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MCQ बस की यात्रा Chapter 2 Hindi Class 8 Vasant हिंदी

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MCQ’s For All Chapters – Hindi Class 8th

Loading

1. कुल कितने लोग शाम की बस से यात्रा करने वाले थे?

Question 1 of 27

2. इस पाठ के लेखक कौन हैं?

Question 2 of 27

3. पन्ना से सतना के लिए बस कितनी देर बाद मिलती है?

Question 3 of 27

4. यह बस कहाँ की ट्रेन मिला देती है?

Question 4 of 27

5. उस बस में कंपनी के कौन सवार थे?

Question 5 of 27

6. इस पाठ में गांधी जी के किस आंदोलन का उल्लेख है?

Question 6 of 27

7. लेखक हरे-भरे पेड़ों को क्या समझता था?

Question 7 of 27

8. ‘उत्सर्ग’ शब्द कैसा है?

Question 8 of 27

9. ‘फर्स्ट क्लास’ शब्द निम्नलिखित में से किस प्रकार का शब्द है-

Question 9 of 27

10. हम पाँच मित्रों ने तय किया कि शाम चार बजे की बस से चलें। पन्ना से इसी कंपनी की बस सतना के लिए घंटे भर बाद मिलती है जो जबलपुर की ट्रेन मिला देती है। सुबह घर पहुँच जाएँगे। हम में से दो को सुबह काम पर हाज़िर होना था इसीजिए वापसी का यही रास्ता अपनाना ज़रूरी था। लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफ़र नहीं करते। क्या रास्ते में डाकू. मिलते हैं ? नहीं, बस डाकिन है।बस को देखा तो श्रद्धा उमड़ पड़ी। खूब वयोवृद्ध थी। सदियों के अनुभव के निशान लिए हुए थी। लोग इसलिए इससे सफ़र नहीं करना चाहते कि वृद्धावस्था में इसे कष्ट होगा। 

उपर्युक्त गद्यांश के पाठ का नाम और लेखक का नाम लिखिए।

Question 10 of 27

11. हम पाँच मित्रों ने तय किया कि शाम चार बजे की बस से चलें। पन्ना से इसी कंपनी की बस सतना के लिए घंटे भर बाद मिलती है जो जबलपुर की ट्रेन मिला देती है। सुबह घर पहुँच जाएँगे। हम में से दो को सुबह काम पर हाज़िर होना था इसीजिए वापसी का यही रास्ता अपनाना ज़रूरी था। लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफ़र नहीं करते। क्या रास्ते में डाकू. मिलते हैं ? नहीं, बस डाकिन है।बस को देखा तो श्रद्धा उमड़ पड़ी। खूब वयोवृद्ध थी। सदियों के अनुभव के निशान लिए हुए थी। लोग इसलिए इससे सफ़र नहीं करना चाहते कि वृद्धावस्था में इसे कष्ट होगा। 

लेखक के मन में बस को देखकर कैसा भाव उमड़ा?

Question 11 of 27

12. हम पाँच मित्रों ने तय किया कि शाम चार बजे की बस से चलें। पन्ना से इसी कंपनी की बस सतना के लिए घंटे भर बाद मिलती है जो जबलपुर की ट्रेन मिला देती है। सुबह घर पहुँच जाएँगे। हम में से दो को सुबह काम पर हाज़िर होना था इसीजिए वापसी का यही रास्ता अपनाना ज़रूरी था। लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफ़र नहीं करते। क्या रास्ते में डाकू. मिलते हैं ? नहीं, बस डाकिन है।बस को देखा तो श्रद्धा उमड़ पड़ी। खूब वयोवृद्ध थी। सदियों के अनुभव के निशान लिए हुए थी। लोग इसलिए इससे सफ़र नहीं करना चाहते कि वृद्धावस्था में इसे कष्ट होगा। 

लेखक और उसके मित्रों को कहाँ जाना था?

Question 12 of 27

13. हम पाँच मित्रों ने तय किया कि शाम चार बजे की बस से चलें। पन्ना से इसी कंपनी की बस सतना के लिए घंटे भर बाद मिलती है जो जबलपुर की ट्रेन मिला देती है। सुबह घर पहुँच जाएँगे। हम में से दो को सुबह काम पर हाज़िर होना था इसीजिए वापसी का यही रास्ता अपनाना ज़रूरी था। लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफ़र नहीं करते। क्या रास्ते में डाकू. मिलते हैं ? नहीं, बस डाकिन है।बस को देखा तो श्रद्धा उमड़ पड़ी। खूब वयोवृद्ध थी। सदियों के अनुभव के निशान लिए हुए थी। लोग इसलिए इससे सफ़र नहीं करना चाहते कि वृद्धावस्था में इसे कष्ट होगा। 

यात्री इस बस में सफ़र क्यों नहीं करना चाहते थे?

Question 13 of 27

14. समझदार आदमी में समझदार शब्द है

Question 14 of 27

15. इंजन सचमुच स्टार्ट हो गया। ऐसा, जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं। काँच बहुत कम बचे थे। जो बचे थे, उनसे हमें बचना था। हम फ़ौरन खिड़की से दूर सरक गए। इंजन चल रहा था। हमें लग रहा था कि हमारी सीट के नीचे इंजन है। बस सचमुच चल पड़ी और हमें लगा कि यह गांधी जी के असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलनों के वक्त अवश्य जवान रही होगी। उसे ट्रेनिंग मिल चुकी थी। हर हिस्सा दूसरे से असहयोग कर रहा था। पूरी बस सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौर से गुजर रही थी। सीट का बॉडी से असहयोग चल रहा था। कभी लगता सीट बॉडी को छोड़कर आगे निकल गई है। कभी लगता कि सीट को छोड़कर बाडी आगे भागी जा रही है। आठ-दस मील चलने पर सारे भेदभाव मिट गए। यह समझ में नहीं आता था कि सीट पर हम बैठे हैं या सीट हम पर बैठी है। 

इंजन सचमुच स्टार्ट हो गया वाक्य में लेखक का कहने का अभिप्राय क्या है?

Question 15 of 27

16. इंजन सचमुच स्टार्ट हो गया। ऐसा, जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं। काँच बहुत कम बचे थे। जो बचे थे, उनसे हमें बचना था। हम फ़ौरन खिड़की से दूर सरक गए। इंजन चल रहा था। हमें लग रहा था कि हमारी सीट के नीचे इंजन है। बस सचमुच चल पड़ी और हमें लगा कि यह गांधी जी के असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलनों के वक्त अवश्य जवान रही होगी। उसे ट्रेनिंग मिल चुकी थी। हर हिस्सा दूसरे से असहयोग कर रहा था। पूरी बस सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौर से गुजर रही थी। सीट का बॉडी से असहयोग चल रहा था। कभी लगता सीट बॉडी को छोड़कर आगे निकल गई है। कभी लगता कि सीट को छोड़कर बाडी आगे भागी जा रही है। आठ-दस मील चलने पर सारे भेदभाव मिट गए। यह समझ में नहीं आता था कि सीट पर हम बैठे हैं या सीट हम पर बैठी है। 

लेखक को ऐसा क्यों लग रहा था कि हम इंजन के भीतर बैठे हैं?

Question 16 of 27

17. इंजन सचमुच स्टार्ट हो गया। ऐसा, जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं। काँच बहुत कम बचे थे। जो बचे थे, उनसे हमें बचना था। हम फ़ौरन खिड़की से दूर सरक गए। इंजन चल रहा था। हमें लग रहा था कि हमारी सीट के नीचे इंजन है। बस सचमुच चल पड़ी और हमें लगा कि यह गांधी जी के असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलनों के वक्त अवश्य जवान रही होगी। उसे ट्रेनिंग मिल चुकी थी। हर हिस्सा दूसरे से असहयोग कर रहा था। पूरी बस सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौर से गुजर रही थी। सीट का बॉडी से असहयोग चल रहा था। कभी लगता सीट बॉडी को छोड़कर आगे निकल गई है। कभी लगता कि सीट को छोड़कर बाडी आगे भागी जा रही है। आठ-दस मील चलने पर सारे भेदभाव मिट गए। यह समझ में नहीं आता था कि सीट पर हम बैठे हैं या सीट हम पर बैठी है। 

गद्यांश में बस की दशा के बारे में क्या पता चलता था?

Question 17 of 27

18. इंजन सचमुच स्टार्ट हो गया। ऐसा, जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं। काँच बहुत कम बचे थे। जो बचे थे, उनसे हमें बचना था। हम फ़ौरन खिड़की से दूर सरक गए। इंजन चल रहा था। हमें लग रहा था कि हमारी सीट के नीचे इंजन है। बस सचमुच चल पड़ी और हमें लगा कि यह गांधी जी के असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलनों के वक्त अवश्य जवान रही होगी। उसे ट्रेनिंग मिल चुकी थी। हर हिस्सा दूसरे से असहयोग कर रहा था। पूरी बस सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौर से गुजर रही थी। सीट का बॉडी से असहयोग चल रहा था। कभी लगता सीट बॉडी को छोड़कर आगे निकल गई है। कभी लगता कि सीट को छोड़कर बाडी आगे भागी जा रही है। आठ-दस मील चलने पर सारे भेदभाव मिट गए। यह समझ में नहीं आता था कि सीट पर हम बैठे हैं या सीट हम पर बैठी है। 

आठ-दस मील के बाद बस की चाल में क्या परिवर्तन आया?

Question 18 of 27

19. बस की रफ्तार अब पंद्रह-बीस मील हो गई थी। मुझे उसके किसी हिस्से पर भरोसा नहीं था। ब्रेक फेल हो सकता है, स्टीयरिंग टूट सकता है। प्रकृति के दृश्य बहुत लुभावने थे। दोनों तरफ़ हरे-भरे पेड़ थे जिन पर पक्षी बैठे थे। मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था। जो भी पेड़ आता, डर लगता कि इससे बस टकराएगी। वह निकल जाता तो दूसरे पेड़ का इंतज़ार करता। झील दिखती तो सोचता कि इसमें बस गोता लगा जाएगी। 

अब बस किस रफ्तार से चल रही थी?

Question 19 of 27

20. बस की रफ्तार अब पंद्रह-बीस मील हो गई थी। मुझे उसके किसी हिस्से पर भरोसा नहीं था। ब्रेक फेल हो सकता है, स्टीयरिंग टूट सकता है। प्रकृति के दृश्य बहुत लुभावने थे। दोनों तरफ़ हरे-भरे पेड़ थे जिन पर पक्षी बैठे थे। मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था। जो भी पेड़ आता, डर लगता कि इससे बस टकराएगी। वह निकल जाता तो दूसरे पेड़ का इंतज़ार करता। झील दिखती तो सोचता कि इसमें बस गोता लगा जाएगी। 

लेखक को बस पर भरोसा क्यों नहीं रहा?

Question 20 of 27

21. बस की रफ्तार अब पंद्रह-बीस मील हो गई थी। मुझे उसके किसी हिस्से पर भरोसा नहीं था। ब्रेक फेल हो सकता है, स्टीयरिंग टूट सकता है। प्रकृति के दृश्य बहुत लुभावने थे। दोनों तरफ़ हरे-भरे पेड़ थे जिन पर पक्षी बैठे थे। मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था। जो भी पेड़ आता, डर लगता कि इससे बस टकराएगी। वह निकल जाता तो दूसरे पेड़ का इंतज़ार करता। झील दिखती तो सोचता कि इसमें बस गोता लगा जाएगी। 

लेखक पेड़ों को अपना शत्रु क्यों समझ रहे थे?

Question 21 of 27

22. बस की रफ्तार अब पंद्रह-बीस मील हो गई थी। मुझे उसके किसी हिस्से पर भरोसा नहीं था। ब्रेक फेल हो सकता है, स्टीयरिंग टूट सकता है। प्रकृति के दृश्य बहुत लुभावने थे। दोनों तरफ़ हरे-भरे पेड़ थे जिन पर पक्षी बैठे थे। मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था। जो भी पेड़ आता, डर लगता कि इससे बस टकराएगी। वह निकल जाता तो दूसरे पेड़ का इंतज़ार करता। झील दिखती तो सोचता कि इसमें बस गोता लगा जाएगी। 

लेखक को बस डूबने का डर कहाँ सताने लगा?

Question 22 of 27

23. बस की रफ्तार अब पंद्रह-बीस मील हो गई थी। मुझे उसके किसी हिस्से पर भरोसा नहीं था। ब्रेक फेल हो सकता है, स्टीयरिंग टूट सकता है। प्रकृति के दृश्य बहुत लुभावने थे। दोनों तरफ़ हरे-भरे पेड़ थे जिन पर पक्षी बैठे थे। मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था। जो भी पेड़ आता, डर लगता कि इससे बस टकराएगी। वह निकल जाता तो दूसरे पेड़ का इंतज़ार करता। झील दिखती तो सोचता कि इसमें बस गोता लगा जाएगी। 

गद्यांश में लेखक ने सड़क के दोनों किनारे का दृश्य कैसे प्रस्तुत किया है?

Question 23 of 27

24. एक पुलिया के ऊपर पहुँचे ही थे कि एक टायर फिस्स करके बैठ गया। वह बहुत ज़ोर से हिलकर थम गई। अगर स्पीड में होती तो उछलकर नाले में गिर जाती। मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ़ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा। वह टायरों की हालत जानते हैं फिर भी जान हथेली पर लेकर इसी बस से सफ़र कर रहे हैं। उत्सर्ग की ऐसी भावना दुर्लभ है। सोचा, इस आदमी के साहस और बलिदान भावना का सही उपयोग नहीं हो रहा है। इसे तो किसी क्रांतिकारी आंदोलन का नेता होना चाहिए। अगर बस नाले में गिर पड़ती और हम सब मर जाते तो देवता बाँहें पसारे उसका इंतज़ार करते। 

बस कहाँ खराब हो गई?

Question 24 of 27

25. एक पुलिया के ऊपर पहुँचे ही थे कि एक टायर फिस्स करके बैठ गया। वह बहुत ज़ोर से हिलकर थम गई। अगर स्पीड में होती तो उछलकर नाले में गिर जाती। मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ़ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा। वह टायरों की हालत जानते हैं फिर भी जान हथेली पर लेकर इसी बस से सफ़र कर रहे हैं। उत्सर्ग की ऐसी भावना दुर्लभ है। सोचा, इस आदमी के साहस और बलिदान भावना का सही उपयोग नहीं हो रहा है। इसे तो किसी क्रांतिकारी आंदोलन का नेता होना चाहिए। अगर बस नाले में गिर पड़ती और हम सब मर जाते तो देवता बाँहें पसारे उसका इंतज़ार करते। 

लेखक ने बस कंपनी के हिस्सेदार को किस भाव से देखा?

Question 25 of 27

26. एक पुलिया के ऊपर पहुँचे ही थे कि एक टायर फिस्स करके बैठ गया। वह बहुत ज़ोर से हिलकर थम गई। अगर स्पीड में होती तो उछलकर नाले में गिर जाती। मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ़ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा। वह टायरों की हालत जानते हैं फिर भी जान हथेली पर लेकर इसी बस से सफ़र कर रहे हैं। उत्सर्ग की ऐसी भावना दुर्लभ है। सोचा, इस आदमी के साहस और बलिदान भावना का सही उपयोग नहीं हो रहा है। इसे तो किसी क्रांतिकारी आंदोलन का नेता होना चाहिए। अगर बस नाले में गिर पड़ती और हम सब मर जाते तो देवता बाँहें पसारे उसका इंतज़ार करते। 

किसके साहस और बलिदान की भावना का दुरुपयोग हो रहा था?

Question 26 of 27

27. एक पुलिया के ऊपर पहुँचे ही थे कि एक टायर फिस्स करके बैठ गया। वह बहुत ज़ोर से हिलकर थम गई। अगर स्पीड में होती तो उछलकर नाले में गिर जाती। मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ़ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा। वह टायरों की हालत जानते हैं फिर भी जान हथेली पर लेकर इसी बस से सफ़र कर रहे हैं। उत्सर्ग की ऐसी भावना दुर्लभ है। सोचा, इस आदमी के साहस और बलिदान भावना का सही उपयोग नहीं हो रहा है। इसे तो किसी क्रांतिकारी आंदोलन का नेता होना चाहिए। अगर बस नाले में गिर पड़ती और हम सब मर जाते तो देवता बाँहें पसारे उसका इंतज़ार करते। 

लेखक के अनुसार क्रांति नेता में कौन से गुण होने चाहिए।

Question 27 of 27

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MCQ बस की यात्रा Class 8 Bus Ki Yatra Chapter 2 Hindi

MCQ
Quiz

Comments

  1. Amishi says:
    May 7, 2025 at 12:30 pm

    Hello everyone
    very nice test…😃😃😃😃😃
    but panna ki bas satna ke ghanto bad milti hai ya ek ghante baad?
    please bataiye

    Reply
  2. Jk boss says:
    May 6, 2025 at 2:01 pm

    This question was intended to contribute to a very interesting and useful part of the paper.

    Reply
  3. Dora says:
    April 30, 2025 at 3:01 pm

    By your this sample paper, my daughter gained 40 out of 40 in exam.

    thanks 🙏🏻❤️

    Reply
  4. Jasleen says:
    November 20, 2024 at 1:54 pm

    It’s so nice 👍👍👍👍

    Reply
  5. PRO ANSH says:
    October 16, 2024 at 1:49 pm

    I have scored 27/27 easy++++++

    Reply
  6. Akshay says:
    October 5, 2024 at 3:29 am

    Mujhe bhi

    Reply
  7. 🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰 says:
    September 29, 2024 at 7:45 am

    This was very helpful and very much better than any practice paper

    Reply
  8. Tauseef says:
    September 25, 2024 at 3:17 am

    Yeh link bahut acchi hai
    App sab iski madad le

    Reply
  9. Divyanshi Singh says:
    September 14, 2024 at 3:11 pm

    Mujhe Hindi padhni hai

    Reply
  10. Santoshi says:
    September 8, 2024 at 3:29 pm

    I scored 27 out of 22.

    ☺🙏🏻

    Reply
  11. Riya says:
    August 31, 2024 at 10:38 am

    I score 27/26 very easy test 😎

    Reply
  12. Kulsum says:
    August 9, 2024 at 5:12 pm

    Very good test for revision and very knowledgeable questions and all’ is very good and excellent 👍🏼

    Reply
  13. Shorya jain says:
    July 23, 2024 at 10:44 am

    Thanks it is good for my quick revision in exam days

    Reply
  14. Nidhi Tiwari says:
    July 19, 2024 at 3:14 pm

    It helps to study for exams

    Reply
  15. SACHI says:
    July 9, 2024 at 12:34 pm

    There are many Questions. Make it short and have only some important questions

    Reply
  16. Nitya sharma says:
    July 3, 2024 at 11:54 am

    I like this, it’s like a quick revision of the chapter, thanks alot.

    Reply
  17. Nisha says:
    March 12, 2024 at 3:10 pm

    Nice 😊 this is useful for students study’s and thanks for this app

    Reply
  18. Sonam says:
    September 21, 2023 at 4:03 pm

    That’s interesting 😊

    Reply
  19. Jsriram says:
    July 23, 2023 at 5:27 pm

    Very interesting

    Reply
  20. Anita Mahapatra says:
    July 9, 2023 at 12:09 pm

    I enjoyed

    Reply

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