्षा ऋतु प्रकृति को नया जीवन देती है, सभी जीव-जंतुओं और मनुष्यों में खुशी लाती है, और पृथ्वी की सुंदरता को बढ़ाती है। यह प्रकृति और जीवन के बीच गहरा संबंध दर्शाती है।
(घ) “खिलता गुलाब कैसा, सौरभ उड़ा रहा है” इस पंक्ति को पढ़कर एक खिलते हुए गुलाब का सुंदर चित्र मस्तिष्क में बन जाता है। इस पंक्ति का उद्देश्य केवल गुलाब की सुंदरता को बताना है या इसका कोई अन्य अर्थ भी हो सकता है?
उत्तर: इस पंक्ति का उद्देश्य केवल गुलाब की सुंदरता को दर्शाना नहीं है, बल्कि इसके गहरे अर्थ भी हैं। सतह पर, यह पंक्ति वर्षा के प्रभाव से खिले हुए गुलाब के सौंदर्य और उसकी सुगंध का वर्णन करती है, जो प्रकृति की ताजगी और आकर्षण को दर्शाता है। गुलाब का खिलना और उसका सौरभ (सुगंध) फैलाना वर्षा के पोषणकारी प्रभाव का प्रतीक है, जो प्रकृति को जीवंत और सुंदर बनाता है।
गहरा अर्थ:
- यह पंक्ति प्रकृति के पुनर्जनन और नवीकरण का प्रतीक है। वर्षा के कारण गुलाब जैसे फूल खिलते हैं, जो जीवन में नई शुरुआत और आशा का संदेश देता है।
- गुलाब की सुगंध फैलाना सकारात्मकता और आनंद के प्रसार का प्रतीक हो सकता है, जो वर्षा के कारण पूरे पर्यावरण में फैलता है।
- यह मानव जीवन में भी खुशी और प्रेरणा के प्रसार को दर्शा सकता है, जैसे कि वर्षा मनुष्यों के मन में उत्साह और सृजनशीलता लाती है।
इस प्रकार, यह पंक्ति केवल गुलाब की सुंदरता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वर्षा के व्यापक सकारात्मक प्रभाव और प्रकृति की जीवंतता का प्रतीक है।
(ङ) कविता में से उन पंक्तियों को चुनकर लिखिए जिनमें सकारात्मक गतिविधियों का उल्लेख किया गया है, जैसे- ‘गीत गाना’, ‘नृत्य करना’ और ‘सुगंध फैलाना’। इन गतिविधियों के आधार पर बताइए कि इस कविता का शीर्षक ‘वर्षा-बहार’ क्यों रखा गया है?
उत्तर: सकारात्मक गतिविधियों वाली पंक्तियाँ:
1. गीत गाना:
- “बागों में गीत सुंदर, गाती हैं मालिनें अब” – मालिनें बागों में सुंदर गीत गा रही हैं।
- “मेंढक लुभा रहे हैं, गाकर सुगीत प्यारे” – मेंढक प्यारे गीत गा रहे हैं।
- “गाते हैं गीत कैसे, लेते किसान मनहर” – किसान मनमोहक गीत गा रहे हैं।
2.नृत्य करना:
- “करते हैं नृत्य वन में, देखो ये मोर सारे” – मोर जंगल में नृत्य कर रहे हैं।
3.सुगंध फैलाना:
- “खिलता गुलाब कैसा, सौरभ उड़ा रहा है” – गुलाब खिलकर सुगंध फैला रहा है।
शीर्षक ‘वर्षा-बहार’ क्यों रखा गया: शीर्षक ‘वर्षा-बहार’ कविता के केंद्रीय भाव को पूरी तरह से व्यक्त करता है। ‘वर्षा’ का अर्थ है बारिश, और ‘बहार’ का अर्थ है वसंत, खुशी, या ताजगी। यह शीर्षक वर्षा ऋतु की जीवंतता, सुंदरता, और आनंद को दर्शाता है, जो कविता में वर्णित सकारात्मक गतिविधियों जैसे गीत गाने, नृत्य करने, और सुगंध फैलाने के माध्यम से प्रकट होती है। ये गतिविधियाँ प्रकृति और मनुष्यों में वर्षा के कारण उत्पन्न होने वाली प्रसन्नता, उत्साह, और जीवन शक्ति का प्रतीक हैं। ‘वर्षा-बहार’ शीर्षक इस बात को रेखांकित करता है कि वर्षा केवल एक मौसम नहीं है, बल्कि यह प्रकृति और जीवन में एक उत्सव की तरह है, जो सबके मन को लुभाता और आनंदित करता है।
अनुमान और कल्पना से
(क) “सारे जगत की शोभा, निर्भर है इसके ऊपर” कविता में कहा गया है कि वर्षा पर सारे संसार की शोभा निर्भर है। वर्षा के अभाव में मानव जीवन और पशु-पक्षियों पर क्या-क्या प्रभाव पड़ सकता है?
उत्तर: कविता में वर्षा को पृथ्वी की शोभा और जीवन का आधार बताया गया है। वर्षा के अभाव में मानव जीवन और पशु-पक्षियों पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ सकते हैं:
1. मानव जीवन पर प्रभाव:
- कृषि पर प्रभाव: वर्षा के बिना फसलें सूख जाएँगी, जिससे खाद्यान्न की कमी हो सकती है। किसानों की आजीविका प्रभावित होगी, और भोजन की कीमतें बढ़ सकती हैं।
- पानी की कमी: पीने के पानी और सिंचाई के लिए जल की कमी होगी, जिससे प्यास और सूखे की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
- स्वास्थ्य समस्याएँ: पानी की कमी से स्वच्छता प्रभावित होगी, जिससे बीमारियाँ फैल सकती हैं। गर्मी बढ़ने से हीटस्ट्रोक जैसे स्वास्थ्य जोखिम बढ़ सकते हैं।
- आर्थिक प्रभाव: उद्योग, विशेष रूप से कृषि और जल पर निर्भर उद्योग, प्रभावित होंगे, जिससे बेरोजगारी और आर्थिक संकट बढ़ सकता है।
- सामाजिक प्रभाव: पानी की कमी से विवाद और तनाव बढ़ सकते हैं, जैसे कि जल स्रोतों पर झगड़े।
2.पशु-पक्षियों पर प्रभाव:
- जल की कमी: तालाब, नदियाँ और झरने सूख जाएँगे, जिससे जलचर जीवों और पक्षियों को पीने का पानी नहीं मिलेगा, और उनकी मृत्यु हो सकती है।
- आवास का नुकसान: जंगल और घास के मैदान सूख जाएँगे, जिससे पशु-पक्षियों का प्राकृतिक आवास नष्ट हो सकता है।
- खाद्य संकट: वनस्पतियों के सूखने से पक्षियों और जंगली जानवरों को भोजन की कमी होगी, जिससे उनकी प्रजातियाँ खतरे में पड़ सकती हैं।
- प्रवास और व्यवहार में बदलाव: पक्षी और जानवर भोजन और पानी की तलाश में अनिश्चित दिशाओं में भटक सकते हैं, जिससे उनकी जीवनशैली प्रभावित होगी।
वर्षा के अभाव में प्रकृति की हरियाली, सुंदरता और जीवन शक्ति नष्ट हो जाएगी, जिससे मानव और पशु-पक्षियों का जीवन कठिन और दुखमय हो सकता है।
(ख) “बिजली चमक रही है, बादल गरज रहे हैं” – बिजली चमकना और बादल का गरजना प्राकृतिक घटनाएँ हैं। इन घटनाओं का लोगों के जीवन पर क्या-क्या प्रभाव हो सकता है?
(संकेत – आप सकारात्मक और नकारात्मक यानी अच्छे और बुरे, दोनों प्रकार के प्रभावों के बारे में सोच सकते हैं।)
उत्तर: बिजली चमकना और बादल का गरजना वर्षा ऋतु की प्राकृतिक घटनाएँ हैं, जिनके लोगों के जीवन पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार के प्रभाव हो सकते हैं:
सकारात्मक प्रभाव:
1. प्रकृति की सुंदरता: बिजली की चमक और बादलों की गरज प्रकृति में एक रोमांचक और भव्य दृश्य प्रस्तुत करते हैं, जो लोगों के मन में आश्चर्य और आनंद जगाते हैं।
2.वर्षा का संकेत: ये घटनाएँ वर्षा के आगमन का संकेत देती हैं, जो किसानों और आम लोगों के लिए राहत और खुशी का कारण बनती है, क्योंकि वर्षा फसलों और जल स्रोतों के लिए आवश्यक है।
3.प्रेरणा और सृजनशीलता: कवियों, लेखकों और कलाकारों के लिए ये दृश्य प्रेरणा का स्रोत हो सकते हैं, जैसा कि इस कविता में देखा गया है।
4.वातावरण की शुद्धि: बिजली और गरज के साथ होने वाली वर्षा वातावरण को शुद्ध करती है, धूल और प्रदूषण को कम करती है, जिससे हवा ताज़ा हो जाती है।
नकारात्मक प्रभाव:
1. भय और चिंता: बिजली की चमक और बादलों की तेज़ गरज कुछ लोगों, विशेष रूप से बच्चों और पशुओं, में भय पैदा कर सकती है।
2.विनाशकारी प्रभाव: बिजली गिरने से जान-माल का नुकसान हो सकता है, जैसे कि लोगों, पशुओं या पेड़ों को नुकसान, या घरों और संपत्ति में आग लगना।
3.बाधाएँ: तेज़ गरज और बिजली के कारण बिजली आपूर्ति बाधित हो सकती है, और संचार सेवाएँ प्रभावित हो सकती हैं।
4.खेती पर प्रभाव: यदि बिजली गिरने से खेतों में नुकसान होता है या अत्यधिक वर्षा होती है, तो फसलें खराब हो सकती हैं।
इस प्रकार, बिजली और बादलों की गरज प्रकृति की शक्ति और सुंदरता को दर्शाते हैं, लेकिन साथ ही सावधानी और सुरक्षा की आवश्यकता भी बताते हैं।
(ग) “करते हैं नृत्य वन में, देखो ये मोर सारे” – इस पंक्ति को ध्यान में रखते हुए वर्षा आने पर पक्षियों और जीवों की खुशी का वर्णन कीजिए। वे अपनी प्रसन्नता कैसे व्यक्त करते होंगे?
उत्तर: कविता की पंक्ति “करते हैं नृत्य वन में, देखो ये मोर सारे” यह दर्शाती है कि वर्षा के आगमन पर पक्षी और जीव अत्यंत प्रसन्न होते हैं। वर्षा उनके लिए जीवन, ताजगी और आनंद का स्रोत है। उनकी प्रसन्नता का वर्णन निम्नलिखित है:
1. मोर का नृत्य: मोर वर्षा के आगमन पर अपने रंग-बिरंगे पंख फैलाकर जंगल में नृत्य करते हैं। यह नृत्य उनकी खुशी और उत्साह का प्रतीक है, क्योंकि वर्षा गर्मी से राहत देती है और प्रकृति को हरियाली प्रदान करती है। उनके पंखों की चमक और नृत्य की लय वर्षा की सुंदरता के साथ तालमेल बिठाती है।
2.मेंढकों की टर्र-टर्र: कविता में उल्लेख है कि मेंढक “सुगीत प्यारे” गाते हैं। वर्षा के पानी से तालाब और गड्ढे भर जाते हैं, जो मेंढकों के लिए अनुकूल माहौल बनाता है। वे टर्र-टर्र की ध्वनि के माध्यम से अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हैं, जो प्रकृति का एक संगीतमय हिस्सा बन जाता है।
3.पक्षियों का चहचहाना: पक्षी, जैसे कि पपीहे, वर्षा के ठंडे और ताज़ा मौसम में चहचहाते हैं। उनकी मधुर आवाज़ें प्रकृति में आनंद और जीवंतता का संचार करती हैं। वे पेड़ों की डालियों पर उछल-कूदकर और गीत गाकर अपनी खुशी व्यक्त करते हैं।
4.जलचर जीवों की सक्रियता: तालाबों में मछलियाँ और अन्य जलचर जीव वर्षा के पानी से ताज़ा होकर उछल-कूद करते हैं। उनकी यह सक्रियता उनकी प्रसन्नता को दर्शाती है, क्योंकि वर्षा उनके लिए जीवनदायिनी होती है।
5. हंसों की कतारबद्ध चाल: कविता में हंसों के सुंदर कतार में चलने का वर्णन है। वे वर्षा के पानी में तैरते हुए और कतार बनाकर चलते हुए अपनी प्रसन्नता और अनुशासन को दर्शाते हैं।
प्रसन्नता व्यक्त करने का तरीका: पक्षी और जीव अपनी प्रसन्नता को नृत्य, गीत, उछल-कूद, और सक्रियता के माध्यम से व्यक्त करते हैं। मोर का नृत्य और मेंढकों की टर्र-टर्र प्रकृति के उत्सव का हिस्सा बनते हैं, जबकि पक्षियों की चहचहाहट और जलचर जीवों की हलचल वर्षा के आनंद को और बढ़ाती है। ये सभी गतिविधियाँ दर्शाती हैं कि वर्षा प्रकृति के सभी जीवों के लिए एक उत्सव की तरह है, जो उनकी जीवंतता और खुशी को उजागर करता है।
शब्द से जुड़े शब्द
अपने समूह में चर्चा करके ‘वर्षा’ से जुड़े शब्द नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में लिखिए-
उत्तर:-
कविता का सौंदर्य
(क) नीचे कविता की कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। इनमें कुछ शब्द हटा दिए गए हैं और साथ में मिलते-जुलते अर्थ वाले शब्द भी दिए गए हैं। इनमें से प्रत्येक शब्द से वह पंक्ति पूरी करके देखिए। जो शब्द उस पंक्ति में जँच रहे हैं उन पर घेरा बनाइए।
1. बरखा बहार सब के, मन को लुभा रही है (बारिश, बरसात, बरखा, वृष्टि)
2. अंबर में छटा अनूठी, घनघोर छा रही है (आकाश, गगन, अंबर, व्योम)
3. बिजली चमक रही है, घन गरज रहे हैं (मेघ, जलधर, घन, जलद)
4. नीर बरस रहा है, झरने भी ये बहे हैं (जल, नीर, सलिल, तोय)
(ख) अपने समूह में विमर्श करके पता लगाइए कि कौन-से शब्द रिक्त स्थानों में सबसे अधिक साथियों को जँच रहे हैं और क्यों?
1. बरखा – यह शब्द कविता के भाव और लय के अनुसार सबसे मधुर एवं साहित्यिक लगता है। “बरखा बहार” एक लोकप्रिय मुहावरे जैसा प्रतीत होता है।
2.अंबर – अंबर का उपयोग काव्य में अधिक होता है, जबकि ‘गगन’ और ‘व्योम’ अपेक्षाकृत संस्कृतनिष्ठ शब्द हैं। ‘अंबर में छटा’ सुनने में अधिक काव्यात्मक लगता है।
3.घन – ‘घन गरजना’ एक पारंपरिक काव्यशैली है और यह ‘घनघोर’ जैसे अन्य शब्दों से भी मेल खाता है।
4. नीर – यह शब्द ‘जल’ का एक सुंदर और कविता-संगत पर्यायवाची है। ‘नीर बरस रहा है’ की ध्वनि कविता के प्रवाह में अच्छे से बैठती है।
विशेषण
(क) नीचे दी गई पंक्तियों में विशेषण और विशेष्य शब्दों की पहचान करके लिखिए-
पंक्ति | विशेषण | विशेष्य |
---|---|---|
1. नभ में छटा अनूठी, घनघोर छा रही है | अनूठी | छटा |
2. चलते हैं हंस कहीं पर, बाँधे कतार सुंदर | सुंदर | कतार |
3. मेंढक लुभा रहे हैं, गाकर सुगीत प्यारे | प्यारे | सुगीत |
4. चलती हवा है ठंडी, हिलती हैं डालियाँ सब | ठंडी | हवा |
(ख) नीचे दिए गए विशेष्यों के लिए उपयुक्त विशेषण लिखिए
विशेष्य (संज्ञा शब्द) | विशेषण (गुण बताने वाले शब्द) |
---|---|
1. वर्षा | मधुर, शीतल, रिमझिम |
2. पानी | स्वच्छ, मीठा, ठंडा |
3. बादल | घने, काले, गरजते हुए |
4. डालियाँ | लचकदार, हरी, झुकी हुई |
5. गुलाब | सुगंधित, लाल, कोमल |
ऋतु और शब्द
नीचे दिए गए शब्दों को पढ़कर कौन-सी ऋतु का स्मरण होता है? इन शब्दों को तालिका में उपयुक्त स्थान पर लिखिए-
उत्तर:-
ऋतु | शब्द |
---|---|
वसंत ऋतु (मार्च-अप्रैल) | हरियाली, बाहर, शीतलता |
ग्रीष्म ऋतु (मई-जून) | ताप, तपन, उमस, जेठ, शुष्क |
वर्षा ऋतु (जुलाई-अगस्त) | बार, बिजली, सावन, रिमझिम, बादल फटना, ओस |
शरद ऋतु (सितंबर-अक्तूबर) | शीतलता, ओस |
हेमंत ऋतु (नवंबर-दिसंबर) | जाड़ा, कोहरा, पाला |
शिशिर ऋतु (जनवरी-फरवरी) | हिमपात, जाड़ा, कड़ाके की ठंड, कोहरा, पाला |
वर्षा के दृश्य
(क) वर्षा के उन दृश्यों की सूची बनाइए जिनका उल्लेख इस कविता में नहीं किया गया है। जैसे आकाश में इंद्रधनुष।
उत्तर: कविता में वर्षा ऋतु के कई जीवंत दृश्यों का वर्णन है, जैसे बादल छाना, बिजली चमकना, बादल गरजना, ठंडी हवाएँ, बहते झरने, नाचते मोर, गाते मेंढक, खिलते गुलाब, और हंसों का कतारबद्ध चलना। हालांकि, कुछ वर्षा से संबंधित दृश्य कविता में उल्लेखित नहीं हैं। ये हैं:
- आकाश में इंद्रधनुष: कविता में इंद्रधनुष का उल्लेख नहीं है, जो वर्षा के बाद एक सामान्य और सुंदर दृश्य है।
- जमीन पर पानी के गड्ढे: कविता में झरनों का वर्णन है, लेकिन गड्ढों या जलभराव का उल्लेख नहीं है।
- वर्षा के बाद कोहरा या धुंध: वर्षा के बाद अक्सर दिखने वाली धुंध या कोहरे का वर्णन नहीं है।
- बच्चों का बारिश में खेलना: कविता में बच्चों के बारिश में छींटे मारने या खेलने जैसे मानवीय गतिविधियों का उल्लेख नहीं है।
- जलाशयों में बादलों का प्रतिबिंब: तालाबों और जलचरों का उल्लेख है, लेकिन पानी में बादलों या आकाश के प्रतिबिंब का वर्णन नहीं है।
(ख) वर्षा के समय आकाश में बिजली पहले दिखाई देती है या बिजली कड़कने की ध्वनि पहले सुनाई देती है या दोनों साथ-साथ दिखाई-सुनाई देती हैं? क्यों? पता कीजिए।
उत्तर: वर्षा के समय बिजली पहले दिखाई देती है, फिर बिजली कड़कने की ध्वनि (गर्जन) सुनाई देती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि प्रकाश की गति ध्वनि की गति से बहुत अधिक होती है। बिजली एक प्रकाश की चमक है, और प्रकाश लगभग 299,792 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से यात्रा करता है, जो इसे देखने वाले के लिए लगभग तुरंत दिखाई देता है। दूसरी ओर, गर्जन, जो बिजली की गर्मी के कारण हवा के तेजी से फैलने और सिकुड़ने से उत्पन्न ध्वनि है, लगभग 343 मीटर प्रति सेकंड की गति से यात्रा करती है।
बिजली और गर्जन के बीच का समय अंतर बिजली की दूरी पर निर्भर करता है। यदि बिजली दूर है, तो चमक और ध्वनि के बीच का अंतर अधिक होता है। यदि बिजली बहुत पास है, तो चमक और गर्जन लगभग एक साथ प्रतीत हो सकते हैं, लेकिन चमक हमेशा पहले दिखाई देती है।
कविता में पंक्ति “बिजली चमक रही है, बादल गरज रहे हैं” दोनों घटनाओं का वर्णन करती है, लेकिन क्रम का उल्लेख नहीं करती, यह दर्शाती है कि ये वर्षा के दृश्य का हिस्सा हैं और निकटता से घटित होती हैं।
(ग) आपने वर्षा से पहले और वर्षा के बाद किसी पेड़ या पौधे को ध्यान से अवश्य देखा होगा। आपको कौन-कौन से अंतर दिखाई दिए?
उत्तर: कविता वर्षा ऋतु में प्रकृति की सुंदरता का जीवंत चित्रण करती है, जिससे पौधों में होने वाले परिवर्तनों की कल्पना की जा सकती है। सामान्य अवलोकन और कविता की पंक्तियों, जैसे “ग्रीष्म ताप खोते” (गर्मी की तपन का कम होना), के आधार पर निम्नलिखित अंतर देखे जा सकते हैं:
वर्षा से पहले:
- सूखी और धूल भरी पत्तियाँ: वर्षा से पहले, विशेष रूप से गर्मी के बाद, पेड़ों और पौधों की पत्तियाँ सूखी और धूल से भरी होती हैं, क्योंकि पानी की कमी और गर्मी होती है।
- मुरझाया हुआ रूप: पौधे पानी की कमी के कारण मुरझाए हुए या कमजोर दिखाई दे सकते हैं।
- कम हरियाली: गर्मी के कारण पौधों में नई पत्तियाँ कम होती हैं, और कुछ पेड़ों की पत्तियाँ पीली पड़ सकती हैं।
वर्षा के बाद:
- ताजा और चमकदार पत्तियाँ: वर्षा के बाद पत्तियाँ धुलकर चमकदार और ताजा दिखाई देती हैं, जैसे कविता में “खिलता गुलाब केसा, सौरभ उड़ा रहा है” से गुलाब की ताजगी का अंदाजा लगता है।
- नई कोंपलें और हरियाली: वर्षा के बाद पौधों में नई कोंपलें और पत्तियाँ उगती हैं, जिससे हरियाली बढ़ती है।
- पौधों में जीवंतता: पानी मिलने से पौधे तरोताजा और सीधे खड़े दिखते हैं, उनकी मुरझाहट खत्म हो जाती है।
- मिट्टी की नमी: वर्षा के बाद मिट्टी नम और उपजाऊ हो जाती है, जिससे पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं।
(घ) “चलते हैं हंस कहीं पर, बाँधे कतार सुंदर” कविता में हंसों के कतार में अर्थात पंक्तिबद्ध रूप से चलने का वर्णन किया गया है। आपने किन-किन को और कब-कब पंक्तिबद्ध चलते हुए देखा है? (संकेत – चींटी, गाड़ियाँ, बच्चे आदि)
उत्तर: कविता की पंक्ति “चलते हैं हंस कहीं पर, बाँधे कतार सुंदर” हंसों के अनुशासित और सुंदर ढंग से पंक्तिबद्ध चलने का चित्रण करती है, जो प्रकृति की व्यवस्था और सुंदरता को दर्शाती है। सामान्य जीवन में निम्नलिखित को पंक्तिबद्ध चलते हुए देखा जा सकता है:
- चींटियाँ: चींटियाँ अक्सर भोजन की तलाश में या अपने घोंसले की ओर एक पंक्ति में चलती हैं, विशेष रूप से जब वे चीनी या अन्य खाद्य पदार्थ ले जा रही हों। यह दृश्य घरों या बगीचों में आम है।
- स्कूल के बच्चे: स्कूल में प्रार्थना सभा, खेलकूद, या किसी समारोह के दौरान बच्चे कतार में चलते हैं, जैसे सुबह की सभा के लिए कक्षा से मैदान तक।
- गाड़ियाँ: सड़कों पर ट्रैफिक सिग्नल या जाम में गाड़ियाँ पंक्तिबद्ध होकर चलती हैं, विशेष रूप से व्यस्त चौराहों पर।
- पक्षी: हंसों की तरह, अन्य प्रवासी पक्षी, जैसे सारस या बगुले, उड़ते समय या चलते समय V-आकार की कतार बनाते हैं, जो अक्सर खेतों या नदियों के पास देखा जा सकता है।
- सैनिक: परेड या सैन्य अभ्यास के दौरान सैनिक अनुशासित ढंग से पंक्तियों में मार्च करते हैं, जैसे गणतंत्र दिवस की परेड में।
वर्षा में ध्वनियाँ
(क) कविता में वर्षा के अनेक दृश्य दिए गए हैं। इन दृश्यों में कौन-कौन सी ध्वनियाँ सुनाई दे रही होंगी? अपनी कल्पना से उन ध्वनियों को कक्षा में सुनाइए।
उत्तर: कविता “वर्षा-बहार” में वर्षा ऋतु के कई जीवंत दृश्यों का वर्णन है, जैसे बिजली चमकना, बादल गरजना, झरने बहना, मोर नृत्य करना, मेंढक गाना, और मालिनों व किसानों का गीत गाना। इन दृश्यों के आधार पर निम्नलिखित ध्वनियाँ सुनाई दे रही होंगी:
- बादलों की गर्जन: “बादल गरज रहे हैं” पंक्ति से स्पष्ट है कि बादलों की गहरी, गूंजती हुई गर्जन की आवाज़, जो ‘गड़गड़ाहट’ जैसी होती है, सुनाई देती होगी।
- बारिश की रिमझिम: “पानी बरस रहा है” से बारिश की बूंदों के टप-टप या रिमझिम गिरने की मधुर ध्वनि की कल्पना की जा सकती है।
- झरनों का कल-कल: “झरने भी ये बहे हैं” से झरनों के पानी के बहने की कल-कल या छल-छल की आवाज़ सुनाई देती होगी।
- मेंढकों की टर्र-टर्र: “मेंढक लुभा रहे हैं, गाकर सुगीत प्यारे” से मेंढकों की टर्र-टर्र की आवाज़, जो वर्षा में विशेष रूप से सुनाई देती है, कानों में गूंजती होगी।
- मोर की पुकार: “करते हैं नृत्य वन में, देखो ये मोर सारे” से मोरों की ऊँची और मधुर ‘म्याऊँ-म्याऊँ’ या ‘पीहू-पीहू’ जैसी पुकार की ध्वनि सुनाई देती होगी।
- मालिनों और किसानों के गीत: “बागों में गीत सुंदर, गाती हैं मालिनें अब” और “गाते हैं गीत केसे, लेते किसान मनहर” से मालिनों और किसानों के मधुर लोकगीतों की आवाज़, जो आनंद और उत्साह से भरी होती है, सुनाई देती होगी।
- हवा की सरसराहट: “चलती हवा है ठंडी, हिलती हैं डालियाँ सब” से पेड़ों की पत्तियों के बीच ठंडी हवा के सरसराने और डालियों के हिलने की हल्की आवाज़ की कल्पना की जा सकती है।
- जलचरों की आवाज़ें: “तालों में जीव जलचर, अति हैं प्रसन्न होते” से तालाबों में मछलियों या अन्य जलचरों के छप-छप या पानी में हलचल की हल्की ध्वनियाँ सुनाई देती होंगी।
इन ध्वनियों को कक्षा में व्यक्त करने के लिए, निम्नलिखित तरीके अपनाए जा सकते हैं:
- मौखिक रूप से: गड़गड़ाहट के लिए गहरी आवाज़ में “गड़-गड़”, रिमझिम के लिए “टप-टप”, मेंढकों के लिए “टर्र-टर्र”, और मोर की पुकार के लिए “पीहू-पीहू” जैसी आवाज़ें निकाली जा सकती हैं।
- हाथों या वस्तुओं से: मेज पर उंगलियों से टपकने की आवाज़, हवा की सरसराहट के लिए कागज़ हिलाना, या तालियाँ बजाकर गर्जन का प्रभाव बनाया जा सकता है।
(ख) “मेंढक लुभा रहे हैं, गाकर सुगीत प्यारे” कविता में मेंढकों की टर्र-टर्र को भी प्यारा गीत कहा गया है। आपके विचार से बेसुरी ध्वनियाँ भी कब-कब अच्छी लगने लगती हैं?
उत्तर: कविता “वर्षा-बहार” की पंक्ति “मेंढक लुभा रहे हैं, गाकर सुगीत प्यारे” में मेंढकों की टर्र-टर्र की आवाज़ को “प्यारा गीत” कहा गया है, जो सामान्य रूप से बेसुरी मानी जाती है। यह दर्शाता है कि कुछ संदर्भों में बेसुरी ध्वनियाँ भी मन को भाने लगती हैं। निम्नलिखित परिस्थितियों में बेसुरी ध्वनियाँ भी अच्छी लगने लगती हैं:
- प्रकृति के उत्सव का हिस्सा होने पर: कविता में मेंढकों की टर्र-टर्र वर्षा ऋतु की खुशी और जीवंतता का प्रतीक है। वर्षा के बाद गर्मी की तपन से राहत (“ग्रीष्म ताप खोते”) मिलने पर यह ध्वनि प्रकृति के उत्सव का हिस्सा बन जाती है, जिससे यह आनंददायक लगती है।
- भावनात्मक या सांस्कृतिक महत्व होने पर: कुछ ध्वनियाँ, जैसे मंदिर की घंटियाँ, त्योहारों में पटाखों की आवाज़, या शादी में ढोल की थाप, बेसुरी होते हुए भी खुशी और उत्साह के कारण अच्छी लगती हैं।
- पर्यावरण से जुड़ाव के कारण: मेंढकों की टर्र-टर्र, झींगुरों की चीं-चीं, या हवा की सरसराहट जैसी प्राकृतिक ध्वनियाँ शांति और प्रकृति से जुड़ाव का अहसास कराती हैं, विशेष रूप से वर्षा जैसे शांत समय में।
- निराशा या शांति के बाद बदलाव का संकेत: गर्मी की चुप्पी या तपन के बाद मेंढकों की आवाज़ वर्षा के आगमन का संकेत देती है, जो राहत और खुशी लाती है, इसलिए यह बेसुरी होते हुए भी मधुर लगती है।
- परिचितता और पुरानी यादों के कारण: ग्रामीण क्षेत्रों में मेंढकों की टर्र-टर्र या बारिश की आवाज़ बचपन की यादें ताज़ा कर सकती है, जिससे ये ध्वनियाँ सुखद और प्यारी लगने लगती हैं।
कविता में मेंढकों की टर्र-टर्र को “सुगीत प्यारे” इसलिए कहा गया है क्योंकि यह वर्षा ऋतु की जीवंतता और प्रकृति के आनंद का हिस्सा है, जो सभी जीव-जंतुओं और मनुष्यों के लिए सुखकारी है।
आज की पहेली
1. पहेली: जाने कैसा मौसम आया,
सूरज ने सबको झुलसाया।
आम पकें तो रस ढलके,
समय कौन-सा ये झलके?
उत्तर:- ग्रीष्म ऋतु
2. पहेली: हवा में ठंडक बढ़ती जाए,
धूप सुहानी सबको भाए।
नई फसल खेतों में लाए,
बूझो कौन-सा मौसम आए?
उत्तर:- शरद ऋतु
3. पहेली: बर्फ गिरे, सर्दी बढ़ जाए,
ऊनी कपड़े सबको भाए।
धुंध की चादर लाए रात,
बूझो किस ऋतु की बात?
उत्तर:- शिशिर ऋतु
4. पहेली: फूल खिले, हर पक्षी गाए,
चारों ओर हरियाली छाए।
बागों में खुशबू छा जाए,
बूझो ऋतु ये क्या कहलाए?
उत्तर:- वसंत ऋतु
5. पहेली: पानी बरसे,
बादल गरजे, धरती का हर कोना हरसे।
नदियाँ नाले भरे हर ओर,
बूझो किसका है ये जोर?
उत्तर:- वर्षा ऋतु
6. पहेली: पत्ता-पत्ता गिरता जाए,
सूनी डाली बहुत सताए।
पेड़ करें खुद को तैयार,
कौन-सी ऋतु का है ये सार?
उत्तर:- हेमंत ऋतु
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