एक आशीर्वाद (कविता) – सारांश
यह अध्याय “एक आशीर्वाद” दुष्यंत कुमार की कविता पर आधारित है। इस कविता में कवि ने बच्चों और युवाओं को आशीर्वाद के रूप में संदेश दिया है कि उनके सपने बड़े हों और वे अपने जीवन में ऊँचे लक्ष्य बनाएँ। कवि कहता है कि सपने केवल कल्पनाओं तक सीमित न रहें बल्कि धरती पर उतरकर वास्तविकता बनें। बच्चों को चाहिए कि वे कठिनाइयों और चुनौतियों से न डरें, बल्कि उनका सामना करें। जैसे दीपक की रोशनी देखकर आकर्षित होना और उँगली जलाना यह बताता है कि सफलता पाने के लिए संघर्ष और कष्ट सहने पड़ते हैं। कविता में यह भी कहा गया है कि हर इंसान को अपने पैरों पर खड़ा होकर आत्मनिर्भर बनना चाहिए।
इसमें सपनों को हँसते, गाते, मुसकराते इंसान की तरह प्रस्तुत किया गया है, ताकि यह लगे कि सपने हमारे जीवन का जीवंत हिस्सा हैं। कवि का संदेश है कि हमें बड़े सपने देखने चाहिए और उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत, योजना और धैर्य जरूरी है। इसी विचार को डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने भी आगे बढ़ाया कि सपने वे नहीं होते जो नींद में आते हैं, बल्कि वे होते हैं जो हमें सोने नहीं देते। कलाम जी बताते हैं कि सपनों को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास और समय का सही उपयोग आवश्यक है।
अध्याय का मुख्य सार यह है कि सपने जीवन को दिशा देते हैं, हमें ऊँचाइयों तक पहुँचाते हैं और इन्हें पूरा करने के लिए संघर्ष, आत्मनिर्भरता और निरंतर परिश्रम जरूरी है।
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