समुदाय एवं सामुदायिक विकास
समुदाय का अर्थ
- कोई भी गाँव, प्रांत या देश अपने आप में एक समुदाय होता है।
- इसमें विभिन्न जाति और धर्म के लोग मिलजुलकर रहते हैं, अपने-अपनेरीति-रिवाज, परंपराएँ, त्योहार और संस्कार मनाते हैं।
- कई परिवार पास-पास रहकर “परिवारों का परिवार” कहलाते हैं।
- समुदाय में “हम” की भावना पाई जाती है।
- इसका निवास क्षेत्र निश्चित होता है।
समुदाय की विशेषताएँ
- समुदाय व्यक्तियों का समूह होता है।
- प्रत्येक गाँव, प्रांत या देश स्वयं में एक समुदाय है।
- समुदाय स्वयं अपना विकास करता है।
- इसमें विभिन्न जाति और धर्म के लोग साथ रहते हैं।
- समुदाय द्वारा किया गया कार्य स्थायी होता है।
- यह एकता और अपनेपन की भावना बढ़ाता है।
- समुदाय के सदस्य एक-दूसरे के सुख-दुःख में सहभागी होते हैं।
- समुदाय आत्मनिर्भर समूह होता है।
सामुदायिक विकास और जनसहयोग
- मनुष्य जन्म से मृत्यु तक परिवार और समुदाय में रहता है।
- कई परिवार पास-पास रहकर समुदाय बनाते हैं।
- समुदाय में सभी लोग अलग-अलग व्यवसाय करते हुए भी एकजुट रहते हैं।
- समय के साथ मनुष्य शिकारी से किसान बन गया औरगाँव-नगर बसाकर सामुदायिक जीवन विकसित किया।
सामुदायिक विकास का उद्देश्य:
- लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं जैसे भोजन, वस्त्र, आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि की पूर्ति करना।
- समाज में आत्मनिर्भरता और सहयोग की भावना उत्पन्न करना।
जनसहयोग का अर्थ
“स्थानीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए स्थानीय लोगों द्वारा दिया गया सहयोग – जनसहयोग कहलाता है।”
- समुदाय के विकास के लिए स्थानीय लोगों की भागीदारी आवश्यक होती है।
- ग्रामीण और शहरी – दोनों क्षेत्रों में जनसहयोग आवश्यक है क्योंकिलोग अपनी परिस्थितियों और जरूरतों को सबसे अच्छी तरह जानते हैं।
उदाहरण:यदि किसी क्षेत्र में पेयजल, शिक्षा या अस्पताल की कमी है,तो स्थानीय लोग मिलकर इन समस्याओं के समाधान के लिए प्रयास करें।
- इस प्रकार लोगों में आत्मनिर्भरता और सहयोग की भावना बढ़ती है।
- जनसहयोग से राज्य और केंद्र सरकारों के कार्यभार को बाँटने में सहायता मिलती है।
ग्राम / नगर स्तर पर समितियाँ
- सामुदायिक विकास में स्थानीय नागरिकों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।
- इसके लिए ग्राम पंचायत और नगर स्तर पर विभिन्न समितियाँ बनाई गई हैं।
- इन समितियों के माध्यम से प्रजातंत्र में सत्ता का विकेन्द्रीकरण (नीचे के स्तर तक शासन) किया गया है।
ग्राम स्वराज की स्थापना – 26 जनवरी 2001 से की गई।
ग्राम / नगर स्तर पर गठित समितियाँ
- ग्राम / नगर विकास समिति
- सार्वजनिक सम्पदा समिति
- कृषि समिति
- स्वास्थ्य समिति
- ग्राम / नगर रक्षा समिति
- अधोसंरचना समिति
- शिक्षा समिति
- सामाजिक न्याय समिति
इन समितियों के माध्यम से लोगों में जागरूकता और सहयोग की भावना विकसित की जाती है।
महत्वपूर्ण समितियाँ और उनके कार्य
1. ग्राम / वार्ड शिक्षा समिति
- ग्राम या वार्ड के बच्चों की शिक्षा व्यवस्था में सहयोग करती है।
- विद्यालय के प्रबंधन में भी सहायता देती है।
- यह सुनिश्चित करती है कि सभी बच्चे विद्यालय जाएँ और पढ़ाई करें।
2. ग्राम / वार्ड रक्षा समिति
- गाँव या वार्ड में लोगों की सुरक्षा संबंधी कार्यों में सहयोग करती है।
- अपराधों की रोकथाम में पुलिस प्रशासन की सहायता करती है।
3. पालक-शिक्षक संघ
- यह संघ मध्यप्रदेश जन शिक्षा अधिनियम के अंतर्गत प्रत्येकप्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय में गठित किया गया है।
- इसके प्रमुख कार्य –
- सभी बच्चों का विद्यालय में प्रवेश सुनिश्चित करना।
- बच्चों की नियमित उपस्थिति बनाये रखना।
- विद्यालयों में मध्यान्ह भोजन व्यवस्था देखना।
- बच्चों की शैक्षिक प्रगति पर ध्यान देना।
- विद्यालय में शिक्षकों की व्यवस्था और उनकी सहायता करना।
सामाजिक समरसता में समुदाय का महत्व
- भारत प्राचीन काल से विभिन्न धर्मों, जातियों और जनजातियों का देश रहा है।
- यहाँ की जाति, वर्ण, ग्राम, आश्रम और संस्कार व्यवस्थाभारतीय समाज की नींव रही है।
सामाजिक समरसता का अर्थ
समाज में लोगों का एक-दूसरे के सुख-दुःख में समान रूप से शामिल होना,अलग-अलग धर्म, पंथ या व्यवसाय के बावजूद मिलजुलकर रहना।
उदाहरण:त्योहारों और समारोहों में सभी लोगों का साथ मिलकर भाग लेना सामाजिक समरसता का उदाहरण है।
समुदाय में विविधता और सहयोग
- समुदाय में किसान, बुनकर, दर्जी, बढ़ई, लोहार, दुकानदार, मजदूर,नर्स, डॉक्टर, अध्यापक, पुलिसकर्मी, विद्युतकर्मी आदि सभी लोग रहते हैं।
- हर परिवार अपनी जरूरतें पूरी करने के साथ दूसरों की मदद भी करता है।
- समुदाय में आर्थिक पारस्परिकता (एक-दूसरे पर निर्भरता) होती है।
- इससे सामाजिक भलाई और एकता की भावना बढ़ती है।
- सदस्य सार्वजनिक सुविधाओं को बाँटते हैं और एक-दूसरे केसुख-दुःख में भागीदार बनते हैं।
समुदाय का महत्व
- व्यक्ति और समुदाय एक-दूसरे से जुड़े होते हैं और एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं।
- इससे रीति-रिवाज, परंपराएँ, संस्कृतियाँ और विश्वास एक-दूसरे से साझा होते हैं।
- विभिन्न समुदायों के आपसी संपर्क से आपसी समझ और सम्मान बढ़ता है।
- जीवन के तौर-तरीकों में भी परिवर्तन आता है।
ग्रामीण और शहरी समुदायों में हुए परिवर्तन के उदाहरण:
- संचार और बिजली की सुविधाएँ बढ़ीं।
- पक्के मकान और सड़कों का निर्माण हुआ।
- यातायात के साधनों का विस्तार हुआ।
- शिक्षा के प्रसार से लोगों में जागरूकता और विकास की भावना आई।
संक्षेप में महत्वपूर्ण बिंदु
- समुदाय – परिवारों का समूह, जिसमें “हम” की भावना होती है।
- सामुदायिक विकास – लोगों की भागीदारी से आत्मनिर्भरता और सुधार।
- जनसहयोग – स्थानीय लोगों द्वारा अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए दिया गया सहयोग।
- ग्राम / नगर स्तर पर समितियाँ – शिक्षा, रक्षा, स्वास्थ्य, कृषि आदि कार्यों के लिए।
- पालक-शिक्षक संघ – बच्चों की शिक्षा, उपस्थिति और मध्यान्ह भोजन व्यवस्था के लिए।
- सामाजिक समरसता – सभी का एक-दूसरे के सुख-दुःख में सम्मिलित होना।
- समुदाय – सामाजिक एकता, सहयोग और भलाई की भावना को बढ़ावा देता है।

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