कविता का परिचय
शीर्षक: एक आशीर्वाद
कवि: दुष्यंत कुमार
विषय: यह कविता सपनों को प्रोत्साहन देने और उन्हें साकार करने की प्रेरणा देती है। यह एक आशीर्वाद के रूप में है, जिसमें कवि युवाओं को बड़े सपने देखने, आत्मनिर्भर बनने और जीवन की चुनौतियों का सामना करने की प्रेरणा देता है।
कवि परिचय:
- दुष्यंत कुमार हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध रचनाकार हैं।
- जन्म: बिजनौर, उत्तर प्रदेश।
- योगदान: कम समय में हिंदी साहित्य को गज़ल और अन्य रचनाओं से समृद्ध किया।
- प्रमुख रचना: साये में धूप (गज़ल संग्रह)।
- उनकी रचनाएँ दुष्यंत कुमार रचनावली के चार खंडों में प्रकाशित हैं।
कविता का सार
- कविता में कवि युवाओं को संबोधित करते हुए उन्हें बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने के लिए प्रेरित करते हैं।
- सपनों को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो हँसते, मुस्कुराते, गाते और चुनौतियों का सामना करते हैं।
- यह एक आशीर्वाद है, जो आत्मनिर्भरता, साहस और जीवन के प्रति उत्साह को बढ़ावा देता है।
कविता की पंक्तियाँ और उनका अर्थ
1. जा, तेरे स्वप्न बड़े हों:
- अर्थ: कवि आशीर्वाद देता है कि तुम्हारे सपने बड़े और महत्वाकांक्षी हों।
- संदेश: जीवन में ऊँचे लक्ष्य निर्धारित करो।
2. भावना की गोद से उतरकर जल्द पृथ्वी पर चलना सीखें:
- अर्थ: सपनों को केवल कल्पना तक सीमित न रखें, बल्कि वास्तविकता में उतरकर उन्हें साकार करने का प्रयास करें।
- संदेश: व्यावहारिक बनें और अपने सपनों को हकीकत में बदलें।
3. चाँद-तारों-सी अप्राप्य सच्चाइयों के लिए रूठना-मचलना सीखें:
- अर्थ: बड़े और असंभव-से दिखने वाले लक्ष्यों के लिए जिद और मेहनत करें।
- संदेश: कठिन लक्ष्यों को पाने के लिए दृढ़ता और उत्साह जरूरी है।
4. हँसें, मुसकराएँ, गाएँ:
- अर्थ: जीवन में आनंद और उत्साह बनाए रखें, चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों।
- संदेश: सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएँ।
5. हर दीये की रोशनी देखकर ललचाएँ, उँगली जलाएँ:
- अर्थ: ज्ञान और अवसरों की ओर आकर्षित हों, लेकिन चुनौतियों और कष्टों से न डरें।
- संदेश: लक्ष्य प्राप्ति में कठिनाइयों का सामना करने की हिम्मत रखें।
6. अपने पाँवों पर खड़े हों:
- अर्थ: आत्मनिर्भर बनें और अपने दम पर सफलता प्राप्त करें।
- संदेश: स्वावलंबी बनना जीवन का महत्वपूर्ण लक्ष्य है।
Leave a Reply