वृक्ष निभाता रिश्ता-नाता – सारांश
इस कविता में कवि अज़हर हाशमी ने वृक्षों को परिवार के सदस्यों के समान बताया है। उन्होंने बताया है कि हर वृक्ष हमारे जीवन से जुड़ा हुआ है और हमारे साथ स्नेहपूर्ण रिश्ता निभाता है। जैसे पीपल पिता की तरह पवित्र है, तुलसी माता के समान है, आम नाना की तरह स्नेही है, देवदार दादाजी, इमली दादी, खिरनी नानी, और नीम ननद-ननदोई की तरह रोगों का उपचार करती है।
कवि कहते हैं कि वृक्ष हमारे पोषक, रक्षक और जीवनदायी औषधियों के दाता हैं। वे हमें फल, छाया, हवा, दवा और आनंद देते हैं। इसलिए हमें वृक्षों का आदर करना चाहिए, उन्हें लगाना और सींचना चाहिए।
कविता का संदेश है कि वृक्ष केवल प्रकृति का हिस्सा नहीं, बल्कि हमारे परिवार के समान हैं। हमें उनका संरक्षण करना चाहिए, ताकि हमारा जीवन और पर्यावरण दोनों सुखी और स्वस्थ बने रहें।

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