माँ, कह एक कहानी – सारांश
यह कविता “माँ, कह एक कहानी” मैथिलीशरण गुप्त द्वारा लिखी गई है और उनकी किताब यशोधरा से ली गई है। यह कविता माँ यशोधरा और उनके बेटे राहुल के बीच बातचीत के रूप में है। इसमें राहुल अपनी माँ से बार-बार कहानी सुनने की जिद करता है। माँ उसे एक ऐसी कहानी सुनाती है जिसमें प्रकृति, दया, और न्याय की बातें हैं।
कहानी में एक सुंदर बगीचे का वर्णन है जहाँ राहुल के पिता (सिद्धार्थ) सुबह टहलने जाते थे। वहाँ फूल खिले थे, हवा चल रही थी, और पानी लहरा रहा था। तभी एक शिकारी ने तीर चलाकर एक हंस को घायल कर दिया। राहुल के पिता ने उस हंस को बचाया और उसकी देखभाल की। लेकिन शिकारी ने हंस को माँगा, जिससे दोनों में विवाद हो गया। यह मामला न्यायालय तक पहुँचा। माँ राहुल से पूछती है कि वह इस स्थिति में क्या निर्णय लेगा। राहुल कहता है कि जो निर्दोष को मारता है, उसे सजा मिलनी चाहिए, और बचाने वाले का साथ देना चाहिए। इस तरह वह दया और न्याय का समर्थन करता है।
इस कविता से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा सही और गलत की समझ होनी चाहिए। दया और न्याय के साथ फैसले लेने चाहिए। कविता में माँ और बेटे का प्यार भरा रिश्ता भी दिखता है, जहाँ माँ अपने बेटे को अच्छे मूल्य सिखाती है।
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