भारत की जलवायु
मानसून क्या है?
- भारत की जलवायु मानसूनी कहलाती है क्योंकि यहां मानसूनी पवनें चलती हैं।
- मानसून शब्द अरबी के ‘मौसिम’ से आया, मतलब ‘मौसम’।
- अरब नाविकों ने अरब सागर में 6 महीने उत्तर-पूर्व से चलने वाली हवाओं को मानसून कहा।
- मानसून: ऐसी पवनें जो निश्चित समय और दिशा में चलती हैं, दिशा बदलती रहती हैं।
- भारत में लोगों का जीवन, काम-काज मानसून पर निर्भर।
मानसून की उत्पत्ति के कारण
- सूर्य ताप का मुख्य स्रोत → वायु गर्म/ठंडी होती है।
- गर्म वायु हल्की → निम्न दाब।
- ठंडी वायु भारी → उच्च दाब।
- पवन हमेशा उच्च दाब से निम्न दाब की ओर चलती है।
- दाब बदलने से पवन की दिशा बदलती है।
- ऊपर-नीचे हवा: वायु; समानांतर हवा: पवन।
ग्रीष्मकालीन मानसून (गर्मी में)
- सूर्य उत्तरी गोलार्ध में → भारत गर्म → उत्तर भारत में निम्न दाब।
- हिंद महासागर ठंडा → उच्च दाब।
- पवन समुद्र से स्थल की ओर → वाष्प भरी → वर्षा होती है।
- दिशा: दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व।
शीतकालीन मानसून (सर्दी में)
- सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में → उत्तर भारत ठंडा → उच्च दाब।
- हिंद महासागर गर्म → निम्न दाब।
- पवन स्थल से समुद्र की ओर → शुष्क और ठंडी।
- दिशा: उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम।
- ऋतु बदलने से पवन दिशा बदलना → मानसून की उत्पत्ति।
भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक
- भौगोलिक स्थिति:
- 8.4° से 37.6° उत्तरी अक्षांश।
- कर्क रेखा बीच से गुजरती है।
- दक्षिण में हिंद महासागर → पवनों को नमी।
- उत्तर में हिमालय → ठंडी हवाएं रोकता है।
- धरातलीय स्वरूप:
- हिमालय दीवार की तरह → ठंड से बचाता, मानसून रोककर वर्षा कराता।
- प्रचलित पवनें:
- मौसम से दिशा बदलती → नहीं तो भारत मरुस्थल होता।
- एशिया में दाब बदलने से पवन दिशा बदलती।
भारत की प्रमुख ऋतुएं (भारतीय सर्वेक्षण विभाग के अनुसार)
- शीत ऋतु (15 दिसंबर – 15 मार्च):
- सूर्य दक्षिणी गोलार्ध → भारत ठंडा।
- उत्तर भारत: कम तापमान, उच्च दाब।
- पवन: स्थल से समुद्र → ठंडी-शुष्क, उत्तर-पूर्व से।
- विशेषताएं:
- उत्तर भारत में शीत लहर।
- उत्तर-पश्चिम में पश्चिमी चक्रवात से वर्षा।
- तमिलनाडु तट पर लौटते मानसून से वर्षा।
- शीत लहर: तापमान 5°C से कम → ठंडी हवा।
- ग्रीष्म ऋतु (15 मार्च – 15 जून):
- सूर्य उत्तरी गोलार्ध → तापमान बढ़ता।
- उत्तर-पश्चिम: 48°C तक।
- दोपहर में गर्म-शुष्क हवाएं → ‘लू’।
- वर्षा ऋतु (15 जून – 15 सितंबर):
- दक्षिण-पश्चिम मानसून केरल पहुंचता (जून शुरू)।
- मध्य जुलाई तक पूरे भारत में।
- आर्द्र पवनें → पूरे देश में वर्षा।
- शरद ऋतु (15 सितंबर – 15 दिसंबर):
- उत्तर भारत ठंडा → उच्च दाब।
- पवन: उत्तर-पूर्व से → शुष्क, कोई वर्षा नहीं।
- लौटते मानसून बंगाल खाड़ी से नमी लेकर तमिलनाडु पर वर्षा।
भारत में वर्षा का वितरण (असमान)
- पश्चिमी घाट, उत्तर-पूर्व: 300 cm से अधिक।
- मध्य, उत्तर-पूर्व: 100-300 cm।
- मध्य-दक्षिण भारत: 40-100 cm।
- पश्चिमी राजस्थान, दक्षिण पठार, कारगिल: 40 cm से कम।
- भारतीय मरुस्थल, कारगिल: 10 cm से कम।
- सबसे अधिक: चेरापूंजी और मॉसिनराम (मेघालय)।
भारत की जलवायु की प्रमुख विशेषताएं
- पूर्णतः मानसूनी।
- अधिकांश वर्षा: जून-सितंबर (4 महीने)।
- उत्तर भारत: तापान्तर अधिक; दक्षिण: कम।
- बाढ़ और सूखा एक साथ।
- वर्षा असमान: कहीं ज्यादा, कहीं कम।
- जन जीवन प्रभावित।
- भीतरी भाग: महाद्वीपीय जलवायु; तटीय: सम जलवायु।
- मानसून से पहले/बाद, सर्दी में चक्रवात → वर्षा लाते।
महत्वपूर्ण बिंदु
- लौटता मानसून: शरद में लौटती पवनें, तमिलनाडु पर वर्षा।
- तापान्तर: अधिक और कम ताप के बीच अंतर।
मानचित्र में दिखाए गए
- कर्क रेखा, चेरापूंजी, मॉसिनराम।
- ग्रीष्मकालीन पवनें: अरब सागर और बंगाल खाड़ी शाखा।
- अत्यधिक वर्षा: पश्चिमी घाट, उत्तर-पूर्व।
- कम वर्षा: राजस्थान मरुस्थल, कारगिल।

Leave a Reply