मौर्य साम्राज्य
मौर्य साम्राज्य की स्थापना
- नंद वंश के राजा महापद्म नंद शक्तिशाली लेकिन क्रूर शासक थे।
- जनता उनसे असंतुष्ट थी।
- चंद्रगुप्त मौर्य और उनके गुरु चाणक्य (कौटिल्य) ने मिलकरनंद वंश को हटाया और 322 ई.पू. में मौर्य साम्राज्य की स्थापना की।
- मौर्य साम्राज्य की राजधानी पाटलीपुत्र (वर्तमान पटना, बिहार) थी।
चंद्रगुप्त मौर्य के कार्य
- सिकंदर की वापसी के बाद चंद्रगुप्त ने पंजाब के यूनानी शासकों को हराया।
- उसने सेल्युकस (सिकंदर का प्रशासक) को भी हराया औरसिंधु व अफगानिस्तान क्षेत्र को अपने राज्य में मिला लिया।
- पराजय के बाद सेल्युकस ने अपनी पुत्री का विवाह चंद्रगुप्त से कियाऔर अपना राजदूत मेगस्थनीज पाटलीपुत्र भेजा।
- मेगस्थनीज ने अपनी पुस्तक ‘इंडिका’ में मौर्यकालीन भारत का वर्णन किया।
कहा जाता है कि जीवन के अंत में चंद्रगुप्त मौर्य जैन मुनि बन गए।
बिंदुसार (चंद्रगुप्त का पुत्र)
- बिंदुसार ने अपने पिता से विशाल साम्राज्य विरासत में पाया।
- उसने राज्य का विस्तार मैसूर तक किया।
- केवल कलिंग (उड़ीसा का भाग) और दक्षिण भारत उसके अधीन नहीं थे।
- बिंदुसार की दक्षिण के राज्यों से मित्रता थी, इसलिए उसने उन पर आक्रमण नहीं किया।
- कलिंग को जीतने का कार्य उसके पुत्र अशोक ने किया।
सम्राट अशोक – महान शासक
- अशोक मौर्य वंश का सबसे प्रसिद्ध राजा था।
- उसे चंद्रगुप्त और बिंदुसार से एक बड़ा और व्यवस्थित साम्राज्य विरासत में मिला।
कलिंग युद्ध (261 ई.पू.)
- अशोक ने राज्याभिषेक के आठवें वर्ष कलिंग (वर्तमान उड़ीसा) पर आक्रमण किया।
- युद्ध बहुत भयानक था –
- एक लाख सैनिक मारे गए।
- लाखों घायल हुए।
- भयंकर नरसंहार और पीड़ा देखकर अशोक का हृदय बदल गया।
- उसने प्रण लिया -➤ अब से वह युद्ध नहीं करेगा और धर्म (धम्म) के मार्ग पर चलेगा।
अशोक का धर्म (धम्म)
- कलिंग युद्ध के बाद अशोक ने युद्ध छोड़ दिया और धम्म विजय का मार्ग अपनाया।
- वह बौद्ध धर्म का अनुयायी बन गया।
- उसने कहा -“सभी धर्मों के लोग शांति से रहें और एक-दूसरे का सम्मान करें।”
धम्म के मुख्य विचार:
- सभी जीवों से प्रेम करना।
- हिंसा और पशु बलि से दूर रहना।
- माता-पिता और बुजुर्गों का आदर करना।
- नौकरों और सेवकों के साथ अच्छा व्यवहार करना।
- सत्य, दया और सदाचार का पालन करना।
अशोक ने अपने विचार शिलालेखों (पत्थरों और स्तंभों) पर खुदवाए,ताकि जनता उन्हें पढ़कर समझ सके।
अशोक के शिलालेख
- ये शिलालेख ब्राह्मी, खरोष्ठी और अरेमाइक लिपि में हैं।
- भाषा प्राकृत थी ताकि आम जनता समझ सके।
- ये चट्टानों और स्तंभों पर खुदे हुए हैं।
- इनसे हमें उस समय की शासन व्यवस्था और विचारों की जानकारी मिलती है।
अशोक का प्रशासन
- अशोक अपनी प्रजा को अपने बच्चों की तरह मानता था।
- उसने प्रजा की भलाई के लिए कई कार्य किए –
लोककल्याण के कार्य:
- अच्छी सड़कें बनवाईं, ताकि लोग आसानी से यात्रा कर सकें।
- सड़कों के किनारे छाया देने वाले पेड़ और फलदार वृक्ष लगवाए।
- कुएँ, बावड़ियाँ और बाँध बनवाए।
- धर्मशालाएँ और विश्राम गृह बनवाए।
- अस्पताल और औषधालय खोले।
- पशुओं और पक्षियों के लिए चिकित्सालय (पिंजरापोल) स्थापित किए।
प्रशासनिक व्यवस्था:
- सम्राट की सहायता के लिए मंत्रिपरिषद् थी।
- साम्राज्य को चार प्रांतों में बाँटा गया -प्रत्येक का शासन राजकुमार या राज्यपाल करता था।
- प्रांतों को जिलों और गाँवों में बाँटा गया था।
- कर वसूली और कानून-व्यवस्था के लिए अधिकारी नियुक्त थे।
- नगरों की व्यवस्था नगर परिषद देखती थी।
अशोक ने “धर्म महामात्य” नामक अधिकारी नियुक्त किए,जो घूम-घूमकर लोगों की समस्याएँ सुनते और उन्हें धर्म के अनुसार जीवन जीने की सलाह देते थे।
विदेश नीति और धर्म प्रचार
- अशोक ने युद्ध छोड़कर शांति और मित्रता की नीति अपनाई।
- उसने अपने धर्म-दूत दूर देशों में भेजे।
- पुत्र महेंद्र और पुत्री संधमित्रा को श्रीलंका भेजा।
- श्रीलंका के राजा ने बौद्ध धर्म स्वीकार किया।
- अशोक ने दूसरे देशों में भी अपने दूत भेजे, जैसे -अफगानिस्तान, नेपाल और दक्षिण भारत।
मौर्यकालीन समाज
- मेगस्थनीज ने अपनी पुस्तक “इंडिका” में समाज का वर्णन किया है।
समाज की विशेषताएँ:
- अधिकतर लोग खेती करते थे।
- गाँवों में चरवाहे, गड़रिये, किसान रहते थे।
- नगरों में कारीगर जैसे – बुनकर, बढ़ई, कुम्हार, लोहार रहते थे।
- व्यापारी समुद्र के पार तक व्यापार करते थे (फारस की खाड़ी, पश्चिमी देश)।
- सेना में बड़ी संख्या में सैनिक थे जिन्हें अच्छा वेतन मिलता था।
- ब्राह्मण, जैन और बौद्ध भिक्षु समाज में आदर पाते थे।
- सोने, चाँदी और ताँबे के सिक्के चलते थे।
- पर्दा प्रथा नहीं थी।
- जीवन सरल, शांत और मितव्ययी था।
मौर्यकालीन कला और स्थापत्य
- अशोक ने अपने संदेश चमकीले स्तंभों और शिलाओं पर खुदवाए।
- स्तंभों के शीर्ष पर सिंह, हाथी, साँड की प्रतिमाएँ बनाई गईं।
- सारनाथ का सिंह स्तंभ सबसे प्रसिद्ध है -इसे भारत का राष्ट्रीय चिन्ह बनाया गया है।
- इस काल में अनेक स्तूप, गुफाएँ और स्तंभ बनवाए गए।
- प्रमुख स्थान – साँची, भरहुत (सतना), सतधारा, तुमैन (गुना), बरहट (रीवा), उज्जैन।
- साँची का बौद्ध स्तूप विश्व प्रसिद्ध है और विश्व धरोहर स्थल में शामिल है।
अशोक 11 वर्ष अवंति (उज्जैन) का गवर्नर रहा।उसकी एक रानी विदिशा की थी और महेंद्र-संधमित्रा का जन्म उज्जैन में हुआ।
मौर्य साम्राज्य का पतन
- अशोक के बाद मौर्य साम्राज्य धीरे-धीरे कमजोर हो गया।
- उसके उत्तराधिकारी योग्य नहीं थे।
- इतने बड़े साम्राज्य का प्रशासन और संपर्क बनाए रखना कठिन था।
- कर संग्रह में कमी और असंतोष बढ़ा।
- प्रांतीय शासक स्वतंत्र होने लगे।
- 187 ई.पू. में पुष्यमित्र शुंग ने अंतिम मौर्य शासक वृहद्रथ की हत्या कीऔर शुंग वंश की स्थापना की।
महत्वपूर्ण बिंदु
- मौर्य साम्राज्य की स्थापना – 322 ई.पू. में चंद्रगुप्त मौर्य ने की।
- राजधानी – पाटलीपुत्र।
- बिंदुसार ने साम्राज्य का विस्तार दक्षिण तक किया।
- अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद युद्ध छोड़ दिया।
- उसने धम्म नीति अपनाई और बौद्ध धर्म स्वीकार किया।
- अशोक ने अपने पुत्र-पुत्री को श्रीलंका धर्म प्रचार के लिए भेजा।
- अशोक का सारनाथ सिंह स्तंभ भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है।
- प्रमुख स्थल – साँची, भरहुत, उज्जैन, बरहट, रूपनाथ।
- अशोक ने सड़कें, अस्पताल, कुएँ और वृक्ष लगवाए।
- मौर्य साम्राज्य का अंत पुष्यमित्र शुंग के हाथों हुआ (187 ई.पू.)।

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