1. प्रश्न: कविता “आदमी का अनुपात” का मुख्य विषय क्या है?
उत्तर: कविता का मुख्य विषय मानव की लघुता और ब्रह्मांड की विशालता के बीच अनुपात को दर्शाना है। यह बताती है कि मानव ब्रह्मांड की तुलना में बहुत छोटा है, फिर भी वह अपनी नकारात्मक भावनाओं जैसे ईर्ष्या, अहंकार और स्वार्थ के कारण स्वयं को बड़ा समझता है और दीवारें खड़ी करता है।
2. प्रश्न: कविता में मानव का स्थान ब्रह्मांड की तुलना में कैसा बताया गया है?
उत्तर: कविता में मानव का स्थान ब्रह्मांड की तुलना में अत्यंत सूक्ष्म (छोटा) बताया गया है। पंक्ति “अनगिन नक्षत्रों में / पृथ्वी एक छोटी / करोड़ों में एक ही” यह दर्शाती है कि पृथ्वी और उस पर रहने वाला मानव ब्रह्मांड में बहुत छोटा है।
3. प्रश्न: कविता के अनुसार मानव किन नकारात्मक भावनाओं में लिप्त रहता है?
उत्तर: कविता के अनुसार मानव ईर्ष्या, अहंकार, स्वार्थ, घृणा और अविश्वास जैसी नकारात्मक भावनाओं में लिप्त रहता है। ये भावनाएँ उसे दूसरों से अलग करती हैं और दीवारें खड़ी करती हैं।
4. प्रश्न: पंक्ति “संख्यातीत शंख सी दीवारें उठाता है” का क्या अर्थ है?
उत्तर: इस पंक्ति का अर्थ है कि मानव अपनी नकारात्मक भावनाओं और अहंकार के कारण अनगिनत (संख्यातीत) और विशाल (शंख सी) दीवारें खड़ी करता है। ये दीवारें सामाजिक, मानसिक और भावनात्मक अलगाव का प्रतीक हैं, जो लोगों को एक-दूसरे से अलग करती हैं।
5. प्रश्न: कविता में “एक कमरे में दो दुनिया रचाता है” से क्या तात्पर्य है?
उत्तर: इस पंक्ति का तात्पर्य है कि मानव अपनी नकारात्मक प्रवृत्तियों के कारण छोटे से स्थान, जैसे एक कमरे में भी, मतभेद और अलगाव की दो अलग-अलग दुनियाएँ बना लेता है। यह मानव की संकुचित सोच और विभाजनकारी व्यवहार को दर्शाता है।
6. प्रश्न: कविता में ‘नभ गंगा’ शब्द का प्रयोग क्यों किया गया है?
उत्तर: ‘नभ गंगा’ शब्द का प्रयोग आकाशगंगा (मिल्की वे) के लिए किया गया है। यह ब्रह्मांड की विशालता और उसकी सुंदरता को दर्शाता है। कवि ने इसे काव्यात्मक रूप से ‘नभ गंगा’ कहा ताकि पाठक इसकी विशालता और पवित्रता को महसूस कर सकें।
7. प्रश्न: कविता के अनुसार मानव का सबसे बड़ा दोष क्या है?
उत्तर: कविता के अनुसार मानव का सबसे बड़ा दोष यह है कि वह अपने छोटेपन को भूलकर अहंकारी हो जाता है और दूसरों पर शासन करने की इच्छा रखता है। वह अपनी सीमाओं को नहीं समझता और अनावश्यक दीवारें खड़ी करता है।
8. प्रश्न: कविता में ब्रह्मांड की विशालता को किन पंक्तियों से दर्शाया गया है?
उत्तर: ब्रह्मांड की विशालता को निम्नलिखित पंक्तियों से दर्शाया गया है:
“अनगिन नक्षत्रों में / पृथ्वी एक छोटी / करोड़ों में एक ही”
“लाखों ब्रह्मांडों में / अपना एक ब्रह्मांड”
“हर ब्रह्मांड में / कितनी ही पृथ्वियाँ / कितनी ही भूमियाँ / कितनी ही सृष्टियाँ”
ये पंक्तियाँ ब्रह्मांड की असीमता और पृथ्वी की तुलना में उसकी विशालता को दिखाती हैं।
9. प्रश्न: कवि गिरिजा कुमार माथुर ने इस कविता में किस भाव को व्यक्त किया है?
उत्तर: कवि ने इस कविता में करुणा और चिंता के साथ-साथ हल्के व्यंग्य का भाव व्यक्त किया है। वे मानव की लघुता और उसकी नकारात्मक प्रवृत्तियों पर चिंता जताते हैं, लेकिन क्रोध के बजाय करुणामय दृष्टिकोण अपनाते हैं, जो पाठक को सोचने पर मजबूर करता है।
10. प्रश्न: यदि आपको कविता की एक पंक्ति चुननी हो जो आपको प्रेरित करे, तो आप कौन-सी पंक्ति चुनेंगे और क्यों?
उत्तर: मैं पंक्ति “एक कमरे में / दो दुनिया रचाता है” चुनूँगा। यह पंक्ति मुझे प्रेरित करती है क्योंकि यह हमें सिखाती है कि हमें अपनी छोटी-छोटी सोच और मतभेदों को छोड़कर एकता और सहयोग की भावना अपनानी चाहिए। यह पंक्ति हमें याद दिलाती है कि हमें दीवारें नहीं, बल्कि पुल बनाना चाहिए।
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