बिरजू महाराज से साक्षत्कार
पाठ से
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सबसे सही उत्तर कौन-सा है? उनके सामने तारा (★) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।
(1) बिरजू महाराज ने गंडा बाँधने की परंपरा में परिवर्तन क्यों किया होगा?
- ★ वे गुरु के प्रति शिष्य के निष्ठा भाव को परखना चाहते थे
- वे नृत्य शिक्षण के लिए इस परंपरा को महत्वपूर्ण नहीं मानते थे
- ★ वे नृत्य के प्रति शिष्य के लगन व समर्पण भाव को जाँचना चाहते थे
- वे शिष्य की भेंट देने की सामथ्र्य को परखना चाहते थे
(2) “जीवन में उतार चढ़ाव तो होता ही है।” बिरजू महाराज के जीवन में किस तरह के उतार-चढ़ाव आए?
- ★ पिता के देहांत के बाद आर्थिक अभावों का सामना करना पड़ा
- कोई भी संस्था नृत्य प्रस्तुतियों के लिए आमंत्रित नहीं करती थी
- ★ किसी समय विशेष में घर में सुख-समृद्धि थी
- नृत्य के औपचारिक प्रशिक्षण के अवसर बहुत ही सीमित हो गए थे
(3) बिरजू महाराज के अनुसार बच्चों को लय के साथ खेलने की अनुशंसा क्यों की जानी चाहिए?
- संगीत, नृत्य, नाटक और सभी कलाएँ बच्चों में मानवीय मूल्यों का विकास नहीं करती हैं
- ★ कला संबंधी विषयों से जुड़ाव बच्चों के बौद्धिक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है
- ★ कला भी एक खेल है, जिसमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है
- वर्तमान समय में कला भी एक सफल माध्यम नहीं है
(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिएऔर कारण बताइए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुनें?
(1) गंडा बाँधने की परंपरा में बदलाव का कारण
मैंने यह कारण इसलिए चुना क्योंकि मुझे लगा कि बरजू महाराज शिष्य की सच्ची मेहनत और लगन को देखना चाहते थे। वे चाहते थे कि पहले शिष्य खुद को सिद्ध करे, तभी गुरु उसका मार्गदर्शन करें। यह बात मुझे सही और समझदारी भरी लगी।
(2) जीवन में आए उतार-चढ़ाव का कारण
मैंने यह कारण इसलिए चुना क्योंकि पाठ में बताया गया कि उनके जीवन में बहुत संघर्ष था। उनके पिताजी के जाने के बाद आर्थिक कठिनाइयाँ आईं और फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। यह बात मुझे बहुत प्रेरणादायक लगी।
(3) बच्चों को लय के साथ खेलने की सलाह का कारण
मैंने यह कारण इसलिए चुना क्योंकि इससे बच्चे बहुत कुछ सीख सकते हैं-जैसे अनुशासन, तालमेल और ध्यान लगाना। यह खेल की तरह होता है लेकिन इससे दिमाग भी तेज़ होता है। मुझे यह बहुत अच्छा विचार लगा।
मिलकर करें मिलान
पाठ में से चुनकर कुछ शब्द एवं शब्द समूह नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही संदर्भों या अवधारणाओं से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।
उत्तर:-
शब्द (Word) | संदर्भ या अवधारणा (Context or Concept) |
---|---|
1. कर्नाटक संगीत शैली | 2. भारतीय शास्त्रीय संगीत की एक शैली, जो मुख्य रूप से दक्षिण भारत के राज्यों में प्रचलित है। इसमें स्वर शैली की प्रधानता होती है। जल तरंगम, वीणा, मृदंग, मंडोलिन वाद्ययंत्रों से संगत दी जाती है। |
2. घराना | 4. हिंदुस्तानी संगीत में कलाकारों का एक समुदाय या कुटुंब, जो संगीत नृत्य की विशिष्ट शैली साझा करते हैं। संगीत या नृत्य की परंपरा, जिसमें सिद्धांत और शैली पीढ़ी-दर-पीढ़ी प्रशिक्षण के द्वारा आगे बढ़ती है। |
3. शास्त्रीय संगीत | 1. भारत की प्राचीन गायन-वादन गीत-नृत्य अभिनय परंपरा का अभिन्न अंग है। इसमें शब्दों की अपेक्षा सुरों का महत्व होता है। इसमें नियमों की प्रधानता होती है। |
4. हिंदुस्तानी संगीत शैली | 6. भारतीय शास्त्रीय संगीत की एक शैली, जो मुख्य रूप से उत्तर भारत के राज्यों में प्रचलित है। तबला, सारंगी, सितार, संतूर वाद्ययंत्रों से संगत दी जाती है। इसके प्रमुख रागों की संख्या छह है। |
5. कनछेदन | 3. हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में एक है, यह कान में सोने या चाँदी का तार पहनाने से संबंधित है। |
6. लोक नृत्य | 5. किसी क्षेत्र विशेष में लोक द्वारा किए जाने वाले पारंपरिक नृत्य। लोक नृत्य, क्षेत्र विशेष की संस्कृति एवं रीति-रिवाजों को दर्शाते हैं। ये विशेष रूप से फसल कटाई, उत्सवों आदि के अवसर पर किए जाते हैं। |
शीषर्क
इस पाठ का शीर्षक ‘बिरजू महाराज से साक्षात्कार’ है। यदि आप इस साक्षात्कार को कोई अन्य नाम देना चाहते हैं तो क्या नाम देंगे? आपने यह नाम क्यों सोचा? लिखिए।
उत्तर:-
नया शीर्षक:
“लय और कला: बिरजू महाराज की प्रेरणादायक यात्रा”
कारण:
यह शीर्षक इसलिए चुना गया क्योंकि साक्षात्कार में बिरजू महाराज कथक नृत्य में लय (रिदम) और कला के महत्व पर जोर देते हैं, साथ ही अपने जीवन के संघर्षों और उपलब्धियों को साझा करते हैं। “लय और कला” उनके नृत्य के मूल तत्वों को दर्शाता है, जबकि “प्रेरणादायक यात्रा” उनके कठिन परिश्रम, समर्पण, और कला के प्रति दृष्टिकोण को उजागर करता है। यह शीर्षक पाठ के प्रेरणादायक और कलात्मक स्वरूप को प्रभावी ढंग से व्यक्त करता है, जो पाठकों को उनकी कहानी और कथक की गहराई से जोड़ता है।
सोच-विचार के लिए
1. साक्षात्कार को एक बार पुनः पढ़िए और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
(क) बिरजू महाराज नृत्य का औपचारिक प्रशिक्षण आरंभ होने से पहले ही कथक कैसे सीख गए थे?
उत्तर:- बिरजू महाराज ने अपने पिता अच्छन महाराज और चाचाओं, शंभु महाराज और लच्छू महाराज, को नृत्य करते देखकर और उनके साथ समय बिताकर कथक सीखा। घर में नृत्य और संगीत का माहौल होने से उन्होंने स्वाभाविक रूप से कथक की बारीकियाँ ग्रहण कीं।
(ख) नृत्य सीखने के लिए संगीत की समझ होना क्यों अनिवार्य है?
उत्तर:- बिरजू महाराज के अनुसार, नृत्य और संगीत एक-दूसरे से जुड़े हैं। संगीत की समझ नृत्य को समृद्ध बनाती है क्योंकि नृत्य में लय और ताल का महत्व होता है। गायन और वाद्ययंत्रों की जानकारी से नर्तक की प्रस्तुति प्रभावशाली होती है।
(ग) नृत्य के अतिरिक्त बिरजू महाराज को और किन-किन कार्यों में रुचि थी?
उत्तर:- बिरजू महाराज को हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में गायन, तबला और ढोलक बजाना, कविता लेखन (ब्रजश्याम के नाम से), और चित्रकला में रुचि थी। वे संवेदनशील कवि और वक्ता भी थे।
(घ) बिरजू महाराज ने बच्चों की शिक्षा और रुचियों के बारे में अभिभावकों से क्या कहा है?
उत्तर:- बिरजू महाराज ने कहा कि यदि बच्चों में रुचि हो तो उन्हें लय के साथ खेलने और जीवन जीने की अनुमति देनी चाहिए। नृत्य और संगीत जैसे कला के खेल बौद्धिक विकास, संतुलन, समय का सदुपयोग और अनुशासन सिखाते हैं। बच्चों को प्रकृति का अवलोकन करने की सलाह दी।
2.पाठ में से उन प्रसंगों की पहचानकर उन पर चर्चा कीजिए, जिनसे पता चलता है कि-
(क) बिरजू महाराज बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे।
उत्तर:- बिरजू महाराज की बहुमुखी प्रतिभा निम्नलिखित से स्पष्ट होती है:
- कथक नृत्य में उत्कृष्टता: लखनऊ के कालका-बिंदादिन घराने के प्रमुख नर्तक थे, जिन्होंने कथक को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर नई ऊँचाइयाँ दीं।
- संगीत और गायन: हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में निपुण, ठुमरी, दादरा, भजन, और ग़ज़ल गाते थे; तबला और ढोलक बजा सकते थे।
- कविता और चित्रकला: ब्रजश्याम के नाम से कविताएँ लिखीं और चित्रकला में रुचि थी।
- फिल्मों में कोरियोग्राफी: ‘शतरंज के खिलाड़ी’, ‘देवदास’, और ‘बाजीराव मस्तानी’ में नृत्य कोरियोग्राफी की, जिसके लिए पुरस्कार मिले।
(ख) बिरजू महाराज को नृत्य की ऊँचाइयों तक पहुँचाने में उनकी माँ का बहुत योगदान रहा।
उत्तर:- बिरजू महाराज की माँ का योगदान निम्नलिखित से स्पष्ट होता है:
- प्रारंभिक प्रेरणा: पिता के देहांत के बाद आर्थिक कठिनाइयों में भी नृत्य सीखने के लिए प्रोत्साहित किया और चाचाओं के पास प्रशिक्षण के लिए भेजा।
- संगीत की विरासत: माँ ने संगीतमय रचनाएँ याद रखीं और अनोखी रचनाएँ गाकर साझा कीं, जो उनकी कला को समृद्ध करने में सहायक थीं।
- नैतिक समर्थन: लखनऊ में पैतृक घर में परिवार को एकजुट रखा और कला के प्रति समर्पण का बल दिया।
(ग) बिरजू महाराज महिलाओं के लिए समानता के पक्षधर थे।
उत्तर:- बिरजू महाराज के समानता के समर्थन को निम्नलिखित से समझा जा सकता है:
- लिंग भेदभाव की अनदेखी: कथक में श्रींगार रस के लिए राधा जैसे पात्र स्वयं निभाए, लैंगिक रूढ़ियों को तोड़ा।
- महिलाओं को प्रशिक्षण: कलाश्रम में सास्वती सेन जैसी महिला शिष्यों को प्रशिक्षित किया और समान अवसर दिए।
- सामाजिक मुद्दों पर नृत्य: महिलाओं से संबंधित सामाजिक मुद्दों को नृत्य प्रस्तुतियों के माध्यम से उठाया।
शब्दों की बात
(ख) नीचे दो तबले हैं, एक में कुछ शब्दांश (उपसर्ग व प्रत्यय) हैं, दूसरे तबले में मूल शब्द हैं। इनकी सहायता
से नए शब्द बनाइए –
उत्तर:-
उपसर्ग/प्रत्यय | मूल शब्द | नया शब्द |
---|---|---|
आ | मर्म | आमर्म |
अ | मर्म | अमर्म |
ईय | राष्ट्र | राष्ट्रीय |
सु | श्रम | सुश्रम |
इक | संस्कृति | सांस्कृतिक |
आ | कर्म | आकर्म |
ता | नाम | नामता |
इत | गमन | गमित |
सु | खंड | सुखंड |
अ | साधारण | असाधारण |
(ग) इस पाठ में से उपसर्ग व प्रत्यय की सहायता से बने कुछ और शब्द छाँटकर उनसे वाक्य बनाइए।
उत्तर: शब्द और वाक्य
1. आवरण (उपसर्ग: आ + वरण)
- वाक्य: लय नृत्य को एक आवरण प्रदान करती है, जो इसे और सुंदर बनाती है।
2.अद्भुत (उपसर्ग: अ + द्भुत)
- वाक्य: बिरजू महाराज की कथक प्रस्तुति इतनी अद्भुत थी कि दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए।
3.प्रस्तुति (उपसर्ग: प्र + स्तुति)
- वाक्य: उनकी कथक प्रस्तुति में भाव-भंगिमाओं का अनोखा समावेश था।
4.निपुणता (प्रत्यय: निपुण + ता)
- वाक्य: बिरजू महाराज ने कथक में अपनी निपुणता से विश्व भर में ख्याति प्राप्त की।
5.सांस्कृतिक (प्रत्यय: संस्कृति + इक)
- वाक्य: लोक नृत्य भारत की सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
6.प्रेरणा (उपसर्ग: प्र + ईरणा)
- वाक्य: बिरजू महाराज की माँ ने उन्हें कथक सीखने की प्रेरणा दी।
7.सामर्थ्य (प्रत्यय: समर्थ + य)
- वाक्य: नृत्य और संगीत सीखने का सामर्थ्य प्रत्येक बच्चे में विकसित किया जा सकता है।
8. प्रसिद्ध (उपसर्ग: प्र + सिद्ध)
- वाक्य: बिरजू महाराज एक प्रसिद्ध कथक नर्तक और गुरु थे।
कला का संसार
क) बिरजू महाराज – “कथक की पुरानी परंपरा को तो कायम रखा है। हाँ, उसके प्रस्तुतीकरण में बदलाव किए हैं।” इस कथन को ध्यान में रखते हुए लिखिए कि कथक की प्रस्तुतियों में किस प्रकार के परिवर्तन आए हैं?
उत्तर: बिरजू महाराज ने कथक की पुरानी परंपरा को बनाए रखते हुए इसके प्रस्तुतीकरण में निम्नलिखित बदलाव किए:
- अपने चाचाओं और पिता के खड़े होने व नृत्य करने के अनोखे अंदाज की भाव-भंगिमाओं को कथक में शामिल किया।
- मीर, गालिब, और तुलसीदास जैसे आधुनिक व परंपरागत कवियों की रचनाओं को जोड़ा, जिससे प्रस्तुतियाँ समकालीन और विविध हुईं।
- पहले विस्तृत कथाएँ सुनाई जाती थीं, जैसे गोपियों का पनघट पर जाना; इसे सरल कर दर्शकों की कल्पना पर छोड़ा, जैसे केवल “पनघट की गत” दिखाना।
- सामाजिक मुद्दों और दैनिक जीवन से प्रेरित भावों को शामिल कर कथक को अधिक समावेशी और प्रासंगिक बनाया।
(ख)लोकनृत्य और शास्त्रीय नृत्य में क्या अंतर है? लिखिए। (इस प्रश्न के उत्तर के लिए आप अपने सहपाठियों, अभिभावकों, शिक्षकों, पुस्तकालय या इंटरनेट की सहायता भी ले सकते हैं।)
उत्तर: लोकनृत्य और शास्त्रीय नृत्य में निम्नलिखित अंतर हैं:
- लोकनृत्य सामूहिक होता है और समुदाय द्वारा थकान मिटाने व मनोरंजन के लिए किया जाता है; शास्त्रीय नृत्य एकल या छोटे समूह में दर्शकों के लिए प्रस्तुत होता है।
- लोकनृत्य क्षेत्रीय संस्कृति और उत्सवों (जैसे फसल कटाई) को दर्शाता है; शास्त्रीय नृत्य नियमों, लय, ताल, और भाव की सटीकता पर आधारित है।
- लोकनृत्य में औपचारिक प्रशिक्षण कम होता है और यह सहज सीखा जाता है; शास्त्रीय नृत्य में वर्षों का प्रशिक्षण और गुरु-शिष्य परंपरा अनिवार्य है।
- लोकनृत्य सरल और उत्साहपूर्ण होता है, खुले स्थानों में प्रस्तुत; शास्त्रीय नृत्य मंच पर जटिल भाव-भंगिमाओं व तकनीक के साथ होता है।
- उदाहरण: लोकनृत्य – भांगड़ा, गरबा; शास्त्रीय नृत्य – कथक, भरतनाट्यम।
(ग) “बैरगिया नाला जुलुम जोर, नौ कथिक नचावें तीन चोर। जब तबला बोले धीन-धीन, तब एक-एक पर तीन-तीन।” इस पाठ में हरिया गाँव में गाए जाने वाले उपर्युक्त पद का उल्लेख है। आप अपने क्षेत्र में गाए जाने वाले किसी लोकगीत को कक्षा में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर: लोकगीत: “छोटी-छोटी गइया, छोटे-छोटे ग्वाल” (उत्तर भारत, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश का लोकगीत, कृष्ण भक्ति से प्रेरित) गीत की पंक्तियाँ: छोटी-छोटी गइया, छोटे-छोटे ग्वाल, छोटी-सी मथुरा, छोटा-सा रसाल। कान्हा मुरली बजावे, गइया नाचें थिरक-थिरक, गोपियाँ ताली बजावें, धुन में मगन सखी।
प्रस्तुति का तरीका:
- वर्णन: इस गीत को कक्षा में गाकर प्रस्तुत किया जा सकता है, साथ में सरल नृत्य चरण जैसे ताली बजाना या गोपियों की तरह गोल घूमना शामिल किया जा सकता है।
- सांस्कृतिक महत्व: यह गीत भगवान कृष्ण की लीलाओं और ग्रामीण जीवन की सादगी को दर्शाता है, जो उत्तर भारत में उत्सवों और भक्ति समारोहों में गाया जाता है।
- प्रस्तुति: छात्र समूह में गीत गा सकते हैं, और कुछ छात्र नृत्य के साथ इसे जीवंत कर सकते हैं।
साक्षात्कार की रचना
(क) साक्षात्कार से पहले क्या-क्या तैयारियाँ की गई होंगी?
उत्तर: साक्षात्कार से पहले निम्नलिखित तैयारियाँ की गई होंगी:
- बिरजू महाराज के जीवन और कार्य पर शोध: साक्षात्कारकर्ताओं ने उनके कथक नृत्य में योगदान, लखनऊ घराने की पृष्ठभूमि, और उनकी उपलब्धियों (जैसे पद्मविभूषण, फिल्म कोरियोग्राफी) के बारे में जानकारी एकत्र की होगी।
- प्रश्नों का ढाँचा तैयार करना: बच्चों के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए सरल, प्रासंगिक, और व्यक्तिपरक प्रश्न बनाए गए, जैसे उनके बचपन, गुरुओं, और कथक की परंपरा के बारे में।
- सांस्कृतिक संदर्भ का अध्ययन: कथक, हिंदुस्तानी संगीत, और भारतीय नृत्य परंपराओं की समझ विकसित की गई होगी ताकि प्रश्न गहन और सटीक हों।
- साक्षात्कार का माहौल: बच्चों के साथ बातचीत के लिए अनौपचारिक और प्रेरणादायक माहौल तैयार किया गया होगा, ताकि बिरजू महाराज खुलकर अपने अनुभव साझा कर सकें।
- तकनीकी व्यवस्था: साक्षात्कार को रिकॉर्ड करने या नोट्स लेने के लिए उपकरण (जैसे नोटपैड, रिकॉर्डर) तैयार किए गए होंगे।
(ख) आप इस साक्षात्कार में और क्या-क्या प्रश्न जोड़ना चाहेंगे?
उत्तर: मैं निम्नलिखित प्रश्न जोड़ना चाहूँगा:
- कथक को वैश्विक मंच पर ले जाने में आपको किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
- आज के युवाओं को कथक और शास्त्रीय कला के प्रति आकर्षित करने के लिए क्या उपाय सुझाएँगे?
- आपने अपनी बेटियों को कथक सिखाया; क्या आपने उनके लिए कोई विशेष तकनीक या दृष्टिकोण अपनाया?
- कथक में आधुनिक तकनीक (जैसे डिजिटल मंच, वीडियो) का उपयोग कैसे किया जा सकता है?
- आपके जीवन का सबसे यादगार कथक प्रदर्शन कौन-सा रहा और क्यों?
ये प्रश्न बिरजू महाराज के वैश्विक प्रभाव, समकालीन प्रासंगिकता, और व्यक्तिगत अनुभवों को और गहराई से जानने में मदद करेंगे।
(ग) यह साक्षात्कार एक सुप्रसिद्ध कलाकार का है। यदि आपको किसी सब्जी विक्रेता, रिक्शा चालक, घरेलू सहायक या सहायिका का साक्षात्कार लेना हो तो आपके प्रश्न किस प्रकार के होंगे?
उत्तर: सब्जी विक्रेता, रिक्शा चालक, या घरेलू सहायक के साक्षात्कार के लिए प्रश्न उनके दैनिक जीवन, चुनौतियों, और व्यक्तिगत अनुभवों पर केंद्रित होंगे। उदाहरण:
- आपने यह काम शुरू करने का फैसला कैसे और क्यों किया?
- आपके दैनिक जीवन में सबसे बड़ी चुनौती क्या है, और आप उसका सामना कैसे करते हैं?
- क्या कोई ऐसा अनुभव है जो आपके काम को आपके लिए खास बनाता है?
- आपके परिवार और समुदाय का आपके काम में क्या योगदान है?
- क्या आप अपने बच्चों के लिए कोई खास सपना देखते हैं, और उसे कैसे पूरा करना चाहते हैं?
ये प्रश्न उनके जीवन, संघर्षों, और आकांक्षाओं को समझने पर केंद्रित हैं, जो उनके पेशे की साधारणता को प्रेरणादायक बनाते हैं।
आज की पहेली
उत्तर:-
रूपक
लक्ष्मी
दादरा
झूमरा
तिलवाड़ा
दीपचंदी
कहरवा
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