कित्तूर की रानी चेन्नम्मा – सारांश
इस एकांकी में वीरांगना रानी चेन्नम्मा के साहस, देशप्रेम और आत्मसम्मान का प्रेरणादायक चित्रण किया गया है। कहानी कित्तूर राज्य की है, जहाँ अंग्रेज़ सरकार ने रानी के गोद लिए पुत्र को उत्तराधिकारी मानने से इंकार कर राज्य हड़पने का षड्यंत्र रचा। रानी ने अंग्रेज़ों के इस फरमान को फाड़कर फेंक दिया और कहा कि नारी को दुर्बल समझना भूल है — समय आने पर वही प्रलय कर सकती है। रानी के सेनानायक सिद्दप्पा और रायण्णा ने भी अंग्रेज़ों से युद्ध के लिए कमर कस ली। गद्दार मल्लप्पा शेट्टी ने अंग्रेज़ों का साथ दिया और अपने स्वार्थ के लिए देश से विश्वासघात किया। युद्ध में रानी ने बहादुरी से मोर्चा संभाला और अपने अचूक निशाने से अंग्रेज़ सेनानायक थेकरे को मार गिराया। परंतु बाद में मल्लप्पा की गद्दारी से अंग्रेज़ों को किले का गुप्त रास्ता पता चल गया। रानी ने वीरतापूर्वक लड़ते हुए भी अंग्रेज़ों द्वारा बंदी बना ली गई। जब मल्लप्पा इनाम की आशा लेकर उसके सामने आया, तो रानी ने क्रोध में अपनी कटार से उसे मार डाला और कहा कि देशद्रोही को यही सजा मिलनी चाहिए। इस रचना से यह शिक्षा मिलती है कि रानी चेन्नम्मा जैसी वीर नारियाँ देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की भी परवाह नहीं करतीं, और सच्चा देशप्रेम त्याग, साहस और स्वाभिमान में निहित है।

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