प्रश्न 1: कबीर के दोहों का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: कबीर के दोहे जीवन की सच्चाई को समझाने और लोगों को अच्छा मनुष्य बनने की प्रेरणा देने के लिए हैं। वे नैतिकता, सत्य, संतुलन और विवेक जैसे जीवन मूल्यों पर जोर देते हैं।
प्रश्न 2: “साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप।” इस दोहे का क्या अर्थ है?
उत्तर: इस दोहे में कबीर कहते हैं कि सत्य का पालन करना सबसे बड़ा तप है और झूठ बोलना सबसे बड़ा पाप है। जो व्यक्ति सत्यनिष्ठ है, उसके हृदय में स्वयं गुरु का वास होता है।
प्रश्न 3: “गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागौं पाँय।” इस दोहे में गुरु को गोविंद से ऊपर क्यों माना गया है?
उत्तर: इस दोहे में कबीर कहते हैं कि गुरु और गोविंद (ईश्वर) दोनों सामने खड़े हों तो गुरु के चरणों में प्रणाम करना चाहिए, क्योंकि गुरु ही हमें ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग दिखाते हैं।
प्रश्न 4: “अति का भला न बोलना, अति का भला न चूप।” इस दोहे का मूल संदेश क्या है?
उत्तर: इस दोहे का मूल संदेश यह है कि जीवन में हर चीज में संतुलन आवश्यक है। न तो बहुत ज्यादा बोलना अच्छा है और न ही पूरी तरह चुप रहना। संतुलित व्यवहार ही उचित है।
प्रश्न 5: “बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर।” इस दोहे में खजूर के पेड़ की तुलना किससे की गई है और क्यों?
उत्तर: इस दोहे में खजूर के पेड़ की तुलना उन लोगों से की गई है जो बड़े या संपन्न तो हैं, लेकिन दूसरों के लिए उपयोगी नहीं हैं। जैसे खजूर का पेड़ छाया और फल आसानी से नहीं देता, वैसे ही ऐसे लोग दूसरों की मदद नहीं करते।
प्रश्न 6: “ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय।” इस दोहे के अनुसार मधुर वाणी का क्या लाभ है?
उत्तर: मधुर वाणी बोलने से दूसरों को और स्व स्वयं को मानसिक शांति मिलती है। यह वाणी मन के अहंकार को दूर करती है और सभी को सुख देती है।
प्रश्न 7: “निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय।” इस दोहे में कबीर ने आलोचकों के बारे में क्या कहा है?
उत्तर: कबीर कहते हैं कि आलोचकों को अपने पास रखना चाहिए, क्योंकि वे हमारी कमियों को बताते हैं। इससे हम अपने स्वभाव को बिना किसी खर्च के सुधार सकते हैं, जैसे साबुन और पानी के बिना सफाई हो।
प्रश्न 8: “साधू ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय।” इस दोहे में सूप किसका प्रतीक है और इसका क्या अर्थ है?
उत्तर: इस दोहे में सूप विवेक और सूझबूझ का प्रतीक है। कबीर कहते हैं कि साधु को सूप की तरह होना चाहिए, जो अच्छे और बुरे को छान लेता है, अर्थात् साधु को अच्छाई को ग्रहण करना और बुराई को त्यागना चाहिए।
प्रश्न 9: “कबिरा मन पंछी भया, भावै तहवाँ जाय।” इस दोहे में मन की तुलना किससे की गई है और इसका क्या संदेश है?
उत्तर: इस दोहे में मन की तुलना पक्षी से की गई है, जो स्वतंत्र रूप से कहीं भी जा सकता है। इसका संदेश है कि व्यक्ति की संगति उसके विचारों और कर्मों को प्रभावित करती है, इसलिए अच्छी संगति चुननी चाहिए।
प्रश्न 10: कबीर के दोहों की रचना में कौन-सी विशेषता सबसे ज्यादा प्रभावशाली है?
उत्तर: कबीर के दोहों की सबसे प्रभावशाली विशेषता उनकी सादगी, गहरे अर्थ और समान लय है। प्रत्येक पंक्ति में एक जैसा समय लगता है, और शब्दों का चयन ऐसा है कि वे आम लोगों को भी गहरे जीवन सत्य समझा देते हैं।
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