गुप्तकाल एवं उत्तर गुप्तकाल
समय की स्थिति
- सातवाहन-कुषाण पतन के बाद कई राजवंश: वाकाटक, मौखरी, गुप्त।
- गुप्तों ने मौर्यों के बाद भारत की राजनीतिक एकता फिर बनाई।
- आर्थिक, सामाजिक, साहित्य, कला में बहुत उन्नति → गुप्तकाल स्वर्ण युग।
- प्रमुख राजा: चन्द्रगुप्त प्रथम, समुद्रगुप्त, चन्द्रगुप्त द्वितीय, कुमारगुप्त, स्कन्दगुप्त।
गुप्त वंश के प्रमुख शासक
- चन्द्रगुप्त प्रथम:
- वंश संस्थापक: श्री गुप्त।
- पहला प्रसिद्ध शासक।
- जीते: साकेत (अयोध्या), प्रयाग (इलाहाबाद)।
- विवाह: लिच्छवि राजकुमारी कुमारदेवी → राज्य बढ़ा।
- उपाधि: महाराजाधिराज।
- उत्तराधिकारी: समुद्रगुप्त।
- समुद्रगुप्त:
- महान विजेता।
- उत्तर भारत: 9 राजा हराए, राज्य मिलाए।
- विन्ध्य क्षेत्र: 8 गणराज्य जीते।
- दक्षिण: 12 राज्य जीते, वापस लौटाए।
- सीमावर्ती राजा: मित्रता की।
- विशाल साम्राज्य।
- शासन: अच्छा, प्रजा दयावान, निर्धन-असहाय मदद।
- कलाप्रिय, कवि, विद्वान आश्रय।
- जानकारी: इलाहाबाद स्तंभ लेख (प्रयागप्रशस्ति), हरिषेण रचना।
- अशोक लेख भी उसी स्तंभ पर।
- चन्द्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य):
- शकों को हराया।
- द्वितीय राजधानी: उज्जैन।
- सभा: नवरत्न।
- विवाह: नाग कन्या कुबेर नागा; पुत्री का वाकाटक रूद्रसेन से।
- क्षेत्र: मालवा, गुजरात, सौपारा, पंजाब (सात नदियां पार), अरब सागर तट, बंगाल, असम, हिमालय तलहटी, नर्मदा तक।
- चीनी यात्री: फाह्यान → यात्रा विवरण, सिक्के, अभिलेख से जानकारी।
गुप्तकाल प्रशासन
- साम्राज्य: प्रांत → जिला (विषय) → ग्राम।
- प्रांत: उपरिक महाराज।
- जिला: विषयपति।
- ग्राम: मुखिया (ग्रामीण मदद से)।
- सुव्यवस्थित शासन।
सामाजिक व्यवस्था
- प्रजा सुखी-संपन्न।
- सम्राट न्यायप्रिय → प्रजा ईमानदार, कानून मानने वाली, सहिष्णु, प्रगतिशील।
- शाकाहारी ज्यादातर।
- जातियां: ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र।
- अंतर्जातीय विवाह।
- अछूत वर्ग भी।
व्यापार-व्यवसाय
- राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय।
- जल-थल मार्ग।
- केंद्र: उज्जैन, मथुरा, कौशाम्बी, विदिशा, बनारस, गया, ताम्रलिप्त, मदुरै।
- देश: सुवर्णभूमि, वर्मा, कम्पूचिया।
- शांतिपूर्ण → स्वर्ण युग।
कला विकास
- मूर्तिकला, चित्रकला, वास्तुकला, संगीत, नाट्य।
- निर्माण: उदयगिरि गुफाएं (विदिशा), भीतरगांव मंदिर (कानपुर), देवगढ़ (ललितपुर), तिगवा (कटनी)।
- मूर्तियां: देवी-देवता, जैन तीर्थंकर, बुद्ध, बोधिसत्व।
- लौह स्तंभ: महरौली (दिल्ली) → तकनीक उदाहरण।
- सिक्के: सोना-चांदी, समुद्रगुप्त वीणा बजाते।
- सारनाथ बुद्ध, मथुरा महावीर मूर्ति।
- चित्रकला: अजंता, बाघ गुफाएं → बौद्ध जीवन भित्तिचित्र।
साहित्य-विज्ञान
- साहित्य: कालिदास (मेघदूत, अभिज्ञान शाकुन्तलम्, रघुवंश); व्यास; कामन्दक (नीतिसार); वराहमिहिर (नवरत्न, खगोल-गणित)।
- विज्ञान: दशमलव पद्धति; आर्यभट्ट (ज्योतिष-खगोल); गणित, पदार्थ, धातु, ज्योतिष, चिकित्सा उन्नति।
धार्मिक जीवन
- गुप्त: वैष्णव (विष्णु उपासक)।
- उपासना: शिव, शक्ति, विष्णु।
- यज्ञ: अश्वमेघ।
- महाभारत-रामायण पुनर्लेखन।
- संस्कृत स्वरूप।
- दान: हिन्दू, बौद्ध, जैन मंदिरों को।
गुप्त पतन
- उत्तराधिकारी अयोग्य।
- हूण आक्रमण।
- छोटे राज्य: परवर्ती गुप्त (मगध), मौखरी (कन्नौज), गौड़ (बंगाल), मैत्रक (वल्लभी), यशोधर्मन (मालवा), पुष्यभूति (थानेश्वर), चालुक्य-पल्लव (दक्षिण)।
उत्तर गुप्तकाल: पुष्यभूति (वर्धन) वंश
- क्षेत्र: हरियाणा-दिल्ली।
- प्रसिद्ध: हर्षवर्द्धन।
- हर्षवर्द्धन:
- पिता: प्रभाकरवर्द्धन।
- भाई: राज्यवर्द्धन (हूण हराने में मदद, शशांक ने वध किया)।
- राज: 606 ई.।
- बदला: शशांक से।
- राजधानी: थानेश्वर → कन्नौज (दोनों एक)।
- जीते: पंजाब, पूर्वी राजस्थान, असम, गंगा घाटी।
- 620 ई.: पुलकेशिन द्वितीय ने नर्मदा पर रोका।
- क्षेत्र: मगध, उड़ीसा, पूर्वी बंगाल, गुजरात, सौराष्ट्र, मालवा, सिन्धु।
- हराए राजा: कर देते, सैनिक मदद, अपने क्षेत्र राजा।
- जानकारी: बाणभट्ट (हर्षचरित); ह्वेनसांग (यात्रा विवरण)।
- धर्म: शुरू सूर्य-शिव, अंत बौद्ध।
- सभी धर्म सम्मान।
- कन्नौज महासम्मेलन।
- प्रयाग: हर 5 वर्ष धार्मिक सभा (ब्राह्मण, बौद्ध, जैन, राजा)।
- दान: निर्धन, अनाथ, अपंग।
- ह्वेनसांग: 26 साल उम्र, मध्य एशिया से, वर्षों भारत, चीन लौटा।
- पूर्वी भारत: बौद्ध लोकप्रिय।
- नालंदा विश्वविद्यालय: राजगृह निकट, प्रमुख केंद्र।
- भारत-एशिया विद्यार्थी।
- बौद्ध केंद्र, ह्वेनसांग आया।
- सामाजिक जीवन (ह्वेनसांग):
- प्रजा संपन्न-सुखी।
- अमीर-गरीब सहिष्णु, सौहार्द।
- शाकाहारी-मांसाहारी।
- गर्ममिजाज, ईमानदार।
- मृत्युदंड नहीं।
- प्रशासन:
- राजा: सर्वोच्च, न्यायाधीश।
- मंत्रिपरिषद: प्रधानमंत्री, राजपुरोहित, सेनापति, अर्थमंत्री।
- भुक्ति (प्रांत): उपरिक।
- विषय (जिला): विषयपति।
- ग्राम: ग्रामिक।
- हर्ष: दिन पहला भाग प्रशासन, दूसरा धार्मिक।
- 6ठी सभा: 5 वर्ष धन दान।
- मृत्यु: 647 ई., कोई पुत्र नहीं → साम्राज्य नष्ट।
दक्षिण भारत
- चालुक्य:
- सातवाहन पतन बाद।
- राजधानी: वातापी।
- राजा: जयसिंह, रणराज, पुलकेशिन प्रथम, कीर्तिवर्मन, पुलकेशिन द्वितीय (सबसे शक्तिशाली, हर्ष हराया)।
- कला-धर्म उन्नति।
- मंदिर: मंगलेश (वातापी), मेंगुती शिव, एहोल विष्णु।
- दूत: ईरान खुसरो द्वितीय।
- पल्लव:
- सातवाहन पतन बाद।
- राजधानी: कांची।
- राजा: महेन्द्रवर्मन प्रथम, नरसिंहवर्मन प्रथम (पुलकेशिन द्वितीय हराया), नरसिंहवर्मन द्वितीय।
- निर्माण: मामल्लपुरम पांच रथ मंदिर।
- राष्ट्रकूट:
- पल्लव-चालुक्य से युद्ध।
- चालुक्य हराकर क्षेत्र जीता।
अन्य
- तमिल संत: भक्ति विचारधारा।
- आलवार (विष्णु), नयनार (शिव)।
- गीत: तमिल में, घूमकर गाते।
- स्थापत्यकला: मंदिर शौक।
- महाबलीपुरम रथ: चट्टान काटकर।
- कांचीपुरम: प्रस्तर खंड।
- उपयोग: सामाजिक-धार्मिक केंद्र, प्रबंध समिति।
- पारसी धर्म: जरथुस्त्री ईरान छोड़ दक्षिण-पश्चिम तट।
- पुस्तक: जेन्द अवेस्ता।
- व्यापार-व्यवसाय में भूमिका।
मानचित्र
- गुप्त: 400 ई. लगभग, दिल्ली, अरब सागर, बंगाल खाड़ी।
- हर्ष: सिन्धु, ब्रह्मपुत्र, नर्मदा, पुलकेशिन साम्राज्य।

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