पाठ का सारांश (भावार्थ)
कहानी में माँ सावित्री, उसकी बेटी निर्मला और बेटा कमल हैं। कहानी की शुरुआत कमल के रोने से होती है। वह कहता है कि निर्मला ने उसकी कमीज़ पर पानी गिरा दिया और उसका मज़ाक उड़ाया। माँ उसे गोद में लेकर शांत करती है और निर्मला को डाँटती है।
माँ की बातों से निर्मला को झटका लगता है, क्योंकि वह समझ नहीं पाती कि माँ इतनी गुस्सा क्यों कर रही हैं। सावित्री को बाद में एहसास होता है कि वह स्वयं भी कभी अपने भाई नरेन्द्र से रूठ गई थी – एक छोटी-सी बात पर दोनों ने एक महीने तक बात नहीं की थी। यह याद आते ही सावित्री मुस्कुराने लगती है और सोचती है कि बच्चों को अब डाँट-फटकार नहीं लगाएगी।
दोपहर को फिर निर्मला और कमल में छोटी-सी बात पर झगड़ा होता है। शाम को दोनों जुलूस देखने जाना चाहते हैं। माँ पहले मना करती है, फिर झुंझलाकर अनुमति दे देती है।
भीड़ में कमल खो जाता है। निर्मला घबराकर रोने लगती है और हर जगह उसे ढूँढती है। जब कमल सुरक्षित लौट आता है, तो निर्मला उसे गले लगाकर फूट-फूटकर रोती है। माँ यह देखकर भावुक हो जाती है और समझ जाती है कि भाई-बहन के झगड़ों में भी सच्चा प्रेम और स्नेह छिपा होता है।
मुख्य भाव
- भाई-बहन का संबंध स्नेह, ममता और प्रेम से भरा होता है।
- छोटे-छोटे झगड़े भी उनके प्यार को और गहरा बनाते हैं।
- माँ को भी समझ आता है कि बच्चों को डाँटना नहीं चाहिए, क्योंकि उनमें प्रेम स्वाभाविक है।
- भाई-बहन का रिश्ता जीवनभर साथ रहने वाला पवित्र संबंध है।
मुख्य घटनाएँ (संक्षेप में)
- कमल का रोना और माँ का उसे शांत करना।
- निर्मला को डाँटना और माँ का अपने भाई नरेन्द्र की यादों में खो जाना।
- निर्मला और कमल का जुलूस देखने जाना।
- भीड़ में कमल का खो जाना और निर्मला की घबराहट।
- कमल का मिलना और दोनों का एक-दूसरे से गले लगकर रोना।
- माँ का यह समझना कि भाई-बहन का प्रेम सबसे बड़ा होता है।

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