Short Questions
प्रश्न: भारतेंदु हरिश्चंद्र ने हरिद्वार यात्रा कब की थी?
उत्तर: 1871 ई. में।
प्रश्न: हरिद्वार में गंगा की दो धाराओं के क्या नाम हैं?
उत्तर: नील धारा और श्री गंगा।
प्रश्न: हरिद्वार का एक प्रसिद्ध घाट कौन-सा है?
उत्तर: हरि की पैड़ी।
प्रश्न: लेखक ने हरिद्वार की कुशा को कैसी बताया है?
उत्तर: सुगंधमय और विलक्षण।
प्रश्न: हरिद्वार के कितने मुख्य तीर्थ हैं?
उत्तर: पाँच।
प्रश्न: लेखक ने वृक्षों की तुलना किससे की है?
उत्तर: साधुओं से।
प्रश्न: हरिद्वार में लेखक कहाँ ठहरे थे?
उत्तर: दीवान कृपा राम के बंगले पर।
प्रश्न: गंगा जल को लेखक ने कैसा बताया है?
उत्तर: शीतल और मिष्ट।
प्रश्न: हरिद्वार में चण्डिका देवी की मूर्ति कहाँ है?
उत्तर: चुटीले पर्वत के शिखर पर।
प्रश्न: लेखक ने अपनी यात्रा का वर्णन किस पत्रिका के लिए लिखा?
उत्तर: कविवचन सुधा।
Long Questions
प्रश्न: भारतेंदु हरिश्चंद्र ने हरिद्वार की प्रकृति का वर्णन कैसे किया है?
उत्तर: उन्होंने हरिद्वार को हरे-भरे पर्वतों, लहलहाती वल्लियों, चहचहाते पक्षियों और कलकल बहती गंगा से सुशोभित बताया। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और शांति ने उनके मन को प्रसन्न और निर्मल किया।
प्रश्न: लेखक ने वृक्षों को सज्जनों से क्यों तुलना की है?
उत्तर: वृक्ष अपनी उदारता से फल, फूल, छाया आदि देते हैं, जैसे सज्जन लोग बिना स्वार्थ के दूसरों की मदद करते हैं। लेखक ने उनकी इस निस्वार्थ सेवा को सज्जनों की भाँति बताया।
प्रश्न: हरिद्वार में लेखक के मन में कौन-से भाव जागृत हुए?
उत्तर: लेखक के मन में ज्ञान, वैराग्य और भक्ति के भाव बार-बार जागृत हुए। यहाँ की पवित्रता और शांति ने उनके आध्यात्मिक अनुभव को गहरा किया।
प्रश्न: “पत्थर पर का भोजन का सुख सोने की थाल से बढ़कर था” से लेखक का क्या आशय है?
उत्तर: लेखक का कहना है कि गंगा तट पर सादगी से किया गया भोजन प्रकृति की निकटता के कारण अत्यंत सुखद था। यह सुख भौतिक वैभव से अधिक मूल्यवान था।
प्रश्न: हरिद्वार के पंडों को लेखक ने कैसा बताया है?
उत्तर: लेखक ने पंडों को विलक्षण संतोषी बताया, जो एक पैसे को लाख मानकर संतुष्ट रहते हैं। यह उनकी सादगी और संतोष की भावना को दर्शाता है।
प्रश्न: हरिद्वार के प्राकृतिक सौंदर्य को लेखक ने किन तुलनाओं से व्यक्त किया है?
उत्तर: लेखक ने हरियाली को हरे गलीचे, गंगा की धारा को भगीरथ की कीर्ति और वृक्षों को तपस्वी साधुओं से तुलना की। ये तुलनाएँ प्रकृति की सुंदरता को चित्रात्मक बनाती हैं।
प्रश्न: लेखक ने हरिद्वार को पुण्यभूमि क्यों कहा है?
उत्तर: हरिद्वार की पवित्र गंगा, शांत वातावरण और आध्यात्मिक अनुभवों के कारण लेखक ने इसे पुण्यभूमि कहा। यहाँ प्रवेश करते ही मन शुद्ध और प्रसन्न हो जाता है।
प्रश्न: पत्र में लेखक ने गंगा के जल की विशेषताएँ कैसे बताई हैं?
उत्तर: लेखक ने गंगा जल को शीतल, मिष्ट, स्वच्छ और श्वेत बताया, जो चीनी के पानी को बर्फ में जमाने जैसा है। यह जल पवित्र और मन को शांति देने वाला है।
प्रश्न: हरिद्वार में लेखक ने किन गतिविधियों का आनंद लिया?
उत्तर: लेखक ने गंगा स्नान, श्री भागवत का पारायण और गंगा तट पर भोजन का आनंद लिया। ये गतिविधियाँ उनके आध्यात्मिक और प्राकृतिक अनुभव को समृद्ध करती हैं।
प्रश्न: “आदरार्थ बहुवचन” का प्रयोग लेखक ने कैसे किया है?
उत्तर: लेखक ने गंगा को आदर देने के लिए एकवचन संज्ञा के साथ “हैं” का प्रयोग किया, जैसे “गंगा जी देवता हैं”। यह आदर और श्रद्धा को दर्शाता है।
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