पाठ से
मेरी समझ से
क) निम्नलिखित प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर के सम्मुख तारा (☆) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।
1. पिताजी ने कहा कि घर सराय बना हुआ है क्योंकि
- घर की बनावट सराय जैसी बहुत विशाल है
- घर में विभिन्न पक्षी और जीव-जंतु रहते हैं ☆
- पिताजी और माँ घर के मालिक नहीं हैं
- घर में विभिन्न जीव-जंतु आते-जाते रहते हैं ☆
2. कहानी में ‘घर के असली मालिक’ किसे कहा गया है?
- माँ और पिताजी को जिनका वह मकान है
- लेखक को जिसने यह कहानी लिखी है
- जीव-जंतुओं को जो उस घर में रहते थे ☆
- मेहमानों को जो लेखक से मिलने आते थे
3. गौरैयों के प्रति माँ और पिताजी की प्रतिक्रियाएँ कैसी थीं?
- दोनों ने खुशी से घर में उनका स्वागत किया
- पिताजी ने उन्हें भगाने की कोशिश की लेकिन माँ ने मना किया ☆
- दोनों ने मिलकर उन्हें घर से बाहर निकाल दिया
- माँ ने उन्हें निकालने के लिए कहा लेकिन पिताजी ने घर में रहने दिया
4. माँ बार-बार पिताजी की बातों पर मुसकराती और मजाक करती थीं। इससे क्या पता चलता है?
- माँ चाहती थीं कि गौरैयाँ घर से भगाई न जाएँ ☆
- माँ को पिताजी के प्रयत्न व्यर्थ लगते थे ☆
- माँ को गौरैयों की गतिविधियों पर हँसी आ जाती थी ☆
- माँ को दूसरों पर हँसना और उपहास करना अच्छा लगता था
5. कहानी में गौरैयों के बार-बार लौटने को जीवन के किस पहलू से जोड़ा जा सकता है?
- दूसरों पर निर्भर रहना
- असफलताओं से हार मान लेना
- अपने प्रयास को निरंतर जारी रखना ☆
- संघर्ष को छोड़कर नए रास्ते अपनाना
(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ विचार कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर: मैंने ये उत्तर इसलिए चुने क्योंकि कहानी में पिताजी बार-बार कहते हैं कि घर में कई तरह के जीव-जंतु आते-जाते हैं, जैसे पक्षी, चूहे, और बिल्ली, जिससे घर सराय जैसा लगता है। ‘असली मालिक’ जीव-जंतुओं को कहा गया है क्योंकि वे घर में स्वतंत्र रूप से रहते हैं। माँ और पिताजी की प्रतिक्रियाएँ अलग थीं; पिताजी गौरैयों को भगाना चाहते थे, पर माँ उन्हें रहने देना चाहती थीं। माँ का हँसना और मजाक करना दर्शाता है कि वे गौरैयों को भगाने के प्रयास को व्यर्थ मानती थीं और उन्हें गौरैयों का व्यवहार पसंद था। गौरैयों का बार-बार लौटना उनके दृढ़ संकल्प को दिखाता है, जो जीवन में प्रयास को जारी रखने से जोड़ा जा सकता है।
मिलकर करें मिलान
(क) पाठ में से चुनकर कुछ वाक्य नीचे दिए गए हैं। प्रत्येक वाक्य के सामने दो-दो अर्थ दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सबसे उपयुक्त अर्थ से मिलाइए।
उत्तर:
- वाक्य: वह शोर मचता है कि कानों के पर्दे फट जाएँ, पर लोग कहते हैं कि पक्षी गा रहे हैं!
अर्थ: पक्षियों का शोर बहुत तेज होता है, लेकिन लोग उसे संगीत की तरह सराहते हैं। - वाक्य: आँगन में आम का पेड़ है। तरह-तरह के पक्षी उस पर डेरा डाले रहते हैं।
अर्थ: आम के पेड़ पर अलग-अलग प्रकार के पक्षी हर समय निवास करते हैं। - वाक्य: वह धमा-चौकड़ी मचती है कि हम लोग ठीक तरह से सो भी नहीं पाते।
अर्थ: चूहों की भागदौड़ और शोर इतना होता है कि घर के लोग चैन से सो नहीं पाते। - वाक्य: वह समझते हैं कि माँ उनका मजाक उड़ा रही हैं।
अर्थ: पिताजी को ऐसा भ्रम होने लगता है कि माँ उनकी चेष्टाओं का उपहास कर रही हैं। - वाक्य: पिताजी ने लाठी दीवार के साथ टिकाकर रख दी और छाती फैलाए कुर्सी पर आ बैठे।
अर्थ: पिताजी ने लाठी एक ओर रख दी और गर्व से, विजयी मुद्रा में बैठ गए। - वाक्य: इतने में रात पड़ गई।
अर्थ: कहानी की घटनाओं के बीच धीरे-धीरे रात हो गई और अँधेरा छा गया। - वाक्य: जब हम लोग नीचे उतरकर आए तो वे फिर से मौजूद थीं और मजे से बैठी मल्हार गा रही थीं।
अर्थ: गौरैयाँ फिर से लौट आई थीं और शांत व प्रसन्न भाव से चहचहा रही थीं जैसे कोई राग गा रही हों।
(ख) अपने उत्तर को अपने मित्रों के उत्तर से मिलाइए और विचार कीजिए कि आपने कौन-से अर्थ का चुनाव किया है और क्यों?
उत्तर: मैंने उपरोक्त अर्थ इसलिए चुने क्योंकि वे कहानी के संदर्भ और भाषा के सबसे करीब हैं। उदाहरण के लिए, पक्षियों का शोर तेज था, लेकिन लोग उसे संगीत कहते थे, जो कहानी में स्पष्ट है। आम के पेड़ पर पक्षियों का निवास करना सामान्य बात है, न कि तंबू लगाना। चूहों की धमा-चौकड़ी से नींद में खलल पड़ता है, जो कहानी में बताया गया है। माँ का मजाक पिताजी को उपहास लगता था, और पिताजी का गर्व से बैठना उनकी विजयी मुद्रा को दर्शाता है। रात का धीरे-धीरे होना और गौरैयों का प्रसन्न चहचहाना कहानी के भाव को स्पष्ट करता है।
पंक्तियों पर चर्चा
पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए।
(क) “अब तो ये नहीं उड़ेंगी। पहले इन्हें उड़ा देते, तो उड़ जातीं। अब तो इन्होंने यहाँ घोंसला बना लिया है।”
अर्थ: माँ यह कह रही हैं कि गौरैयों ने अब घर में घोंसला बना लिया है, जिससे वे इसे अपना घर मान चुकी हैं और अब आसानी से नहीं जाएँगी। पहले अगर उन्हें भगाया जाता, तो शायद वे चली जातीं। यह दर्शाता है कि गौरैयों का घर के प्रति लगाव बढ़ गया है।
(ख) “एक दिन अंदर नहीं घुस पाएँगी, तो घर छोड़ देंगी।”
अर्थ: पिताजी का मानना है कि अगर गौरैयों को एक दिन घर में घुसने से रोका जाए, तो वे हार मानकर कहीं और चली जाएँगी। यह उनके दृढ़ संकल्प को तोड़ने की रणनीति को दर्शाता है।
(ग) “किसी को सचमुच बाहर निकालना हो, तो उसका घर तोड़ देना चाहिए।”
अर्थ: पिताजी कह रहे हैं कि अगर किसी को पूरी तरह से हटाना हो, तो उसका आधार (घर या घोंसला) नष्ट करना पड़ता है। यह गौरैयों को भगाने के लिए उनके घोंसले को तोड़ने की उनकी सोच को दर्शाता है।
सोच-विचार के लिए
पाठ को पुनः ध्यान से पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए।
(क) आपको कहानी का कौन-सा पात्र सबसे अच्छा लगा— घर पर रहने आई गौरैयाँ, माँ, पिताजी, लेखक या कोई अन्य प्राणी? आपको उसकी कौन-कौन सी बातें अच्छी लगीं और क्यों?
उत्तर: मुझे माँ सबसे अच्छी लगीं। उनकी हँसमुख स्वभाव, गौरैयों के प्रति सहानुभूति, और पिताजी के प्रयासों पर मजाक करने की आदत बहुत अच्छी लगी। वे गौरैयों को भगाने के खिलाफ थीं और उनकी हँसी कहानी को हल्का और रोचक बनाती थी। यह दर्शाता है कि वे प्रकृति के प्रति संवेदनशील थीं।
(ख) लेखक के घर में चिड़िया ने अपना घोंसला कहाँ बनाया? उसने घोंसला वहीं क्यों बनाया होगा?
उत्तर: चिड़िया ने बैठक की छत में लगे पंखे के गोले में घोंसला बनाया। उसने वहाँ घोंसला इसलिए बनाया होगा क्योंकि यह जगह सुरक्षित, ऊँची, और बारिश व अन्य खतरों से बची हुई थी। साथ ही, यह घर के अंदर थी, जिससे शिकारियों से सुरक्षा मिलती थी।
(ग) क्या आपको लगता है कि पशु-पक्षी भी मनुष्यों के समान परिवार और घर का महत्व समझते हैं? अपने उत्तर के समर्थन में कहानी से उदाहरण दीजिए।
उत्तर: हाँ, पशु-पक्षी भी परिवार और घर का महत्व समझते हैं। कहानी में गौरैयाँ बार-बार घर लौटती थीं, भले ही पिताजी उन्हें भगाने की कोशिश करते थे। जब उनके बच्चे घोंसले में निकले, तो माँ-बाप गौरैयाँ तुरंत लौटकर उनकी चोंच में चुग्गा डालने लगीं। यह दर्शाता है कि वे अपने बच्चों और घोंसले के प्रति लगाव रखती थीं।
(घ) “अब मैं हार मानने वाला आदमी नहीं हूँ।” इस कथन से पिताजी के स्वभाव के कौन-से गुण उभरकर आते हैं?
उत्तर: इस कथन से पिताजी के दृढ़ निश्चय, जिद्दी स्वभाव, और हार न मानने की प्रवृत्ति उभरकर आती है। वे गौरैयों को भगाने के लिए बार-बार प्रयास करते हैं, चाहे कितनी भी मुश्किल आए।
(ङ) कहानी में गौरैयों के व्यवहार में कब और कैसा बदलाव आया? यह बदलाव क्यों आया?
उत्तर: गौरैयों का व्यवहार तब बदला जब पिताजी ने उनके घोंसले को तोड़ना शुरू किया। पहले वे चहकती और मल्हार गाती थीं, लेकिन जब घोंसला तोड़ा गया, तो वे चुपचाप दीवार पर बैठी थीं और दुबली दिखने लगीं। यह बदलाव इसलिए आया क्योंकि उनके घोंसले और बच्चों को खतरा था, जिससे वे डर गईं और चहकना बंद कर दिया।
(च) कहानी में गौरैयाँ ने किन-किन स्थानों से घर में प्रवेश किया था? सूची बनाइए।
उत्तर:
- दरवाजे के नीचे की खाली जगह से
- रोशनदान के टूटे हुए शीशे से
- किचन के दरवाजे से
(छ) इस कहानी को कौन सुना रहा है? आपको यह बात कैसे पता चली?
उत्तर: कहानी को लेखक (बच्चा) सुना रहा है। यह पता इसलिए चला क्योंकि कहानी में ‘मैं’ शब्द का उपयोग बार-बार हुआ है, जैसे “मैंने सिर उठाकर ऊपर की ओर देखा” और “माँ-पिताजी और मैं उनकी ओर देखते रह गए।”
(ज) माँ बार-बार क्यों कह रही होंगी कि गौरैयाँ घर छोड़कर नहीं जाएँगी?
उत्तर: माँ बार-बार इसलिए कह रही थीं क्योंकि गौरैयों ने घर में घोंसला बना लिया था और संभवतः अंडे दे दिए थे। वे जानती थीं कि गौरैयाँ अपने घोंसले और बच्चों के प्रति लगाव के कारण घर नहीं छोड़ेंगी।
अनुमान और कल्पना से
(क) कल्पना कीजिए कि आप उस घर में रहते हैं जहाँ चिड़ियाँ अपना घर बना रही हैं। अपने घर में उन्हें देखकर आप क्या करते?
उत्तर: मैं चिड़ियों को देखकर खुश होता और उन्हें परेशान न करता। मैं उनके लिए थोड़ा खाना, जैसे चावल या दाने, रखता और उनके घोंसले को नुकसान न पहुँचाने की कोशिश करता। साथ ही, मैं उनके व्यवहार को देखकर उनकी तस्वीरें लेता और उनके बारे में और जानने की कोशिश करता।
(ख) मान लीजिए कि कहानी में चिड़िया नहीं, बल्कि नीचे दिए गए प्राणियों में से कोई एक प्राणी घर में घुस गया है। ऐसे में घर के लोगों का व्यवहार कैसा होगा? क्यों?
उत्तर: (उदाहरण के लिए – बिल्ली):
अगर बिल्ली घर में घुसती, तो घर के लोग शायद उसे प्यार से बुलाते और दूध या खाना देते, जैसा कि कहानी में पहले हुआ था। लेकिन अगर बिल्ली बार-बार आती और सामान तोड़ती, तो पिताजी उसे भगाने की कोशिश करते। ऐसा इसलिए क्योंकि बिल्ली को लोग प्यारा मानते हैं, लेकिन उसका शरारती व्यवहार परेशानी पैदा कर सकता है।
(ग) “मैं अवाक् उनकी ओर देखता रहा।” लेखक को विस्मय या हैरानी किसे देखकर हुई? उसे विस्मय क्यों हुआ होगा?
उत्तर: लेखक को नन्हीं-नन्हीं गौरैयों (बच्चों) को देखकर विस्मय हुआ। उसे विस्मय इसलिए हुआ क्योंकि उसे नहीं पता था कि घोंसले में बच्चे हैं, और उनकी चीं-चीं की आवाज़ सुनकर उसे आश्चर्य हुआ कि गौरैयों के बच्चे इतने छोटे और जीवंत हैं।
(घ) “माँ मदद तो करती नहीं थीं, बैठी हँसे जा रही थीं।” माँ ने गौरैयों को निकालने में पिताजी की सहायता क्यों नहीं की होगी?
उत्तर: माँ ने पिताजी की सहायता इसलिए नहीं की क्योंकि वे गौरैयों को घर से निकालना नहीं चाहती थीं। उन्हें गौरैयों का घर में रहना पसंद था, और वे पिताजी के प्रयासों को व्यर्थ मानती थीं। उनकी हँसी दर्शाती है कि वे गौरैयों के प्रति सहानुभूति रखती थीं।
(ङ) “एक चूहा अँगीठी के पीछे बैठना पसंद करता है, शायद बूढ़ा है उसे सर्दी बहुत लगती है।” लेखक ने चूहे के विशेष व्यवहार से अनुमान लगाया कि उसे सर्दी लगती होगी। आप भी किसी एक अपरिचित व्यक्ति या प्राणी के व्यवहार को ध्यान से देखकर अनुमान लगाइए कि वह क्या सोच रहा होगा, क्या करता होगा या वह कैसा व्यक्ति होगा आदि।
उत्तर: मैंने एक बार एक कुत्ते को देखा जो हमेशा पार्क में एक ही पेड़ के नीचे बैठता था। मुझे लगता है कि वह उस जगह को इसलिए पसंद करता होगा क्योंकि वहाँ छाया थी और उसे आराम मिलता था। शायद वह शांत स्वभाव का है और भीड़-भाड़ से दूर रहना चाहता है।
(च) “पिताजी कहते हैं कि यह घर सराय बना हुआ है।” सराय और घर में कौन-कौन से अंतर होते होंगे?
उत्तर:
- घर: यह एक निजी स्थान है जहाँ परिवार रहता है, और यहाँ लोग स्थायी रूप से रहते हैं। यहाँ नियम और व्यवस्था परिवार द्वारा बनाई जाती है।
- सराय: यह एक अस्थायी स्थान है जहाँ लोग कुछ समय के लिए रुकते हैं। यहाँ कई लोग आते-जाते रहते हैं, और यहाँ कोई स्थायी निवासी नहीं होता। कहानी में घर को सराय इसलिए कहा गया क्योंकि कई जीव-जंतु बिना बुलाए आते-जाते थे।
संवाद और अभिनय
नीचे दी गई स्थितियों के लिए अपने समूह में मिलकर अपनी कल्पना से संवाद लिखिए और बातचीत को अभिनय द्वारा प्रस्तुत कीजिए—
(क) “वे अभी भी झाँके जा रही थीं और चीं-चीं करके मानो अपना परिचय दे रही थीं, हम आ गई हैं। हमारे माँ-बाप कहाँ हैं” नन्हीं-नन्हीं दो गौरैया क्या-क्या बोल रही होंगी?
संवाद:
- पहली गौरैया: “चीं-चीं! हमारा घर तो बहुत सुंदर है, पर ये लोग इसे तोड़ क्यों रहे हैं?”
- दूसरी गौरैया: “चीं-चीं! माँ-पापा कहाँ गए? हमें भूख लगी है!”
(ख) “चिड़ियाँ एक-दूसरे से पूछ रही हैं कि यह आदमी कौन है और नाच क्यों रहा है?” घोंसले से झाँकती गौरैयाँ क्या-क्या बातें कर रही होंगी?
संवाद:
- पहली गौरैया: “ये आदमी इतना उछल-कूद क्यों कर रहा है?”
- दूसरी गौरैया: “शायद उसे हमारा चहचहाना पसंद नहीं। पर हम तो यहीं रहेंगे!”
(ग) “एक दिन दो गौरैया सीधी अंदर घुस आईं और बिना पूछे उड़-उड़कर मकान देखने लगीं।” जब उन्होंने पहली बार घर में प्रवेश किया तो उन्होंने आपस में क्या बातें की होंगी?
संवाद:
- पहली गौरैया: “देख, यह घर कितना अच्छा है! यहाँ घोंसला बनाने की जगह भी है।”
- दूसरी गौरैया: “हाँ, यहाँ सुरक्षित भी है। चलो, यहीं रहते हैं!”
(घ) “उनके माँ-बाप झट से उड़कर अंदर आ गए और चीं-चीं करते उनसे जा मिले और उनकी नन्हीं-नन्हीं चोंचों में चुग्गा डालने लगे।” गौरैयों और उनके बच्चों ने क्या-क्या बातें की होंगी?
संवाद:
- माँ गौरैया: “चीं-चीं! तुम लोग ठीक हो न? हम तुम्हारे लिए खाना लाए हैं।”
- बच्चा गौरैया: “चीं-चीं! माँ, हमें डर लग रहा था। अब तुम आ गए, तो सब ठीक है!”
बदली कहानी
मान लीजिए कि घोंसले में अंडों से बच्चे न निकले होते। ऐसे में कहानी आगे कैसे बढ़ती?
उत्तर: अगर घोंसले में अंडों से बच्चे न निकले होते, तो पिताजी शायद घोंसला तोड़ने में सफल हो जाते। गौरैयाँ बार-बार लौटने की कोशिश करतीं, लेकिन पिताजी के लगातार प्रयासों (जैसे दरवाजे बंद करना, रोशनदान में कपड़ा ठूँसना) से वे हार मान लेतीं और कहीं और घोंसला बनाने चली जातीं। माँ अभी भी पिताजी का मजाक उड़ातीं, लेकिन पिताजी को अंत में विजय का गर्व होता। लेखक को गौरैयों के जाने का दुख होता, और वह उनके चहचहाने की कमी महसूस करता। कहानी का अंत उदास होता, जिसमें गौरैयों का घर छिन जाता और परिवार उनके प्रति सहानुभूति महसूस करता।
कहने के ढंग/क्रिया विशेषण
“माँ खिलखिलाकर हँस दीं।”
इस वाक्य में ‘खिलखिलाकर’ शब्द बता रहा है कि माँ कैसे हँसी थीं। कोई कार्य कैसे किया गया है, इसे बताने वाले शब्द ‘क्रिया विशेषण’ कहलाते हैं। ‘खिलखिलाकर’ भी एक क्रिया विशेषण शब्द है।
अब नीचे दिए गए रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए। इन शब्दों का प्रयोग करते हुए अपने मन से वाक्य बनाइए।
(क) पिताजी ने झिड़ककर कहा, “तू खड़ा क्या देख रहा है?”
वाक्य – शिक्षक ने झिड़ककर कहा, “तुम हमेशा देर से क्यों आते हो?”
(ख) “देखो जी, चिड़ियों को मत निकालो”, माँ ने अबकी बार गंभीरता से कहा।
वाक्य – दादी ने गंभीरता से कहा, “बेटा, मेहनत से पढ़ाई करो, तभी सफल होगे।”
(ग) “किसी को सचमुच बाहर निकालना हो, तो उसका घर तोड़ देना चाहिए”, उन्होंने गुस्से में कहा।
वाक्य – भाई ने गुस्से में कहा, “मेरी किताब क्यों फाड़ दी?”
अब आप इनसे मिलते-जुलते कुछ और क्रिया विशेषण शब्द सोचिए और उनका प्रयोग करते हुए कुछ वाक्य बनाइए।
(संकेत – धीरे से, जोर से, अटकते हुए, चिल्लाकर, शरमाकर, सहमकर, फुसफुसाते हुए आदि।)
उत्तर:
- धीरे से: उसने धीरे से दरवाजा खोला ताकि कोई जाग न जाए।
- जोर से: बच्चे ने जोर से चिल्लाकर अपनी माँ को बुलाया।
- शरमाकर: वह शरमाकर अपनी बात पूरी नहीं कर पाई।
घर के प्राणी
कहानी में आपने पढ़ा कि लेखक के घर में अनेक प्राणी रहते थे। लेखक ने उनका वर्णन ऐसे किया है जैसे वे भी मनुष्यों की तरह व्यवहार करते हैं। कहानी में से चुनकर उन प्राणियों की सूची बनाइए और बताइए कि वे मनुष्यों जैसे कौन-कौन से काम करते थे?
उत्तर:
- बिल्ली: फिर आऊँगी कहकर चली जाती है। (मनुष्यों की तरह बिल्ली को यहाँ अतिथि की तरह दर्शाया गया है जो वादा करके लौटती है।)
- चूहा: एक चूहा अँगीठी के पीछे बैठता है क्योंकि उसे सर्दी लगती है। (मनुष्यों की तरह ठंड से बचने की कोशिश करता है।)
दूसरा चूहा बाथरूम की टंकी पर चढ़कर बैठता है। (मनुष्यों की तरह अपनी पसंद की जगह चुनता है।) - गौरैयाँ: घर का निरीक्षण करती हैं और घोंसला बनाती हैं। (मनुष्यों की तरह घर चुनने और बसने का काम करती हैं।)
अपने बच्चों को चुग्गा खिलाती हैं। (मनुष्यों की तरह अपने परिवार की देखभाल करती हैं।) - चमगादड़: कमरों में कसरत करते हैं। (मनुष्यों की तरह व्यायाम करने का व्यवहार दर्शाया गया है।)
हेर-फेर मात्रा का
“माँ और पिताजी दोनों सोफे पर बैठे उनकी ओर देखे जा रहे थे।”
“पहले इन्हें उड़ा देते, तो उड़ जातीं।”
उपर्युक्त वाक्यों में रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए। आपने ध्यान दिया होगा कि शब्द में एक मात्रा-भर के अंतर से उसके अर्थ में परिवर्तन हो जाता है।
अब नीचे दिए गए शब्दों की मात्राओं और अर्थों के अंतर पर ध्यान दीजिए। इन शब्दों का प्रयोग करते हुए अपने मन से वाक्य बनाइए।
उत्तर:
- नाच: बच्चे मंच पर नाच रहे थे।
नाचा: उसने स्कूल के समारोह में खूब नाचा।
नचा: उसने अपने दोस्त को भी नचा दिया। - हार: वह खेल में हार गया।
हरा: उसने अपने प्रतिद्वंद्वी को हरा दिया।
हारा: वह बार-बार कोशिश करने के बाद भी हारा। - पिता: मेरे पिता मुझे रोज कहानी सुनाते हैं।
पीता: वह सुबह-सुबह चाय पीता है। - चूक: उसकी एक छोटी चूक ने सारा खेल बिगाड़ दिया।
चुक: उसने अपना काम समय पर चुक लिया। - नीचा: उसने मुझे नीचा दिखाने की कोशिश की।
नीचे: किताब मेज के नीचे गिर गई। - सहसा: सहसा बारिश शुरू हो गई।
साहस: उसने साहस दिखाकर खतरे का सामना किया।
वाद-विवाद
कहानी में माँ द्वारा कही गई कुछ बातें नी दी गई हैं-
“अब तो ये नहीं उड़ेंगी। पहले इन्हें उड़ा देते, तो उड़ जातीं।”
“एक दरवाजा खुला छोड़ो, बाकी दरवाजे बंद कर दो। तभी ये निकलेंगी।”
“देखो जी, चिड़ियों को मत निकालो। अब तो इन्होंने अंडे भी दे दिए होंगे। अब यहाँ से नहीं जाएँगी।”
कक्षा में एक वाद-विवाद गतिविधि का आयोजन कीजिए। वाद-विवाद का विषय है-
“माँ चिड़ियों को घर से निकालना चाहती थीं।”
कक्षा में आधे समूह इस कथन के पक्ष में और आधे समूह इसके विपक्ष में तर्क देंगे।
उत्तर:
विषय: “माँ चिड़ियों को घर से निकालना चाहती थीं।”
पक्ष में तर्क:
- माँ ने कहा, “पंखा चला देते, तो ये उड़ जातीं,” जिससे लगता है कि वे गौरैयों को भगाने का तरीका सुझा रही थीं।
- माँ ने पिताजी को दरवाजे बंद करने की सलाह दी, जो गौरैयों को बाहर निकालने में मदद करता।
विपक्ष में तर्क:
- माँ ने बार-बार कहा कि गौरैयाँ अब नहीं जाएँगी क्योंकि उन्होंने घोंसला बना लिया है, जो दर्शाता है कि वे गौरैयों को रहने देना चाहती थीं।
- माँ ने पिताजी के प्रयासों का मजाक उड़ाया और उनकी मदद नहीं की, जिससे पता चलता है कि वे गौरैयों को निकालना नहीं चाहती थीं।
- अंत में, माँ ने गंभीरता से कहा, “चिड़ियों को मत निकालो,” जो उनकी सहानुभूति को दर्शाता है।
कहानी की रचना
“कमरे में फिर से शोर होने लगा था, पर अबकी बार पिताजी उनकी ओर देख-देखकर केवल मुसकराते रहे।”
इस पंक्ति में बताया गया है कि पिताजी का दृष्टिकोण कैसे बदल गया। इस प्रकार यह विशेष वाक्य है। इस तरह के वाक्यों से कहानी और अधिक प्रभावशाली बन जाती है।
(क) आपको इस कहानी में ऐसी अनेक विशेषताएँ दिखाई देंगी। उन्हें अपने समूह के साथ मिलकर ढूंढ़िए और उनकी सूची बनाइए।
उत्तर:
कहानी की विशेषताएँ और उनकी सूची:
1. किसी बात को कल्पना से बढ़ा-चढ़ाकर कहना:
- “जो भी पक्षी पहाड़ियों-घाटियों पर से उड़ता हुआ दिल्ली पहुँचता है, पिताजी कहते हैं वही सीधा हमारे घर पहुँच जाता है, जैसे हमारे घर का पता लिखवाकर लाया हो।”
2. हास्य यानी हँसी-मज़ाक का उपयोग किया जाना:
- “छोड़ो जी, चूहों को तो निकाल नहीं पाए, अब चिड़ियों को निकालेंगे!”
3. सोचा कुछ और, हुआ कुछ और:
- पिताजी ने सोचा कि गौरैयों को भगा देंगे, लेकिन अंत में बच्चे देखकर उनका मन बदल गया।
3. किसी की कही बात को उसी के शब्दों में लिखना:
- “देखो जी, चिड़ियों को मत निकालो,” माँ ने गंभीरता से कहा।
4. किसी प्राणी या उसके कार्य को कोई अन्य नाम देना:
- गौरैयों का चहचहाना “मल्हार गाना” कहा गया।
5. किसने किससे कोई बात कही, यह सीधे-सीधे बताए बिना संवाद को लिखना:
- “चिड़ियाँ हैं कि यह आदमी कौन है और नाच क्यों रहा है?”
(ख) इस कहानी की कुछ विशेषताओं को नीचे दिया गया है। इनके उदाहरण कहानी में से चुनकर लिखिए।
उत्तर:
विशेषताओं के उदाहरण:
- किसी बात को कल्पना से बढ़ा-चढ़ाकर कहना: “वह शोर मचता है कि कानों के पर्दे फट जाएँ, पर लोग कहते हैं कि पक्षी गा रहे हैं!”
- हास्य का उपयोग: “चिड़ियाँ हैं कि यह आदमी कौन है और नाच क्यों रहा है?”
- सोचा कुछ और, हुआ कुछ और: पिताजी ने सोचा कि घोंसला तोड़ देंगे, लेकिन बच्चे देखकर रुक गए।
- किसी की कही बात को उसी के शब्दों में लिखना: “अब तो ये नहीं उड़ेंगी। पहले इन्हें उड़ा देते, तो उड़ जातीं।”
- किसी प्राणी को अन्य नाम देना: गौरैयों को “मल्हार गाने वाली” कहा गया।
- संवाद बिना स्पष्ट किए लिखना: “वे अभी भी झाँके जा रही थीं और चीं-चीं करके मानो अपना परिचय दे रही थीं।”
आपकी बात
उत्तर:
कहानी की विशेषताएँ | कहानी में से उदाहरण |
---|---|
1. किसी बात को कल्पना से बढ़ा-चढ़ाकर कहना | “जो भी पक्षी पहाड़ियों-घाटियों पर से उड़ता हुआ दिल्ली पहुँचता है, पिताजी कहते हैं वही सीधा हमारे घर पहुँच जाता है, जैसे हमारे घर का पता लिखवाकर लाया हो।” |
2. हास्य यानी हँसी-मज़ाक का उपयोग किया जाना | “चिड़ियाँ हैं कि यह आदमी कौन है और नाच क्यों रहा है?” – माँ की बात और पिताजी का उछलना-कूदना |
3. सोचा कुछ और, हुआ कुछ और | “दरवाजे बंद कर दिए, फिर भी गौरैयाँ रोशनदान से अंदर आ गईं।” |
4. दूसरों के मन के भावों का अनुमान लगाना | “पिताजी कहने लगे कि मकान का निरीक्षण कर रही हैं कि उनके रहने योग्य है या नहीं।” (गौरैयों के व्यवहार को देखकर अनुमान लगाना) |
5. किसी की कही बात को उसी के शब्दों में लिखना | “अब तो ये नहीं उड़ेंगी। पहले इन्हें उड़ा देते, तो उड़ जातीं।” – माँ द्वारा बोले गए संवाद |
6. किसी प्राणी या उसके कार्य को कोई अन्य नाम देना | “एक चूहा अँगीठी के पीछे बैठता है, शायद बूढ़ा है”, “बिल्ली कभी-कभी झाँक जाती है, मन आया तो दूध पी जाती है” |
7. किसने किससे कोई बात कही, यह सीधे-सीधे बताए बिना उस संवाद को लिखना | “अब तो इन्होंने अंडे भी दे दिए होंगे।” – यहाँ स्पष्ट नहीं कि यह बात माँ ने कही या लेखक ने, पर संवाद रूप में प्रस्तुत है |
पाठ से आगे
(क) “गौरैयों ने घोंसले में से सिर निकालकर नीचे की ओर झाँककर देखा और दोनों एक साथ ‘चीं-चीं’ करने लगीं।” आपने अपने घर के आस-पास पक्षियों को क्या-क्या करते देखा है? उनके व्यवहार में आपको कौन-कौन से भाव दिखाई देते हैं?
उत्तर: मैंने अपने घर के पास गौरैयाँ, कबूतर, और कौवे देखे हैं। गौरैयाँ सुबह-सुबह चहचहाती हैं और दाने चुगती हैं, जो उनकी खुशी और सक्रियता दिखाता है। कबूतर छत पर गुटर-गूँ करते हैं, जो शांति और अपने परिवार के साथ समय बिताने का भाव दर्शाता है। कौवे खाना ढूँढते हैं और एक-दूसरे को पुकारते हैं, जो उनकी सतर्कता और सामाजिकता को दिखाता है।
(ख) “कमरे में फिर से शोर होने लगा था, पर अबकी बार पिताजी उनकी ओर देख-देखकर केवल मुसकराते रहे।” कहानी के अंत में पिताजी गौरैयों का अपने घर में रहना स्वीकार कर लेते हैं। क्या आप भी कोई स्थान या वस्तु किसी अन्य के साथ साझा करते हैं? उनके बारे में बताइए। साझेदारी में यदि कोई समस्या आती है तो उसे कैसे हल करते हैं?
उत्तर: मैं अपनी किताबें अपने छोटे भाई के साथ साझा करता हूँ। कभी-कभी वह किताबें गंदी कर देता है, जिससे मुझे गुस्सा आता है। हम इस समस्या को बातचीत से हल करते हैं। मैं उसे समझाता हूँ कि किताबों को सावधानी से इस्तेमाल करे, और वह मेरी बात मान लेता है।
(ग) परिवार के लोग गौरैयों को घर से बाहर भगाने की कोशिश करते हैं, किंतु गौरैयों के बच्चों के कारण उनका दृष्टिकोण बदल जाता है। क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि किसी को देखकर या किसी से मिलकर आपका दृष्टिकोण बदल गया हो?
उत्तर: हाँ, एक बार मैंने एक बूढ़े व्यक्ति को पार्क में बच्चों के साथ खेलते देखा। पहले मुझे लगता था कि बूढ़े लोग गंभीर रहते हैं, लेकिन उन्हें देखकर मेरा दृष्टिकोण बदल गया। मैंने समझा कि उम्र के बावजूद लोग बच्चों की तरह खुश और उत्साही रह सकते हैं।
चिड़ियों का घोंसला
घोंसला बनाना चिड़ियों के जीवन का एक सामान्य हिस्सा है। विभिन्न पक्षी अलग-अलग तरह के घोंसले बनाते हैं। इन घोंसलों में वे अपने अंडे देते हैं और अपने चूजों को पालते हैं।
(क) अपने आस-पास विभिन्न प्रकार के घोंसले ढूंढ़िए और उन्हें ध्यान से देखिए और नीचे दी गई तालिका को पूरा कीजिए। (सावधानी – उन्हें हाथ न लगाएँ अन्यथा पक्षियों, उनके अंडों और आपको भी खतरा हो सकता है)
उत्तर:
क्रम संख्या | घोंसले को कहाँ देखा | घोंसला किन चीजों से बनाया गया था | घोंसला खाली था या नहीं | घोंसला किस पक्षी का था |
---|---|---|---|---|
1 | पेड़ की डाल पर | तिनके, पत्तियाँ, और रुई | खाली था | गौरैया |
2 | छत के कोने में | तिनके और मिट्टी | अंडे थे | कबूतर |
(ख) विभिन्न पक्षियों के घोंसलों के संबंध में एक प्रस्तुति तैयार कीजिए। उसमें आप चाहें तो उनके चित्र और थोड़ी रोचक जानकारी सम्मिलित कर सकते हैं।
उत्तर: प्रस्तुति में शामिल बिंदु:
गौरैया का घोंसला: तिनकों, पत्तियों, और रुई से बना होता है, आमतौर पर छत या पंखे जैसे सुरक्षित स्थानों पर।
कबूतर का घोंसला: ढीले-ढाले तिनकों से बनता है, छत या पेड़ों पर।
कौवे का घोंसला: मोटी टहनियों से बनता है, ऊँचे पेड़ों पर।
रोचक जानकारी: गौरैयाँ अपने घोंसले को बार-बार सुधारती हैं, और कुछ पक्षी पुराने घोंसलों का दोबारा उपयोग करते हैं।
चित्र: गौरैया, कबूतर, और कौवे के घोंसलों की तस्वीरें।
हास्य-व्यंग्य
“छोड़ो जी, चूहों को तो निकाल नहीं पाए, अब चिड़ियों को निकालेंगे! माँ ने व्यंग्य से कहा।”
आप समझ गए होंगे कि इस वाक्य में माँ ने पिताजी से कहा है कि वे चिड़ियों को नहीं निकाल सकते। इस प्रकार से कही गई बात को ‘व्यंग्य करना’ कहते हैं।
व्यंग्य का अर्थ होता है- हँसी-मज़ाक या उपहास के माध्यम से किसी कमी, बुराई या विडंबना को उजागर करना।
व्यंग्य में बात को सीधे न कहकर उलटा या संकेतात्मक ढंग से कहा जाता है ताकि उसमें चुटकीलापन
भी हो और गंभीर सोच की संभावना भी बनी रहे। अनेक बार व्यंग्य में हास्य भी छिपा होता है।
(क) आपको इस कहानी में कौन-कौन से वाक्य पढ़कर हँसी आई? उन वाक्यों को चुनकर लिखिए।
उत्तर:
- “छोड़ो जी, चूहों को तो निकाल नहीं पाए, अब चिड़ियों को निकालेंगे!”
- “चिड़ियाँ हैं कि यह आदमी कौन है और नाच क्यों रहा है?”
- “इतनी तकलीफ करने की क्या जरूरत थी। पंखा चला देते, तो ये उड़ जातीं।”
(ख) अब चुने हुए वाक्यों में से कौन-कौन से वाक्य ‘व्यंग्य’ कहे जा सकते हैं? उन पर सही का चिह्न लगाइए।
उत्तर:
- “छोड़ो जी, चूहों को तो निकाल नहीं पाए, अब चिड़ियों को निकालेंगे!” ☑ (व्यंग्य: माँ पिताजी की असफलता का मजाक उड़ा रही हैं।)
- “चिड़ियाँ हैं कि यह आदमी कौन है और नाच क्यों रहा है?” ☑ (व्यंग्य: माँ पिताजी के उछल-कूद को बेकार बताती हैं।)
- “इतनी तकलीफ करने की क्या जरूरत थी। पंखा चला देते, तो ये उड़ जातीं।” ☑ (व्यंग्य: माँ पिताजी के जटिल प्रयासों पर चुटकी ले रही हैं।)
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