पाठ का सारांश (भावार्थ)
इस पाठ में उपभोक्ताओं के अधिकारों और कर्तव्यों की जानकारी दी गई है।कहानी संवाद के रूप में प्रस्तुत है – रेखा, रंजन और उनके दादाजी के बीच बातचीत से हमें पता चलता है कि उपभोक्ता कौन है, उसे क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए और यदि उसके साथ ठगी हो जाए तो वह क्या कर सकता है।
रेखा अखबार में एक पीला कागज़ देखती है जिस पर लिखा होता है – “जागो, उपभोक्ता जागो।”दादाजी बताते हैं कि यह उपभोक्ता दिवस का संदेश है और इसका अर्थ है कि वस्तुएँ खरीदते समय सावधानी बरतनी चाहिए।
दादाजी समझाते हैं कि जो कोई भी वस्तु या सेवा का उपयोग करता है, वह उपभोक्ता कहलाता है – जैसे बिजली, पानी, टेलीफोन या रेलवे टिकट की सेवा लेने वाला।वे बताते हैं कि कई बार दुकानदार नकली या एक्सपायरी सामान, कम तौल, या अधिक मूल्य लेकर उपभोक्ताओं को धोखा देते हैं।
ऐसी स्थिति में उपभोक्ता को जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायत करनी चाहिए। शिकायत सादे कागज़ पर की जा सकती है, जिसमें बिल और खराबी का प्रमाण संलग्न करना आवश्यक है।
फोरम तीन स्तरों पर काम करता है –
- जिला उपभोक्ता फोरम: बीस लाख रुपये तक के मामले।
- राज्य उपभोक्ता आयोग: बीस लाख से एक करोड़ रुपये तक के मामले।
- राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग: एक करोड़ रुपये से अधिक के मामले।
फोरम शिकायत की सुनवाई करके क्षतिपूर्ति (मुआवज़ा) दिलाता है या सामान बदलवाने का आदेश देता है।
अंत में दादाजी सलाह देते हैं कि हमें केवल आई.एस.आई. या एगमार्क अंकित वस्तुएँ ही खरीदनी चाहिए, ताकि ठगी की गुंजाइश न रहे।रेखा और रंजन यह निश्चय करते हैं कि वे आगे से हर खरीददारी में सावधानी रखेंगे।
मुख्य भाव
- उपभोक्ता को अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहना चाहिए।
- कोई भी वस्तु खरीदते समय बिल लेना, मूल्य जाँचना, और गुणवत्ता देखना आवश्यक है।
- ठगी या नुकसान की स्थिति में उपभोक्ता को फोरम में शिकायत करनी चाहिए।
- हमें सरकार द्वारा प्रमाणित वस्तुएँ ही खरीदनी चाहिए।
- जागरूक उपभोक्ता ही ईमानदार व्यापार की नींव होता है।

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