सहनशीलता – सारांश
इस कविता में कवि दिनकर ने सहनशीलता, क्षमा, दया और मनोबल जैसे मानवीय गुणों का महत्व बताया है। कवि कहते हैं कि जब भगवान श्रीकृष्ण ने शांति का प्रस्ताव लेकर दुर्योधन के पास गए और नम्रता दिखाई, तब कौरवों ने उनकी विनम्रता को कमजोरी समझ लिया। कवि समझाते हैं कि क्षमा उसी व्यक्ति को शोभा देती है जिसके पास शक्ति हो। जैसे विष वाला सर्प ही क्षमा योग्य होता है, न कि दंतहीन और निर्बल सर्प। भगवान राम ने भी तीन दिन तक समुद्र से मार्ग देने की विनती की, पर जब सागर ने उत्तर नहीं दिया, तब राम के बाणों की अग्नि से समुद्र स्वयं डरकर चरणों में आ गिरा। कवि कहते हैं कि सच्ची विनम्रता और क्षमा उसी में शोभा देती है, जिसके पास बल और विजय की शक्ति हो। बिना शक्ति की क्षमा कायरता कहलाती है। अंत में कवि का संदेश है कि संसार वही व्यक्ति पूजता है जिसमें बल के साथ विनम्रता, सहनशीलता और दया का संगम हो।

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