जनजातीय समाज
जनजातियाँ क्या हैं
- भारत में अनेक जाति और धर्म के लोग रहते हैं।
- कुछ लोग जंगलों या वन क्षेत्रों में रहते हैं जिनकी अपनी भाषा, संस्कृति और परंपराएँ होती हैं।
- इन्हें आदिवासी, वनवासी, जनजाति, गिरीजन या वन्य जातियाँ कहा जाता है।
- ‘आदिवासी’ शब्द का अर्थ है – किसी स्थान के मूल निवासी।
जनजातियों की प्रमुख विशेषताएँ
- प्रत्येक जनजाति एक निश्चित भू-भाग में निवास करती है।
- उनकी अपनी भाषा या बोली होती है।
- अपनी संस्कृति, रहन-सहन और जीवन शैली होती है।
- एक जनजाति के सदस्य अपने ही समूह के भीतर विवाह करते हैं।
अनुसूचित जनजातियाँ
- संविधान में उन जनजातियों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं जो समाज में पिछड़े रहे हैं।
- हर राज्य में यह तय किया गया है कि कौन-सी जनजातियाँ इन प्रावधानों का लाभ पाएंगी।
- जिन जनजातियों को संविधान की सूची (अनुसूची) में शामिल किया गया है, उन्हें अनुसूचित जनजाति कहा जाता है।
जनजातीय समाज में संगठन
- समाज चाहे छोटा हो या बड़ा, हर समाज की अपनी संरचना होती है।
- सामाजिक संगठन का अर्थ है – समाज के संबंधों को व्यवस्थित रखना।
- जनजातियों में नातेदारी, विवाह, परिवार, वंश समूह और गोत्र का विशेष महत्व होता है।
गोत्र संगठन
- हर जनजाति का एक गोत्र होता है।
- एक गोत्र के सदस्य भाई-बहन माने जाते हैं, अतः आपस में विवाह नहीं करते।
खानाबदोशी समूह
- ये लोग घुमन्तू होते हैं, एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते रहते हैं।
- इनका जीवन कठिन होता है।
जनजातियों का आर्थिक जीवन
- जनजातियों की अर्थव्यवस्था सीमित आवश्यकताओं पर आधारित होती है।
- वे कृषि, वनोपज संग्रह और मजदूरी से जीवनयापन करते हैं।
- सरकारी योजनाओं से अब उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है।
- उद्योग-धंधों के कारण वे शहरों में रोजगार करने लगे हैं।
वनोपज संग्रह
- गोंड और भील जनजातियाँ वनोपज एकत्र करती हैं।
- वे तेंदू, हर्रा, बहेड़ा, महुआ, सालबीज, अचार, शहद, कंदमूल आदि एकत्र करती हैं।
- बाँस की वस्तुएँ बनाना, बढ़ईगिरी, लोहे के औज़ार बनाना और मजदूरी करना भी इनके कार्य हैं।
जनजातियों का सामाजिक जीवन
- जनजातीय लोग प्रकृति के बीच सरल जीवन जीते हैं।
- उनकी अपनी परम्पराएँ और मान्यताएँ होती हैं।
- विवाह और नामकरण के संस्कार इन्हीं के अनुसार होते हैं।
- कुछ जनजातियों में पिता मुखिया, तो कुछ में माता मुखिया होती हैं।
- पुत्री को बोझ नहीं माना जाता।
- भील जनजाति में बच्चे के जन्म के छठे दिन छठी मनाई जाती है।
- गोंड जनजाति में जन्म के बाद महिलाएँ लोकगीत गाती हैं और मृत्यु के बाद अग्नि संस्कार किया जाता है।
जनजातियों का सांस्कृतिक जीवन
- जनजातियों की अपनी संस्कृति और पहचान होती है।
- संगीत और नृत्य उनकी संस्कृति के मुख्य अंग हैं।
- त्योहारों और खेती के समय गीत-नृत्य होते हैं।
- नियम तोड़ने पर समाज द्वारा दंड दिया जाता है।
- भील जनजाति का प्रमुख उत्सव ‘भगोरिया हाट’ है।
- इनके भित्तिचित्र (दीवार चित्र) ‘पिठौरा शैली’ में बनाए जाते हैं।
- शरीर पर शुभ चिह्न, पशु-पक्षी या नाम का गुदना (टैटू) बनवाने की परंपरा है।
- गुदना को वे जीवनभर का आभूषण मानते हैं।
संविधान में जनजातीय कल्याण के प्रावधान
- धर्म, जाति, लिंग आदि के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं होगा।
- सार्वजनिक स्थानों जैसे सड़क, कुआँ, तालाब आदि के उपयोग से कोई वंचित नहीं किया जाएगा।
- सभी को अपने व्यवसाय करने की स्वतंत्रता है।
- शिक्षा संस्थानों में किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा।
- लोकसभा, विधानसभा, पंचायतों और स्थानीय निकायों में आरक्षण दिया गया है।
- सरकारी नौकरियों में भी आरक्षण की व्यवस्था है।
- संविधान की भावना है कि हर नागरिक को अपने विकास का अवसर मिले।
महत्वपूर्ण बातें
- ‘आदिवासी’ का अर्थ – मूल निवासी
- ‘गुदना’ – शरीर पर स्थायी चित्र या निशान
- ‘भगोरिया हाट’ – भील जनजाति का उत्सव
- ‘पिठौरा शैली’ – भित्तिचित्रों की प्रसिद्ध शैली

Leave a Reply