Summary For All Chapters – Hindi Malhar Class 7
मीरा के पद – सारांश
कविता “मीरा के पद” में संत और महान कवयित्री मीराबाई के दो सुंदर भक्ति भजन प्रस्तुत किए गए हैं, जो लगभग 500 साल पहले रचे गए थे। ये भजन श्रीकृष्ण के प्रति मीरा की गहरी भक्ति और प्रेम को दर्शाते हैं। पहले भजन, “बसो मेरे नैनन में नंदलाल,” में मीरा श्रीकृष्ण की मोहक छवि का वर्णन करती हैं। वे कृष्ण की साँवली मूर्ति, विशाल आँखें, बांसुरी की मधुर धुन, वैजयंती माला, कमर की घंटिकाएँ और पैरों के नूपुर की मधुर ध्वनियों का चित्रण करती हैं। मीरा कहती हैं कि उनके प्रभु संतों को सुख देने वाले और भक्तों से प्रेम करने वाले गोपाल हैं। दूसरे भजन, “बरसे बदरिया सावन की,” में मीरा सावन की वर्षा का सुंदर चित्रण करती हैं। सावन का मौसम उनके मन में उमंग और आनंद जगाता है, क्योंकि उन्हें लगता है कि बादल और बिजली श्रीकृष्ण के आने की सूचना दे रहे हैं। नन्हीं-नन्हीं बूंदें, ठंडी हवा और चारों दिशाओं से उमड़ते बादल उनके मन को हरि भक्ति में डुबो देते हैं। मीरा अपने प्रभु गिरधरनागर के लिए आनंद और मंगल के गीत गाती हैं।
पाठ में बताया गया है कि मीरा एक राजकुमारी थीं, लेकिन उन्होंने भक्ति का रास्ता चुना और महलों को छोड़कर तीर्थ यात्राएँ कीं। वे मंदिरों में भजन गाती थीं और संतों के साथ सत्संग करती थीं। उनके भजन आज भी लोग प्रेम और श्रद्धा से गाते हैं। पाठ में कई गतिविधियाँ दी गई हैं, जैसे प्रश्नोत्तर, शब्दों के अर्थ समझना, पंक्तियों पर चर्चा, और रचनात्मक कार्य, जो बच्चों को मीरा की भक्ति और कविता की विशेषताओं को समझने में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए, “नंदलाल,” “गिरधर,” और “वैजयंती माला” जैसे शब्दों के अर्थ समझाए गए हैं। इसके अलावा, सावन के मौसम, त्योहारों, और मधुर ध्वनियों से जुड़े कार्य बच्चों को प्रकृति और संस्कृति से जोड़ते हैं। पाठ में मुहावरों, जैसे “आँखों में बस जाना,” और सूरदास जैसे अन्य भक्त कवियों की रचनाओं की खोज को भी प्रोत्साहित किया गया है।
मुख्य संदेश: मीरा के भजन हमें श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति, प्रेम, और प्रकृति के सौंदर्य का आनंद लेना सिखाते हैं। वे हमें सिखाती हैं कि सच्ची भक्ति और प्रेम से जीवन को आनंदमय बनाया जा सकता है।
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