नए मेहमान – सारांश
इस एकांकी में लेखक उदयशंकर भट्ट ने एक मध्यमवर्गीय शहरी परिवार की स्थिति को बड़े ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है। कहानी की शुरुआत भीषण गर्मी से होती है जहाँ विश्वनाथ और उसकी पत्नी रेवती छोटे-से किराये के मकान में असुविधाओं के बीच जीवन बिता रहे हैं। घर के लोग गरमी और तंग जगह से परेशान हैं। इसी समय अचानक दो अनजाने मेहमान – नन्हेमल और बाबूलाल – उनके घर आ जाते हैं। घरवाले उन्हें पहचानते तक नहीं, फिर भी भारतीय परंपरा के अनुसार संकोचवश उनकी सेवा-सत्कार करते हैं। मेहमानों की बेवजह माँगें, गर्मी का कष्ट, पड़ोसियों की शिकायतें – इन सबके बीच परिवार असहज और असमंजस में पड़ जाता है। अंत में सच्चाई सामने आती है कि वे मेहमान असली रिश्तेदार या परिचित नहीं थे, बल्कि गलती से आ गए थे। असली मेहमान – रेवती का भाई – बाद में पहुँचता है।
इस एकांकी के माध्यम से लेखक ने दिखाया है कि शहरों में साधारण परिवार कितनी कठिनाइयों और असुविधाओं में रहते हैं, फिर भी अतिथि-सत्कार की परंपरा निभाने से पीछे नहीं हटते। इसमें गरीबी, भीषण गर्मी, पड़ोसियों का असहयोग, और भारतीय संस्कृति की “अतिथि देवो भव” की भावना को सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
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