इतिहास जानने के स्रोत
इतिहास क्या है?
- ‘इतिहास’ शब्द संस्कृत के इति + ह + आस से बना है, जिसका अर्थ है – “जो घट चुका है”।
- अर्थात् भूतकाल में घटित घटनाओं या व्यक्तियों का विवरण ही इतिहास है।
- इतिहास से हमें मानव के क्रमिक विकास और प्राचीन जीवन के बारे में जानकारी मिलती है।
इतिहास जानने के मुख्य स्रोत
इतिहास को जानने के लिए इतिहासकार कुछ साधनों का उपयोग करते हैं, जिन्हें इतिहास के स्रोत कहा जाता है।इन स्रोतों को दो भागों में बाँटा गया है –
- पुरातात्विक स्रोत (Archaeological Sources)
- साहित्यिक स्रोत (Literary Sources)
1. पुरातात्विक स्रोत
पुरातात्विक स्रोत वे चीजें हैं जो प्राचीन काल से बची हुई हैं, जैसे –
- औजार, जीवाश्म, बर्तन, सिक्के, इमारतें, मूर्तियाँ, आभूषण, शिलालेख आदि।
महत्वपूर्ण उदाहरण:
- शिलालेख: पत्थरों पर खोदकर लिखी बातें।
- भोजपत्र: एक विशेष वृक्ष की छाल जिस पर ग्रंथ लिखे जाते थे।
- ताड़पत्र: ताड़ वृक्ष के पत्तों पर स्याही से लिखा हुआ लेख।
- ताम्रपत्र: तांबे की पट्टियों पर खुदाई से लिखा गया लेख।
- जीवाश्म: पुराने जीवों या मनुष्यों की हड्डियाँ जो पत्थर जैसी बन जाती हैं।
अधिकतर शिलालेख संस्कृत, प्राकृत, पाली, तमिल भाषा में और ब्राह्मी लिपि में लिखे गए हैं।
पुरातत्ववेत्ता
वे व्यक्ति जो पुरानी वस्तुओं और स्थलों की खोज करते हैं और उनके बारे में सही तथ्य पता लगाते हैं, उन्हें पुरातत्ववेत्ता कहा जाता है।
शैलचित्र (Rock Paintings)
- जब मनुष्य को लिखना नहीं आता था, तब वह शिलाओं पर चित्र बनाकर अपनी बातें व्यक्त करता था।
- इन चित्रों को शैलचित्र कहा जाता है।
- भीमबैठिका (भोपाल, मध्यप्रदेश) में बने शैलचित्र सबसे प्रसिद्ध हैं।
- इसकी खोज पद्मश्री डॉ. वि. श्री. वाकणकर ने की थी।
- यह स्थान विश्व धरोहर स्थल के रूप में जाना जाता है।
- भारत के लगभग तीन-चौथाई शैलचित्र मध्यप्रदेश में ही पाए जाते हैं।
भवन और स्थापत्य कला
प्राचीन भवन, किले, मंदिर, मस्जिद, चर्च, बावड़ियाँ आदि से हमें उस समय की कला, संस्कृति, समाज, धर्म और राजनीति की जानकारी मिलती है।ये मानव के गणितीय ज्ञान और स्थापत्य कला के विकास को भी दर्शाते हैं।
2. साहित्यिक स्रोत
- वेद, पुराण, रामायण, महाभारत, संगम साहित्य, त्रिपिटक आदि ग्रंथ उस समय के समाज, नगर, संस्कृति, रीति-रिवाज और जीवन की जानकारी देते हैं।
यात्रा-वृत्तांत
- यूनानी यात्री मेगस्थनीज,
- चीनी यात्री ह्वेनसांग, फाह्यान, इत्सिंग आदि ने भारत की यात्रा की।
- इनके यात्रा-विवरण से उस समय की सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक स्थिति की जानकारी मिलती है।
व्यापार और सांस्कृतिक परिवर्तन
- व्यापार और वाणिज्य के फैलाव से लोग एक स्थान से दूसरे स्थान तक गए।
- भाषाओं और संस्कृतियों का मेल हुआ।
- जीवन के मूल्यों और तौर-तरीकों में परिवर्तन आया।
ऐतिहासिक धरोहरों का महत्व
- ये धरोहरें हमारे अतीत और गौरवशाली संस्कृति का प्रमाण हैं।
- हमें इनकी सुरक्षा और संरक्षण करना चाहिए क्योंकि ये हमारे राष्ट्र की पहचान हैं।
संक्षिप्त अभ्यास के लिए बिंदु
- इतिहास के स्रोत – पुरातात्विक और साहित्यिक।
- शैलचित्रों का प्रसिद्ध स्थल – भीमबैठिका (म.प्र.)।
- भीमबैठिका की खोज – डॉ. वि. श्री. वाकणकर।
- पुरातत्ववेत्ता का कार्य – पुरानी वस्तुओं की खोज और अध्ययन।
- ऐतिहासिक धरोहरों की रक्षा क्यों – क्योंकि ये हमारे अतीत की झलक हैं।

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