फूल और काँटा – सारांश
यह कविता अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्वारा लिखी गई है, जो बच्चों के लिए कई रोचक कविताएँ लिखने के लिए प्रसिद्ध हैं। इस कविता में फूल और काँटे के माध्यम से लोगों के स्वभाव और गुणों की तुलना की गई है।
कविता बताती है कि फूल और काँटा एक ही पौधे पर उगते हैं और उन्हें एक जैसी देखभाल मिलती है, जैसे एक ही बारिश, हवा और चाँदनी। लेकिन उनके गुण बिल्कुल अलग हैं। काँटा उंगलियों को चुभता है, कपड़े फाड़ता है और लोगों को परेशान करता है। वहीं, फूल अपनी सुंदरता, सुगंध और रंगों से सबको खुशी देता है। यह कविता हमें सिखाती है कि एक ही जगह पर रहने वाले लोग अलग-अलग स्वभाव के हो सकते हैं।
कविता का मुख्य संदेश है कि व्यक्ति का सम्मान उसके कुल (परिवार) की वजह से नहीं, बल्कि उसके अच्छे गुणों और कर्मों से मिलता है। जैसे फूल और काँटा एक ही पौधे पर होते हुए भी अलग हैं, वैसे ही लोगों का बड़प्पन उनके व्यवहार और अच्छे कामों से तय होता है, न कि उनके जन्म या परिवार से।
कविता में कई गतिविधियाँ भी दी गई हैं, जैसे:
- फूल और काँटे की समानताओं और अंतरों पर चर्चा करना।
- कविता की पंक्तियों का अर्थ समझना।
- फूल और काँटे को प्रतीक के रूप में देखकर उनके गुणों पर विचार करना।
- चित्र बनाना, संवाद लिखना और वाद-विवाद जैसी गतिविधियों के माध्यम से कविता को और गहराई से समझना।
इसके अलावा, कुछ पेड़-पौधों (जैसे गुलाब, बबूल, नीबू) के बारे में जानकारी दी गई है, जिनमें फूल और काँटे दोनों होते हैं, और उनकी विशेषताओं को बताया गया है। यह कविता बच्चों को यह समझाने में मदद करती है कि हर व्यक्ति के गुण और स्वभाव अलग हो सकते हैं, और हमें दूसरों को उनके अच्छे कामों के आधार पर महत्व देना चाहिए।
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