Solutions For All Chapters – Hindi Malhar Class 8
पाठ से
मेरी समझ से
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर के सम्मुख तारा (★) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।
(1) कविता के अनुसार ब्रह्मांड में मानव का स्थान कैसा है?
• पृथ्वी पर सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण
• ब्रह्मांड की तुलना में अत्यंत सूक्ष्म (★)
• सूर्य, चंद्र आदि सभी नक्षत्रों से बड़ा
• समस्त प्रकृति पर शासन करने वाला
(2) कविता में मुख्य रूप से किन दो वस्तुओं के अनुपात को दिखाया गया है?
• पृथ्वी और सूर्य
• देश और नगर
• घर और कमरा
• मानव और ब्रह्मांड (★)
(3) कविता के अनुसार मानव किन कार्यों में लिप्त रहता है?
• त्याग, ज्ञान और प्रेम में
• सेवा और परोपकार में
• ईर्ष्या, अहं, स्वार्थ, घृणा में (★)
• उदारता, धर्म और न्याय में
(4) कविता के अनुसार मानव का सबसे बड़ा दोष क्या है?
• वह अपनी सीमाओं और दुर्बलताओं को नहीं समझता।
• वह दूसरों पर शासन स्थापित करना चाहता है
• वह प्रकृति के साथ तालमेल नहीं बिठा पाता है
• वह अपने छोटेपन को भूल अहंकारी हो जाता है। (★)
(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ विचार कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
मैंने ये उत्तर इसलिए चुने क्योंकि कविता मानव की छोटी स्थिति को ब्रह्मांड की विशालता के सामने स्पष्ट करती है। साथ ही, यह मानव के नकारात्मक गुणों जैसे अहंकार और स्वार्थ पर व्यंग्य करती है, जो उसकी कमियों को उजागर करते हैं।
पंक्तियों पर चर्चा
नीचे दी गई पंक्तियों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। अपने समूह में इनके अर्थ पर चर्चा कीजिए और लिखिए-
(क) “अनगिन नक्षत्रों में / पृथ्वी एक छोटी / करोड़ों में एक ही।”
अर्थ: यह पंक्ति ब्रह्मांड की विशालता और पृथ्वी की छोटी स्थिति को दर्शाती है। अनगिनत तारों और ग्रहों में पृथ्वी एक छोटा-सा ग्रह है, जो ब्रह्मांड में अद्वितीय लेकिन बहुत छोटा है।
चर्चा: यह हमें बताता है कि पृथ्वी ब्रह्मांड में कितनी छोटी है, फिर भी मानव इसे बहुत बड़ा समझता है।
(ख) “संख्यातीत शंख सी दीवारें उठाता है / अपने को दूजे का स्वामी बताता है।”
अर्थ: यह पंक्ति मानव के अहंकार को दर्शाती है, जो अनगिनत दीवारें (सीमाएँ) बनाता है और खुद को दूसरों से श्रेष्ठ समझता है।
चर्चा: यह दिखाता है कि मानव अपनी कृत्रिम सीमाओं और अहं के कारण दूसरों से अलगाव पैदा करता है।
(ग) “देशों की कौन कहे / एक कमरे में / दो दुनिया रचाता है।”
अर्थ: यह पंक्ति बताती है कि मानव छोटे से स्थान, जैसे एक कमरे में, भी अपने मतभेदों और अहंकार के कारण दो अलग-अलग दुनियाएँ बना लेता है।
चर्चा: यह मानव की प्रवृत्ति को उजागर करती है कि वह छोटी-छोटी बातों पर भी विभाजन करता है।
मिलकर करें मिलान
नीचे दो स्तंभ दिए गए हैं। अपने समूह में चर्चा करके स्तंभ 1 की पंक्तियों का मिलान स्तंभ 2 में दिए गए सही अर्थ से कीजिए।
उत्तर:
स्तंभ 1 | स्तंभ 2 |
---|---|
संख्यातीत शंख सी दीवारें | मनुष्य द्वारा खींची गई कृत्रिम सीमाएँ |
पृथ्वी एक छोटी, करोड़ों में एक | पृथ्वी की अल्पता और अनोखेपन की ओर संकेत |
ईर्ष्या, अहं, स्वार्थ, घृणा | मनुष्य की नकारात्मक भावनाएँ |
सीमित स्थान में भी और अलगाव की प्रवृत्ति | आदमी के संकुचित होने का प्रतीक |
परिधि नभ गंगा की | ब्रह्मांड की विशालता का प्रतीक |
एक कमरे में दो दुनिया रचाता | दो व्यक्ति कमरे में / कमरे से छोटे |
अनुपात
इस कविता में ‘मानव’ और ‘ब्रह्मांड’ के उदाहरण द्वारा व्यक्ति के अल्पत्व और सृष्टि की विशालता के अनुपात को दिखाया गया है। अपने साथियों के साथ मिलकर विचार कीजिए कि मानव को ब्रह्मांड जैसा विस्तार पाने के लिए इनमें से किन-किन गुणों या मूल्यों की आवश्यकता होगी? आपने ये गुण क्यों चुने, यह भी साझा कीजिए।
उत्तर:
1. सहअस्तित्व – ताकि वह हर प्राणी और प्रकृति के साथ संतुलन में रह सके।
2. सौहार्द – जिससे आपसी प्रेम और भाईचारा बढ़े और संघर्ष कम हों।
3. विविधता का सम्मान – क्योंकि ब्रह्मांड में असंख्य रूप और स्वरूप हैं, और सभी का महत्व है।
4. संतुलन – अपने कार्यों, इच्छाओं और संसाधनों के उपयोग में संतुलन बनाए रखने के लिए।
5. समावेशिता – जिससे हर व्यक्ति, चाहे वह किसी भी पृष्ठभूमि का हो, समाज का हिस्सा बने।
6. स्वतंत्रता – सोच, अभिव्यक्ति और विकास के लिए खुला वातावरण बनाए रखने हेतु।
7. सहनशीलता – मतभेद या कठिनाई आने पर भी शांत और धैर्यवान रहने के लिए।
8. शांति – ताकि ब्रह्मांड की विशालता में स्थिरता और सद्भाव बना रहे।
मैंने ये गुण चुने क्योंकि ये न केवल मनुष्य के अहंकार, ईर्ष्या और स्वार्थ जैसी नकारात्मक प्रवृत्तियों को कम करेंगे, बल्कि उसे अपनी सीमाओं से बाहर निकलकर सृष्टि की विशालता के अनुरूप सोचने और कार्य करने में सक्षम बनाएँगे। ऐसे गुणों के बिना मनुष्य अपने छोटे से दायरे में ही उलझा रहेगा, जबकि ब्रह्मांड जैसा विस्तार पाने के लिए उसे खुला, विनम्र और सहयोगी बनना होगा।
सोच-विचार के लिए
कविता को पुनः पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए –
(क) कविता के अनुसार मानव किन कारणों से स्वयं को सीमाओं में बाँधता चला जाता है?
उत्तर: मानव ईर्ष्या, अहं, स्वार्थ, घृणा, और अविश्वास जैसे नकारात्मक गुणों के कारण स्वयं को सीमाओं में बाँधता है। वह कृत्रिम दीवारें (जैसे मतभेद) बनाता है और दूसरों पर शासन करने की इच्छा रखता है।
(ख) यदि आपको इस कविता की एक पंक्ति को दीवार पर लिखना हो, जो आपको प्रतिदिन प्रेरित करे तो आप कौन-सी पंक्ति चुनेंगे और क्यों?
पंक्ति: “एक कमरे में / दो दुनिया रचाता है।”
क्यों: यह पंक्ति मुझे याद दिलाती है कि छोटी-छोटी बातों पर मतभेद पैदा करने के बजाय, हमें एकजुटता और सौहार्द को अपनाना चाहिए। यह मुझे हर दिन दूसरों के साथ प्रेम और समझ से रहने की प्रेरणा देगी।
(ग) कवि ने मानव की सीमाओं और कमियों की ओर ध्यान दिलाया है, लेकिन कहीं भी क्रोध नहीं दिखाया। आपको इस कविता का भाव कैसा लगा – व्यंग्य, करुणा, चिंता या कुछ और? क्यों?
भाव: चिंता और व्यंग्य।
क्यों: कवि ने मानव के अहंकार और नकारात्मक गुणों पर हल्के व्यंग्य के साथ चिंता व्यक्त की है कि मानव अपनी छोटी स्थिति को भूलकर गलत रास्ते पर चल रहा है। यह चिंता हमें सुधार के लिए प्रेरित करती है।
(घ) आपके अनुसार ‘दीवारें उठाना’ केवल ईंट-पत्थर से जुड़ा काम है या कुछ और भी हो सकता है? अपने विचारानुसार समझाइए।
उत्तर: ‘दीवारें उठाना’ केवल ईंट-पत्थर की दीवारें बनाने तक सीमित नहीं है। यह मन में बनाई गई मानसिक और सामाजिक सीमाओं को दर्शाता है, जैसे ईर्ष्या, अहं, और मतभेद। ये दीवारें लोगों के बीच अलगाव पैदा करती हैं, जैसे एक कमरे में दो लोग अलग-अलग दुनियाएँ बना लेते हैं।
(ङ) मानवता के विकास में सहयोग, समर्पण और सहिष्णुता जैसी सकारात्मक प्रवृत्तियाँ ईर्ष्या, अहं, स्वार्थ और घृणा जैसी नकारात्मक प्रवृत्तियों से कहीं अधिक प्रभावी हैं। उदाहरण देकर बताइए कि सहिष्णुता या सहयोग के कारण समाज में कैसे परिवर्तन आए हैं?
उदाहरण:
- सहिष्णुता: महात्मा गांधी ने अहिंसा और सहिष्णुता के माध्यम से भारत की स्वतंत्रता के लिए लोगों को एकजुट किया, जिससे समाज में एकता और शांति बढ़ी।
- सहयोग: स्वच्छ भारत अभियान में लोगों ने मिलकर शहरों और गाँवों की सफाई की, जिससे पर्यावरण और स्वास्थ्य में सुधार हुआ।
परिवर्तन: इन गुणों ने समाज में एकता, विश्वास, और प्रगति को बढ़ावा दिया।
अनुमान और कल्पना
अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए-
(क) मान लीजिए कि आप एक दिन के लिए पूरे ब्रह्मांड को नियंत्रित कर सकते हैं। अब आप मानव की कौन-कौन सी आदतों को बदलना चाहेंगे? क्यों?
आदतें:
- ईर्ष्या: यह दूसरों के प्रति नकारात्मक भाव पैदा करती है।
- अहंकार: यह हमें अपनी सीमाओं को भूलने पर मजबूर करता है।
- स्वार्थ: यह समाज में असमानता को बढ़ाता है।
क्यों: इन आदतों को हटाने से लोग एक-दूसरे के साथ प्रेम और सहयोग से रहेंगे, जिससे समाज में शांति और समृद्धि आएगी।
(ख) यदि आप अंतरिक्ष यात्री बन जाएँ और ब्रह्मांड के किसी दूसरे भाग में जाएँ तो आप किस स्थान (कमरा, घर, नगर आदि) को सबसे अधिक याद करेंगे और क्यों?
स्थान: मेरा घर।
क्यों: घर वह जगह है जहाँ मुझे परिवार का प्यार और सुरक्षा मिलती है। यह मेरी जड़ों और यादों का केंद्र है, जो मुझे हमेशा याद रहेगा।
(ग) मान लीजिए कि एक बच्चा या बच्ची कविता में उल्लिखित सभी सीमाओं को पार कर सकता या सकती है- वह कहाँ तक जाएगा या जाएगी और क्या देखेगा या देखेगी? एक कल्पनात्मक यात्रा-वृत्तांत लिखिए।
यात्रा-वृत्तांत: एक बच्चा, जिसका नाम रिया है, अपनी कल्पना से सभी सीमाएँ तोड़ देती है। वह अंतरिक्ष में उड़ान भरती है और अनगिनत तारों, रंग-बिरंगे ग्रहों, और चमकती आकाशगंगाओं को देखती है। वह एक ऐसे ग्रह पर पहुँचती है जहाँ सभी प्राणी प्रेम और सहयोग से रहते हैं। वहाँ कोई दीवारें नहीं हैं, और सभी एक-दूसरे की मदद करते हैं। रिया वहाँ से शांति और एकता का संदेश लेकर पृथ्वी पर लौटती है।
(घ) इस कविता को पढ़ने के बाद, आप स्वयं को ब्रह्मांड के अनुपात में कैसा अनुभव करते हैं? एक अनुच्छेद लिखिए- “मैं ब्रह्मांड में एक… हूँ।”
उत्तर: मैं ब्रह्मांड में एक छोटा-सा कण हूँ। कविता पढ़ने के बाद मुझे लगता है कि मैं ब्रह्मांड की विशालता के सामने बहुत छोटा हूँ, जैसे एक कमरे में दो व्यक्ति। लेकिन मेरे विचार और कर्म ब्रह्मांड को बेहतर बना सकते हैं। मैं चाहता हूँ कि मेरे अंदर प्रेम, सहयोग, और शांति जैसे गुण हों, ताकि मैं इस विशाल ब्रह्मांड में एक सकारात्मक बदलाव ला सकूँ।
(ङ) मान लीजिए कि किसी दूसरे संसार संसार से आपके पास संदेश आया है कि उसे पृथ्वी के किसी व्यक्ति की आवश्यकता है। आप किसे भेजना चाहेंगे और क्यों?
किसे भेजूँगा: एक वैज्ञानिक को, जैसे अब्दुल कलाम।
क्यों: वे अपनी बुद्धि और मानवता के प्रति समर्पण से दूसरे संसार को पृथ्वी की अच्छाइयों के बारे में बता सकते हैं और वहाँ शांति स्थापित करने में मदद कर सकते हैं।
(च) कविता में “ईर्ष्या, अहं, स्वार्थ” जैसी प्रवृत्तियों की चर्चा की गई है। कल्पना कीजिए कि एक दिन के लिए ये भाव सभी व्यक्तियों में समाप्त हो जाएँ तो उससे समाज में क्या-क्या परिवर्तन होगा?
परिवर्तन:
- लोग एक-दूसरे की मदद करेंगे।
- समाज में शांति और एकता बढ़ेगी।
- देशों और लोगों के बीच मतभेद कम होंगे।
- सभी मिलकर पर्यावरण और समाज की भलाई के लिए काम करेंगे।
(छ) यदि आपको इस कविता का एक पोस्टर बनाना हो जिसमें इसके मूल भाव ‘विराटता और लघुता’ तथा ‘मनुष्य का भ्रम’ दर्शाया जाए तो आप क्या चित्र, प्रतीक और शब्द उपयोग करेंगे ? संक्षेप में बताए ।
उत्तर:
चित्र: एक छोटा मानव आकाश में चमकते तारों और विशाल आकाशगंगा के सामने।
प्रतीक: एक टूटी हुई दीवार, जो मानव के अहंकार के अंत को दर्शाए।
शब्द: “आदमी का अनुपात: लघुता में विराटता।”
शब्द से जुड़े शब्द
नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में ‘सृष्टि’ से जुड़े शब्द अपने समूह में चर्चा करके लिखिए –
उत्तर:
सृजन
(क) कविता में कमरे से लेकर ब्रह्मांड तक का विस्तार दिखाया गया है। इस क्रम को अपनी तरह से एक रेखाचित्र, सीढ़ी या ‘मानसिक-चित्रण’ (माइंड-मैप) द्वारा प्रदर्शित कीजिए। प्रत्येक स्तर पर कुछ विशेषताएँ लिखिए, जैसे- पास-पड़ोस की एक विशेष बात, नगर का कोई स्थान, देश की विविधता आदि। उसके नीचे एक पंक्ति में इस प्रश्न का उत्तर लिखिए- “मैं इस चित्र में कहाँ हूँ और क्यों?”
उत्तर:
- आदमी – मैं और मेरा परिवार, भावनाएँ, विचार।
- कमरा – पढ़ाई, आराम, बातचीत का स्थान।
- घर – परिवार के सभी सदस्य, साझा यादें।
- पड़ोसी क्षेत्र – पास की दुकान, पार्क, मंदिर।
- नगर – बाज़ार, विद्यालय, ऐतिहासिक स्थान।
- देश – विविध संस्कृति, भाषाएँ, त्योहार।
- पृथ्वी – पहाड़, नदियाँ, जंगल, समुद्र।
- ब्रह्मांड – असंख्य ग्रह-नक्षत्र, आकाशगंगा।
मैं इस चित्र में कहाँ हूँ और क्यों?
मैं ‘आदमी’ के स्तर पर हूँ, क्योंकि मेरी पहचान और अनुभव यहीं से शुरू होते हैं और यहीं से मैं बड़े विस्तार को समझ पाता हूँ।
(ख) अगर इसी कविता की तरह कोई कहानी लिखनी हो जिसका नाम हो ‘ब्रह्मांड में मानव’ तो उसको आरंभ कैसे करेंगे? कुछ वाक्य लिखिए।
उत्तर: “एक छोटे से नीले ग्रह पर, जो असंख्य नक्षत्रों के बीच एक बिंदु जैसा था, एक जीव रहता था – जिसे मानव कहते हैं। वह इतना छोटा था कि ब्रह्मांड की विशालता में खो जाता, फिर भी उसके सपने सितारों तक पहुँचने की चाह रखते थे।”
(ग) ‘एक कमरे में दो दुनिया रचाता है’ पंक्ति को ध्यान से पढ़िए। अगर आपसे कहा जाए कि आप एक ऐसी दुनिया बनाइए जिसमें कोई दीवार न हो तो वह कैसी होगी? उसका वर्णन कीजिए।
उत्तर: ऐसी दुनिया में सभी लोग एक-दूसरे के साथ प्रेम और सहयोग से रहेंगे। वहाँ कोई मतभेद, ईर्ष्या, या अहंकार नहीं होगा। लोग एक-दूसरे की मदद करेंगे, और प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर रहेंगे। यह एक ऐसी दुनिया होगी जहाँ शांति और एकता होगी।
(घ) एक चित्र श्रृंखला बनाइए जिसमें ये क्रम दिखे-
आदमी – कमरा – घर – पड़ोसी क्षेत्र – नगर – देश – पृथ्वी – ब्रह्मांड
प्रत्येक चित्र में आकार का अनुपात दिखाया जाए जिससे यह स्पष्ट हो कि आदमी कितना छोटा है।
उत्तर:
अनुपात: प्रत्येक चित्र में मानव का आकार छोटा होता जाएगा, जो उसकी लघुता को दर्शाएगा।
कविता की रचना
‘दो व्यक्ति कमरे में
कमरे से छोटे-
इन पंक्तियों में” चिह्न पर ध्यान दीजिए। क्या आपने इस चिह्न को पहले कहीं देखा है? इस चिह्न को ‘निदेशक चिह्न’ कहते हैं। यह एक प्रकार का विराम चिह्न है जो किसी बात को आगे बढ़ाने या स्पष्ट करने के लिए उपयोग होता है। यह किसी विषय की अतिरिक्त जानकारी, जैसे- व्याख्या, उदाहरण या उद्धरण देने के लिए उपयोग होता है। इस कविता में इस चिह्न का प्रयोग एक ठहराव, सोच का संकेत और आगे आने वाले महत्वपूर्ण विचार की ओर पाठक का ध्यान आकर्षित करने के लिए किया गया है। यह संकेत देता है कि अब कुछ ऐसा कहा जाने वाला है जो पाठक को सोचने पर विवश करेगा।
इस कविता में ऐसी अनेक विशेषताएँ छिपी हैं, जैसे – अधिकतर पंक्तियों का अंतिम शब्द ‘में’ है, बहुत छोटी-छोटी पंक्तियाँ हैं आदि।
(क) अपने समूह के साथ मिलकर कविता की अन्य विशेषताओं की सूची बनाइए। अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।
उत्तर:
- दोहराव का प्रयोग – छोटे से बड़े स्तर तक जाने के लिए पंक्तियों का क्रमिक दोहराव किया गया है।
उदाहरण: “कमरा है घर में, घर है मोहल्ले में, मोहल्ला नगर में…” - अत्यंत छोटी-छोटी पंक्तियाँ – लगभग हर पंक्ति में केवल 2–4 शब्द हैं, जिससे लय और प्रवाह बना रहता है।
- एक ही शब्द पर समाप्ति – अधिकतर पंक्तियों का अंत ‘में’ शब्द से होता है, जो रचना में एकसमानता और लय प्रदान करता है।
- क्रमिक विस्तार की संरचना – आदमी → कमरा → घर → मोहल्ला → नगर → प्रदेश → देश → पृथ्वी → ब्रह्मांड — इस तरह सूक्ष्म से विराट तक का क्रम दिखाया गया है।
- रूपक और उपमा का प्रयोग – जैसे “संख्यातीत शंख सी दीवारें” में उपमा का प्रयोग कर कृत्रिम सीमाओं की विशालता को दिखाया गया है।
- मानव की सीमाओं और कमजोरियों पर व्यंग्य – व्यंग्यात्मक शैली में मानव के अहंकार, ईर्ष्या, स्वार्थ जैसी प्रवृत्तियों को उजागर किया गया है।
- वैचारिक ठहराव के लिए ‘निदेशक चिह्न’ का प्रयोग – पंक्तियों में सोचने का संकेत और अगले विचार की ओर ध्यान खींचने के लिए।
- विराटता और लघुता का अनुपात – मानव के छोटेपन और ब्रह्मांड की विशालता का सीधा और स्पष्ट तुलना द्वारा चित्रण।
- सरल और बोलचाल की भाषा – कठिन शब्दों की बजाय सहज, रोज़मर्रा के शब्दों का प्रयोग जिससे संदेश सबको आसानी से समझ आता है।
- नकारात्मक और सकारात्मक भावों का संतुलन – नकारात्मक प्रवृत्तियों (ईर्ष्या, अहं, घृणा) के साथ सकारात्मक मूल्यों की संभावना की ओर भी संकेत।
(ख) नीचे इस कविता की कुछ विशेषताएँ और वे पंक्तियाँ दी गई हैं जिनमें ये विशेषताएँ झलकती हैं। विशेषताओं का सही पंक्तियों से मिलान कीजिए-
उत्तर:
क्रम | कविता की विशेषता | सही पंक्ति |
---|---|---|
1 | सरल वाक्य के शब्दों को विशेष क्रम में लगाया गया है | कमरा है घर में |
2 | मुहावरे का प्रयोग किया गया है | संख्यातीत शंख सी दीवारें उठाता है |
3 | छोटे से बड़े की ओर विस्तार देने के लिए शब्दों को दोहराया गया है | कमरा है घर में, घर है मोहल्ले में, मोहल्ला नगर में… |
4 | प्रश्न शैली में व्यंग्य किया गया है | देशों की कौन कहे, एक कमरे में दो दुनिया रचाता है |
5 | यह है अनुपात आदमी का विस्तार से | अतिशयोक्ति से भरा कथन है (बढ़ा-चढ़ाकर कहना) |
6 | मानव के अहंकार पर तीखा व्यंग्य किया गया है | अपने को दूजे का स्वामी बताता है |
कविता का सौंदर्य
नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर अपने समूह में मिलकर खोजिए। इन प्रश्नों से आप कविता का आनंद और अच्छी तरह से ले सकेंगे।
(क) कविता में अलग-अलग प्रकार से ब्रह्मांड की विशालता को व्यक्त किया गया है। उनकी पहचान कीजिए।
उत्तर:
- आकार की तुलना से – आदमी से लेकर कमरे, घर, मोहल्ले, नगर, प्रदेश, देश, पृथ्वी और फिर अनगिन नक्षत्रों तक का क्रम दिखाकर।
- संख्या की विशालता से – “अनगिन नक्षत्र”, “लाखों ब्रह्मांड”, “करोड़ों में एक पृथ्वी” जैसे प्रयोग।
- विस्तार की सीमा से – “परिधि नभ गंगा की” कहकर आकाशगंगा की विशाल परिधि का उल्लेख।
- अनेकता के उदाहरण से – “हर ब्रह्मांड में कितनी ही पृथ्वियाँ, कितनी ही भूमियाँ, कितनी ही सृष्टियाँ” कहकर अनंत विविधता का चित्रण।
(ख) “संख्यातीत शंख सी दीवारें उठाता है”
“अपने को दूजे का स्वामी बताता है”
“एक कमरे में
दो दुनिया रचाता है”
कविता में ये सारी क्रियाएँ मनुष्य के लिए आई हैं। आप अपने अनुसार कविता में नई क्रियाओं का प्रयोग करके कविता की रचना कीजिए।
उत्तर:
संख्यातीत शंख सी दीवारें तोड़ता है।
अपने को दूजे का मित्र बताता है।
एक कमरे में एक दुनिया रचाता है।
आपके शब्द
“सबको समेटे है
परिधि नभ गंगा की”
आपने ‘आकाशगंगा’ शब्द सुना और पढ़ा होगा। लेकिन कविता में ‘नभ गंगा’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया है। यह शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है।
आप भी अपने समूह में मिलकर इसी प्रकार दो शब्दों को मिलाकर नए शब्द बनाइए।
उत्तर:
- सूर्यकिरण (सूर्य + किरण) – सूर्य से निकलने वाली रोशनी।
- जलपर्वत (जल + पर्वत) – हिमालय जैसे बर्फ़ से ढके पर्वत।
- चांदनीरात (चांदनी + रात) – चांदनी से भरी हुई रात।
- पवनचक्की (पवन + चक्की) – हवा से चलने वाली चक्की।
- धरतीमाता (धरती + माता) – पृथ्वी के लिए स्नेहपूर्ण संबोधन।
- तारामंडल (तारा + मंडल) – तारों का समूह।
- सागरमोती (सागर + मोती) – समुद्र से प्राप्त मोती।
- अग्निपथ (अग्नि + पथ) – आग जैसा कठिन मार्ग।
आपके प्रश्न
“हर ब्रह्मांड में
कितनी ही पृथ्वियाँ
कितनी ही भूमियाँ
कितनी ही सृष्टियाँ”
क्या आपके मस्तिष्क में कभी इस प्रकार के प्रश्न आते हैं? अवश्य आते होंगे। अपने समूह के साथ मिलकर अपने मन में आने वाले प्रश्नों की सूची बनाइए। अपने शिक्षक, इंटरनेट और पुस्तकालय की सहायता से इन प्रश्नों के उत्तर ढूँढ़ने का प्रयास कीजिए।
उत्तर:
- क्या सच में ब्रह्मांड के बाहर और भी ब्रह्मांड हैं?
- अगर हर ब्रह्मांड में पृथ्वी जैसी कई पृथ्वियाँ हैं, तो वहाँ जीवन कैसा होगा?
- क्या वहाँ के जीव हमारे जैसे दिखते होंगे या बिल्कुल अलग?
- क्या वहाँ के लोग भी हम जैसे ईर्ष्या, अहं और स्वार्थ रखते होंगे या वे पूरी तरह शांतिप्रिय होंगे?
- क्या अलग-अलग ब्रह्मांडों के बीच यात्रा संभव है?
- अगर हम किसी और पृथ्वी पर जाएँ तो क्या वहाँ का वातावरण हमारे लिए सुरक्षित होगा?
- क्या वहाँ भी समय और दूरी का वही अर्थ होगा जो हमारी पृथ्वी पर है?
- क्या ब्रह्मांड की कोई सीमा है या यह अनंत है?
- क्या हम भविष्य में तकनीक के माध्यम से दूसरे ब्रह्मांड देख सकेंगे?
- क्या हर ब्रह्मांड का एक अलग नियम और प्रकृति का ढाँचा होता है?
इनमें से प्रत्येक प्रश्न के उत्तर पाने के लिए शिक्षक, इंटरनेट और पुस्तकालय की मदद ली जा सकती है, और साथ ही खगोल विज्ञान (Astronomy), ब्रह्मांड विज्ञान (Cosmology) और अंतरिक्ष अनुसंधान (Space Research) से जुड़ी किताबें पढ़ी जा सकती हैं।
विशेषण और विशेष्य
“पृथ्वी एक छोटी”
यहाँ ‘छोटी’ शब्द ‘पृथ्वी’ की विशेषता बता रहा है अर्थात ‘छोटी’ ‘विशेषण’ है। ‘पृथ्वी’ एक संज्ञा शब्द है जिसकी विशेषता बताई जा रही है। अर्थात ‘पृथ्वी’ ‘विशेष्य’ शब्द है।
अब आप नीचे दी गई पंक्तियों में विशेषण और विशेष्य शब्दों को पहचानकर लिखिए –
उत्तर:
पंक्ति | विशेषण | विशेष्य |
---|---|---|
दो व्यक्ति कमरे में | दो | व्यक्ति |
अनगिन नक्षत्रों में | अनगिन | नक्षत्र |
लाखों ब्रह्मांडों में | लाखों | ब्रह्मांड |
अपना एक ब्रह्मांड | अपना, एक | ब्रह्मांड |
संख्यातीत शंख सी | संख्यातीत | शंख |
एक कमरे में | एक | कमरा |
दो दुनिया रचाता है | दो | दुनिया |
पाठ से आगे
आपकी बात
(क) कोई ऐसी स्थिति बताइए जहाँ ‘अनुपात’ बिगड़ गया हो जैसे काम का बोझ अधिक और समय कम।
उत्तर: एक बार विद्यालय में वार्षिक समारोह से पहले नाटक की तैयारी के दौरान ‘अनुपात’ बिगड़ गया था। अभ्यास का समय केवल 2 दिन था, लेकिन संवाद, मंच सज्जा, और वेशभूषा की तैयारी का काम बहुत अधिक था। नतीजा यह हुआ कि सभी पर काम का बोझ बहुत बढ़ गया और समय बहुत कम पड़ा।
(ख) आप अपने परिवार, विद्यालय या मोहल्ले में ‘विराटता’ (विशाल दृष्टिकोण) कैसे ला सकते हैं? कुछ उपाय सोचकर लिखिए। (संकेत – किसी को अनदेखा न करना, सबकी सहायता करना आदि)
उत्तर:
- सबकी बात सुनना।
- सभी की मदद करना।
- मतभेदों को भूलकर एकजुट होना।
- पर्यावरण की रक्षा के लिए मिलकर काम करना।
(ग) ‘करोड़ों में एक ही पृथ्वी’ – इस पंक्ति को पढ़कर आपके मन में क्या भाव आता है? आप इस अनोखी पृथ्वी को सुरक्षित रखने के लिए क्या-क्या करेंगे?
- भाव: यह पंक्ति पृथ्वी की अनोखी और कीमती होने की बात बताती है।
- क्या करेंगे: पेड़ लगाना, कचरा कम करना, पानी बचाना, और पर्यावरण की रक्षा करना।
(घ) कविता हमें ‘अपने को दूजे का स्वामी बताने’ के प्रति सचेत करती है। आप अपने किन-किन गुणों को प्रबल करेंगे ताकि आपमें ऐसा भाव न आए?
उत्तर: मैं सहानुभूति, विनम्रता, और सहयोग को बढ़ाऊँगा ताकि दूसरों के साथ प्रेम और सम्मान से रह सकूँ।
(ङ) अपने जीवन में ऐसी तीन ‘दीवारों’ के विषय में सोचिए जो आपने स्वयं खड़ी की हैं (जैसे- डर, संकोच आदि)। फिर एक योजना बनाइए कि आप उन्हें कैसे तोड़ेंगे? क्या समाज में भी ऐसी दीवारें होती हैं? उन्हें गिराने में हम कैसे सहायता कर सकते हैं?
दीवारें:
- डर: नई चीजें आजमाने का डर।
- संकोच: अपनी बात कहने में हिचक।
- गलतफहमी: दूसरों के प्रति गलत धारणाएँ।
योजना:
- डर को तोड़ने के लिए नई गतिविधियों में हिस्सा लूँगा।
- संकोच को दूर करने के लिए अपनी बात खुलकर कहूँगा।
- गलतफहमियों को दूर करने के लिए दूसरों से बातचीत करूँगा।
समाज में दीवारें: जाति, धर्म, और अमीरी-गरीबी के आधार पर भेदभाव। इन्हें तोड़ने के लिए जागरूकता फैलानी होगी और सभी को समान मानना होगा।
संख्यातीत शंख
संख्यातीत शंख सी दीवारें उठता है
शंख का अर्थ है – 100 पदम की संख्या
नीचे भारतीय संख्या प्रणाली एक तालिका के रूप में दी गयी है
तालिका के आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर खोजिए –
1. जिस संख्या में 15 शून्य होते हैं, उसे क्या कहते हैं?
उत्तर: पंद्रह (15) शून्यों वाली संख्या = पद्म (10¹⁵)।
2. महाशंख में कितने शून्य होते हैं?
उत्तर: महाशंख = 10¹⁹, यानी उन्नीस (19) शून्य।
3. एक लाख में कितने हजार होते हैं?
उत्तर: एक लाख (1,00,000) में 100 हजार होते हैं (1,00,000 ÷ 1,000 = 100)।
4. उपर्युक्त तालिका के अनुसार सबसे छोटी और सबसे बड़ी संख्या कौन-सी है?
उत्तर: सबसे छोटी संख्या: एक (इकाई) = 10⁰; सबसे बड़ी: महाशंख = 10¹⁹।
5. दस करोड़ और एक अरब को जोड़ने पर कौन-सी संख्या आएगी?
उत्तर: दस करोड़ (10⁸) + एक अरब (10⁹) = 1,10,00,00,000 = एक अरब दस करोड़ (= 110 करोड़)।
समावेशन और समानता
जैसे पृथ्वी अनगिनत नक्षत्रों में एक छोटा-सा ग्रह है, वैसे ही प्रत्येक व्यक्ति, चाहे वह विशेष आवश्यकता वाला हो या न हो, समाज का एक महत्वपूर्ण भाग है।
एक समूह चर्चा आयोजित करें जिसमें सभी मानवों के लिए समान अवसरों की आवश्यकता पर बल दिया जाए। (भले ही उनका जेंडर, आय, मत, विश्वास, रंग या आकार-प्रकार आदि कैसा भी हो)
उत्तर:
समान अवसर सभी के लिए आवश्यक हैं, क्योंकि हर व्यक्ति—चाहे उसका जेंडर, आय, विचार, विश्वास, रंग, शारीरिक क्षमता या आकार-प्रकार कुछ भी हो—समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
जैसे पृथ्वी अनगिनत नक्षत्रों में एक छोटा-सा ग्रह होते हुए भी अपने भीतर जीवन, विविधता और सुंदरता को समेटे है, वैसे ही हर व्यक्ति में अपनी-अपनी विशेषताएँ और योगदान करने की क्षमता होती है।
मुख्य बिंदु जिन पर चर्चा हो सकती है:
- मानव अधिकार – शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और सम्मान का हक सबको बराबर मिलना चाहिए।
- भेदभाव का अंत – किसी के साथ जेंडर, जाति, धर्म, रंग, भाषा या शारीरिक क्षमता के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए।
- सहयोग और सहानुभूति – विशेष आवश्यकता वाले लोगों को सुविधाएँ और सहायता देकर समाज के मुख्य प्रवाह में लाना।
- विविधता की शक्ति – अलग-अलग पृष्ठभूमियों से आए लोग नए विचार और समाधान ला सकते हैं, जो समाज को समृद्ध बनाते हैं।
- समान अवसर का लाभ – जब सभी को एक जैसा अवसर मिलता है, तो प्रतिभा और मेहनत के बल पर आगे बढ़ने का मौका मिलता है, जिससे समाज में न्याय और प्रगति दोनों होते हैं।
साझी समझ
गिरिजा कुमार माथुर की अन्य रचनाएं पुस्तकालय या इंटरनेट पर खोजकर पढ़िए और कक्षा में साझा कीजिए।
गिरिजा कुमार माथुर की अन्य रचनाएँ, जिन्हें आप पुस्तकालय या इंटरनेट से पढ़ सकते हैं, इस प्रकार हैं:
- मंजीर – कविता संग्रह
- नाश और निर्माण – कविता संग्रह
- धूप के धान – कविता संग्रह
- शिलापंख चमकीले – कविता संग्रह
- मैं वक्त के हूँ – कविता संग्रह
- होंगे कामयाब – प्रसिद्ध भावांतर गीत
- नाटक, गीत, कहानियाँ और निबंध – विभिन्न रचनाएँ
इन रचनाओं में भी मानवता, सामाजिक मूल्यों और जीवन दर्शन पर गहरी सोच दिखाई देती है, ठीक वैसे ही जैसे “आदमी का अनुपात” कविता में है।
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