वैदिक संस्कृति
वैदिक संस्कृति का परिचय
- वेद भारत के सबसे प्राचीन ग्रंथ हैं।
- वेद, उपनिषद, ब्राह्मण, और अरण्यक – इन सबको मिलाकर वैदिक साहित्य कहा जाता है।
- “वेद” शब्द का अर्थ है – ज्ञान या पवित्र आध्यात्मिक ज्ञान।
वैदिक काल के दो भाग:
- पूर्व वैदिक काल (ऋग्वैदिक काल) – ऋग्वेद से संबंधित।
- उत्तर वैदिक काल – सामवेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद, ब्राह्मण, अरण्यक और उपनिषद काल।
इस युग की संस्कृति को ही वैदिक संस्कृति कहा जाता है।
आर्यों का आगमन
- कुछ इतिहासकारों के अनुसार आर्य लोग उत्तर-पूर्वी ईरान या मध्य एशिया से आकर भारत में बसे।
- अन्य इतिहासकार मानते हैं कि आर्य भारत के ही मूल निवासी थे।
- सभ्यताएँ और संस्कृतियाँ सदैव नदियों के किनारे विकसित हुई हैं।
- आर्यों ने सिन्धु, सतलज, व्यास और सरस्वती नदियों के किनारे अपने वैदिक ग्रंथ रचे।
- इन ऋचाओं का संग्रह ऋग्वेद कहलाता है।
सरस्वती नदी अब विलुप्त हो चुकी है, पर वैदिक साहित्य में इसका उल्लेख मिलता है।
सामाजिक जीवन
- आर्य कबीलों (जन) में रहते थे। प्रत्येक कबीला कई ग्रामों (गाँवों) में बँटा होता था।
- प्रत्येक ग्राम में कई परिवार होते थे और परिवार का मुखिया सबसे वृद्ध व्यक्ति होता था।
- उस समय संयुक्त परिवार प्रणाली प्रचलित थी।
वर्ण व्यवस्था
- समाज चार वर्णों में विभाजित था –ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र।
- यह विभाजन कर्म (कार्य) पर आधारित था, जन्म पर नहीं।
| वर्ण | कार्य |
|---|---|
| ब्राह्मण | शिक्षा देना और धार्मिक कार्य करना |
| क्षत्रिय | शासन और रक्षा करना |
| वैश्य | कृषि, व्यापार और पशुपालन |
| शूद्र | सेवा और श्रम कार्य |
आगे चलकर ये व्यवसाय पैतृक हो गए और जातियाँ कठोर बन गईं।
परिवार और महिलाएँ
- परिवार समाज की मुख्य इकाई थी।
- बाल विवाह नहीं होते थे।
- युवक और युवतियाँ अपनी पसंद से विवाह कर सकते थे।
- पत्नी पति की धार्मिक और सामाजिक सहयोगिनी मानी जाती थी।
- महिलाओं का समाज में सम्मान था, कुछ को तो ऋषि का दर्जा भी प्राप्त था।
- पिता की संपत्ति में सभी संतानों का अधिकार था।
- भूमि, जंगल, तालाब आदि पर समाज का सामूहिक अधिकार था।
खान-पान
- वैदिक काल में लोग चावल, गेहूँ, दालों और सब्जियों का सेवन करते थे।
- भोजन में दूध, दही, मक्खन, घी और फल भी शामिल थे।
- मांसाहार भी प्रचलित था।
- लोग मधु (शहद) और सुरा (नशीला पेय) पीते थे।
- धार्मिक अनुष्ठानों में सोमपान किया जाता था।
- यद्यपि सुरा और सोम के अत्यधिक सेवन को हतोत्साहित किया गया था।
आर्थिक जीवन
- वैदिक समाज का आर्थिक जीवन कृषि, हस्तशिल्प और व्यापार पर आधारित था।
- बैल और सांड खेती में, घोड़े रथों में उपयोग होते थे।
- गाय को सबसे पवित्र पशु माना गया -उसे अघ्न्य (जिसे नहीं मारा जा सकता) कहा गया।
वेदों में लिखा है:गाय को मारना या हानि पहुँचाना गंभीर अपराध था।
शिल्प और व्यवसाय
- प्रारंभिक काल में ताँबे की जानकारी थी।
- बाद के काल में लोहा (श्याम अयस) भी ज्ञात हुआ।
- प्रमुख व्यवसाय – बर्तन बनाना, कपड़ा बुनना, बढ़ई, धातुकर्म, गहने बनाना, रथ बनाना, तीर-कमान बनाना।
- शिल्पकारों के समूहों को संघ (गिल्ड) कहा जाता था और उनके मुखिया को श्रेष्ठी।
कर और मुद्रा
- प्रारंभ में राजा को लोग “बलि” नामक स्वैच्छिक उपहार देते थे।
- बाद में यही उपहार नियमित कर (शुल्क) बन गया।
- वैदिक काल के सिक्कों को “निष्क” कहा जाता था।
धर्म और दर्शन
- ऋग्वेद के लोग प्रकृति की शक्तियों की पूजा करते थे –अग्नि, सूर्य, वायु, आकाश, वरुण, इंद्र आदि प्रमुख देवता थे।
- पूजा यज्ञों और मंत्रों के माध्यम से होती थी।
- इंद्र को देवताओं का राजा माना गया।
- हड़प्पा सभ्यता की तरह पीपल वृक्ष, शिवलिंग और सप्तमातृकाओं की पूजा भी होती थी।
उत्तर वैदिक काल का दर्शन
- यज्ञ और कर्मकांड के साथ ज्ञान मार्ग (आध्यात्मिक विचार) को महत्व मिला।
- विद्वानों ने ईश्वर, आत्मा, जीवन और मृत्यु पर चिंतन किया।
- उनके विचार “उपनिषदों” में संकलित किए गए।
- उपनिषद भारतीय दर्शनशास्त्र के प्रमुख ग्रंथ हैं और वेदों का अंग माने जाते हैं।
विज्ञान और गणित
- वेद, ब्राह्मण और उपनिषद ग्रंथों से वैज्ञानिक ज्ञान प्राप्त होता है।
गणित
- गणित में अंकगणित, रेखागणित, बीजगणित और ज्योतिष की जानकारी थी।
- उन्हें त्रिभुज और वृत्त के क्षेत्रफल, वर्ग, वर्गमूल और घनमूल की गणना का ज्ञान था।
- शून्य का ज्ञान था, जिससे बड़ी संख्याएँ लिखी जा सकीं।
खगोल विद्या
- वैदिक काल में खगोल विज्ञान अत्यधिक विकसित था।
- वे आकाशीय पिंडों की गति, सूर्य-चंद्र ग्रहण, और पंचांग निर्माण जानते थे।
- वे यह भी जानते थे कि –
- पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है।
- पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है।
- चाँद पृथ्वी की परिक्रमा करता है।
निवास और नगर जीवन
- वैदिक लोग गाँवों और प्राचीर से घिरे नगरों (पुरों) में रहते थे।
- वे दूर-दूर तक व्यापार करते थे।
- विज्ञान और गणित की विभिन्न शाखाएँ अत्यधिक विकसित थीं।
महत्वपूर्ण बिंदु
- वैदिक साहित्य – वेद, उपनिषद, ब्राह्मण, अरण्यक।
- समाज चार वर्णों में विभाजित – ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र।
- महिलाओं को समाज में सम्मान प्राप्त था।
- प्रमुख व्यवसाय – कृषि, व्यापार, हस्तशिल्प।
- मुख्य देवता – इंद्र, अग्नि, सूर्य, वरुण।
- बलि – स्वैच्छिक उपहार, जो बाद में कर बन गया।
- निष्क – वैदिक काल के सिक्के।
- गणित, ज्योतिष और खगोल विद्या अत्यंत विकसित थी।
- उपनिषद – ज्ञान मार्ग और दर्शन पर आधारित ग्रंथ।
- वैदिक संस्कृति भारतीय सभ्यता की मूल नींव थी।

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