रामेश्वरम् – सारांश
इस यात्रा-वृत्तांत में लेखक ने दक्षिण भारत के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल रामेश्वरम् की यात्रा का सुंदर और रोचक वर्णन किया है। लेखक बताते हैं कि ट्रेन समुद्र के बीच बनी पतली पटरी और पुल से होकर गुजरती है, जिससे दोनों ओर का सागर दिखाई देता है। यह दृश्य अत्यंत मनमोहक होता है। समुद्र पर बना पामवन पुल इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना है, जो जहाजों के गुजरने पर ऊपर उठ जाता है। लेखक बताते हैं कि रामेश्वरम् चारों धामों में से एक है, जहाँ देशभर से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। यह मंदिर दक्षिण भारतीय स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसके लम्बे दालान, ऊँचे गोपुरम् और कलात्मक खम्भे अद्भुत हैं। कहा जाता है कि सबसे पहले इस मंदिर का निर्माण श्रीलंका के राजा वरदराज शेखर ने करवाया था, बाद में अन्य राजाओं ने इसे और भव्य बनाया। पौराणिक कथा के अनुसार, लंका से लौटने पर भगवान राम ने यहाँ शिवलिंग की स्थापना की थी, इसलिए इस स्थान का नाम रामेश्वरम् पड़ा। यहाँ 24 तीर्थ हैं और पास में गंधमादन पर्वत, रामतीर्थ, लक्ष्मणतीर्थ और सीतातीर्थ जैसे पवित्र स्थल भी हैं। लेखक धनुष्यकोटि स्थान का भी वर्णन करते हैं, जहाँ से लंका मात्र 22 मील दूर है और यहीं से भगवान राम ने समुद्र पार करने की तैयारी की थी। लेखक अंत में कहते हैं कि समुद्र, आकाश और मुक्त वातावरण के बीच यह यात्रा आत्मा को शांति और आनंद प्रदान करती है।

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