लेखक परिचय
लेखक: माधवराव सप्रे (1871-1926)।
जन्म स्थान: दमोह (मध्य प्रदेश)।
मातृभाषा: मराठी।
प्रेरणा स्रोत: लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की प्रेरणा से हिंदी साहित्य में आए।
प्रमुख कृतियाँ:
- गीता-रहस्य का मराठी से हिंदी अनुवाद।
- स्वदेशी आंदोलन और बायकॉट।
इस कहानी के बारे में: हिंदी की प्रारंभिक कहानियों में से एक। यह कहानी सामाजिक अन्याय, दया और पश्चाताप जैसे मुद्दों को उठाती है।
कहानी का सारांश
एक अमीर जमींदार के महल के पास एक गरीब अनाथ वृद्धा की झोंपड़ी थी। जमींदार अपने महल का अहाता बढ़ाना चाहता था, इसलिए वृद्धा से झोंपड़ी हटाने को कहा। वृद्धा ने मना कर दिया क्योंकि झोंपड़ी में उसके परिवार की यादें जुड़ी थीं – उसका पति, पुत्र और बहू सब वहीं मर चुके थे। अब केवल उसकी 5 साल की पोती उसका सहारा थी।
जमींदार ने वकीलों को रिश्वत देकर अदालत से झोंपड़ी पर कब्जा कर लिया और वृद्धा को निकाल दिया। वृद्धा कहीं और रहने लगी, लेकिन उसकी पोती ने घर की याद में खाना-पीना छोड़ दिया। वृद्धा जमींदार के पास एक टोकरी लेकर आई और झोंपड़ी की मिट्टी मांगी ताकि उससे चूल्हा बनाकर पोती को रोटी खिलाए। जमींदार ने अनुमति दे दी।
वृद्धा ने मिट्टी भरी और जमींदार से टोकरी उठाने में मदद मांगी। जमींदार ने कोशिश की लेकिन टोकरी नहीं उठी। वृद्धा ने कहा, “एक टोकरी भर मिट्टी नहीं उठती, तो झोंपड़ी की हजारों टोकरियों का भार कैसे उठाओगे?” जमींदार को अपनी गलती का अहसास हुआ, उसने पश्चाताप किया और झोंपड़ी वापस दे दी।
मुख्य पात्र
1. वृद्धा:
- गरीब, अनाथ, दुखी लेकिन समझदार और विनम्र।
- झोंपड़ी से गहरा लगाव, पोती का एकमात्र सहारा।
- चतुराई से जमींदार को सबक सिखाती है।
- प्रभावशाली पात्र: उसकी विनम्रता और बुद्धिमत्ता कहानी का केंद्र है।
2. जमींदार:
- अमीर, घमंडी, धन के मद में अंधा।
- शुरू में क्रूर और अन्यायी, लेकिन अंत में दयालु हो जाता है।
- परिवर्तन: पश्चाताप से झोंपड़ी लौटाता है।
3. वृद्धा की पोती:
- 5 साल की बच्ची, झोंपड़ी से गहरा लगाव।
- खाना छोड़ देती है, जो घर के प्रति मोह दिखाता है।
- महत्वपूर्ण लेकिन पृष्ठभूमि में।
महत्वपूर्ण घटनाएँ
- जमींदार वृद्धा से झोंपड़ी हटाने को कहता है, लेकिन वह मना कर देती है।
- जमींदार अदालत से कब्जा करता है और वृद्धा को निकाल देता है।
- वृद्धा टोकरी लेकर मिट्टी मांगती है पोती के लिए।
- जमींदार टोकरी उठाने की कोशिश करता है लेकिन असफल रहता है।
- वृद्धा का संदेश: अन्याय का भार भारी होता है।
- जमींदार पछताता है और झोंपड़ी लौटाता है।
कहानी का संदेश/नीति
- धन और शक्ति से घमंड न करें, दया और न्याय महत्वपूर्ण हैं।
- अन्याय का बोझ जीवन भर नहीं उठाया जा सकता।
- छोटी-सी घटना से बड़ा सबक मिल सकता है।
- घर और परिवार की यादों का महत्व।
Leave a Reply