जागो, उपभोक्ता जागो – सारांश
इस पाठ में उपभोक्ताओं के अधिकार, कर्त्तव्य और सजग रहने की आवश्यकता को बताया गया है। कहानी में रेखा और रंजन अपने दादाजी से “जागो, उपभोक्ता जागो” पर्चे के बारे में पूछते हैं। दादाजी समझाते हैं कि जो व्यक्ति किसी वस्तु या सेवा का उपयोग करता है, वह उपभोक्ता कहलाता है। कई दुकानदार लाभ के लिए नकली या घटिया सामान बेचते हैं, ज़्यादा दाम लेते हैं या कम तौलते हैं। इसलिए उपभोक्ता को सावधान रहना चाहिए, बिल लेना चाहिए और गारण्टी-वारण्टी पर ध्यान देना चाहिए। यदि कोई व्यापारी धोखा दे, तो उपभोक्ता जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायत कर सकता है। दादाजी बताते हैं कि बीस लाख रुपये तक के मामले जिला फोरम में, एक करोड़ तक के मामले राज्य आयोग में और एक करोड़ से अधिक के मामले राष्ट्रीय आयोग में सुने जाते हैं। फोरम में शिकायत से उपभोक्ता को सामान बदलवाने या क्षतिपूर्ति राशि पाने का अधिकार मिलता है। दादाजी सलाह देते हैं कि हमें सरकार द्वारा प्रमाणित आई.एस.आई. या एगमार्क वाली वस्तुएँ ही खरीदनी चाहिए। इस पाठ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि उपभोक्ता को हमेशा जागरूक रहना चाहिए और अपने अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए।

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