नई सुबह – सारांश
इस कहानी में दहेज प्रथा की बुराइयों और एक शिक्षित लड़की गीता के साहसिक निर्णय को दिखाया गया है। गीता की शादी एक इंजीनियर लड़के से तय होती है, जो खुद को दहेज के खिलाफ बताता है, लेकिन बाद में कार की माँग रखता है। शादी वाले दिन बारात में दूल्हे और उसके पिता के स्वार्थी व्यवहार से गीता को उनके लालच का सच्चा रूप दिखाई देता है। जब दूल्हे ने कार की माँग की, तो गीता ने दृढ़ता से इंकार कर दिया और कहा कि वह ऐसे लालची व्यक्ति से शादी नहीं करेगी। उसने अपने पिताजी को समझाया कि दहेज माँगना अपराध है और शंभुपुरा के उस सच्चे परिवार से रिश्ता जोड़ने का सुझाव दिया जिसे पहले गरीबी के कारण ठुकराया गया था। गीता की बात मानकर उसके परिवार ने उसी रात शंभुपुरा वालों से उसका विवाह कराया। लालची दूल्हे को बिना ब्याहे अपमान के साथ लौटना पड़ा। इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि दहेज लेना या देना दोनों गलत हैं, और सच्चा सुख ईमानदारी, साहस और सच्चे संबंधों में है।

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