कविता का सारांश (भावार्थ)
कवि ने इस कविता में वृक्षों को परिवार के सदस्यों के समान बताया है।कवि कहता है कि जैसे परिवार के हर सदस्य का अपना-अपना महत्व होता है, वैसे ही हर पेड़-पौधा भी हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
पीपल को कवि ने पिता के समान पवित्र बताया है और तुलसी को माता के रूप में पूजनीय कहा है।त्रिफला को बहन या बहू की तरह हितैषी, बेर को भाई, महुआ को मामा और आम के वृक्ष को नाना के समान स्नेह देने वाला बताया है।देवदार दादाजी, इमली दादी, खिरनी नानी, बरगद परदादा, गुलमोहर चाचा, नीम ननद-ननदोई, मौलसिरी मौसी, मेंहदी मामी, अशोक परनाना, शीशम श्वसुर और जामुन जामाता के समान बताए गए हैं।
कवि का उद्देश्य यह है कि जैसे हम अपने परिवार से प्रेम करते हैं, वैसे ही पेड़ों से भी प्रेम करें, उन्हें लगाएँ और उनका संरक्षण करें।वृक्ष हमें फल, छाया, औषधियाँ, सुख और जीवन प्रदान करते हैं। इसलिए हमें पौधे रोपकर उन्हें सींचना चाहिए और प्रकृति का आनंद लेना चाहिए।
मुख्य भाव
- वृक्ष हमारे परिवार जैसे हैं।
- पेड़ जीवनदायी और औषधियों के दाता हैं।
- हर वृक्ष का अपना विशेष गुण और महत्व है।
- हमें वृक्षों का सम्मान करना चाहिए और उनकी रक्षा करनी चाहिए।
- पेड़ लगाना और उनका पालन-पोषण करना हमारा कर्तव्य है।
वृक्षों की महत्ता (गद्यांश से)
- भारतीय संस्कृति में वृक्षों को पूजनीय स्थान प्राप्त है।
- वृक्ष को “प्रकृति का परिधान”, “आरोग्य दाता” और “प्राणदाता” कहा गया है।
- वृक्ष हमें लकड़ी, फल, छाया, ईंधन, दवा और आर्थिक लाभ देते हैं।
- हरियाली अमावस्या और श्रावणी पर्व जैसे त्यौहार वृक्षों की महत्ता को दर्शाते हैं।
- हरे वृक्ष काटना एक बड़ा अपराध है।

Leave a Reply