Solutions For All Chapters – Hindi Malhar Class 8
पाठ से
मेरी समझ से
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर के सम्मुख तारा (★) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।
(1) “उनके स्वप्न के उत्तराधिकारी आज हम हैं।” इस कथन में रेखांकित शब्द ‘हम’ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
- सुभाषचंद्र बोस के लिए
- देश के तरुण वर्ग के लिए (★)
- चित्तरंजन दास के लिए
- भारतवासियों के लिए (★)
(2) स्वाधीन राष्ट्र का स्वप्न साकार होगा?
- आर्थिक असमानता से
- स्त्री-पुरुष के भिन्न अधिकारों से
- श्रम और कर्म की मर्यादा से (★)
- जातिभेद से
(3) “उनके स्वप्न के उत्तराधिकारी आज हम हैं।” “उत्तराधिकारी” होने से क्या अभिप्राय है?
- हमें उनके स्वप्नों को संजोकर रखना है
- हमें भी उनकी तरह स्वप्न देखने का अधिकार है
- उनके स्वप्नों को पूरा करने के लिए हमें ही कर्म करना है (★)
- उनके स्वप्नों पर चर्चा करने का दायित्व हमारा ही है
(4) जब प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षा और उन्नति का समान अवसर प्राप्त होगा तब-
- राष्ट्र की श्रम-शक्ति बढ़ेगी (★)
- तरुणों का साहस बढ़ेगा
- राष्ट्र स्वाधीन बनेगा (★)
- राष्ट्र स्वप्नदर्शी होगा
(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथी ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
जवाब: मैंने ये उत्तर इसलिए चुने क्योंकि पाठ में सुभाषचंद्र बोस ने अपने स्वप्न को युवाओं और भारतवासियों को सौंपा है। वे चाहते थे कि सभी लोग मिलकर एक समान, स्वाधीन और कर्मठ समाज बनाएँ। मेरे उत्तर पाठ में दिए गए विचारों और उनके उद्देश्यों से मेल खाते हैं। आप अपने मित्रों के साथ इन बिंदुओं पर चर्चा कर सकते हैं और उनके उत्तरों की तुलना कर सकते हैं।
मिलकर करें मिलान
नीचे स्तंभ 1 में पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं और स्तंभ 2 में उन पंक्तियों से संबंधित भाव-विचार दिए गए हैं। स्तंभ 1 में दी गई पंक्तियों का स्तंभ 2 में दिए गए भाव-विचार से सही मिलान कीजिए।
उत्तर:
क्रम | स्तंभ 1 की पंक्ति | स्तंभ 2 का भाव-विचार |
---|---|---|
1 | इसी स्वप्न की प्रेरणा से हम उठते हैं, बैठते हैं, चलते हैं, फिरते हैं और लिखते हैं, भाषण देते हैं, काम-काज करते हैं। | हमारी समूची दिनचर्या और आचार-विचार इसी लक्ष्य (स्वप्न) की प्राप्ति पर केंद्रित हैं। |
2 | जो राष्ट्र हमारे स्वदेशी समाज के यंत्र के रूप में काम करेगा, सर्वोपरि वह समाज और राष्ट्र भारतवासियों का अभाव मिटाएगा। | जिस देश की योजनाएँ हमारे अपने समाज को ध्यान में रखकर बनाई जाएँगी, उस देश में किसी भी प्रकार का अभाव नहीं होगा। |
3 | उस समाज में व्यक्ति सब दृष्टियों से मुक्त हो तथा समाज के दबाव से वह मरे नहीं। | समाज में सभी व्यक्तियों को सभी तरह की स्वतंत्रता हो और उस पर किसी तरह का बंधन या सामाजिक दबाव न हो। |
पंक्तियों पर चर्चा
पाठ से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपनी कक्षा में साझा कीजिए।
(क) “उस समाज में अर्थ की विषमता न हो।”
अर्थ: सुभाषचंद्र बोस चाहते थे कि समाज में अमीर-गरीब का भेद न हो। सभी लोगों को बराबर आर्थिक अवसर मिलें ताकि कोई भी गरीबी या अभाव में न रहे।
(ख) “वही स्वप्न उनकी शक्ति का उत्स बना और उनके आनंद का निर्झर रहा।”
अर्थ: चित्तरंजन दास का स्वप्न उनकी प्रेरणा और खुशी का स्रोत था। यह स्वप्न उन्हें आगे बढ़ने की ताकत देता था।
(ग) “उस समाज में व्यक्ति सब दृष्टियों से मुक्त हो।”
अर्थ: सुभाषचंद्र बोस का सपना था कि समाज का हर व्यक्ति सामाजिक, आर्थिक और मानसिक रूप से स्वतंत्र हो। उसे किसी भी तरह के दबाव या बंधन में न रहना पड़े।
सोच-विचार के लिए
अब आप इस पाठ को पुनः पढ़िए और निम्नलिखित के विषय में पता लगाकर लिखिए-
(क) नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने किस प्रकार के राष्ट्र निर्माण का स्वप्न देखा था?
उत्तर: नेताजी ने एक ऐसे स्वाधीन राष्ट्र का स्वप्न देखा था जिसमें:
- सभी लोग सामाजिक, आर्थिक और मानसिक रूप से स्वतंत्र हों।
- जातिभेद, आर्थिक असमानता और लैंगिक भेदभाव न हो।
- प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षा और उन्नति के समान अवसर मिलें।
- श्रम और कर्म को महत्व दिया जाए, और आलसी लोगों के लिए कोई स्थान न हो।
- राष्ट्र विदेशी प्रभाव से मुक्त हो और भारतवासियों के अभाव को दूर करे।
(ख) नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने किस लक्ष्य की प्राप्ति को अपने जीवन की सार्थकता के रूप में देखा?
उत्तर: नेताजी ने एक स्वाधीन, समान और संपन्न समाज व राष्ट्र की स्थापना को अपने जीवन की सार्थकता माना। वे चाहते थे कि उनका स्वप्न सत्य हो और इसके लिए वे हर त्याग करने को तैयार थे।
(ग) “आलसी तथा अकर्मण्य के लिए कोई स्थान नहीं रहेगा” सुभाषचंद्र बोस ने ऐसा क्यों कहा होगा?
उत्तर: नेताजी ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि वे चाहते थे कि समाज में हर व्यक्ति मेहनत और कर्मठता के साथ योगदान दे। आलसी और अकर्मण्य लोग राष्ट्र की प्रगति में बाधा बनते हैं, इसलिए उनके लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
(घ) नेताजी सुभाषचंद्र बोस के लक्ष्यों या ध्येय को पूरा करने के लिए आज की युवा पीढ़ी क्या-क्या कर सकती है?
उत्तर: आज की युवा पीढ़ी निम्नलिखित कार्य कर सकती है:
- शिक्षा प्राप्त कर समाज में जागरूकता फैलाएँ।
- जातिभेद, लैंगिक भेदभाव और आर्थिक असमानता के खिलाफ आवाज उठाएँ।
- मेहनत और कर्मठता के साथ देश की प्रगति में योगदान दें।
- नेताजी के विचारों को पढ़ें और दूसरों को प्रेरित करें।
- सामाजिक और राष्ट्रीय कार्यों में सक्रिय भागीदारी करें।
अनुमान और कल्पना से
(क) “उस समाज में व्यक्ति सब दृष्टियों से मुक्त हो”, सुभाषचंद्र बोस ने किन-किन दृष्टियों से मुक्ति की बात की होगी?
उत्तर: सुभाषचंद्र बोस ने निम्नलिखित दृष्टियों से मुक्ति की बात की होगी:
- सामाजिक दृष्टि: जातिभेद और सामाजिक दबाव से मुक्ति।
- आर्थिक दृष्टि: गरीबी और आर्थिक असमानता से मुक्ति।
- मानसिक दृष्टि: डर, अज्ञानता और विदेशी प्रभाव से मुक्ति।
- लैंगिक दृष्टि: स्त्री-पुरुष के बीच भेदभाव से मुक्ति।
(ख) “उस समाज में नारी मुक्त होकर समाज एवं राष्ट्र के पुरुषों की तरह समान अधिकार का उपभोग करे”, सुभाषचंद्र बोस को अपने भाषण में नारी के लिए समान अधिकारों की बात क्यों कहनी पड़ी?
उत्तर: उस समय समाज में महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार नहीं मिलते थे। वे शिक्षा, स्वतंत्रता और सामाजिक भागीदारी में पीछे थीं। नेताजी ने नारी मुक्ति की बात इसलिए की ताकि महिलाएँ भी समाज और राष्ट्र निर्माण में बराबर का योगदान दे सकें।
(ग) आपके विचार से हमारे समाज में और कौन-कौन से लोग हैं जिन्हें विशेष अधिकार दिए जाने की आवश्यकता है?
उत्तर: हमारे समाज में निम्नलिखित लोगों को विशेष अधिकारों की आवश्यकता है:
- गरीब और वंचित वर्ग: आर्थिक और शैक्षिक सहायता के लिए।
- दिव्यांगजन: समान अवसर और सुविधाएँ।
- अल्पसंख्यक समुदाय: सामाजिक और धार्मिक स्वतंत्रता।
- बच्चे और बुजुर्ग: विशेष देखभाल और सुरक्षा।
(घ) सुभाषचंद्र बोस देश के समस्त युवा वर्ग को संबोधित करते हुए कहते हैं- “हे मेरे तरुण भाइयो!” उनका संबोधन केवल ‘भाइयो’ शब्द तक ही क्यों सीमित रहा होगा?
उत्तर: उस समय ‘भाइयो’ शब्द का प्रयोग सामान्यतः पूरे समूह को संबोधित करने के लिए होता था, जिसमें महिलाएँ भी शामिल थीं। यह उस समय की भाषा और सामाजिक परंपरा का हिस्सा था। नेताजी का उद्देश्य सभी युवाओं को प्रेरित करना था, न कि केवल पुरुषों को।
(ङ) “यह स्वप्न मैं तुम्हें उपहारस्वरूप देता हूँ- स्वीकार करो।” सुभाषचंद्र बोस के इस आह्वान पर श्रोताओं (युवा वर्ग) की क्या प्रतिक्रिया रही होगी?
उत्तर: श्रोताओं, विशेषकर युवाओं, ने इस आह्वान को उत्साह और प्रेरणा के साथ स्वीकार किया होगा। नेताजी के जोशीले शब्दों ने उन्हें देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा दी होगी। वे इस स्वप्न को साकार करने के लिए प्रेरित और संकल्पित हुए होंगे।
शीर्षक
(क) आपने नेताजी सुभाषचंद्र बोस के भाषण का एक अंश पढ़ा है, इसे ‘तरुण के स्वप्न’ शीर्षक दिया गया है। अपने समूह में चर्चा करके लिखिए कि यह शीर्षक क्यों दिया गया होगा?
उत्तर: ‘तरुण के स्वप्न’ शीर्षक इसलिए दिया गया क्योंकि सुभाषचंद्र बोस ने अपने भाषण में युवाओं को एक आदर्श समाज और राष्ट्र का स्वप्न सौंपा। यह स्वप्न युवाओं को प्रेरित करने और उन्हें राष्ट्र निर्माण में सक्रिय करने के लिए था।
(ख) यदि आपको भाषण के इस अंश को कोई अन्य नाम देना हो तो क्या नाम देंगे? आपने यह नाम क्यों सोचा? यह भी लिखिए।
उत्तर: मैं इसे ‘स्वाधीन भारत का स्वप्न’ नाम दूँगा।
कारण: यह नाम सुभाषचंद्र बोस के स्वाधीन, समान और संपन्न भारत के स्वप्न को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।
(ग) सुभाषचंद्र बोस ने अपने समय की स्थितियों या समस्याओं को अपने संबोधन में स्थान दिया है। यदि आपको अपनी कक्षा को संबोधित करने का अवसर मिले तो आप किन-किन विषयों को अपने उद्बोधन में सम्मिलित करेंगे और उसका क्या शीर्षक रखेंगे?
विषय: शिक्षा का महत्व, पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समानता, और तकनीकी प्रगति।
शीर्षक: ‘नए भारत का निर्माण’
कारण: यह शीर्षक आज के समय में युवाओं को प्रेरित करने और देश की प्रगति के लिए कार्य करने का संदेश देता है।
भाषा की बात
(क) सुभाषचंद्र बोस ने अपने भाषण में संख्या, संगठन या भाव आदि का बोध कराने वाले शब्दों के साथ उनकी विशेषता अथवा गुण बताने वाले शब्दों का प्रयोग किया है। उनके भाषण से विशेषता अथवा गुण बताने वाले शब्द ढूँढ़कर दिए गए शब्द समूह को पूरा कीजिए –
उत्तर:
(ख) सुभाषचंद्र बोस ने तो उपर्युक्त विशेषताओं के साथ इन शब्दों को रखा है। आप किन विशेषताओं के साथ इन उपर्युक्त शब्दों को रखना चाहेंगे और क्यों? लिखिए।
उत्तर
- अखंड: विश्वास – क्योंकि अखंड विश्वास से ही समाज मजबूत होता है।
- समाज: समान – समानता वाला समाज नेताजी के स्वप्न को साकार करेगा।
- राष्ट्र: गौरवशाली – राष्ट्र को गौरवशाली बनाना हमारा लक्ष्य है।
- जीवन: सार्थक – जीवन को सार्थक बनाने से ही समाज की उन्नति होगी।
- शक्ति: रचनात्मक – रचनात्मक शक्ति से समाज में बदलाव लाया जा सकता है।
- आनंद: असीम – असीम आनंद से जीवन उत्साहपूर्ण बनता है।
विपरीतार्थक शब्द और उनके प्रयोग
(क) “और उस पर एक स्वाधीन राष्ट्र” इस वाक्यांश में रेखांकित शब्द ‘स्वाधीन’ का विपरीत अर्थ देने वाला शब्द है ‘पराधीन’। इसी प्रकार के कुछ विपरीतार्थक शब्द आगे दिए गए हैं, लेकिन वे आमने-सामने नहीं हैं। रेखाएँ खींचकर विपरीतार्थक शब्दों के सही जोड़े बनाइए-
उत्तर
क्रम | स्तंभ 1 | स्तंभ 2 | सही जोड़ी |
---|---|---|---|
1 | स्वीकार | अस्वीकार | 1 ↔ 3 |
2 | सार्थक | निरर्थक | 2 ↔ 5 |
3 | विषमता | समानता | 3 ↔ 6 |
4 | क्षुद्र | विशाल/वृहत/विराट/महान | 4 ↔ 7 |
5 | संपन्न | विपन्न | 5 ↔ 2 |
6 | अकर्मण्य | कर्मण्य/कर्मठ | 6 ↔ 1 |
7 | मरण | जीवन | 7 ↔ 4 |
(ख) अब स्तंभ 1 और स्तंभ 2 के सभी शब्दों से दिए गए उदाहरण के अनुसार वाक्य बनाकर लिखिए, जैसे “समाज की उन्नति अकर्मण्य नहीं अपितु कर्मण्य व्यक्तियों पर निर्भर है।”
उत्तर
- स्वीकार: मैंने नेताजी के स्वप्न को स्वीकार किया और उसे साकार करने का संकल्प लिया।
- अस्वीकार: हमें सामाजिक भेदभाव को अस्वीकार करना होगा।
- सार्थक: मेहनत से ही हमारा जीवन सार्थक बनता है।
- निरर्थक: आलस्य से जीवन निरर्थक हो जाता है।
- विषमता: समाज में आर्थिक विषमता को दूर करना आवश्यक है।
- समानता: नेताजी ने समाज में समानता लाने का स्वप्न देखा।
- क्षुद्र: क्षुद्र विचारों से समाज की उन्नति नहीं हो सकती।
- विशाल: नेताजी का स्वप्न एक विशाल और स्वाधीन भारत का था।
- संपन्न: एक संपन्न समाज में सभी को समान अवसर मिलते हैं।
- विपन्न: हमें विपन्न लोगों की मदद करनी चाहिए।
- अकर्मण्य: समाज की उन्नति अकर्मण्य नहीं अपितु कर्मण्य व्यक्तियों पर निर्भर है।
- कर्मण्य: कर्मण्य लोग ही राष्ट्र को आगे ले जाते हैं।
- मरण: नेताजी ने कहा कि स्वप्न के लिए मरण भी स्वर्ग समान है।
- जीवन: हमें अपना जीवन देश की सेवा में समर्पित करना चाहिए।
पाठ से आगे
आपकी बात
(क) आपने सुभाषचंद्र बोस के स्वप्न के बारे में जाना। आप अपने विद्यालय, राज्य और देश के बारे में कैसे स्वप्न देखते हैं? लिखिए।
उत्तर
विद्यालय: मैं अपने विद्यालय को ऐसा देखना चाहता हूँ जहाँ सभी बच्चों को मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, और खेल-कूद व अन्य गतिविधियों के लिए भी सुविधाएँ हों।
राज्य: मेरा राज्य स्वच्छ, हरा-भरा और समृद्ध हो, जहाँ सभी को रोजगार और बराबर अवसर मिलें।
देश: मैं एक ऐसे भारत का स्वप्न देखता हूँ जो स्वाधीन, समान और तकनीकी रूप से उन्नत हो, जहाँ कोई भेदभाव न हो।
(ख) हमें बड़े संघर्षों के बाद स्वतंत्रता मिली है। अपनी इस स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए हम अपने स्तर पर क्या-क्या कर सकते हैं? लिखिए।
उत्तर:
- देश के नियमों और कानूनों का पालन करें।
- शिक्षा प्राप्त कर जागरूक और जिम्मेदार नागरिक बनें।
- पर्यावरण की रक्षा करें और स्वच्छता बनाए रखें।
- सामाजिक समानता और भाईचारे को बढ़ावा दें।
- देश के लिए सकारात्मक कार्य करें, जैसे सामाजिक कार्यों में भाग लेना।
मिलान कीजिए
(क) नीचे स्तंभ 1 में स्वतंत्रता सेनानियों से संबंधित कुछ तथ्य दिए गए हैं और स्तंभ 2 में स्वतंत्रता सेनानियों के नाम दिए गए हैं। तथ्यों का स्वतंत्रता सेनानियों के नाम से रेखा खींचकर सही मिलान कीजिए। इसके लिए आप अपने शिक्षकों, अभिभावकों और पुस्तकालय तथा इंटरनेट की सहायता ले सकते हैं।
उत्तर
क्रम | स्तंभ 1 | स्तंभ 2 |
---|---|---|
1 | 8 अप्रैल, 1929 को ‘सेंट्रल असेंबली’ में बम फेंकने वाले क्रांतिकारी, ‘शहीद-ए-आज़म’ | भगत सिंह |
2 | ‘स्वराज पार्टी’ के संस्थापकों में से एक, सुभाषचंद्र बोस के राजनीतिक गुरु | चित्तरंजन दास |
3 | जेल में भूख हड़ताल के तिरसठवें दिन जिनका देहांत हुआ | जतिन दास |
4 | जन्मदिवस पर ‘अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ मनाया जाता है | महात्मा गांधी |
5 | नर्मदा नदी के तट पर स्थापित ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ | सरदार वल्लभभाई पटेल |
6 | 1921 में असहयोग आंदोलन में गिरफ्तार होकर कहा- “मेरा नाम आज़ाद, पिता का नाम स्वतंत्रता, पता कारावास।” | चंद्रशेखर आज़ाद |
(ख) इनमें से एक स्वतंत्रता सेनानी का नाम ‘तरुण के स्वप्न’ पाठ में भी आया आया है। उसे पहचान कर लिखिए।
उत्तर: चित्तरंजन दास।
सर्वांगीण स्वाधीन संपन्न समाज के लिए प्रयास
नेताजी सुभाषचंद्र बोस और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने स्वाधीन संपन्न समाज की स्थापना के लिए अपने समय में अनेक प्रयास किए। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात इस दिशा में क्या-क्या उल्लेखनीय प्रयत्न किए गए हैं? अपनी सामाजिक अध्ययन की पाठ्यपुस्तक, अपने अनुभवों एवं पुस्तकालय की सहायता से लिखिए।
उत्तर:
- संविधान निर्माण: 1950 में भारत का संविधान लागू हुआ, जो समानता और स्वतंत्रता की गारंटी देता है।
- शिक्षा नीतियाँ: सर्व शिक्षा अभियान और राष्ट्रीय शिक्षा नीति से शिक्षा को बढ़ावा दिया गया।
- महिला सशक्तीकरण: बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और महिलाओं के लिए आरक्षण जैसे कदम उठाए गए।
- आर्थिक सुधार: स्वदेशी उद्योगों और आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा दिया गया।
- सामाजिक सुधार: जातिभेद और छुआछूत के खिलाफ कानून बनाए गए।
स्त्री सशक्तीकरण
(क) सुभाषचंद्र बोस ने स्त्रियों के लिए समान अधिकार की बात की है। अपने अनुभवों के आधार पर बताइए कि उन्हें कौन-कौन से विशेषाधिकार राज्य की ओर से दिए गए हैं?
उत्तर:
- शिक्षा में मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा (RTE)।
- सरकारी नौकरियों और पंचायतों में आरक्षण।
- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना।
- मातृत्व लाभ और सुरक्षा के लिए कानून।
- महिलाओं के खिलाफ हिंसा रोकने के लिए कानून।
(ख) सुभाषचंद्र बोस ने ‘आजाद हिंद फौज’ का नेतृत्व किया था। उसमें एक टुकड़ी स्त्रियों की भी थी। उस टुकड़ी का नाम पता लगाकर लिखिए। उस टुकड़ी की भूमिका क्या थी? यह भी बताइए।
उत्तर:
नाम: रानी झाँसी रेजिमेंट।
भूमिका: इस टुकड़ी की महिलाएँ आजाद हिंद फौज में सैनिकों के रूप में लड़ीं, घायलों की देखभाल की, और स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय योगदान दिया।
आपके प्रिय स्वतंत्रता सेनानी
आप किस स्वतंत्रता सेनानी के कार्यों व विचारों से प्रभावित हैं? कारण सहित लिखिए और अभिनय (रोल प्ले) करते हुए उनके विचारों को कक्षा में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
मैं सुभाषचंद्र बोस के कार्यों और विचारों से प्रभावित हूँ।
कारण:
उन्होंने ‘आजाद हिंद फौज’ बनाकर अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष किया।
उनके नारे ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा’ ने पूरे देश में जोश भरा।
वे नारी मुक्ति और समानता के समर्थक थे, जो उस समय क्रांतिकारी विचार था।
अभिनय: मैं कक्षा में उनके भाषण का अंश प्रस्तुत करूँगा, जैसे “हे मेरे तरुण भाइयो! यह स्वप्न मैं तुम्हें देता हूँ।”
“तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा।”
ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष में 1944 में सुभाषचंद्र बोस ने ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा’ नारे के माध्यम से आह्वान किया था। स्वाधीनता संग्राम के दौरान और भी बहुत से नारे दिए गए। ये नारे स्वतंत्रता सेनानियों के अदम्य साहस, निर्भीकता और देश-प्रेम को दर्शाते हैं।
नीचे स्तंभ 1 में कुछ नारे दिए गए हैं। नारों के सामने लिखिए कि यह किसके द्वारा दिया गया? आप पुस्तकालय या इंटरनेट की सहायता भी ले सकते हैं।
उत्तर:
क्रम | नारा | स्वतंत्रता सेनानी |
---|---|---|
1 | स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है। | बाल गंगाधर तिलक |
2 | करो या मरो | महात्मा गाँधी |
3 | मैं आज़ाद हूँ, आज़ाद रहूँगा और आज़ाद ही मरूँगा | चंद्रशेखर आज़ाद |
4 | इंक़लाब ज़िंदाबाद, साम्राज्यवाद मुर्दाबाद | भगत सिंह |
5 | पूर्ण स्वराज | जवाहरलाल नेहरू |
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