पाठ से
मेरी समझ से
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर के सम्मुख तारा (★) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।
1. ज़मींदार को झोंपड़ी हटाने की आवश्यकता क्यों लगी?
- झोंपड़ी जर्जर हो चुकी थी
- झोंपड़ी रास्ते में बाधा थी
- वह अहाते का विस्तार करना चाहता था ★
- वृद्धा से उसका कोई पुराना झगड़ा था
2. वृद्धा ने मिट्टी ले जाने की अनुमति कैसे माँगी?
- क्रोध और झगड़ा करके
- अदालत से अनुमति लेकर
- विनती और नम्रता से ★
- चुपचाप उठाकर ले गई
3. वृद्धा की पोती का व्यवहार किस भाव को दर्शाता है?
- दया
- लगाव ★
- गुस्सा
- डर
4. कहानी का अंत कैसा है?
- सुखद ★
- दुखद
- प्रेरणादायक ★
- सकारात्मक ★
(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर: मैंने ये उत्तर इसलिए चुने क्योंकि कहानी में ज़मींदार अपने महल का अहाता बढ़ाना चाहता था, इसलिए झोंपड़ी हटाना चाहता था। वृद्धा ने नम्रता से मिट्टी माँगी, जो उसकी विनम्र प्रकृति दिखाता है। पोती का खाना छोड़ना घर से लगाव को दर्शाता है। कहानी का अंत सुखद और प्रेरणादायक है क्योंकि ज़मींदार ने अपनी गलती सुधारी और झोंपड़ी वापस की।
मिलकर करें मिलान
(क) पाठ से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। प्रत्येक वाक्य के सामने दो-दो निष्कर्ष दिए गए हैं। इन्हें उनके सर्वाधिक उपयुक्त निष्कर्षों से मिलाए।
उत्तर:
क्रम | पंक्तियाँ | उपयुक्त निष्कर्ष |
---|---|---|
1 | अब यही उसकी पोती इस वृद्धाकाल में एकमात्र आधार थी। | वृद्धावस्था में वृद्धा का सहारा उसकी पोती ही थी। |
2 | बाल की खाल निकालने वाले वकीलों की थैली गरम कर उन्होंने अदालत से उस झोंपड़ी पर अपना कब्जा कर लिया। | ज़मींदार ने वकीलों को पैसे देकर कानूनी दावपेंच से झोंपड़ी पर कब्जा किया। |
3 | आपसे एक टोकरी भर मिट्टी नहीं उठाई जाती और इस झोंपड़ी में तो हजारों टोकरियाँ मिट्टी पड़ी है। | वृद्धा ने टोकरी को प्रतीक बनाकर ज़मींदार को उसके अन्याय का अनुभव कराया। |
4 | ज़मींदार साहब धन-मद से गर्वित हो अपना कर्तव्य भूल गए थे। | धन और अहंकार ने ज़मींदार को मानवीयता और करुणा से दूर कर दिया था। |
5 | कृतकर्म का पश्चाताप कर उन्होंने वृद्धा से क्षमा माँगी। | उसने द्वारा किए अन्याय पर पछताकर ज़मींदार ने क्षमा माँगी। |
6 | उसका भार आप जन्म-भर कैसे उठा सकेंगे? | वृद्धा ने प्रतीकात्मक रूप से कहा कि अन्याय का नैतिक भार उठाना आसान नहीं है। |
7 | कृपा करके इस टोकरी को ज़रा हाथ लगाइए जिससे कि मैं उसे अपने सिर पर धर लूँ। | वृद्धा ने चतुराई से ज़मींदार को शर्मिंदा करने की योजना बनाई। |
8 | उसे पुरानी बातों का स्मरण हुआ और उसकी आँखों से आँसू की धारा बहने लगी। | झोंपड़ी में प्रवेश करते ही वृद्धा पुराने दिनों के कारण भावुक हो गई। |
(ख) अपने मित्रों के उत्तर से अपने उत्तर मिलाइए और चर्चा कीजिए कि आपने कौन-से निष्कर्षों का चुनाव किया है और क्यों?
उत्तर: मैंने ये निष्कर्ष इसलिए चुने क्योंकि वे कहानी के भाव और संदेश को सही ढंग से दर्शाते हैं। जैसे, वृद्धा की पोती उसका एकमात्र सहारा थी, और ज़मींदार ने अनुचित तरीके से झोंपड़ी पर कब्जा किया। वृद्धा ने टोकरी के माध्यम से ज़मींदार को उसके अन्याय का अहसास कराया, जो कहानी का मुख्य संदेश है।
पंक्तियों पर चर्चा
पाठ से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए।
(क) “आपसे एक टोकरी भर मिट्टी नहीं उठाई जाती और इस झोंपड़ी में तो हजारों टोकरियाँ मिट्टी पड़ी है। उसका भार आप जन्म-भर कैसे उठा सकेंगे?”
उत्तर: इस पंक्ति का अर्थ है कि वृद्धा ने ज़मींदार को प्रतीकात्मक रूप से बताया कि एक टोकरी मिट्टी का भार भी वह नहीं उठा सका, तो झोंपड़ी छीनने के अन्याय का नैतिक बोझ वह जीवनभर कैसे सहन करेगा? यह पंक्ति ज़मींदार को उसकी गलती का अहसास कराती है और उसे पश्चाताप की ओर ले जाती है।
(ख) “ज़मींदार साहब पहले तो बहुत नाराज हुए, पर जब वह बार-बार हाथ जोड़ने लगी और पैरों पर गिरने लगी तो उनके भी मन में कुछ दया आ गई। किसी नौकर से न कहकर आप ही स्वयं टोकरी उठाने को आगे बढ़े। ज्यों ही टोकरी को हाथ लगाकर ऊपर उठाने लगे त्यों ही देखा कि यह काम उनकी शक्ति के बाहर है।”
उत्तर: इस पंक्ति का अर्थ है कि ज़मींदार पहले वृद्धा की विनती से नाराज़ हुए, लेकिन उसकी नम्रता और दुख ने उनके मन में दया जगा दी। जब उन्होंने टोकरी उठाने की कोशिश की और असफल हुए, तो उन्हें अपनी सीमाओं और गलती का अहसास हुआ। यह पंक्ति उनके व्यवहार में बदलाव की शुरुआत दिखाती है।
सोच-विचार के लिए
पाठ को पुनः ध्यान से पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए।
(क) आपके विचार से कहानी का सबसे प्रभावशाली पात्र कौन है और क्यों?
उत्तर: कहानी का सबसे प्रभावशाली पात्र वृद्धा है। उसकी नम्रता, बुद्धिमानी, और अपने घर के प्रति लगाव ने ज़मींदार के मन को बदल दिया। उसने एक साधारण टोकरी के माध्यम से ज़मींदार को उसके अन्याय का अहसास कराया, जो बहुत प्रभावशाली था।
(ख) वृद्धा की पोती ने खाना क्यों छोड़ दिया था?
उत्तर: वृद्धा की पोती ने खाना इसलिए छोड़ दिया था क्योंकि वह अपनी झोंपड़ी से बहुत प्यार करती थी और उसे खोने का दुख सहन नहीं कर पा रही थी। वह केवल अपने घर में ही खाना खाना चाहती थी।
(ग) ज़मींदार ने झोंपड़ी पर कब्जा कैसे किया?
उत्तर: ज़मींदार ने वकीलों को पपैसे देकर और कानूनी दावपेंच का उपयोग करके अदालत से झोंपड़ी पर कब्जा किया।
(घ) “महाराज क्षमा करें तो एक विनती है। ज़मींदार साहब के सिर हिलाने पर उसने कहा…”। यहाँ ज़मींदार द्वारा सिर हिलाने की इस क्रिया का क्या अर्थ है?
उत्तर: ज़मींदार के सिर हिलाने का अर्थ है कि उन्होंने वृद्धा की विनती सुनने की सहमति दी। यह दर्शाता है कि वे उसकी बात सुनने को तैयार थे।
(ङ) “किसी नौकर से न कहकर आप ही स्वयं टोकरी उठाने आगे बढ़े।” यहाँ ज़मींदार के व्यवहार में परिवर्तन का आरंभ दिखाई देता है। पहले ज़मींदार का व्यवहार कैसा था? इस घटना के बाद उसके व्यवहार में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर: पहले ज़मींदार का व्यवहार अहंकारी और क्रूर था; वह वृद्धा की भावनाओं की परवाह किए बिना झोंपड़ी पर कब्जा करना चाहता था। इस घटना के बाद, वृद्धा की विनम्रता और दुख ने उसके मन में दया जगा दी, और वह स्वयं टोकरी उठाने को तैयार हुआ, जो उसके व्यवहार में बदलाव की शुरुआत थी।
(च) “उन्होंने वृद्धा से क्षमा माँगी और उसकी झोंपड़ी वापस दे दी।” ज़मींदार ने ऐसा क्यों किया?
उत्तर: ज़मींदार ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वृद्धा की बातों और टोकरी के प्रतीकात्मक भार ने उसे अपने अन्याय का अहसास कराया। वह अपने किए पर पछताया और अपनी गलती सुधारने के लिए झोंपड़ी वापस दे दी।
अनुमान और कल्पना से
(क) यदि वृद्धा की पोती ज़मींदार से स्वयं बात करती तो वह क्या कहती?
उत्तर: पोती कहती, “महाराज, हमारी झोंपड़ी हमें वापस दे दीजिए। यह हमारा घर है, जहाँ मेरे माता-पिता की यादें हैं। मैं इसके बिना नहीं रह सकती। कृपया हमें बेघर न करें।”
(ख) यदि आप ज़मींदार की जगह होते तो क्या करते?
उत्तर: यदि मैं ज़मींदार की जगह होता, तो मैं वृद्धा और उसकी पोती की भावनाओं का सम्मान करता और उनकी झोंपड़ी नहीं छीनता। मैं उनके लिए दूसरी जगह रहने की व्यवस्था करता।
(ग) ज़मींदार को टोकरी उठाने में सफलता क्यों नहीं मिली होगी?
उत्तर: ज़मींदार को टोकरी उठाने में सफलता इसलिए नहीं मिली होगी क्योंकि वृद्धा ने टोकरी को प्रतीकात्मक रूप से भारी बनाया था, जो उसके अन्याय का नैतिक बोझ दर्शाता था। यह उसकी अंतरात्मा को झकझोरने के लिए था।
(घ) “झोंपड़ी में तो हजारों टोकरियाँ मिट्टी पड़ी है…”। यहाँ केवल मिट्टी की बात की जा रही है या कुछ और बात भी छिपी है?
(संकेत – मिट्टी किस बात का प्रतीक हो सकती है? मिट्टी के बहाने वृद्धा क्या कहना चाहती है?)
उत्तर: यहाँ मिट्टी केवल मिट्टी नहीं, बल्कि वृद्धा और उसकी पोती के घर, यादों, और भावनाओं का प्रतीक है। वृद्धा कहना चाहती थी कि झोंपड़ी छीनने का नैतिक बोझ बहुत भारी है, जिसे ज़मींदार जीवनभर नहीं उठा सकता।
(ङ) यह कहानी आज से लगभग सवा सौ साल पहले लिखी गई थी। इस कहानी के आधार पर बताइए कि भारत में स्त्रियों को किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता होगा?
उत्तर: कहानी के आधार पर, उस समय भारत में स्त्रियों को कई चुनौतियाँ झेलनी पड़ती थीं, जैसे:
- सामाजिक असमानता और पुरुष-प्रधान समाज में कमज़ोर स्थिति।
- संपत्ति और घर पर अधिकार न होना।
- विधवाओं और अनाथों को समाज में सम्मान और सहायता न मिलना।
- आर्थिक निर्भरता और कानूनी दावपेंच में कमज़ोर होना।
बदली कहानी
- कल्पना कीजिए कि कहानी कैसे आगे बढ़ती-
- यदि ज़मींदार टोकरी उठाने से मना कर देता
- यदि ज़मींदार टोकरी उठा लेता
- यदि ज़मींदार मिट्टी देने से मना कर देता
- यदि ज़मींदार एक स्त्री होती
- यदि पोती ज़मींदार से अपनी झोंपड़ी वापस माँगती
अपने समूह के साथ इनमें से किसी एक स्थिति को चुनकर चर्चा कीजिए। इस बदली हुई कहानी को मिलकर लिखिए।
यदि ज़मींदार टोकरी उठाने से मना कर देता:
उत्तर: यदि ज़मींदार टोकरी उठाने से मना कर देता, तो वृद्धा उदास होकर मिट्टी के बिना लौट जाती। उसकी पोती और उदास हो जाती और शायद बीमार पड़ जाती। वृद्धा शायद किसी और तरीके से पोती को समझाने की कोशिश करती, जैसे पुरानी यादों को साझा करके। लेकिन ज़मींदार को अपनी गलती का अहसास नहीं होता, और वह अपने अहंकार में डूबा रहता। कहानी का अंत दुखद होता।
‘कि’ और ‘की’ का उपयोग
इन वाक्यों में रेखांकित शब्दों के प्रयोग पर ध्यान दीजिए
नीचे दिए गए वाक्यों में इन दोनों शब्दों का उपयुक्त प्रयोग कीजिए-
उत्तर:
- वृद्धा ने कहा कि वह झोंपड़ी को लेने नहीं आई है।
- वह अपनी पोती की चिंता में दुखी हो गई थी।
- वृद्धा ने प्रार्थना की टोकरी को ज़रा हाथ लगाइए।
- पोती हमेशा कहती थी कि वह अपने घर में ही खाना खाएगी।
- झोंपड़ी की मिट्टी से वृद्धा चूल्हा बनाना चाहती थी।
- उसे विश्वास था कि मिट्टी का चूल्हा देखकर पोती खाना खाने लगेगी।
- वृद्धा की आँखों से आँसुओं की धारा बहने लगी।
- उसने यह सोचा कि झोंपड़ी से मिट्टी ले जाकर चूल्हा बनाऊँगी।
- वृद्धा के मन की पीड़ा उसकी बातों में झलक रही थी।
- ज़मींदार इतने लज्जित हुए कि टोकरी उठाने की बात मान ली।
- उस झोंपड़ी की हर दीवार वृद्धा की यादों से भरी थी।
मुहावरे
“बाल की खाल निकालने वाले वकीलों की थैली गरम कर उन्होंने अदालत से झोंपड़ी पर अपना कब्जा कर लिया।”
(क) इस वाक्य में मुहावरों की पहचान करके उन्हें रेखांकित कीजिए।
(ख) ‘बाल’ शब्द से जुड़े निम्नलिखित मुहावरों का प्रयोग करते हुए वाक्य बनाइए।
- बाल बाँका न होना- कुछ भी कष्ट या हानि न पहुँचना। पूर्ण रूप से सुरक्षित रहना।
- बाल बराबर – बहुत सूक्ष्म। बहुत महीन या पतला।
- बाल बराबर फर्क होना – ज़रा-सा भी भेद होना। सूक्ष्मतम अंतर होना।
- बाल – बाल बचना – कोई विपत्ति आने या हानि पहुँचने में बहुत थोड़ी कमी रह जाना।
(क) इस वाक्य में मुहावरों की पहचान करके उन्हें रेखांकित कीजिए।
वाक्य: “बाल की खाल निकालने वाले वकीलों की थैली गरम कर उन्होंने अदालत से झोंपड़ी पर अपना कब्जा कर लिया।”
उत्तर: मुहावरे: बाल की खाल निकालने और थैली गरम कर।
(ख) ‘बाल’ शब्द से जुड़े निम्नलिखित मुहावरों का प्रयोग करते हुए वाक्य बनाइए।
उत्तर:
- बाल बाँका न होना: उसने सावधानी से काम किया, इसलिए उसका बाल भी बाँका न हुआ।
- बाल बराबर: उसका लेखन इतना सूक्ष्म था कि बाल बराबर अंतर दिखाई देता था।
- बाल बराबर फर्क होना: दोनों चित्रों में बाल बराबर फर्क था, जो ध्यान से देखने पर दिखा।
- बाल-बाल बचना: वह सड़क पर तेज़ गाड़ी से बाल-बाल बचा।
काल
नीचे दिए गए वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़िए-
- इस झोंपड़ी में से एक टोकरी भर मिट्टी लेकर उसी का चूल्हा बनाकर रोटी पकाऊँगी।
- इस झोंपड़ी में से एक टोकरी भर मिट्टी लेकर उसी का चूल्हा बनाकर रोटी पकाई।
- इस झोंपड़ी में से एक टोकरी भर मिट्टी लेकर उसी का चूल्हा बनाकर रोटी पका रही हूँ।
यहाँ रेखांकित शब्दों से पता चल रहा है कि कार्य होने का समय या काल क्या है। क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि कोई कार्य कब हुआ, हो रहा है या होने वाला है, उसे काल कहते हैं।
काल के तीन भेद होते हैं-
1. भूतकाल – यह बताता है कि कार्य पहले ही हो चुका है।
2. वर्तमान काल – यह बताता है कि कार्य अभी हो रहा है या सामान्य रूप से होता रहता है।
3. भविष्य काल – यह बताता है कि कार्य आने वाले समय या भविष्य में होगा।
नीचे दिए गए वाक्यों को वर्तमान और भविष्य काल में बदलिए-
(क) वह गिड़गिड़ाकर बोली।
- वर्तमान काल: वह गिड़गिड़ाकर बोल रही है।
- भविष्य काल: वह गिड़गिड़ाकर बोलेगी।
(ख) श्रीमान् ने आज्ञा दे दी।
- वर्तमान काल: श्रीमान् आज्ञा दे रहे हैं।
- भविष्य काल: श्रीमान् आज्ञा देंगे।
(ग) उसकी आँखों से आँसू की धारा बहने लगी।
- वर्तमान काल: उसकी आँखों से आँसू की धारा बह रही है।
- भविष्य काल: उसकी आँखों से आँसू की धारा बहेगी।
(घ) ज़मींदार साहब को अपने महल का अहाता उस झोंपड़ी तक बढ़ाने की इच्छा हुई।
- वर्तमान काल: ज़मींदार साहब को अपने महल का अहाता उस झोंपड़ी तक बढ़ाने की इच्छा हो रही है।
- भविष्य काल: ज़मींदार साहब को अपने महल का अहाता उस झोंपड़ी तक बढ़ाने की इच्छा होगी।
(ङ) उन्होंने वृद्धा से क्षमा माँगी और उसकी झोंपड़ी वापस दे दी।
- वर्तमान काल: वे वृद्धा से क्षमा माँग रहे हैं और उसकी झोंपड़ी वापस दे रहे हैं।
- भविष्य काल: वे वृद्धा से क्षमा माँगेंगे और उसकी झोंपड़ी वापस देंगे।
वचन की पहचान
“उनके मन में कुछ दया आ गई।”
“उनकी आँखें खुल गईं।”
ऊपर दिए गए रेखांकित शब्दों में क्या अंतर है और क्यों? आपस में चर्चा करके पता लगाइए।
आपने ध्यान दिया होगा कि शब्द में एक अनुस्वार- भर के अंतर से उसके अर्थ में अंतर आ जाता है।
नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में उपयुक्त शब्द भरिए-
(क) वृद्धा झोंपड़ी के भीतर गई। (गई/गईं)
(ख) वृद्धा गिड़गिड़ाकर बोली। (बोली/बोलीं)
(ग) पोती ने खाना-पीना छोड़ दिया है। (है/हैं)
(घ) उसकी आँखों से से आँसू की धारा बहने लगी थी। (थी/थीं)
(ङ) उसने अपनी टोकरी मिट्टी से भर ली और बाहर ले आई। (आई/आई)
(च) झोंपड़ी में बसी पुरानी यादें वृद्धा को रुला गई। (गई/गईं)
(छ) पाठक देख सकते हैं कि कैसे एक छोटी-सी टोकरी ने बड़े बदलाव ला दिए है।(है/हैं)
कहानी की रचना
“यह सुनकर वृद्धा ने कहा, “महाराज, नाराज न हों तो…”
इस पंक्ति में लेखक ने जानबूझकर वृद्धा की कही हुई बात को अधूरा छोड़ दिया है। बात को अधूरा छोड़ने के लिए ‘…’ का उपयोग किया गया है। इस प्रकार के वाक्यों और प्रयोगों से कहानी का प्रभाव और बढ़ जाता है। अनेक बार कहानी में नाटकीयता लाने के लिए भी इस प्रकार के प्रयोग किए जाते हैं।
(क) आपको इस कहानी में ऐसी अनेक विशेषताएँ दिखाई देंगी। उन्हें अपने समूह के साथ मिलकर ढूंढ़िए और उनकी सूची बनाइए।
उत्तर:
- नाटकीयता: वृद्धा का टोकरी उठाने के लिए कहना और ज़मींदार का उसे न उठा पाना।
- भावात्मकता: वृद्धा का अपनी झोंपड़ी और पोती के प्रति लगाव और रोना।
- संवादात्मकता: वृद्धा और ज़मींदार के बीच संवाद से कहानी का विकास।
- प्रतीकात्मकता: टोकरी का अन्याय के नैतिक बोझ का प्रतीक होना।
- चरित्र चित्रण: वृद्धा की नम्रता और ज़मींदार के अहंकार से पश्चाताप तक का बदलाव।
(ख) इस कहानी की कुछ विशेषताओं को नीचे दिया गया है। इनके उदाहरण कहानी से चुनकर लिखिए-
उत्तर:
क्रम | कहानी की विशेषता | कहानी से उदाहरण |
---|---|---|
1. | प्रश्नोत्तरी शैली – कहानी में ऐसे प्रश्न हैं जो पाठक को सोचने पर विवश कर देते हैं। | “आपसे तो एक टोकरी भर मिट्टी उठाई नहीं जाती और इस झोंपड़ी में तो हजारों टोकरियाँ मिट्टी पड़ी है। उसका भार आप जन्म-भर कैसे उठाएंगे?” – यह प्रश्न पाठक को सोचने पर मजबूर करता है कि अन्याय का बोझ कितना भारी हो सकता है। |
2. | वर्णनात्मकता – लेखक ने जगहों और भावनाओं का ऐसा चित्र खींचा है कि पाठक दृश्य को देख सकता है। | “उस झोंपड़ी में उसका ऐसा कुछ मन लग गया था कि बिना मरे वहाँ से वह निकलना ही नहीं चाहती थी।” – इस पंक्ति में झोंपड़ी के प्रति वृद्धा के जुड़ाव का मार्मिक वर्णन है। |
3. | भावात्मकता – कहानी में करुणा, पछतावा और प्रेम जैसे गहरे भाव दिखते हैं। | “जब उसे अपनी पूर्वस्थिति की याद आ जाती तो मारे दुख के फूट-फूट कर रोने लगती थी।” – यहाँ करुणा और दुःख की गहराई स्पष्ट झलकती है। |
4. | संवादात्मकता – पात्रों के संवादों से कहानी आगे बढ़ती है और प्रभावी बनती है। | “महाराज क्षमा करें तो एक विनती है।” – वृद्धा और ज़मींदार के संवादों से ही कहानी आगे बढ़ती है और प्रभावी बनती है। |
5. | नाटकीयता – कुछ दृश्य इतने प्रभावशाली हैं कि वे नाटक जैसे लगते हैं। | “ज्यों ही टोकरी को हाथ लगाकर ऊपर उठाने लगे, त्यों ही देखा कि यह काम उनकी शक्ति के बाहर है।” – यह दृश्य अत्यंत नाटकीय और प्रतीकात्मक है। |
6. | चरित्र चित्रण – पात्रों के गुण, स्वभाव और मन की स्थिति स्पष्ट रूप से दिखती है। | “ज़मींदार साहब धन-मद से गर्वित हो अपना कर्तव्य भूल गए थे, पर वृद्धा के वचन सुनते ही उनकी आँखें खुल गईं।” – ज़मींदार के व्यवहार में आए बदलाव से उनके चरित्र का गहरा चित्रण हुआ है। |
शब्दकोश का उपयोग
आप जानते ही हैं कि हम शब्दकोश का प्रयोग करके शब्दों के विषय में अनेक प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। नीचे कुछ शब्दों के अनेक अर्थ शब्दकोश से चुनकर दिए गए हैं। इन शब्दों के जो अर्थ इस कहानी के अनुसार सबसे उपयुक्त हैं, उन पर घेरा बनाइए-
उत्तर:
क्रम | वाक्य | उपयुक्त अर्थ |
---|---|---|
1 | श्रीमान् के सब प्रयत्न निष्फल हुए | पुरुषों के नाम के पूर्व आदर सूचनार्थ लगाया जाने वाला शब्द |
2 | पतोहू भी एक पाँच बरस की कन्या को छोड़कर चल बसी थी। | लड़की |
3 | ज़मींदार साहब को अपने महल का अहाता उस झोंपड़ी तक बढ़ाने की इच्छा हुई। | राजा या रईस आदि के रहने का बहुत बड़ा और बढ़िया मकान (प्रासाद) |
4 | वह तो कई ज़माने से वहीं बसी थी। | बहुत अधिक समय (काल / युग / अवधि) |
5 | यही उसकी पोती इस वृद्धाकाल में एकमात्र आधार थी। | सहारा / आश्रय देनेवाला / पालन करनेवाला |
भावों की पहचान
“कृतकर्म का पश्चाताप कर उन्होंने वृद्धा से क्षमा माँगी…”
कहानी की इस पंक्ति से कौन-कौन से भाव प्रकट हो रहे हैं? सही पहचाना, इस पंक्ति से पश्चाताप और क्षमा के भाव प्रकट हो रहे हैं। अब नीचे दी गई पंक्तियों में प्रकट हो रहे भावों से उनका मिलान कीजिए-
उत्तर:
क्रम | पंक्तियाँ | सही भाववाचक संज्ञा |
---|---|---|
1 | वह लज्जित होकर कहने लगे- “नहीं, यह टोकरी हमसे न उठाई जाएगी।” | लज्जा / पछतावा |
2 | वृद्धा के उपर्युक्त वचन सुनते ही उनकी आँखें खुल गईं। | बोध / आत्मज्ञान |
3 | उनके मन में कुछ दया आ गई। | करुणा / दया |
4 | इससे भरोसा है कि वह रोटी खाने लगेगी। | आस्था / विश्वास |
5 | महाराज क्षमा करें तो एक विनती है। | विनम्रता / विनती |
6 | अब यही उसकी पोती इस वृद्धाकाल में एकमात्र आधार थी। | ममता / स्नेह |
7 | ज़मींदार साहब धन-मद से गर्वित हो अपना कर्तव्य भूल गए थे। | अहंकार / घमंड |
8 | उस झोंपड़ी में उसका मन ऐसा कुछ लग गया था कि वह वहाँ से निकलना ही नहीं चाहती थी। | जुड़ाव / मोह |
9 | जब उसे अपनी पूर्वस्थिति की याद आ जाती तो मारे दुख के फूट-फूट कर रोने लगती थी। | दुख / पीड़ा |
10 | बाल की खाल निकालने वाले वकीलों की थैली गरम कर उन्होंने अदालत से झोंपड़ी पर कब्जा कर लिया। | क्रूरता / अन्याय |
वाक्य विस्तार
‘वृद्धा पहुँची।’
यह केवल दो शब्दों से से बना एक वाक्य है लेकिन हम इस वाक्य को बड़ा भी बना सकते हैं-
‘वह वृद्धा हाथ में एक टोकरी लेकर वहाँ पहुँची।’
अब बात कुछ अच्छी तरह समझ में आ रही है। किंतु इसी वाक्य को हम और विस्तार भी दे सकते हैं, जैसे- ‘थकी हुई आँखों और काँपते हाथों में टोकरी लिए वृद्धा धीरे-धीरे दरवाजे पर पहुँची।’
अब यह वाक्य अनेक अर्थ और भाव व्यक्त कर रहा है। अब इसी प्रकार नीचे दिए गए वाक्यों का कहानी को ध्यान में रखते हुए विस्तार कीजिए। प्रत्येक वाक्य में लगभग 15-20 शब्द हो सकते हैं।
1. एक झोंपड़ी थी।
उत्तर: ज़मींदार के विशाल महल के पास एक गरीब वृद्धा की पुरानी, छोटी-सी झोंपड़ी थी, जिसमें उसकी यादें बसी थीं।
2. श्रीमान् टहल रहे थे।
उत्तर: श्रीमान् ज़मींदार अपने महल के आस-पास गर्व से टहल रहे थे, नौकरों को झोंपड़ी हटाने के लिए काम बता रहे थे।
3. वह खाने लगेगी।
उत्तर: वृद्धा की पोती, झोंपड़ी की मिट्टी से बने चूल्हे पर पकी रोटी देखकर, खुशी से खाना शुरू कर देगी।
4. वृद्धा भीतर गई।
उत्तर: काँपते कदमों और भारी मन के साथ वृद्धा अपनी पुरानी झोंपड़ी के भीतर गई, जहाँ उसकी यादें बसी थीं।
5. आगे बढ़े।
उत्तर: वृद्धा की विनती सुनकर ज़मींदार दया से प्रेरित होकर स्वयं टोकरी उठाने के लिए आगे बढ़े।
संवाद फोन पर
(क) कल्पना कीजिए कि यह कहानी आज के समय की है। ज़मींदार वृद्धा की पोती को समझाना चाहता है कि वह जिद छोड़ दे और भोजन कर ले। उसने पोती को फोन किया है। अपनी कल्पना से दोनों की बातचीत लिखिए।
परिस्थिति: ज़मींदार आज के समय में वृद्धा की पोती को फोन करता है ताकि वह खाना-पीना शुरू कर दे।
📞 संवाद:
- ज़मींदार (फोन पर): हेलो बेटी, नमस्ते। मैं ज़मींदार साहब बोल रहा हूँ।
- पोती: नमस्ते। बोलिए।
- ज़मींदार: मुझे पता चला है कि तुमने खाना-पीना छोड़ दिया है। ऐसा क्यों कर रही हो बेटी?
- पोती: जब तक अपने घर नहीं लौटती, कुछ नहीं खाऊँगी। दादी कहती हैं कि वो हमारा घर अब नहीं रहा।
- ज़मींदार: देखो बेटी, अब मैं अपनी गलती समझ चुका हूँ। मैंने दादी से माफ़ी माँग ली है और झोंपड़ी वापस दे दी है।
- पोती: सच में? हमारी झोंपड़ी अब हमारी है?
- ज़मींदार: हाँ, बिल्कुल। तुम खाना खाओ, पढ़ो-लिखो और खुश रहो।
- पोती (भावुक होकर): धन्यवाद अंकल। मैं खाना खाऊँगी… दादी के हाथों से।
- ज़मींदार: शाबाश। भगवान तुम्हें आशीर्वाद दे।
(ख) कल्पना कीजिए कि ज़मींदार और उसका कोई मित्र वृद्धा की झोंपड़ी हथियाने के बारे में मोबाइल पर लिखित संदेशों द्वारा चर्चा कर रहे हैं। मित्र उसे समझा रहा है कि वह झोंपड़ी न हड़पे। उनकी इस लिखित चर्चा को अपनी कल्पना से भाव मुद्रा (इमोजी) के साथ लिखिए।
उदाहरण-
मित्र – इस विचार को छोड़ दो, तुम्हें आखिर किस बात की कमी है? 🤨
ज़मींदार – 😡 मुझे तुमसे उपदेश नहीं सुनना है।
📱 काल्पनिक मोबाइल चैट:
मित्र: इस विचार को छोड़ दो, तुम्हें आखिर किस बात की कमी है? 🤨
ज़मींदार: 😡 मुझे तुमसे उपदेश नहीं सुनना है।
मित्र: लेकिन वह एक वृद्धा है, अनाथ है, उसका घर क्यों छीन रहे हो? 😔
ज़मींदार: मैं अपने अहाते को बढ़ाना चाहता हूँ। इसमें क्या गलत है? 💼
मित्र: यह गलत नहीं… अमानवीय है! सोचो, अगर तुम्हारी माँ होती तो? 🤷♂️
ज़मींदार: 🤐 तुम भावनात्मक बातों से मुझे नहीं रोक सकते।
मित्र: नहीं, रुक जाना चाहिए… वरना एक दिन यही बात तुम्हें शर्मिंदा करेगी। 🤦♂️
ज़मींदार: 🤯 मुझे सोचने दो… शायद तुम सही कह रहे हो।
मित्र: 🙏 यही समझदारी है। इंसानियत सबसे बड़ी चीज़ होती है। 🤝
ज़मींदार: ठीक है। मैं उससे माफ़ी माँगकर झोंपड़ी वापस दे दूँगा। 🙇♂️
पोती की भावनाएँ
“मेरी पोती ने खाना-पीना छोड़ दिया है।”
(क) कहानी में वृद्धा की पोती एक महत्वपूर्ण पात्र है, भले ही उसका उल्लेख केवल एक-दो पंक्तियों में ही हुआ है। कल्पना कीजिए कि आप ही वह पोती हैं। आपको अपने घर से बहुत प्यार है। अपने घर को बचाने के लिए जिलाधिकारी को एक पत्र लिखिए।
उत्तर:
सेवा में,
जिलाधिकारी महोदय,
[जिले का नाम]।
विषय: हमारे घर (झोंपड़ी) को बचाने की विनम्र प्रार्थना।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं एक छोटी बच्ची हूँ और मेरी दादी और मैं वर्षों से एक झोंपड़ी में रहते आए हैं। यही झोंपड़ी हमारा घर है। इसमें मेरे माता-पिता की यादें बसी हैं। मेरे बाबा और पापा यहीं इस दुनिया से विदा हुए। मम्मी भी मुझे यहीं छोड़कर गई थीं।
अब जब यह घर छीना जा रहा है, तो मुझे लगता है कि मेरे अपने भी मुझसे छिन रहे हैं। मैं बहुत छोटी हूँ लेकिन समझती हूँ कि घर केवल ईंट और मिट्टी से नहीं बनता, वह यादों और रिश्तों से बनता है।
आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि मेरे इस छोटे-से घर को बचाया जाए। मैं इस उपकार को कभी नहीं भूलूँगी।
आपकी आज्ञाकारी,
[पोती का नाम]
[स्थान, तिथि]
(ख) मान लीजिए कि वृद्धा की पोती दैनंदिनी (डायरी) लिखा करती थी। कहानी की घटनाओं के आधार पर कल्पना कीजिए कि उसने अपनी डायरी में क्या लिखा होगा? स्वयं को पोती के स्थान पर रखते हुए वह दैनंदिनी लिखिए। उदाहरण के लिए-
मेरी दैनंदिनी
2 मई – आज दादी घर पर आईं तो बहुत परेशान थीं। मैंने बहुत पूछा। उन्होंने बताया…
उत्तर:
2 मई – आज दादी बहुत दुखी थीं। उनकी आँखों में आँसू थे। मैंने पूछा तो उन्होंने बताया कि हमारा घर अब हमारा नहीं रहा। ज़मींदार ने हमारी झोंपड़ी पर कब्जा कर लिया है। मैं ये सुनकर बहुत रोई। मैंने खाना नहीं खाया। मुझे वो घर बहुत प्यारा है।
3 मई – दादी ने मुझे बहुत मनाया, पर मैंने साफ कह दिया— जब तक हम अपने घर वापस नहीं जाते, मैं खाना नहीं खाऊँगी। दादी ने कुछ सोचा, फिर कहीं चली गईं। मैं चुपचाप बैठी रही, पर मन बहुत अशांत था।
4 मई – दादी घर लौटीं। उनके हाथ में मिट्टी थी— हमारे घर की मिट्टी। उन्होंने चूल्हा बनाया, वही पुराने घर की मिट्टी से। मुझे बहुत आश्चर्य हुआ। फिर उन्होंने रोटी बनाई और मुझे कहा, “बेटी, अब खा ले। यह तेरे अपने घर की मिट्टी से बनी रोटी है।” मैं रो पड़ी… और रोटी खा ली।
5 मई – दादी ने मुझे बताया कि ज़मींदार ने हमारी झोंपड़ी लौटा दी है। मैं दौड़कर वहाँ गई। मेरी झोंपड़ी… मेरा घर… सब वैसा ही लगा जैसे कभी था। मैं बहुत खुश हूँ। दादी की ममता और साहस ने हमें फिर से हमारा घर दिलाया।
पाठ से आगे
आपकी बात
(क) कहानी में वृद्धा की पोती अपने घर से बहुत प्यार करती थी। आपके घर से अपने लगाव का अनुभव बताइए।
उत्तर: मुझे भी अपने घर से बहुत लगाव है। यह सिर्फ ईंट-पत्थर की दीवारों से बना हुआ मकान नहीं है, बल्कि इसमें मेरी यादें, मेरा बचपन और मेरे अपने लोग बसे हुए हैं। जब भी कहीं बाहर जाता हूँ, तो घर की बहुत याद आती है। माँ के हाथ का खाना, पिताजी की डाँट-फटकार, बहन की हँसी – सब कुछ बहुत अपना लगता है। घर में जो अपनापन, सुरक्षा और सुकून मिलता है, वह कहीं और नहीं मिलता।
(ख) क्या कभी आपको किसी स्थान, वस्तु या व्यक्ति से इतना लगाव हुआ है कि उसे छोड़ना मुश्किल लगा हो? अपना अनुभव साझा कीजिए।
उत्तर: हाँ, मुझे अपने पुराने स्कूल से बहुत लगाव था। जब हमारा परिवार दूसरी जगह शिफ्ट हुआ, तो मुझे अपने दोस्तों और टीचर्स को छोड़ना बहुत मुश्किल लगा। मैं कई दिन उदास रहा।
(ग) कहानी में ज़मींदार अपने किए पर पश्चाताप कर रहा है। क्या आपने कभी किसी को उनके किए पर पछताते हुए देखा है? उस घटना के बारे में बताइए। यह भी बताइए कि उस पश्चाताप का क्या परिणाम निकला?
उत्तर: हाँ, मेरे दोस्त ने एक बार गुस्से में अपने भाई का खिलौना तोड़ दिया। बाद में उसे बहुत पछतावा हुआ, और उसने अपने भाई से माफी माँगी। उसने नया खिलौना भी खरीदा।
(घ) क्या कभी ऐसा हुआ कि आपने कोई काम गुस्से या अहंकार में किया हो और बाद में पछताए हों? फिर आपने क्या किया? उस अनुभव से आपने क्या सीखा?
उत्तर: एक बार मैंने गुस्से में अपनी छोटी बहन को डाँटा। बाद में मुझे एहसास हुआ कि मैंने गलत किया। मैंने उससे माफी माँगी और उसे चॉकलेट दी। मैंने सीखा कि गुस्से में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।
न्याय और समता
कहानी में आपने पढ़ा कि एक ज़मींदार ने लालच के कारण एक स्त्री का घर छीन लिया।
(क) क्या आपने किसी के साथ ऐसा अन्याय देखा, पढ़ा या सुना है? उसके बारे में बताइए।
उत्तर: हाँ, मैंने एक खबर पढ़ी थी जिसमें एक गरीब परिवार का घर बिना उनकी सहमति के तोड़ दिया गया था। वे बहुत दुखी थे।
(ख) ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए आप क्या-क्या कर सकते हैं? आपके आस-पास के लोग क्या-क्या कर सकते हैं?
उत्तर: मैं ऐसे लोगों की मदद के लिए उनके साथ खड़ा हो सकता हूँ, उनकी बात अधिकारियों तक पहुँचा सकता हूँ, या सामाजिक संगठनों से मदद माँग सकता हूँ। मेरे आस-पास के लोग भी एकजुट होकर आवाज़ उठा सकते हैं।
(ग) “सच्ची शक्ति दया और न्याय में है।” इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर: यह कथन बिल्कुल सही है। सच्ची शक्ति ताकत या पैसे में नहीं, बल्कि दूसरों के प्रति दया और उनके साथ न्याय करने में है। दया और न्याय से हम समाज को बेहतर बना सकते हैं।
आज की पहेली
नीचे दिए गए अक्षरों से सार्थक शब्द बनाइए:
- ट् क र् ई ओ = टोकरी
- य् आ द = याद
- ई ल व क् = वकील
- झू ओ ई प ङ् अं = झोंपड़ी
- ज द् आ म् ई र अं = ज़मींदार
- त् आ इ औ क ल् = काल
खोजबीन के लिए
हमारे देश में हजारों सालों से कहानियाँ सुनी-सुनाई जाती रही हैं। सैकड़ों साल पहले लिखी गई कहानियों की पुस्तकें आज भी उपलब्ध हैं। ऐसी ही एक अद्भुत पुस्तक हितोपदेश है जो आज भी विश्व में मनोरंजन और ज्ञान प्राप्त करने के उद्देश्य से पढ़ी-पढ़ाई जाती है। अपने पुस्तकालय से हितोपदेश की कहानियों की पुस्तक खोजकर पढ़िए और इसकी कोई एक कहानी कक्षा में सुनाइए।
उत्तर:
हितोपदेश की एक कहानी: “सिंह और सियार”
बहुत समय पहले की बात है। एक घने जंगल में एक शक्तिशाली सिंह रहता था। वह रोज़ शिकार करता और जो बचता, उसे खा लेता। एक दिन वह बहुत थक गया और शिकार नहीं कर पाया।
उसी जंगल में एक सियार रहता था। उसने सोचा, “अगर मैं इस सिंह की सेवा करूँ, तो मुझे रोज़ खाना मिल जाएगा।” उसने सिंह के पास जाकर कहा,
“हे जंगल के राजा! मैं आपका सेवक बनना चाहता हूँ। आप मुझे जो भी काम कहेंगे, मैं करूंगा।”
सिंह ने उसकी बात मान ली।
अब सियार रोज़ सिंह के साथ जाता, सिंह शिकार करता और सियार बचे हुए मांस से पेट भर लेता। कुछ समय तक यह सब ठीक चला।
फिर एक दिन सिंह बहुत बीमार हो गया और शिकार करने नहीं जा सका। उसने सियार से कहा, “आज तुम किसी जानवर को मेरे पास ले आओ, मैं उसे मारकर खाऊँगा।”
सियार को एक गधा दिखाई दिया। वह गधे के पास गया और बोला,
“हे गधे भाई! जंगल में एक सुंदर गधी आई है। वह तुमसे मिलना चाहती है। चलो, मैं तुम्हें उससे मिलवाता हूँ।”
गधा बहुत खुश हो गया और सियार के साथ चल पड़ा। जैसे ही वह सिंह के पास पहुँचा, सिंह ने उस पर झपट्टा मारा लेकिन कमजोरी की वजह से वह उसे मार नहीं सका। गधा भाग गया।
सियार ने फिर जाकर उसे समझाया और दोबारा लाया। इस बार सिंह ने पूरी ताकत से हमला किया और गधे को मार दिया।
इसके बाद सिंह ने सियार से कहा,
“मैं स्नान करके आता हूँ, तब तक तुम इसे मत खाना।”
पर सियार लोभी था। उसने गधे का दिमाग खा लिया।
जब सिंह वापस आया, उसने गधे का सिर देखा और पूछा,
“इसका दिमाग कहाँ गया?”
सियार ने चतुराई से कहा,
“हे स्वामी, अगर इस गधे के पास दिमाग होता तो वह दोबारा आपके पास आता?”
सिंह यह सुनकर हँस पड़ा और सियार की चालाकी को समझ गया।
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