आओ दीप जलाएँ – सारांश
इस प्रेरक पाठ में लेखक ने भगवान बुद्ध और जापान के संत रिजाई की घटनाओं के माध्यम से यह संदेश दिया है कि अंधकार को मिटाने का सबसे अच्छा तरीका प्रकाश फैलाना है। भगवान बुद्ध के शिष्य आनंद ने जब यह पूछा कि मनुष्य को दुख, बुढ़ापा और मृत्यु से मुक्ति क्यों नहीं मिलती, तो बुद्ध ने समझाया कि शरीर नहीं, मन का उजाला ही सच्चा बोध है। उन्होंने कहा कि जब तक मन में प्रकाश नहीं होगा, तब तक जीवन में अंधकार बना रहेगा। अंधकार को कोसने से नहीं, बल्कि एक दीप जलाने से वह मिटता है। बाद में जापान के संत रिजाई की कथा के माध्यम से बताया गया है कि सच्चा प्रकाश करुणा, सेवा और मानवता में है। रिजाई ने चोरी करने आए चोर को दंड देने के बजाय अपना कंबल दे दिया और कहा कि चोरी करने से पहले ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि किसी को चोरी करने की जरूरत ही न पड़े। इस घटना से पूरे जापान में ज्ञान और संवेदना का दीप जल उठा। अंत में लेखक बताते हैं कि दीपावली का पर्व केवल अपने घर को रोशन करने का नहीं, बल्कि दूसरों के जीवन में भी उजाला फैलाने का प्रतीक है। सच्चा दीपोत्सव तभी है जब हम दूसरों के लिए भी जलें, अपने प्रकाश से अंधकार मिटाएँ और पूरे समाज को सुखी बनाएँ।

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